कनकधारा पाठ करने की विधि : धन से जुड़ी हर समस्या का समाधान pdf और मंत्र | कनकधारा स्त्रोत हिंदी पाठ : Kankdhara path karne ki vidhi

कनकधारा पाठ करने की विधि : हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को कनकधारा पाठ करने की विधि बताइए अगर आप कनकधारा पाठ की विधि जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें वैसे तो मनुष्य हमेशा अपने जीवन में आर्थिक संकट को लेकर परेशान रहता है वह व्यक्ति धन प्राप्ति के लिए अनेक संभव उपाय करता है और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यक्तियों को कभी-कभी कर्ज भी लेना पड़ जाता है कई बार तो व्यक्ति समय पर कर्ज भी नहीं चुका पाते हैं.

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इसीलिए कई बार हमारे जीवन में ऐसी परिस्थितियां आ जाती है जिनके कारण व व्यक्ति समय पर कर्ज ना चुका पाता है जिस वजह से उसे और उसके परिवार वालों को अपमान सहना पड़ता है तरह से कई बार आप अपनी मेहनत की कमाई किसी पर विश्वास करके उसे दे देते हैं और फिर वह व्यक्ति उस पैसे को आपको वापस नहीं देता है तो इसके कारण संबंध तो टूटते ही है साथ ही वह व्यक्ति आपका शत्रु बन जाता है.

अगर आप के पास भी यह सारी समस्याएं उत्पन्न होती है तो हिंदू पुराण के अनुसार ऐसा कहा गया है कि कनकधारा स्त्रोत का पाठ करने से और कनकधारा मंत्र का जाप करने से लाभ प्राप्त होता है इस स्त्रोत और मंत्र का पाठ करने से या सारी समस्याएं दूर हो जाती है चौकी कनकधारा स्त्रोत में माता लक्ष्मी जी की कृपा होती है इसीलिए हमें कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इससे लक्ष्मी जी की कृपा हमारे ऊपर हमेशा बनी रहेगी तो आइए जानते हैं.

कि कनकधारा पाठ करने की विधि क्या है और कनकधारा स्त्रोत किसे कहते हैं कनकधारा मंत्र क्या है अगर आप इन सारे विषयों को जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें क्योंकि आज हम आप लोगों को सबसे पहले कनकधारा पाठ करने की विधि बताने वाले हैं उसके बाद अन्य टॉपिक पर चर्चा करेंगे तो हमारे इस लेख में अंत तक बने रहे।

कनकधारा मंत्र | Kanakdhara mantra

लक्ष्मी Laxmi

।।ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कनकधाराये ह्रीं स्वाहा।।

  1. अगर आप इस कनकधारा मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो इस मंत्र का उपांशु जाप करना चाहिए इस कनकधारा मंत्र का 10 मिनट तक जाप करना चाहिए अगर आप इस मंत्र को नियमित रूप से 41 दिन तक कर पाए तो अच्छा होता है ध्यान रहे इस मंत्र का प्रयोग आप दीपावली के दिन बिल्कुल भी ना करें।
  2. कनकधारा मंत्र का जाप करने से आपको बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं इस मंत्र का जाप करने के लिए आप एक रुद्राक्ष की माला ले माला लेने के बाद इस मंत्र का जाप करें इस मंत्र का जाप आप बिना माला के भी कर सकते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि कनकधारा मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र होता है अगर आप 41 दिन तक इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
  3. कनकधारा मंत्र की शुरुआत आप को दीपावली के दिन से या फिर महीने के शुक्ल पक्ष के दौरान गुरुवार के दिन से प्रारंभ करनी चाहिए।
  4. अगर आप एक महिला हैं या फिर नौकरी करती हैं या फिर दुकान चलाती है तो आप अपने रोजगार को बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप करें पूर्व दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करना उत्तम माना जाता है।
  5. अगर आप किसी मीडिया में काम करते हैं किसी भी कला क्षेत्र में काम करते हैं तो आगे आने वाले समय में अगर आप कनकधारा मंत्र का जाप पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करते हैं तो आपको इन सारे कार्यों में लाभ प्राप्त होता है।
  6. अगर आप विद्यार्थी क्षेत्र में है या फिर किसी मेडिकल क्षेत्र में कार्य करते हैं या फिर किसान है तो आपको कनकधारा मंत्र का उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ कर जाप करना चाहिए इससे आपको लाभ प्राप्त होता है।
  7. अगर आप किसी सरकारी क्षेत्र में या फिर समाज सेवा से जुड़े कोई भी कार्य करते हैं तो आपको कनकधारा मंत्र का दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जाप करना चाहिए ।
  8. कनकधारा मंत्र का जाप वही व्यक्ति कर सकता है जो 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है ।
  9. अगर किसी महिला को मासिक धर्म के दौरान गैप रहता है तो उसे कनकधारा मंत्र का जाप करना चाहिए।
  10. अगर आप इस कनकधारा मंत्र का जाप सूर्य उदय के बाद करते हैं तो यह बहुत ज्यादा शक्तिशाली प्रभाव दिखाता है।

कनकधारा स्रोत की पूजन कैसे करें ? | Kanakdhara stotra ki puja kaise kare ?

