धागे से बवासीर का इलाज कैसे किया जाता है ? विधि और सामग्री | Dhage se bawaseer ka ilaj kaise hota hai ?


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धागे से बवासीर का इलाज Dhage se bawaseer ka ilaj : हेलो दोस्तों नमस्कार आज मैं आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से धागे से बवासीर का इलाज से संबंधित जानकारी प्रदान करूंगी जिसमें मैं आप लोगों को बताऊंगी आखिर वह कौन सी प्रक्रिया है जिसमें सिर्फ धागे का उपयोग करके बवासीर को ठीक किया जा सकता है.

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बवासीर में धागे की प्रक्रिया के माध्यम से बवासीर को ठीक करना एक आयुर्वेदिक उपचार बताया गया है जिसे पैरा-सर्जिकल प्रक्रिया के नाम से जाना जाता हैं. इस प्रक्रिया के माध्यम से बवासीर में आमाशय के अंदर और अमाशय के बाहर दोनों तरह का इलाज किया जाता है. क्योंकि जब किसी व्यक्ति को बवासीर बीमारी होती है तो उस व्यक्ति के अमाशय के अंदर खून से भरी गांठे पड़ जाती हैं जो कुछ समय पश्चात वही गांठे अमाशय से बाहर निकलने लगती है.

जिन पर जरा सा भी दबाव पड़ने पर वह फुटकर रक्त प्रवाह करने लगती हैं जिसकी वजह से बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को बैठने उठने तक की समस्या का सामना करना पड़ता है इसीलिए बवासीर के इलाज के लिए पैरा सर्जिकल प्रक्रिया को काफी ज्यादा बेहतर बताया गया है. क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान बवासीर में खून से भरी गांठे को पैरा सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से तैयार किए गए धागे से जड़ से काट दिया जाता है, जिसके तहत यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है.

इसीलिए आज मैं इस लेख में पैरा सर्जिकल प्रक्रिया के विषय में संपूर्ण जानकारी प्रदान करूंगी. जिसे पढ़ने के बाद आप लोग यह जान पाएंगे कि पैरा सर्जिकल प्रक्रिया क्या है, और इसे किस तरह से बवासीर की बीमारी में उपयोग किया जाता है. लेकिन आप लोगों को इस जानकारी को अच्छी तरह से प्राप्त करने के लिए इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ना होगा. दोस्तों आइए यहीं से शुरू करते हैं पैरा सर्जिकल प्रक्रिया के विषय में, जिसमें हम सबसे पहले जान लेते हैं पैरा सर्जिकल प्रक्रिया क्या है ?

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पैरा सर्जिकल प्रक्रिया क्या है ?

पैरा सर्जिकल एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमें कई प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को आपस में मिलकर एक धागे का निर्माण किया जाता है जिसके माध्यम से बवासीर में मस्सों को जड़ से खत्म करने के लिए उपयोग में लिया जाता है. जिसके बाद बवासीर बीमारी जड़ से ठीक हो जाती हैं, क्योंकि जिस प्रकिया से इस धागे को निर्मित किया जाता हैं.

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उसके बाद इस धागे में सर्जिकल उपकरण से भी ज्यादा शक्ति आ जाती है. जिसकी मदद से पैरा सर्जरी प्रक्रिया को अपनाकर बवासीर का इलाज किया जाता हैं. इसलिए आज के समय में भारत अभ्यास समिति में कई बड़े बड़े हॉस्पिटल में डॉक्टर इस प्रक्रिया सिखाने का प्रयत्न कर रहे, क्योंकि यह बवासीर का सुरक्षित इलाज है.

बवासीर इलाज के लिए धागे को तैयार करने की प्रक्रिया

अब आइए हम यहां पर आप लोगों को बताते हैं बवासीर बीमारी को ठीक करने के लिए जिस धागे का निर्माण किया जाता है उसे बनाने की क्या प्रक्रिया है यानी ऐसी कौन-कौन सी चीजें मिलाकर इस धागे का निर्माण किया जाता है जिसकी वजह से यह धागा बवासीर इलाज के लिए बेहतर साबित होता है इसकी जानकारी के लिए आप धागे को तैयार करने की पूरी प्रक्रिया पढ़े.

