गर्भाशय के छोटा होने के कारण : स्वस्थ गर्भाशय का साइज और वजन जाने | गर्भाशय का छोटा होना


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Garbhashay ka chota hona नमस्कार दोस्तों यदि किसी महिला का गर्भाशय छोटा होता है तो वह बहुत परेशान होने लगती है कि वह बच्चे की मां नहीं बन सकती है या फिर वह किसी शिशु को जन्म नहीं दे सकती है अगर ऐसा है.

बच्चेदानी छोटा होने के कारण गर्भाशय का आकार कितना होना चाहिए यूटेरस नार्मल साइज bachedani chota hona uterus ka size chota hona

तो आपको बिल्कुल परेशान होने की आवश्यकता नहीं है यूट्रस का साइज छोटा होने पर यह 12 साल की उम्र से ट्रीटमेंट के दौरान बड़ा किया जा सकता है लेकिन आजकल के डॉक्टरों ने इसका आर्टिफिशियल ट्रीटमेंट तैयार कर लिया है.

कि वह किसी भी अवस्था में आपके यूट्रस के साइज को बढ़ा सकते हैं यदि आपको ऐसी कोई प्रॉब्लम है तो आप डॉक्टर की सलाह लें और उनके हिसाब से उन तरीकों को नियमित रूप से फॉलो करें.

और अपने यूट्रस का साइज बढ़ा ले गर्भाशय से जुड़े कई सवालों के जवाब आज हम इस आर्टिकल में लेकर आए हैं इसलिए आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें.

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और गर्भाशय से जुड़ी कई समस्याओं और उनके समाधान जानेंगे तो आइए जानते हैं गर्भाशय का छोटा होना क्या है और यह किस वजह से छोटा होता है.

यूट्रस के छोटे होने की वजह | गर्भाशय का छोटा होना

हमारे शरीर में एक हारमोंस होता है. जिसके रिलीज होने पर यूट्रस का साइज बढ़ता है यदि हारमोंस रिलीज नहीं होता है तो यूटरस का साइज छोटा रह जाता है जिससे आगे चलकर हमें समस्या होने लगती है वैसे तो यूट्रस का नार्मल वजन 70 ग्राम से 125 ग्राम होता है.


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लेकिन यह प्रेगनेंसी के साथ-साथ महीनों के हिसाब से बढ़ता रहता है यूट्रस छोटे होने की कोई खास वजह नहीं है यह आपकी शरीर के हिसाब से होता है और यह विटामिन और प्रोटीन और खाद्य पदार्थों की कमी के कारण छोटा होता है.

इन सब चीजों की कमी के कारण यह कमजोर भी होता है जिससे प्रेगनेंसी के दौरान कई समस्याएं आ सकती हैं इसीलिए जब कोई औरत प्रेग्नेंट होती है तब उसे ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन और विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने के लिए कहा जाता है.

और अधिक समय आराम करने के लिए बोला जाता है ऐसी कोई समस्या आ रही है तो आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और उचित इलाज करें.

गर्भावस्था में यूट्रस की स्थिति

गर्भवती महिला के प्रेगनेंसी के पहली तिमाही के दौरान दिन बीतने के साथ-साथ गर्भाशय भी बढ़ता है जिससे मूत्राशय पर अधिक दबाव बनता है और पेशाब जाने में दिक्कत होने लगती है हालांकि इससे कोई विशेष दिक्कत नहीं होती है.

अब प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान यूट्रस पपीते के आकार का हो जाता है और यह ऊपर की ओर धीरे-धीरे बढ़ता है और यह आसपास की मांसपेशियों पर दबाव बनाना शुरू कर देता है इससे शरीर में दर्द और ऐठन होने लगती है.

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तब गर्भाशय गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान गर्भाशय तरबूज की तरह बड़ा और पेट काफी बड़ा होने लगता है अब यह मूत्राशय फैल जाता है गर्भवती महिला को बैठने में बहुत अधिक समस्या होने लगती है अब वह लेटी रहती है.

या तो किसी चेयर पर आराम से बैठी रहती है उसके पेट के वजन के साथ-साथ उसके शरीर का वजन भारी हो जाता है इसके बाद का समय डिलीवरी का समय होता है.

