PDF बृहस्पति देव की कथा और आरती pdf एवं सम्पूर्ण पूजा कै विधि | Brihaspati Dev ki katha aur aarti pdf : बृहस्पतिवार की कथा और आरती

बृहस्पति देव की कथा और आरती pdf |Brihaspati Dev ki katha aur aarti pdf : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बृहस्पति देव की कथा और आरती pdf के बारे में बताएंगे अधिकतर लोगों को यह जानकारी अवश्य होगी कि सप्ताह के हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित किए गए हैं.

अगर सभी लोगों को यह जानकारी नहीं है तो हिंदू धर्म के लोगों को तो अवश्य ही जानकारी होगी जिस प्रकार सप्ताह के सभी दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित किए गए हैं उसी प्रकार गुरुवार का दिन बृहस्पति देव को समर्पित किया गया है ऐसा कहा जाता है कि बृहस्पति देव की पूजा अगर पूरे विधि विधान पूर्वक की जाए तो वह जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं.

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तो इससे रुठी किस्मत फिर से चमक जाती है क्या आप जानते हैं कि बृहस्पति देव को सभी देवताओं के गुरु माने जाते हैं इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार के दिन इनकी पूजा करनी चाहिए। बृहस्पति देव को नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह भी बताया जाता है.

सभी राशियों में कर्क राशि में ऊंचे के और मकर राशि में नीचे के माने गए हैं इसीलिए अगर आप में से कोई भी व्यक्ति गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा करता है तो वह अपने सोए हुए भाग्य को जगा सकता है।

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बृहस्पति देव की कथा और आरती pdf के बारे में बताएंगे और बृहस्पति देव की पूजा कैसे करें उनकी आरती कौन सी है इनकी पूजा करने के लाभ क्या होते हैं इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे अगर आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ते हैं तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

बृहस्पति देव की पूजा कैसे करें ? | Brihaspati Dev ki Puja kaise karen ?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति बृहस्पति देव की पूजा करना चाहता है तो उसके लिए बृहस्पति देव की पूजा कैसे की जाए इसकी संपूर्ण विधि अवश्य होनी चाहिए वैसे तो आज कल के इस व्यस्त जीवन में हमारे पास समय की बहुत बड़ी कमी होती है ऐसे में अगर काफी लंबी पूजा विधि का समय निकालना हो तो बहुत ही मुश्किल हो जाता है.

ऐसे में बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा की जाती है शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि अगर उस पूजा में केले का पेड़ घर के अगल-बगल हो तो और भी अच्छा माना गया है तो आप आसानी से केले के पेड़ की पूजा करके भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को प्रसन्न कर सकते हैं.

भगवान विष्णु के 7 अवतार

क्योंकि बृहस्पति देव और भगवान विष्णु की पूजा में सर्वोत्तम रूप से केले का पेड़ लगता है अगर कोई व्यक्ति बृहस्पतिवार का व्रत रखता है तो उसके घर में सुख समृद्धि आती है इसके अलावा अगर कुंवारी लड़कियां बृहस्पति देव का व्रत रखती है तो उनके विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं.

हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि अगर 1 साल तक बृहस्पतिवार का व्रत किया जाए तो घर में पैसे की कमी नहीं होती है क्योंकि बृहस्पति गुरु का हमारे जीवन पर बहुत बड़ा असर पड़ता है क्योंकि बृहस्पति देव को सुख , समृद्धि ,व्यवहारिक जीवन ,परिवार शांति, विद्या पुत्र इन सबके दाता कहे जाते हैं.

इसीलिए बृहस्पति देव की पूजा करने से जीवन के समस्त सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है भगवान विष्णु केले के पेड़ में विराजमान हैं इसीलिए हमें गुरुवार के दिन ही भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए अगर कोई भी व्यक्ति 1 वर्ष तक 16 गुरुवार व्रत रखता है.