कनकधारा स्त्रोत की पूजा करने के लिए आपको तंत्र मंत्र संबंधित दुकान पर जाकर आसानी से इस का सामान मिल जाएगा जैसे ही आपको इसका सामान मिल जाता है उसके बाद कनकधारा स्त्रोत की पूजा की संपूर्ण विधि अत्यंत सरल है इसके लिए आपको इस यंत्र के सामने धूप दीप जलाकर कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना है चाहे आप इसे हिंदी में करें या फिर संस्कृत में अगर आप यह किसी भी दिन नहीं कर पा रहे हैं.

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तो से आपको कोई हानि नहीं पहुंचता है क्योंकि यह सिद्ध मंत्र होने के कारण चैतन्य माना जाता है और इस मंत्र का प्रयोग माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है यह कनकधारा यंत्र तथा स्त्रोत बहुत ही प्रभावशाली और अति शीघ्र फलदाई होता है।

कनकधारा पाठ करने की विधि | kanakdhara paath karne ki vidhi

अगर आप कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको नीचे दिए गए सारे बिंदुओं को पढ़ना होगा।

  1. इस पाठ को करने के लिए आपको सबसे पहले उस का शुभ मुहूर्त निकालना चाहिए कनकधारा पाठ करना बहुत ही आसान है जो व्यक्ति कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहता है उनसे सबसे पहले कनकधारा यंत्र और कनकधारा स्त्रोत अपने घर में ले आना चाहिए
  2. कनकधारा स्त्रोत का पाठ करने के लिए सबसे पहले आपको स्नान आदि से संपन्न होकर अपने सामने कनकधारा यंत्र को रख लेना है।
  3. उसके बाद उस कनकधारा यंत्र की श्रद्धा पूरब पूजा करना है उसकी धूप दीप जलाकर आरती करना है।
  4. उसके बाद कनकधारा का पाठ करने की शुरुआत कर दें।
  5. जैसे ही आपका यह कनकधारा पाठ संपूर्ण हो जाता है इसके बाद माता लक्ष्मी से अपने मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करे।
  6. अगर आप कनकधारा पाठ सुबह के समय नहीं कर पा रहे हैं तो आप उसी प्रकार इस कनकधारा पाठ को शाम के समय भी कर सकते हैं।

कनकधारा पाठ करने की विधि PDF | kanakdhara patha karne ki vidhi PDF

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कनकधारा स्रोत | Kanakdhara stotra

।। श्री कनकधारा स्तोत्रम् ।।

अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।

मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।

विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।

बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।

प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।

दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।

इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।

गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै ‍नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।

श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।

नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।

सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।

यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।

सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।

दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।

कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।

।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

FAQ : कनकधारा पाठ करने की विधि

कनकधारा स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

कनकधारा स्त्रोत का पाठ आपको प्रतिदिन करना चाहिए रोज नियमित रूप से 13 पाठ करने चाहिए।

कनकधारा स्त्रोत का पाठ कब करना चाहिए?

कनकधारा स्त्रोत का पाठ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से संपन्न होकर कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना शुभ माना जाता है ऐसा कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति शुक्रवार के दिन जल्दी उठकर इस कनकधारा स्त्रोत का पाठ करता है उसे मां लक्ष्मी की कृपा और धन की प्राप्ति होती है।

कनकधारा स्तोत्र पाठ व मंत्र जाप कब और कैसे करना चाहिए?

धन की प्राप्ति करने के लिए रवि या फिर गुरु नक्षत्र का शुभ मुहूर्त निकाल कर इस यंत्र का निर्माण करके मां लक्ष्मी के सामने बैठकर कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए और इस मंत्र का नित्य जाप - ॐ वं श्रीं वं ऐं लीं श्री क्लीं कनकधारयै स्वाहा। ' करना चाहिए और इस कनकधारा यंत्र की पूजा अर्चना करनी चाहिए इससे आपके घर की दरिद्रता दूर हो जाती है और आपको किसी भी प्रकार के ऋण से मुक्ति मिल जाती है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से कनकधारा पाठ करने की विधि के बारे में बताया और यह भी बताया कि कनकधारा मंत्र तथा उसके क्या-क्या फायदे हैं इसके अलावा कनकधारा पार्ट से जुड़े अन्य जानकारी भी देने का प्रयास किया है हम उम्मीद करते हैं कि आज का हमारा यह लेख आपको अच्छा लगा होगा और आप के लिए उपयोगी भी साबित हुआ होगा।