राम भजन संग्रह pdf डाऊनलोड और 8 राम भजन लिखे हुये | Ram bhajan sangrah pdf

राम भजन संग्रह pdf | Ram bhajan sangrah pdf : दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इतनी लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से राम भजन संग्रह pdf के बारे में बताने वाले हैं इस लेख में हम आप लोगों को राम भजन के 15 संग्रह ऐसे देंगे जो बहुत ही प्रसिद्ध है यह सारी भजन शब्दार्थ तथा भावार्थ के साथ लिखे गए हैं इनको पढ़ने के बाद श्रद्धालु को समझने तथा गाने और उनका उद्देश्य जानने में सहायता मिलेगी.

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वैसे तो आप सभी लोगों को पता होगा प्रभु श्री राम राजा दशरथ के पुत्र हैं इनका जन्म अयोध्या में हुआ था प्रभु श्री राम ने अपने जीवन में जो उच्च आदर्श पूरे समाज में फैलाए थे उनके मर्यादित व्यवहार के कारण ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी कहा जाता है हमारे हिंदू धर्म में आस्था के केंद्र पर प्रभु श्रीराम सदैव उपस्थित रहते हैं.

हमारे हिंदू धर्म के भक्त सभी श्री राम की भक्ति प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन की प्रेरणा को देखना चाहते हैं ऐसे में आज हम आप लोगों को प्रभु श्रीराम के कुछ ऐसे अनोखे और प्रसिद्ध भजन सुनाएंगे जिनको पढ़कर आप अत्यंत प्रसन्न और भगवान श्री राम के बहुत ही बड़े भक्त हो जाएंगे तो चलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से राम भजन संग्रह pdf के बारे में बताएंगे।

अगर आप लोग हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ते हैं तो आपको भगवान श्री राम के एक से एक भजन देखने को मिलेंगे यहां पर हमने आपको जितने भी भजन दिए हैं वह सभी भजन आप अच्छे सुर में ढोलक गीत पर भी गा सकते हैं तो आइए राम भजन संग्रह pdf के बारे में जानते हैं.

भजन क्या है ? | Bhajan kya hai ?

दोस्तों क्या आप लोग जानते हैं कि भजन क्या है वैसे तो हमारे भारतीय संगीत को प्रमुख रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है.

  1. शास्त्रीय संगीत
  2. सुगम संगीत
  3. लोक संगीत

तो इसी आधार पर हम आप लोगों को बता दें कि भजन एक किसी मूल्य देवता की प्रशंसा के लिए गाए जाते हैं या भजन सुगम संगीत में आते हैं वैसे तो यह भजन शास्त्रीय और लोक गीत संगीत में भी आते हैं इन वचनों को प्रातः मंच पर गाया जाता है. लेकिन राम भजन को मंदिर में भी खूब गाया जाता है ऐसे भी लोग जो राम भक्त होते हैं वह इन गानों को सुनते रहते हैं भजन शब्द संस्कृत के भजनम या भज से निकला हुआ है जिसका अर्थ श्रद्धा होता है.

राम भजन संग्रह pdf | Ram bhajan sangrah pdf

https://www.hindibhajanlyrics.co.in/2021/07/ram-bhajan-list.html

राम भजन संग्रह pdf Download pdf

राम भजन | Ram bhajan

आज के 100 वर्ष पहले से हमारे राम मंदिर पर जिन आक्रमणकारियों ने अपने विकृत मानसिकता की जो छाप छोड़ी थी अब वह जल्द ही समाप्त हो जाएगी क्योंकि अब पूना ही प्रभु श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या जय श्री राम के भवन मंदिर का निर्माण पुनः आरंभ होने जा रहा है.

राम

यह हमारे हिंदू धर्म आस्था का विजय उत्सव इस के उपलक्ष में आज हम आप लोगों को इसी लेख में राम भगवान के कुछ प्रसिद्ध भजन बताएंगे इनको पढ़ने के बाद राम भगवान के प्रति आपकी आस्था और भी ज्यादा हो जाएगी जानते हैं कि वह कौन-कौन से भजन हैं.