तो उस व्यक्ति की मनोवांछित इच्छा पूरी हो जाती है और 17 दिन उस व्रत का उद्यापन कर देना चाहिए अगर आप इस व्रत को शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए आप शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं शास्त्रों के मुताबिक शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ माना गया है घर में अगर किसी नए कार्य की शुरुआत करनी है तो आप शुक्ल पक्ष से कर सकते हैं ।

बृहस्पति देव की कथा और आरती pdf | Brihaspati Dev ki katha aur aarti pdf

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बृहस्पति देव की पूजा विधि | Brihaspati Dev ki Puja Vidhi

अगर कोई भी व्यक्ति बृहस्पति देव की पूजा करना चाहता है तो उस व्यक्ति को बृहस्पति देव की पूजा विधि के बारे में अवश्य जानकारी होनी चाहिए बृहस्पति देव की पूजा विधि बहुत ही सरल है अगर आप बृहस्पति देव की पूजा करना चाहते हैं तो आपको इन चीजों की आवश्यकता अवश्य होगी यह सारी चीजें हमारे घर में उपलब्ध है.

जैसे कि बृहस्पति देव की पूजा में चने की दाल , गुण , हल्दी , केला , उपला हवन के लिए और उसी के साथ भगवान विष्णु की फोटो या फिर आपके घर के आसपास केले का पेड़ उपलब्ध हो तो और भी अच्छा होता है।

उसके बाद अब आपको बृहस्पतिवार के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद साफ-सुथरे कपड़े धारण करने हैं और जहां पर राष्ट्रपति देव की पूजा करनी है उस स्थान को भी साफ सुथरा कर लेना है और वहां पर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित कर लेना है या फिर केले के पेड़ के नीचे ही पूजा कर लेनी है.

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केले के पेड़ के नीचे साफ-सुथरा कर लेना है और वहां पर भी भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित कर देना है अब आपको अपने हाथ में चावल और एक पीला फल लेना है और उसके बाद सोलह सोमवार व्रत का संकल्प भगवान विष्णु के सामने दोहराया और साथ में अपनी मनोकामना भी कहिए उसके बाद जो आपने अपने हाथों में चावल और फूल लिए थे.

वह भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने समर्पित कर दें और साथ ही एक छोटा पीला कपड़ा फोटो के सामने समर्पित कर दें अब आपको एक छोटे से लोटे में जल रखना है उसमें थोड़ी सी हल्दी डालना है इस हल्दी वाले जल से भगवान विष्णु को स्नान कराना है और उन्हें लोटे में गुड़ और चने की दाल डालकर रख लीजिए.

इस गुड और चने को फोटो पर चढ़ाई एक और तिलक लगा दीजिए हल्दी चंदन लगाकर पीला चावल चढ़ाई ए धूप दीप जलाकर प्रसाद चढ़ाएं अगर आप चाहे तो केले को प्रसाद के रूप में पढ़ा सकते हैं उसके बाद आपको कथा पढ़नी है या सुननी है.

कथा के बाद उपले का हवन करें हवन करने के लिए उपले को गर्म करके उसमें धी डालिए जैसे ही आग जलने लगे उसमें हवन सामग्री जैसे की गुड़ और चने की दाल की आहुति दें पांच से सात बार आहुति दी जाती है जिस समय हम आहुति दे रहे होते हैं.

उस समय हमें इस मंत्र ऊं बृं बृहस्पतये नम:। स्वाहा का जाप करना चाहिए और अंत में भगवान विष्णु की आरती कहकर उनसे क्षमा प्रार्थना मांग लेनी चाहिए ताकि पूजा में जो भी त्रुटि हुई हो वह भगवान विष्णु क्षमा कर दें।

बृहस्पति देव की कथा | Brihaspati Dev Ki Katha

NARAYAN VISHNU BHAGWAN

बहुत समय पहले की यह बात है एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था वह ब्राह्मण बहुत ही निर्धन था उसके पास कोई भी धन नहीं था ना ही उसके पास कोई संतान थी उसकी स्त्री बहुत मलीनता के साथ रहती थी उसकी स्त्री ना ही स्नान करती थी और ना ही किसी देवी देवता की पूजा करती थी जिसके कारण ब्राह्मण देवता बहुत ही दुखी थे और वह अपनी स्त्री को समझाते और कहते रहते थे.

कि देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए लेकिन उन्हें कुछ भी परिणाम नहीं नजर आता था लेकिन ब्राह्मण ने इतने अच्छे कर्म या फिर भगवान की पूजा श्रद्धा के साथ की थी जिसके कारण ब्राह्मण की स्त्री के कन्या रूपी रत्न पैदा हुआ जब उस ब्राह्मण की कन्या बड़ी हो गई तब वह प्रातः उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद भगवान विष्णु का मंत्र जाप और बृहस्पतिवार का व्रत करने लगी थी.

