अर्गला स्तोत्र लाभ | Argala stotram benefits : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से argala stotram benefits के बारे में बताने वाले हैं अर्गला स्तोत्रम बहुत ही शक्तिशाली स्त्रोत है इस स्त्रोत को परम सिद्ध देवी का स्त्रोत माना जाता है आप में से कई लोग इस स्त्रोत को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं लेकिन हम आप लोगों को बता दें कि शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा गया है.
कि इस स्त्रोत का पाठ संस्कृत में करना बहुत महत्वपूर्ण होता है जहां तक मुझे पता है अर्गला स्तोत्र अमोघ है इस स्त्रोत के द्वारा हमें जय , यश , रूप मिलता है हमारे रिसर्च के मुताबिक नवरात्रि के दिनों में इस स्त्रोत का पाठ करना महत्वपूर्ण माना जाता है अगर कोई भी व्यक्ति नवरात्रि के दिनों में इस स्त्रोत का जाप करता है तो उसे देवी का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है.
अगर आप नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती में देवी कवच पढ़ने के बाद अर्गला स्तोत्र का पाठ विधि विधान पूर्वक करते हैं तो ऐसा कहा गया है कि इस स्त्रोत से सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं अर्गला स्त्रोत के दो अर्थ बताए गए हैं अग्रणी या अगड़ी। हमारा कहना है कि किसी भी कार्य को सिद्ध करने के लिए आगे बढ़ना और दूसरे मार्ग का रास्ता देखना और उसे करना बहुत आवश्यक होता है.
इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख में argala stotram benefits के बारे में बताएंगे अर्थात अर्गला स्त्रोत भी देंगे और उसके अलावा उससे जुड़ी अन्य जानकारी भी देंगे तो आप हमारे इस लेख में अंत तक बने रहें ताकि आपको इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी पता हो सके।
- 1. अर्गला स्तोत्र लाभ | Argala stotram benefits
- 1.1. 1. धन-संपत्ति की प्राप्ति
- 1.2. 2. व्यापार की बढ़ोतरी
- 1.3. 3. स्वस्थ शरीर
- 1.4. 4. सकारात्मक ऊर्जा
- 1.5. 5. सफलता
- 1.6. 6. अच्छा जीवनसाथी
- 1.7. 7. खूबसूरती
- 1.8. 8. कार्य में अभिलाषा
- 1.9. 9. शत्रु का नाश
- 2. अर्गला स्तोत्रम | Argala Stotram
- 3. अर्गला स्त्रोत का पाठ करने की विधि | Argala stotram ka paath karne ki vidhi
- 4. FAQ : argala stotram benefits
- 4.1. अर्गला स्तोत्रम किसने लिखा था?
- 4.2. दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें?
- 4.3. अर्गला स्तोत्रम का पाठ कब करना चाहिए ?
- 5. निष्कर्ष
अर्गला स्तोत्र लाभ | Argala stotram benefits
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति अर्गला स्तोत्रम का प्रतिदिन पाठ करता है तो ऐसा कहा जाता है कि अर्गला स्तोत्रम का पाठ करने से हमें दैनिक जीवन और हमारी ऊर्जा प्रणाली पर असर पड़ता है इसीलिए हम आपको इस स्त्रोत के कुछ ऐसे आश्चर्यजनक लाभ बताएंगे जो आपके जीवन के लिए विशेष रूप से आवश्यक है।
1. धन-संपत्ति की प्राप्ति
हर एक व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहता है और उसके लिए वह कठोर परिश्रम भी करता है लेकिन कुछ कारणों वश उस व्यक्ति को वह सब नहीं मिल पाता जो उसे चाहिए होता है जिसके लिए वह बहुत ही हताश रहता है ऐसे में कहा गया है कि अगर नवरात्रि के दिनों में या फिर ऐसे भी अर्गला स्तोत्रम का पाठ किया जाए तो इसके द्वारा हमारे जीवन में बहुत सारा धन , संपत्ति , सफलता और प्रचुरता प्राप्त होती है।
2. व्यापार की बढ़ोतरी
आजकल के इस समय में हर एक व्यक्ति व्यापार के लिए इधर उधर भटक रहा है क्योंकि जीवन चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है और ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को व्यापार नहीं मिलता है या फिर जिसके पास व्यापार होता है लेकिन उसमें उसकी कोई भी बढ़ोतरी नहीं होती है उसका व्यापार वहीं तक रहता है.
तो ऐसे में शास्त्रों के मुताबिक कहा गया है कि नवरात्रि के नव दिन में अर्गला स्तोत्रम का पाठ करने से व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलती है और उसी के साथ उन व्यक्तियों के लिए अति अनुशासित है जो व्यक्ति व्यापार में घाटे की पीड़ा में रहते हैं अगर वह व्यक्ति स्त्रोत का पाठ करते हैं तो उन्हें व्यापार में बढ़ोतरी अवश्य होती है।
3. स्वस्थ शरीर
आज के समय में अधिकतर लोग बीमारियों से पीड़ित रहते हैं इसके लिए कुछ लोग कई प्रकार की दवाएं और धार्मिक उपयोग भी करते हैं अलग-अलग पूजाएं करते हैं। लेकिन फिर भी वह उसमें सफल नहीं होते उसी के लिए एक बहुत असरदार की बताई गई हो देवी अर्गला स्तोत्रम इस स्त्रोत का पाठ करने से चतुर दिमाग के साथ फिट शरीर और एक अच्छी फिटनेस प्राप्त होती है और उसी के साथ जीवन के समस्त क्षेत्रों में विजय प्राप्त होती है।
4. सकारात्मक ऊर्जा
आज के समय में हमने कई लोगों के मुंह से यह सारी बातें सुनी है कि किसी को भूत – प्रेत का साया लग गया है या फिर कहीं पर बुरी आत्माएं भटक रही है या फिर कई ऐसे लोग जो हमारे बारे में बुरा सोचते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता है अगर आपकी सोच अच्छी है तो आपके बारे में जो भी लोग बुरा सोचते हैं.