बवासीर इलाज के धागे को तैयार करने की सामग्री

( यह लेख आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है अधिक जानकारी के लिए OSir.in पर जाये  )

बवासीर के इलाज के लिए जिस धागे का निर्माण किया जाता है उसके लिए सबसे पहले पक्का धागा चाहिए होता है उसके बाद धागा बनाने के लिए फ्रेम कुछ आवश्यक जड़ी बूटियों की आवश्यकता होती है, जो कुछ इस से होती हैं जैसे : स्नुही लेटेक्स, अपमार्ग क्षार, हरिद्रा चूर्ण आदि। इतनी सारी सामग्री से बवासीर इलाज के लिए धागे को तैयार किया जाता है जिसके लिए कुछ विधि अपनाई गई है जो हम आप लोगों को बताते हैं जैसे :

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  1. सबसे पहले पक्के धागे पर स्नूही लेटेक्स का लेप लगाया जाता है.
  2. उसके बाद धागे को हैंकर की मदद से कैबिनेट में रखा जाता है.
  3. धागे को कैबिनेट में इसलिए रखा जाता है ताकि धागे पर अल्ट्रावोइलेट किरणे पड़ती रहे साथ में धागे को किसी भी प्रकार का कीटाणु प्रभावित ना कर सके.
  4. इस तरह से इस प्रक्रिया को बवासीर इलाज के लिए धागा बनाने की इस प्रकिया को 11 बार दोहराया जाता है.
  5. उसके बाद धागे पर लगी स्नूही लेटेक्स और अपमार्ग की कोटिंग की जाती है। इसमें पहले धागे को स्नूही लेटेक्स से गिला किया जाता है
  6. धागे को गिला करने के पश्चात उस पर आप मार्ग क्षार लगाया जाता है, धागे पर आप मार्ग लगाने की प्रक्रिया को 7 बार दोहराया जाता हैं.
  7. जब धागे पर आप मार्ग क्षार लगाने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. उसके बाद धागे को स्नूही लेटेक्स से फिर से गिला किया जाता है, धागे को गिला करने के पश्चात धागे पर हरिद्रा चूर्ण लगाया जाता है.
  8. धागे पर हरिद्रा चूर्ण प्रक्रिया को हल्दी में मिला कर दो बार किया जाता है.
  9. इस तरह से बवासीर इलाज के लिए धागे को तैयार करने के लिए कुल मिलाकर 21 बार इसी धागे को जड़ी बूटियों से लेपित किया जाता है इसीलिए इस धागे को तैयार होने में लगभग 1 से डेढ़ महीना लग जाता है.
  10. क्योंकि धागे पर एक लेप लगाने के पश्चात उसका सूखने का इंतजार किया जाता है, जब लेप सुख जाता है तो फिर धागे को गिला किया जाता है उसके बाद दूसरा लेप लगाया जाता है इसीलिए इसे तैयार करने में 1 महीना लग जाता है 1 महीने के बाद यह धागा बवासीर के मस्सों के इलाज के लिए बनकर तैयार हो जाता है.

आइए जानते हैं कि बवासीर इलाज के लिए इस धागे को किस विधि के माध्यम से उपयोग में लिया जाता है. जिसके माध्यम से बवासीर का इलाज संभव हो पाता है.

