आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी पीडीऍफ़ | Aditya Hridaya Stotra Hindi PDF : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी पीडीऍफ़ के बारे में बताने वाले हैं क्या आप लोग आदित्य हृदय स्त्रोत के बारे में जानते हैं अगर नहीं तो आज हम आपको यहां पर विस्तार से आदित्य हृदय स्त्रोत के बारे में जानकारी देंगे आदित्य हृदय स्त्रोत भगवान सूर्य देव को समर्पित किया गया है.
भगवान सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ किया जाता है हमारे शास्त्रों में इस स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही शुभ बताया गया है आदित्य हृदय स्त्रोत सूर्य देव की स्तुति के लिए बाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में मंत्रों के द्वारा लिखा है शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा गया है कि जब राम , रावण ने युद्ध के पश्चात रण क्षेत्र में एक दूसरे का आमना सामना किया था.
तो उस समय अगस्त ऋषि ने श्री राम को सूर्य देव की स्तुति करने की सलाह दी थी और उसी समय आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ किया गया था आदित्य हृदय स्त्रोत में कुल 30 श्लोक होते हैं अर्थात इसे 6 भागों में विभाजित किया गया है हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा कहा गया है कि आज के समय में अगर आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ किया जाए.
तो इस स्त्रोत का पाठ करने से नौकरी में उन्नति, धन की प्राप्ति, व्यक्ति को प्रसन्नता, आत्मविश्वास की बढ़ोतरी, और समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त, सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करने की क्षमता प्राप्त होती है इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी पीडीऍफ़ के बारे में जानकारी देंगे अर्थात आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने की विधि क्या है ? और आदित्य हृदय स्त्रोत पाठ करने के लाभ क्या है इनके बारे में भी जानकारी देंगे।
अगर आदित्य हृदय स्त्रोत के बारे में बात की जाए तो आदित्य हृदय स्त्रोत भगवान सूर्य को समर्पित किया गया है आदित्य हृदय स्त्रोत की रचना अगस्त ऋषि ने की थी भगवान सूर्य का यह आदित्य हृदय स्त्रोत बहुत ही शक्तिशाली एवं बुद्धि का संचार करने वाला है आदित्य हृदय स्त्रोत के पीछे एक ऐसी घटना बताई गई है कहा गया है कि इस स्त्रोत को मुनि अगस्त में जब भगवान श्री राम युद्ध से थककर खड़े थे.
तब श्रीराम ने कहा था इस स्त्रोत का पाठ प्रतिदिन सुबह सूर्य उदय के समय करना सबसे अच्छा है। इसीलिए इस स्त्रोत का पाठ सुबह ही करना है। आदित्य हृदय स्त्रोत में कुल 30 श्लोक हैं अर्थात इसे 6 भागों में विभाजित किया गया है। और इस स्त्रोत का उल्लेख रामायण में श्री बाल्मिक जी द्वारा दिया गया है।
उसी के अनुसार इस स्त्रोत को ऋषि अगस्त ने भगवान श्री राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए बताया था इस स्त्रोत का पाठ आज के समय में करने से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं जो हमने आपको नीचे विस्तार से बताएं हैं।
इस लिंक पर जाकर आप आसानी से आदित्य हृदय स्त्रोत हिंदी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं.
आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी पीडीऍफ़ | Download pdf |
॥ विनियोग॥
ॐ अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्यअगस्त्यऋषि: अनुष्टुप्छन्दः आदित्यह्रदयभूतो।
भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतयाब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः॥
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्।
रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥१॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्।
उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवान् ऋषिः॥२॥
राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्।
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसि॥३॥
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्।
जयावहं जपेन्नित्यम् अक्षय्यं परमं शिवम्॥४॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम्।
चिन्ताशोकप्रशमनम् आयुर्वर्धनमुत्तमम्॥५॥
रश्मिमंतं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्।
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्॥६॥
सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः।
एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः॥७॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः॥८॥
पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः।
वायुर्वह्निः प्रजाप्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः॥९॥
आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान्।
सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकरः॥१०॥
हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान्।
तिमिरोन्मथनः शम्भुस्त्वष्टा मार्ताण्ड अंशुमान्॥११॥
हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रविः।
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शङ्खः शिशिरनाशनः॥१२॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजुःसामपारगः।
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवङ्गमः॥१३॥
आतपी मण्डली मृत्युः पिङ्गलः सर्वतापनः।
कविर्विश्वो महातेजाः रक्तः सर्वभवोद्भवः॥१४
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते॥१५॥
नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः॥१६॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः।
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः॥१७॥
नम उग्राय वीराय सारङ्गाय नमो नमः।
नमः पद्मप्रबोधाय मार्ताण्डाय नमो नमः॥१८॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूर्यायादित्यवर्चसे।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः॥१९॥
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः॥२०॥
तप्तचामीकराभाय वह्नये विश्वकर्मणे।
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे॥२१॥
नाशयत्येष वै भूतं तदेव सृजति प्रभुः।
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः॥२२॥
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः।
एष एवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम्॥२३॥
वेदाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्व एष रविः प्रभुः॥२४॥
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तातेषु भयेषु च।
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव॥२५॥
पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम्।
एतत् त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि॥२६॥
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं वधिष्यसि।
एवमुक्त्वा तदागस्त्यो जगाम च यथागतम्॥२७॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत्तदा।
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान्॥२८॥
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वा तु परं हर्षमवाप्तवान्।
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान्॥२९॥
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा युद्धाय समुपागमत्।
सर्वयत्नेन महता वधे तस्य धृतोऽभवत्॥३०॥
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमनाः परमं प्रहृष्यमाणः।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति॥३१॥
॥ इति आदित्यहृदयम् मन्त्रस्य ॥
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति आदित्य हृदय स्त्रोत का जाप करना चाहता है तो आज उसे हम आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने की विधि के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं जो कि निम्नलिखित है।
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से करता है तो उस व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं जो निम्नलिखित हैं।
भगवान सूर्य का यह आदित्य हृदय स्त्रोत बहुत ही शक्तिशाली है इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से धन लाभ होता है क्योंकि यह स्त्रोत भगवान सूर्य को समर्पित किया गया है।
अगर आप में से किसी भी व्यक्ति को लाख मेहनत करने के बाद भी नौकरी प्राप्त नहीं हो रही है जिसके कारण आप अत्यधिक परेशान रहते हैं तो ऐसे में आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि नौकरी की प्राप्ति के लिए और उसमें उन्नति प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत का पाठ करने से नौकरी में उन्नति , एक अच्छी नौकरी की प्राप्ति होती है।
अगर आपने से कोई भी व्यक्ति किसी भी कारणवश बहुत ही परेशान रहता है जिसके कारण उसका सुख और चैन सब छिन गया है वह हमेशा मुंह लटका कर बैठा रहता है और उसके साथ अत्यधिक चिंतित रहता है तो उसे आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत का पाठ करने से प्रसन्नता की प्राप्ति होती है।
अगर आप में से किसी भी व्यक्ति को हृदय रोग से संबंधित कोई भी बीमारी है तो ऐसे में आपको आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत का पाठ करने से हृदय रोग से संबंधित सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
अगर आप में से किसी भी व्यक्ति ने अगले जन्म में बहुत से पाप किए हैं या फिर इसी जन्म में अधिक से अधिक पाप किए हैं जिनका आप प्रायश्चित करना चाहते हैं तो ऐसे में आपको विधि विधान पूर्वक आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत का पाठ करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
अगर आपके आसपास आपके बहुत से शत्रु हैं जो आपको हमेशा परेशान करते रहते हैं और आप उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में आपको आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए क्योंकि यह स्त्रोत बहुत ही शक्तिशाली है इसका पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति मिल जाती है।
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति ऐसा है जो किसी भी वजह से अपने मस्तिष्क को कष्ट देता है जिसके कारण उसे मानसिक कष्ट जैसी परेशानी होने लगती है तो ऐसे में उसे आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए यह सूर्य देव का स्त्रोत है इसका पाठ करने से मानसिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। और सभी प्रकार का तनाव भी दूर हो जाता है।
अगर आप जैसे कोई भी व्यक्ति ऐसा है जिसकी बहुत सी मनोकामनाएं हैं उनको पूरा करने के लिए वह बहुत से उपाय करता है तो ऐसे में उस व्यक्ति को मनोकामना पूर्ति के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत का पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफलता को प्राप्त करना चाहता है तो सरल शब्दों में कहा जाए तो आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
जय कश्यप-नन्दन,ॐ जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सप्त-अश्वरथ राजित,एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी,मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर,दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सकल – सुकर्म – प्रसविता,सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन,भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
कमल-समूह विकासक,नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरतअति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर,भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत,परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सूर्यदेव करुणाकर,अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब,तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी पीडीऍफ़ के बारे में बताया इसके अलावा आदित्य हृदय स्त्रोत पाठ करने की विधि और आदित्य हृदय स्त्रोत पाठ करने के लाभ क्या है ? और आदित्य हृदय स्त्रोत क्या है ? इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी अगर आपने हमारे स्लिप को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।
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