उससे आपको कोई भी फर्क नहीं पड़ना चाहिए अगर आप फिर भी इन सभी चीजों से अत्यधिक पीड़ित हैं तो आपको इसके लिए शास्त्रों के बताए गए नियम को फॉलो करना चाहिए इसके लिए आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत के पाठ से आपका भय और जीवन की सभी नकारात्मकता और बुराइयां दूर हो जाती है।
5. सफलता
यद्यपि आप अधिक से अधिक मेहनत करते हैं और उसके बावजूद भी आपको उसका फल प्राप्त नहीं होता है जिसके कारण आप अधिक पीड़ित हैं ऐसे में आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत का नियमित पाठ करेंगे तो आपको मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करके हमेशा बड़ी सफलता को प्राप्त करेंगे।
6. अच्छा जीवनसाथी
हर एक व्यक्ति की ख्वाहिश होती है कि उसका जीवन साथी जो भी हो वह अच्छा होना चाहिए अगर आप अच्छे जीवन साथी की तलाश में है तो आपको विवाह के लिए अर्गला- स्तोत्र’ का 1 बार पाठ अवश्य करना चाहिए ऐसा करने से आपको एक अच्छे पति या पत्नी की प्राप्ति होती है।
7. खूबसूरती
आज के समय में चाहे लड़का हो या फिर लड़की सभी को एक अच्छी सूरत और अच्छे कपड़े पहनना पसंद होता है ऐसे में अगर कोई लड़का या लड़की या फिर कोई औरत अच्छी सूरत का दीवाना है तो इस स्त्रोत को पढ़कर आप में से कोई भी व्यक्ति अपने रूप को सुंदर बना सकता है लेकिन उसके लिए आपको अर्गला स्त्रोत का जाप करना होगा अगर लाल स्त्रोत का जाप करने से सुंदर सौंदर्य की प्राप्ति होती है और इंसान की पूर्ण खूबसूरती बढ़ जाती है।
8. कार्य में अभिलाषा
अगर कोई भी मनुष्य किसी भी कार्य में अधिक अभिलाषा रखता है तो उसके लिए उस व्यक्ति को वह सभी कार्य करने के लिए मात्र अर्गला स्तोत्र का पाठ करना होगा इस स्त्रोत का पाठ करने से सारे व्यवधान दूर हो जाती है इसके अलावा आपको सभी कार्यों में विजय प्राप्त होती है।
9. शत्रु का नाश
अर्गला स्तोत्र स्त्रोत का पाठ करने से आत्मज्ञान बढ़ता है और उसी के साथ क्रोध भी कम आता है और शत्रु का नाश भी हो जाता है।
अर्गला स्तोत्रम स्त्रोत की व्याख्या को लेकर बहुत सी चर्चाएं होती हैं इस स्त्रोत की स्तुति देवी दुर्गा के रूप में की जाती है लेकिन इस स्त्रोत को करने के लिए गहन अध्ययन और सीखने की आवश्यकता होती है इस स्त्रोत के प्रत्येक छंद में जीवन के सभी सुखों की छवि छुपी होती है इस स्त्रोत के द्वारा आप गुप्त कुंजिका भी प्राप्त कर सकते हैं।
अर्गला स्तोत्रम | Argala Stotram
॥ अथार्गलास्तोत्रम् ॥
ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता श्रीजगदम्बाप्रीतयेसप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥
ॐ नमश्चण्डिकायै॥
मार्कण्डेय उवाच
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥1॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥2॥
मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥3॥
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥5॥
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥6॥
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥8॥
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥9॥
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥10॥
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥11॥
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥12॥
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥13॥
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥14॥
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥15॥
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥16॥
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥
॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
अर्गला स्त्रोत का पाठ करने की विधि | Argala stotram ka paath karne ki vidhi
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति अर्गला स्त्रोतम का पाठ करना चाहता है लेकिन उसे इसकी विधि के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं है कि किस प्रकार इस स्त्रोत का पाठ किया जाता है तो आप हमारे द्वारा दी गई इस लिंक पर जाकर अर्गला स्त्रोत का पाठ करने की विधि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि इसके लिए हमने एक अलग से लेख लिखा है उस लेख पर जाकर आप अर्गला स्त्रोतम की संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
FAQ : argala stotram benefits
अर्गला स्तोत्रम किसने लिखा था?
दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें?
अर्गला स्तोत्रम का पाठ कब करना चाहिए ?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम argala stotram benefits के बारे में बताया उसके अलावा अर्गला स्त्रोत भी हमने आपको इसमें दे दिया है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको अर्गला स्त्रोत के रहस्य के बारे में जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।