धागे से बवासीर इलाज करने की विधि |  dhage se bawaseer ka ilaaj

बवासीर से पीड़ित व्यक्ति के गुर्दे में खून से भरी गांठे पड़ जाती हैं जिन्हें मस्सा बोलते हैं, यह मस्सा धीरे-धीरे बड़े होकर गुड्डा से बाहर निकलने लगते हैं जिन पर जरा सा भी दबाव पड़ने पर यह फुटकर रक्त प्रवाह करने लगते हैं. जिसके चलते बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को बैठने उठने तक की समस्या का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब पैरा सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से तैयार किए गए धागे की मदद से बवासीर के मस्सों को जड़ से खत्म कर दिया जाता हैं. लेकिन इसके लिए एक विधि के माध्यम से इस धागे का उपयोग किया जाता है और वह विधि क्या है हम आप लोगों को क्रम वाइज से बता रहे हैं जैसे :

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  1. पैरा सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से जिस धागे का निर्माण किया जाता है उस धागे को बवासीर में निकले मस्सों के आकार के माध्यम से बवासीर के मस्सों को बांध दिया जाता है
  2. धागे की वजह से आपको जलन ना हो इसके लिए सबसे पहले डॉक्टर यष्टिमधु तेल में डूबा हुआ पैक मलाशय के भीतर रखा जाता है.
  3. उसके बाद धागे को मस्सों पर बांध दिया जाता है इस धागे के बांधने के बाद मस्सों का रक्त प्रवाह रुक जाता है और फिर मस्सों में रक्त प्रवाह रुक जाता है तो यह मस्से धीरे-धीरे सूखने लगते हैं और 6 या 7 दिन के अंदर यह मस्से पूरी तरह से सूख कर अपने आप टूट कर गिर जाते हैं.
  4. मस्सा गिरने के पश्चात बवासीर में जो घाव होता है वह 10 से 15 दिन के अंदर पूरी तरह से ठीक हो जाता है.
  5. इस तरह से पैरा सर्जिकल प्रक्रिया में तैयार किए गए धागे से बवासीर का इलाज संभव हो पाता है.
  6. पैरा सर्जिकल प्रक्रिया को बवासीर इलाज के लिए इसलिए बेहतर बताया गया है इलाज के दौरान स्फिंकटर मांसपेशियों में चोट नहीं लगती जिससे मल असंयामता या किसी गंभीर जटिलता की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है। इलाज सफल हो जाने के बाद बवासीर के दोबारा होने की संभावना भी बेहद कम रहती है.

FAQ : धागे से बवासीर का इलाज

बवासीर में किस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है ?

बवासीर बीमारी में व्यक्ति को पेट दर्द मल त्यागने में परेशानी होना मल त्यागने वाले स्थान पर सूजन जलन खून से भरी गांठे निकलना यह सारी समस्याएं होने लगती हैं.

बवासीर में जलन को कैसे ठीक करें ?

बवासीर में जलन को ठीक करने के लिए रोज एलोवेरा लगना चाहिए.

बवासीर को जड़ से कैसे ठीक करें ?

बवासीर को जड़ से ठीक करने के लिए देशी घी में हल्की सी हल्दी मिलाकर रोज मल त्यागने वाले स्थान पर लगाए तो कुछ दिनों में बवासीर ठीक हो जाती हैं.

निष्कर्ष

तो दोस्तों आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से धागे से बवासीर का इलाज से संबंधित जानकारी प्रदान की है जिसमें हमने आप लोगों को बताया है किस प्रकार से पैरा सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से बवासीर इलाज के लिए धागे का निर्माण किया जाता है और उस धागे को बवासीर इलाज में किस तरह से उपयोग किया जाता है जिसके माध्यम से बवासीर का इलाज संभव हो पाता है.

ऐसे में अगर आप लोगों को भी बवासीर बीमारी है तो आप लोगों पैरा सर्जिकल प्रक्रिया को अपना सकते हैं इस प्रकिया से आप बवासीर से हमेशा के लिए छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं.

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अगर आप लोगों ने इस लेख शुरू से अंत तक पढ़ा होगा तो आप लोगों को धागे से बवासीर का इलाज से संबंधित सारी जानकारी अच्छे से प्राप्त हो गई होगी तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं आप लोगों यह जानकारी पसन्द आई होगी.

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