गर्भाशय का साइज कितना होता है ? | Size of uterus

वैसे तो हर महिला के गर्भाशय का साइज अलग-अलग होता है यह उनके शरीर की संरचना के अनुसार होता है अनुमानित तौर पर इसका वजन 70 से 125 ग्राम होता है.

( यह लेख आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है अधिक जानकारी के लिए OSir.in पर जाये  )

जैसा कि हमने बताया यह उस महिला की शरीर की संरचना और आकार का वजन के हिसाब से बड़ा या छोटा या फिर अधिक वजन हो सकता है यह वजन अनुमानित तौर पर बताया जा रहा है.

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जब प्रेगनेंसी के 9वे महीने में गर्भाशय का साइज लगभग 38 सेमी लंबाई और 24 से 26 सेमी चौड़ाई होती है यह थोड़ा सा ऊपर नीचे भी हो सकता है क्योंकि यह एक अनुमानित तौर पर बताया गया है लेकिन लगभग यह सही माना जाता है.

क्योंकि लगभग महिलाओं में यही अनुमान निकाला गया है जिससे यह कहना संभावित है कि यह अनुमान सही है और नॉर्मल यूट्रस की लंबाई 3.5 सेमी और चौड़ाई 1.4 सेमी होती है.

डिलीवरी के बाद यूट्रस की स्थिति

गर्भावस्था से महिला की डिलीवरी होने तक यूट्रस की स्थिति समय के साथ बदलती रहती है लेकिन डिलीवरी के बाद वह फिर से अपनी पोजीशन या साइज पर वापस आ जाता है इस पूरी प्रक्रिया के दौरान इसमें छह से आठ हफ्तों का समय लग सकता है.

गर्भाशय के बच्चे का जन्म देने के साथ-साथ कई अन्य कार्य भी होते हैं जो कि उसे पूर्ण करने होते हैं गर्भाशय केवल बच्चे को जन्म देने के लिए ही नहीं बनाया गया है.

इसके कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी शरीर में प्रभावी रूप से होते हैं डिलीवरी  के बाद गर्भाशय पुन: अपनी स्थिति में वापस आ जाता है.

गर्भावस्था में गर्भाशय के कार्य | Function of uterus

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के बच्चे को पालन पोषण के सभी कार्य गर्भाशय के होते हैं उस बच्चे का मां की तरह ख्याल रखता है बच्चे की डिलीवरी के समय यह संकुचन पैदा करता है.

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ताकि वह आसानी से डिलीवर हो सके और उसके बाद यह पुनः अपनी स्थिति और आकार में वापस लौट जाता है इसके अन्य कई कार्य है जैसे कि यह योनि और मुद्रा से वा गुर्दा आदि को पूर्ण रूप से सुरक्षित करता है.

यह बच्चे को विकसित करने के लिए रक्त वाहिकाओं को बढ़ाता है और उनका विकास करता है जिससे वह बच्चे का अच्छे से ख्याल रख सके.

FAQ : गर्भाशय का छोटा होना

Q. बच्चा दानी छोटी है तो क्या करना चाहिए?

Ans. यह किसी महिला की बच्चा दानी छोटी है तो उसे प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए और अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए और उसे प्रोटीन और विटामिन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए.

Q. गर्भाशय क्यों सिकुड़ता है?

Ans. जब किसी महिला के शरीर में कमजोरी होती है या फिर वह दुबली पतली शारीरिक तौर पर कमजोर होती है तब गर्भाशय से कमजोर होने लगता है यह प्रसव के वक्त भी हो सकता है यदि कहीं चोट वगैरा लग जाती है तब भी इसका गर्भाशय भर प्रभाव पड़ता है.

Q. गर्भाशय का आकार कितना होना चाहिए?

Ans. गर्भाशय की आकृति की बात करें तो यह नाश पत्ती की तरह दिखने वाला होता है और इसके वजन की बात करें तो यह 35 ग्राम के आस पास होता है और इसकी लंबाई 7.5 सेमी और चौड़ाई 5 सेमी होती है.

निष्कर्ष | Conclusion

हम आशा करते हैं कि आपने गर्भाशय का छोटा होना अच्छे से जान लिया होगा और समझ लिया होगा यदि आपको हमारी जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों और जानने वालों को शेयर जरूर करें.

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