राम भजन संग्रह pdf | Ram bhajan sangrah pdf

1. श्यामा आन बसों 

मेरे राम इतनी किरपा करना,
बीते जीवन तेरे चरणों में ।।
मेरे राम मेरे घर आ जाना,
शबरी के बेर तुम खा जाना ।
मुझे दर्शन अपने भी दिखा जाना
मुझे मुक्ति मिले मेरे कर्मो से ।।
मेरे राम इतनी किरपा करना,
बीते जीवन तेरे चरणों में ।।
जब जन्म लू मैं तेरी दासी बनू,
तेरी सेवा करू सन्यासी बनू ।
हर जन्म में मैं तेरी पूजा करू,
ना करना विमुख मेरे धर्मो से ।।
मेरे राम इतनी किरपा करना,
बीते जीवन तेरे चरणों में ।।
बस इतनी हम पे दया करना,
नाम तेरा भजे मेरा मनवा ।
नही दूर कभी हो तेरी सूरत,
प्रभु आन बसों मेरे नैनो में ।।
मेरे राम इतनी किरपा करना,
बीते जीवन तेरे चरणों में ।।
भटके जब जीवन की नैया,
प्रभु पार लगाना बन के खवईया ।
जब दिखे न कही मुझे उजियारा,
ले लेना मुझे अपने चरणों में ।।
मेरे राम इतनी किरपा करना,
बीते जीवन तेरे चरणों में ।।

2. श्री राम चंद्र कृपाल भजन

राम ram

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।

3. हे रोम रोम मे बसने वाले राम लिरिक्स

हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या मांगूं ।।
आप का बंधन तोड़ चुकी हूं,
तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं ।
नाथ मेरे मै क्यूं कुछ सोचूं तू जाने तेरा काम
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या मांगूं ।।
तेरे चरण की धुल जो पायें,
वो कंकर हीरा हो जाएँ ।
भाग मेरे जो मैंने पाया,
इन चरणों मे ध्यान
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या मांगूं ।।
भेद तेरा कोई क्या पहचाने,
जो तुझ सा को वो तुझे जाने
तेरे किये को हम क्या देवे,
भले बुरे का नाम हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या मांगूं ।।
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या मांगूं ।।

4. तू ही दाता विश्व विधता लिरिक्स

हे राम, हे राम,
जग में साचो तेरो नाम
हे राम, हे राम,
हे राम, हे राम
तू ही माता, तू ही पिता है,
तू ही माता, तू ही पिता है
तू ही तो है, राधा का श्याम,
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
हे राम, हे राम,
जग में साचो तेरो नाम
हे राम, हे राम,
हे राम, हे राम ।।
तू अंतर्यामी, सबका स्वामी,
तू अंतर्यामी, सबका स्वामी ।
तेरे चरणों में, चारो धाम,
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
हे राम, हे राम,
जग में साचो तेरो नाम
हे राम, हे राम,
हे राम, हे राम ।।
तू ही बिगाड़े, तू ही सवारे,
तू ही बिगाड़े, तू ही सवारे ।
इस जग के, सारे काम,
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
हे राम, हे राम,
जग में साचो तेरो नाम
हे राम, हे राम,
हे राम, हे राम
तू ही जगदाता, विश्वविधता.
तू ही जगदाता, विश्वविधता
तू ही सुबह, तू ही शाम,
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
हे राम, हे राम,
जग में साचो तेरो नाम
हे राम, हे राम,
हे राम, हे राम

5. श्री राम स्तुति

राम ram

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन,
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख,
कर कंज पद कंजारुणं ।।
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि,
नोमि जनक सुतावरं ।।
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव,
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल,
चन्द दशरथ नन्दनं ।।
शिर मुकुट कुंडल तिलक,
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर,
संग्राम जित खरदूषणं ।।
इति वदति तुलसीदास शंकर,
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु,
कामादि खलदल गंजनं ।।
मन जाहि राच्यो मिलहि सो,
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील,
स्नेह जानत रावरो ।।
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय,
सहित हिय हरषित अली ।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि,
मुदित मन मन्दिर चली ।।
श्री राम स्तुति सोरठा :-
जानी गौरी अनुकूल सिय,
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम,
अङ्ग फरकन लगे ।।
।। सियावर राम चन्द्र की जय ।।

