सरस्वती चालीसा | Saraswati Chalisa : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सरस्वती चालीसा के बारे में बताने वाले हैं और लिखित में सरस्वती चालीसा भी देने वाले हैं वैसे आप लोगों को बता दें कि बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना के लिए बहुत ही विशेष माना जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अगर कोई भी व्यक्ति मां सरस्वती की पूरे विधि विधान पूर्वक पूजा करता है तो उस व्यक्ति के ऊपर मां सरस्वती की कृपा हमेशा बरसती रहती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती विद्या और ज्ञान की देवी मानी जाती है ऐसा कहा जाता है कि किसी भी कार्य को करने से पहले मां सरस्वती का नाम लिया जाता है.
किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए बुद्धि और ज्ञान का होना विशेष आवश्यक होता है ऐसे में अगर आप लोग मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की चालीसा अवश्य पढ़नी चाहिए तो चलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सरस्वती चालीसा के बारे में बताने वाले हैं.
इसके अलावा सरस्वती चालीसा का पाठ कैसे करना है और उसके अनेकों फायदे कौन से हैं इसके बारे में भी विस्तार से बताएंगे और मां सरस्वती के कुछ ऐसे मुख्य मंत्र भी बताएंगे इन मंत्रों का आप किसी भी समय जाप कर सकते हैं।
- 1. सरस्वती चालीसा | Saraswati Chalisa
- 2. मां सरस्वती की पूजा करने की सही विधि | Man Saraswati ki Puja karne ki Sahi Vidhi
- 3. सरस्वती चालीसा के फायदे | Saraswati Chalisa ke fayde
- 4. माता सरस्वती के प्रभावशाली मंत्र | Mata Saraswati ke prabhavshali Mantra
- 5. FAQ : सरस्वती चालीसा
- 5.1. सरस्वती माता का मंत्र क्या है?
- 5.2. सरस्वती का ध्यान कैसे करें?
- 5.3. सरस्वती विद्या की देवी क्यों है?
- 6. निष्कर्ष
सरस्वती चालीसा | Saraswati Chalisa
॥दोहा॥
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
।। चालीसा॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥
तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥
वाल्मीकि जी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केव कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥
राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी।।
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधुकैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पाँच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बारबार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥
सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा।।
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी।
॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥
मां सरस्वती की पूजा करने की सही विधि | Man Saraswati ki Puja karne ki Sahi Vidhi
अगर आप लोग यह जानना चाहते हैं कि मां सरस्वती की पूजा करने की सबसे सही विधि क्या है तो आज हम आप लोगों को मां सरस्वती की पूजा करने की सही विधि बताने वाले हैं।
- मां सरस्वती की पूजा करने के लिए आपको सूर्य उदय के समय उठकर सभी कार्यों को करने के बाद स्नान आदि से निश्चिंत हो जाना है।
- उसके बाद आपको अपने पूजा घर की सफाई कर लेनी है।
- अब आपको माता सरस्वती की तस्वीर के सामने बैठ जाना है उसके बाद कलश की स्थापना करनी है और गणेश जी की विधि विधान पूर्वक पूजा करनी है वैसे तो आप सभी लोगों को पता होगा कि गणेश भगवान की पूजा हर एक पूजा को शुरू करने से पहले की जाती है तो उसी प्रकार सबसे पहले आपको गणेश भगवान की पूजा करनी है।
- उसके बाद आपको सरस्वती माता की तस्वीर को स्नान कराना है उसके बाद उनके चरणों में फूल समर्पित करने हैं उसके बाद सिंदूर तथा अन्य सिंगार की सामग्री उन्हें अर्पित कर देनी है और उसके साथ माता सरस्वती को श्वेत वस्त्र भी पहनाने हैं।
सरस्वती चालीसा के फायदे | Saraswati Chalisa ke fayde
- वैसे तो आप सभी लोगों को पता होगा कि माता सरस्वती को ज्ञान और कला की देवी कहा जाता है ऐसे में अगर कोई भी मनुष्य सरस्वती चालीसा का पाठ करता है तो उसे ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- अगर कोई मनुष्य सरस्वती चालीसा का पाठ करता है तो वह बुद्धिमान बन जाता है।
- दोस्तों अगर आप लोग किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं तो आपको उसके पहले मां सरस्वती का ध्यान अवश्य करना चाहिए अगर हो सके तो आपको सरस्वती चालीसा का पाठ और उनकी पूजा करके ही उस प्रतियोगिता में बैठना चाहिए।
- ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति सरस्वती चालीसा का पाठ करता है तो उसे सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- हमारे हिंदू धर्म के अनुसार सरस्वती माता को ज्ञान की देवी माना गया है विद्यालयों में भी मां सरस्वती की पूजा की जाती है ऐसे में अगर कोई मनुष्य सरस्वती चालीसा का पाठ करता है तो माता सरस्वती की कृपा से सिद्धि बुद्धि धनबल और ज्ञान विवेक की प्राप्ति होती है।
- माता सरस्वती का ध्यान करने से और सरस्वती चालीसा का पाठ करने से एकाग्रता बढ़ जाती है।
माता सरस्वती के प्रभावशाली मंत्र | Mata Saraswati ke prabhavshali Mantra
ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम्।
हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।।
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
FAQ : सरस्वती चालीसा
सरस्वती माता का मंत्र क्या है?
सरस्वती का ध्यान कैसे करें?
'ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्। '
ऐसा कहा जाता है कि इस मंत्र का पांच माला जाप करने से माता सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं और उस व्यक्ति को ज्ञान विद्या का आशीर्वाद देती है।सरस्वती विद्या की देवी क्यों है?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सरस्वती चालीसा के बारे में बताया इसके अलावा सरस्वती चालीसा का पाठ कैसे करना है और उसके फायदे क्या है इसके बारे में भी बताया है इसके अलावा मां सरस्वती के कुछ ऐसे प्रभावशाली मंत्र के बारे में बताया है जो बहुत ही शक्तिशाली हैं.
ऐसे में अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इसकी जानकारी अवश्य ही प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।