Police call details kaise nikalti hai ? किसी भी प्रकार की आपराधिक जांच में कोई भी न्यायालय या पुलिस टीम अथवा सरकार द्वारा अधिकृत जांच टीम किसी भी व्यक्ति की कॉल डिटेल को निकालने का अधिकार रखती है किसी भी तरह के संगीन आपराधिक मामलों में टेलीकॉम कंपनियों द्वारा कॉल डिटेल का विवरण जांच टीम को देती है जो जांच टीम द्वारा मांगा गया है| call details kiske pas hoti hai ?
अगर पुलिस किसी भी व्यक्ति के नंबर की कॉल डिटेल देखना टेलीकॉम कंपनी को पहले एक लेटर कंपनी के नाम लिखकर भेज देती है साथ ही जांच टीम या पुलिस द्वारा उस लेटर में यह लिखा जाता है कि कॉल डिटेल क्यों मांगी जा रही है। यदि केस कोई संगीन नहीं है या कोई बहुत बड़ा आपराधिक मामला नहीं है तो पुलिस किसी भी प्रकार की कॉल डिटेल नहीं निकलवा सकती है|
कॉल डिटेल किसके पास होती है | पुलिस कॉल डिटेल कैसे निकालती है
कॉल डिटेल केवल कंपनी के पास होता है व्यक्ति जिस कंपनी का सिम कार्ड प्रयोग कर रहा है उस कंपनी के पास उस व्यक्ति की कॉल डिटेल होती है कि व्यक्ति ने कितने समय में कितने लोगों से बात किया।
किसी बड़े अपराध के मामले में पुलिस टेलीकॉम कंपनियों से कॉल डिटेल जांच के लिए मांगती है कभी-कभी किसी भी व्यक्ति की कॉल डिटेल निकालने के लिए पुलिस को न्यायालय का सहारा लेना पड़ता है|
यदि न्यायालय पुलिस को कॉल डिटेल निकालने का आदेश नहीं देती है तो पुलिस किसी भी व्यक्ति कार्ड का डिटेल कंपनी से नहीं ले सकता है|
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कॉल डिटेल का डाटा कितने साल का कंपनी के पास रहता है ?
किसी भी कंपनी के पास व्यक्ति की कॉल डिटेल का डाटा केवल 3 साल तक रखती है अतः किसी भी व्यक्ति की कॉल डिटेल केवल 3 साल तक की ही मिल पाती है।
क्या पुलिस कॉल डिटेल बदल सकती है ?
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किसी भी व्यक्ति की सीडीआर या मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर जिले के एसपी को मेल पर प्राप्त है और यस पी संबंधित पुलिस अधिकारी को भेजता है इसके अलावा मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर सीडीआर कंपनी के पास होती है|
इस तरह से देखा जाए तो कॉल डिटेल तीन जगह होती है जिसे बदल पाना असंभव है इसीलिए पुलिस किसी भी कॉल डिटेल को कभी भी बदल नहीं सकती है।
CDR क्या है ? | What is CDR ?
CDR यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड एक प्रकार का व्यक्ति द्वारा किए गए फोन कॉल और रिसीव किए गए फोन काल का विवरण होता है तथा साथ में किसी भी नंबर से कितने समय तक फोन और मैसेज किए गए हैं अथवा मैसेज रिसीव किए गए हैं इन सभी का विवरण सीडीआर के अंतर्गत होता है
सीडीआर में मिस्ड कॉल या डेड कॉल का रिकॉर्ड भी दर्ज होता है
क्या हर कोई CDR हासिल कर सकता है ?
प्रत्येक व्यक्ति किसी भी नंबर की कॉल डिटेल या सीडीआर कानूनी तौर पर बिल्कुल नहीं निकाल सकता है| सीडीआर या कॉल डिटेल निकालने का अधिकार केवल जांच एजेंसियों जैसे सीबीआई इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इंटेलिजेंस ब्यूरो पुलिस एटीएस एनसीबी अथवा न्यायालय द्वारा अधिकृत किए गए अधिकारियों द्वारा ही सीडीआर निकाली जा सकती है |
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इन लोगों को भी सीडीआर निकलवाने से पहले सरकारी अनुमति लेना आवश्यक होता है|
बॉम्बे हाईकोर्ट ने Securities and Exchange Board of India यानी SEBI को CDR एक्सेस प्राप्त करने की अनुमति दी गई है जिससे किसी भी प्रकार की मार्केट में होने वाले फ्रॉड की जांच करके उसे रोका जा सके ।
सीडीआर कानून के नियमों के अनुसार एसपी डीसीपी रैंक के अधिकारी अथवा जांच टीम में शामिल व्यक्तियों को निकालने का अधिकार तभी मिलता है|
जब यह किसी नोडल अधिकारी को लिखित देकर अनुशंसा प्राप्त करें इसके बाद पुलिस अधिकारी उस नंबर की कॉल डिटेल के लिए कंपनी को ईमेल करते हैं तब जाकर सी डी आर मिलती है।
जांच एजेंसियों को CDR कब तक मिल जाता है ?
यदि कोई गंभीर मामला है किसी की हत्या होती है या किसी बलात्कार का मामला है और आरोपी फरार होते हैं तो उन्हें गिरफ्तार करने के लिए जांच एजेंसी अथवा पुलिस टीम मोबाइल नेटवर्क सर्विस देने वाली कंपनियों को सीडीआर के लिए ईमेल कर सकती हैं ई-मेल का जवाब आने पर वीसीडीआर प्राप्त कर सकते हैं।
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किसी व्यक्ति की सीडीआर कितने दिनों में उपलब्ध होती है ?
कोई भी मोबाइल कंपनी किसी भी व्यक्ति की सीडीआर जांच एजेंसियों को 1 हफ्ते के अंदर दे देता बहुत इमरजेंसी होने पर वह तत्काल सीडीआर देने के लिए ही बाध्य होती है।
कॉल डिटेल से एकदम सही लोकेशन पता चल जाती है ?
सभी प्रकार की मोबाइल कंपनियां जो नेटवर्क के लिए टावर लगाती हैं उन टावरों में मोबाइल की लोकेशन छिपी होती है जब कभी भी मोबाइल कंपनी सीडीआर देती है तो सबसे पहले ट उस टावर का को पूछती है |
जहां से मोबाइल से बात की गई है यानी कि बात करते वक्त जिस टावर से नेटवर्क उसने प्राप्त किया है उस जगह का जिक्र करती है क्योंकि एक मोबाइल टावर कम से कम 500 मीटर तक के रेडियंस को कवर करता है ऐसे में व्यक्ति की एग्जैक्ट लोकेशन जीपीएस के माध्यम से पता चल जाती है|
क्या CDR कोर्ट में मान्य है ?
एविडेंस एक्ट अट्ठारह सौ 72 की धारा 65 बी के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक रिकार्डों को सबूत के तौर पर हलफनामे के साथ पेश करने पर मान्य किया जाता है |
हलफनामे में इस बात का सबूत मांगा जाता है कि दिए जाने वाला रिकॉर्ड एकदम सही वक्त वक्त पूर्ण है तथा किसी प्रकार का हस्तक्षेप या छेड़छाड़ नहीं किया गया है|
सीडीआर सबूत के तौर पर कोर्ट में मान्य होता है परंतु सबूत और साबित होना जरूरी है मोबाइल कंपनी उसे यदि सर्टिफाई और अटेस्ट करके देती है तथा कोर्ट में स्वयं उपस्थित होकर गवाही देता है तो इसे सबूत के रूप में मान्य किया जाता है।
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