6. श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में लिरिक्स

दोहा:-
ना चलाओ बाण, व्यंग के ऐ विभिषण
ताना ना सह पाऊं, क्यूँ तोड़ी है यह माला
तुझे ए लंकापति बतलाऊं
मुझमें भी है तुझमें भी है
सब में है समझाऊँ
ऐ लंकापति विभीषण, ले देख
मैं तुझको आज दिखाऊं
स्थाई:-
देखलो मेरे दिल के नगीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
अंतरा:-
मुझको कीर्ति न वैभव न यश चाहिए
राम के नाम का मुझको रस चाहिए
सुख मिले ऐसे अमृत को पिने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
दोहा :-
अनमोल कोई भी चीज
मेरे काम की नहीं
दिखती अगर उसमे छवि
सिया राम की नहीं
राम रसिया हु मैं, राम सुमरन करूँ
सिया राम का सदा ही मैं चिंतन करूँ
सच्चा आनंद है, ऐसे जीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
फाड़ सीना है सब को ये दिखला दिया
भक्ति में मस्ती है बेधड़क देखला दिया
कोई मस्ती ना सागर मीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
देखलो मेरे दिल के नगीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में
श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में ।।

7. रघुपति राघव राजा राम लिरिक्स

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रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम
भज प्यारे तू सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
जय रघुनंदन जय सियाराम
जानकी वल्लभ सीताराम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
कौशल्या के प्यारे राम
दशरथ राज दुलारे राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
लखन भरत के प्यारे राम
हनुमत के हो सहारे राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रात को निंदिया दिन तो काम
कभी भजोगे प्रभु का नाम
करते रहिये अपने काम
लेते रहिये हरि का नाम
रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम

8. जिस भजन में राम का नाम न हो लिरिक्स

जिस भजन में राम का नाम न हो,
उस भजन को गाना न चाहिए ।।
चाहे बेटा कितना प्यारा हो,
उसे सिर पे चढ़ाना न चाहिए ।
चाहे बेटी कितनी लाडली हो,
घर घर में घुमाना ना चाहिए ।।
जिस भजन में राम का नाम न हो,
उस भजन को गाना न चाहिए ।।
जिस माँ ने हम को जनम दिया,
दिल उसका दुखाना न चाहिए ।
जिस पिता ने हम को पाला है,
उसे कभी रुलाना न चाहिए ।।
जिस भजन में राम का नाम न हो,
उस भजन को गाना न चाहिए ।।
चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो,
उसे भेद बताना न चाहिए ।
चाहे मैया कितनी बैरी हो,
उससे राज छुपाना ना चाहिए ।।

FAQ : राम भजन संग्रह pdf

श्री राम के पिता का क्या नाम था?

भगवान श्रीराम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है लेकिन श्री राम भगवान के पिता का नाम राजा दशरथ था.

भगवान श्री राम की जाति क्या है?

श्री राम जी का असली नाम क्या है?

क्या आप लोग भगवान श्रीराम का असली नाम जानते हैं उन्हें कई अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था जैसे कि  दशरथनन्दन, कोदंडधारी, रघु, राघव, सियापति, अयोध्यापति, अवधेश  इन सभी नामों से भगवान श्रीराम को पुकारा जाता था लेकिन रामायण में जो भगवान श्री राम का असली नाम है वह श्री रामचंद्र है.

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से राम भजन संग्रह pdf के बारे में बताया इसके अलावा भजन क्या है राम भगवान के कुछ ऐसे प्रसिद्ध भजन हमने आपको इस लेख में दिए हैं जिनको पढ़ने के बाद आप राम भगवान के प्रति और भी ज्यादा भक्ति रखने लगेंग उम्मीद करते हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी.