Panna ratna ke fayde aur nuksan | पन्ना रत्न क्या है : वैदिक ज्योतिष के अनुसार पन्ना रत्न भी बहुत बहुमूल्य है यह कोयले की खदानों से निकाला जाने वाला पत्थर होता है जो हरे रंग का होता है। खदानों से निकालने के बाद पन्ना को तेल लगाकर तराशा जाता है.
जिससे इसकी चमक में और सुधारा हो जाता है पन्ना रत्न की गुणवत्ता को उसके रंग आकार स्पष्टता और वजन के आधार पर सबसे अच्छा माना जाता है। आयलिंग करने के बाद पन्ना की गुणवत्ता में सुधार आ जाता है.
जिससे और अधिक मूल्यवान हो जाता है। पन्ना रत्न धारण करने के बाद व्यक्तिक में कई सकारात्मक प्रभाव दिखाई देते हैं ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध कमजोर होता है तो ऐसे लोग पन्ना धारण करें.
जिससे उनकी मानसिक और बौद्धिक क्षमता मैं भी विकास होता है। पन्ना बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। सभी रतन ग्रहों से संबंधित होने के कारण व्यक्तियों के जीवन में काफी प्रभाव डालते हैं.
इसलिए पन्ना रत्न बुध ग्रह के प्रभाव को उत्तम बनाने के लिए धारण किया जाता है। धारण करने के बाद बहुत सारी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है व्यक्ति में बौद्धिक विकास होता है।
पन्ना रत्न से होने वाले लाभ | Panna ratna ke labh
पन्ना ग्रहों के प्रभाव को बढ़ा देता है यह जीवन में होने वाली विभिन्न प्रकार की घटनाओं दुख में राहत देता है। पन्ना रत्न धारण करने से बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं। पन्ना धारण करने के बाद व्यक्ति बलवर्धक रोग से मुक्त हो जाता है तथा जीवन में सुख प्राप्त होता है।
पन्ना रत्न व्यक्ति को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देता है। मिथुन राशि के लोगों के लिए पन्ना धारण करने के बाद पारिवारिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। यह किसी भी व्यक्ति को नेत्र रोग की समस्या है तो पन्ना रत्न अत्यंत लाभकारी होता है.
इस रत्न को प्रातः काल एक गिलास पानी में डालकर लगभग 5 मिनट तक पानी को हिलाते रहे उसके बाद उस पानी को आंखों में छिड़क ले जिससे नेत्र रोग में फायदा मिलता है, जो व्यक्ति सामाजिक कार्यों में जनता के कार्यों में काम करते हैं.
वे लोग यह पन्ना धारण करते हैं तो उन्हें जनता और सामाजिक कार्यों में सफलता मिलते हैं। यदि किसी भी व्यक्ति के जन्म लग्न में बुध 6 8 12 भाव में है तो पन्ना धारण करना बहुत ही शुभ होता है।
यदि बुध धनेश होकर नवम भाव में हो, तृतीयेश होकर दशम भाव में हो, चतुर्थेश सुखेश होकर आय एकादश स्थान में हो तो पन्ना पहनना अत्यंत लाभकारी होता है। यह आय में आश्चर्यजनक वृद्धि करता है।
बुध यदि सप्तमेश होकर दूसरे भाव में हो नवमेश होकर चतुर्थ भाव में हो, एकादशेश होकर छठे भाव में हो तो पन्ना धारण करने से मानसिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।
यदि बुध शुभ स्थान का स्वामी होकर अष्टम भाव में हो तो पन्ना पहनना शुभ रहता है। व्यक्ति को रोग मुक्त कर देता है। जिस व्यक्ति के जीवन बुध की महादशा और अंतर्दशा चलती हैं तो पन्ना धारण करने से चारों तरफ से खुशियां होती हैं.
यदि जन्म कुंडली में शुभ भाव 2, 3, 4, 5, 7, 9, 10 , 11वें भाव का स्वामी होकर छठे भाव में हो तो पन्ना पहनने से सफलता प्राप्त होती है। यदि बुध, मंगल, शनि, राहू या केतु के साथ स्थित हो तो पन्ना धारण करना चाहिए इसे पहनने के बाद व्यक्ति के अंदर साहस और सम्मान में वृद्धि होती है ।
व्यापारिक वर्ग के लोगों को पन्ना धारण करने से व्यापार में वृद्धि होती है। पन्ना में जहरीले तत्वों और विषाणु को मारने की क्षमता होती है इसलिए इसे पहनने के बाद सर्प भय ही रहता है.
पन्ना रत्न किस दिन पहनना चाहिए ? | Panna ratna kis din pahana chahiye
पन्ना बुधवार के दिन अश्लेषा, ज्येष्ठा या रेवती, नक्षत्र हो उस दिन सूर्योदय से लगभग 10 बजे से पहले धारण करना चाहिए जिससे धन लाभ होते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं।
पन्ना रत्न से होने वाले नुकसान | panna ratna ke nuksan
पन्ना एक बहुत कीमती रत्ना है जो व्यक्ति के भाग्य को बदल देता है परंतु इसके कभी-कभी विपरीत प्रभाव भी देखने को मिलते हैं पन्ना के धारण करने के बाद इसके विपरीत प्रभाव से होने वाले कुछ नुकसान होते हैं जो इस प्रकार
हैं।
पन्ना रत्न बुध ग्रह का रत्न माना जाता है जो हल्का हरे रंग का होता है यह प्रभावशाली होने के साथ-साथ व्यक्ति को नुकसान है भी देता है. यह बुद्धि को भ्रमित करके मन को परेशान कर सकता है।
जिससे आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। यह त्वचा में समस्याएं दे सकता है. यह आत्मविश्वास को डिगा देता हैं, जो लोग अधिक बुद्धिमान होते हैं. ऐसे व्यक्ति यदि पन्ना धारण करते हैं तो विपरीत प्रभाव पड़ता है.
उनकी बुद्धि कमजोर हो जाती है. अतः लोगों को नहीं धारण करना चाहिए, जो व्यक्ति किसी तरह की एलर्जी से पीड़ित रहते हैं. उन्हें पन्ना रत्न धारण करने से नुकसान होता है.
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पन्ना रत्न को चांदी या सोने की आभूषणों में धारण करना चाहिए कम से कम दो रत्ती से अधिक वजन का पन्ना धारण करना चाहिए। पन्ना धारण करने के बाद अगले 3 वर्ष तक प्रभावशाली रहता है. इसलिए उसके बाद पन्ना रत्न को बदल देना चाहिए।
विभिन्न राशियों पर पन्ना रत्न का प्रभाव
रत्न ग्रहों के अनुरूप कार्य करते सभी रत्न किसी न किसी ग्रह को प्रभावित करते हैं। पन्ना भी नवग्रहों में बुध ग्रह को प्रभावित करता है आइए जानते हैं पन्ना रत्न का राशियों पर क्या प्रभाव पड़ता है
1. मेष
मेष राशि वालों के लिए पन्ना धारण करना ठीक नहीं है इसलिए कभी भी पन्ना को धारण नहीं करना चाहिए
2. वृषभ
वृषभ राशि वाले लोग पन्ना धारण करने के साथ-साथ हीरा या सफेद पुखराज भी धारण करें जिससे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
3. मिथुन
मिथुन राशि वाले लोगों को पन्ना धारण करना सबसे शुभ होता है क्योंकि यह उनका जन्म राशि का रत्न होता है।
4. कर्क
कर्क राशि वालों के लिए पन्ना धारण करना आपदाओं को संकट देने के बराबर है ऐसे लोगों को पन्ना रत्न बिल्कुल नहीं पहनना चाहिए।
5. सिंह
सिंह राशि वालों के लिए पन्ना धारण करना अत्यंत लाभकारी और शुभ होता है।
6. कन्या
पन्ना कन्या राशि वाले लोगों की जन्म राशि रत्न इसलिए ऐसे लोगों को पन्ना धारण करने से अत्यधिक उन्नति मिलती है।
7. तुला
तुला राशि के लोग पन्ना धारण करने के साथ-साथ हीरे की अभी ठीक है धारण करें जिससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होता है और परिणाम अच्छे परिणाम मिलते हैं।
8. वृश्चिक
वृश्चिक राशि वालों के लिए पन्ना धारण करना शुभ नहीं है इसलिए धारण करने से कह दे ज्योतिषीय सलाह ले।
9. धनु
धनु राशि वाले जातक पन्ना के साथ-साथ पुखराज भी पहने जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं।
10. मकर
मकर राशि वाले पन्ना धारण करें तो उनके लिए बेहद शुभ माना जाता है।
11. कुंभ
कुंभ राशि वालों को विशेष परिस्थितियों में पन्ना के साथ नीलम रत्न भी धारण करें परंतु किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर ही इन रत्नों को धारण करें।
12. मीन
मीन राशि वालों के लिए पन्ना धारण करना शुभ नहीं होता है परंतु यदि धारण करना चाहते हैं तो ज्योतिषीय सलाह लेते हुए किसी अन्य रत्न के साथ धारण करें।
पन्ना रत्न पहनने की विधि | Panna ratna dharan vidhi
पन्ना बुध ग्रह से संबंधित रत्न है इसलिए सोने की अंगूठी कनिष्ठ का अंगुली में धारण करें पन्ना धारण करने से पहले इसे गंगाजल में डालें और शुद्ध करें. इसके बाद भगवान विष्णु फूल माला चढ़ाकर पूजा करें तथा बुध ग्रह के बीज मंत्र ‘’ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’’ का 108 बार जाप करके बुधवार के दिन या फिर अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र में धारण करें जिस से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
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