जब उसका पूजा पाठ समाप्त हो जाता था तभी वह विद्यालय में पढ़ने जाती थी और वह हमेशा अपने मुट्ठी में जौ भर के ले जाती थी विद्यालय पहुंचते ही पाठशाला के मार्ग में ही वह जौ फेंक देती थी तब यह जौ स्वर्ण के जो जाते लौटते समय उनको बिन कर घर ले आती थी

कुछ दिनों बाद उस ब्राह्मण की बालिका ने सूट में उन सोने के जो को फ्टक कर साफ किया कभी उसके पिता ने उसको देखा और कहा हे बेटी सोने की जौ के लिए सोने का सूप होना चाहिए तभी दूसरे दिन बृहस्पतिवार था तो कन्या ने व्रत रखा था उसने व्रत में बृहस्पति देव से प्रार्थना की और कहा मैं आपकी पूजा सच्चे मन से करती हूं तो आप मेरे लिए सोने का सूप दे।

जैसे ही उस बालिका ने बृहस्पति देव से यह प्रार्थना की तो बृहस्पति देव ने उसकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली फिर उस बालिका ने प्रतिदिन की तरह ही जौ फैलाने लगी जब लौटकर आती तो वह उस जौ को घर ले आती थी कुछ दिनों बाद बृहस्पति देव की कृपा से उस कन्या को सोने का सूप मिल गया और वह कन्या उच्च सोने के सूप को घर ले आई और बैठकर जितने भी जौ बीने थे.

वह उसमें साफ करने लगी थी और उसी समय उस शहर का राजपूत वहां से गुजर रहा था जैसे ही उस राजपूत ने इस कन्या के रूप और कार्य को देखा तो वह मोहित हो गया जैसे ही वह राजपूत अपने घर को वापस आया उसने भोजन तथा जल को त्याग कर दिया और उदास होकर लेट गया.

जैसे ही राजा को इस बात का पता चला तो अपने प्रधानमंत्री के साथ उसके पास आए और बोले हे बेटा तुमको किस बात का कष्ट है क्या किसी ने आप का अपमान किया है अथवा और कारण हो तो बताओ मैं वह कार्य अवश्य करूंगा जिससे तुझे प्रसन्नता होती है अपने पिता की बातों को सुनकर राजकुमार बोला मुझे आपकी कृपा से किसी बात का दुख नहीं है ना ही किसी ने मेरा अपमान किया है.

परंतु मैं उस लड़की से विवाह करना चाहता हूं जो सोने के रूप में जौ साफ कर रही थी जैसे ही राजा ने यह बात सुनी तो वह आश्चर्यचकित हो गए और बोले हे बेटा इस तरह की कन्या का पता तुम ही लगाओ मैं उस कन्या के साथ आपका विवाह करवा दूंगा.

जैसे ही उस राजकुमार ने अपने पिता की बात सुनी तो तुरंत उस कन्या के घर का पता बताया राजा ने अपने मंत्री को उस लड़की के घर भेजा और ब्राह्मण देवता को सभी हाल बताया जैसे ही ब्राह्मण ने क्या बात सुनी वह तुरंत ही राजकुमार से अपनी पुत्री का विवाह करने के लिए तैयार हो गए। थोड़े दिनों में ब्राह्मण की कन्या और राजकुमार का विधि-विधान पूर्वक विवाह कर दिया गया।

जैसे ही कन्या ने घर को छोड़ा पहले की भांति उस ब्राह्मण देवता के घर में गरीबी का निवास हो गया थोड़े दिनों बाद ब्राह्मण भोजन के लिए भी तड़प रहा था उसे अन्य बड़ी मुश्किल में मिल रहा था ब्राह्मण देवता एक दिन बहुत दुखी होकर अपनी पुत्री के पास गए.

जैसे ही बेटी ने अपने पिता की दुखी अवस्था को देखा और अपनी मां का हाल पूछा तभी ब्राह्मण ने सभी हाल अपनी पुत्री को सुनाया तुरंत कन्या ने बहुत साधन देकर अपने पिता को विदा किया और ब्राह्मण घर को लौटते ही कुछ समय सुख पूर्वक व्यतीत करने लगा लेकिन वह धन कब तक चलता कुछ दिनों बाद ब्राह्मण देवता का हाल फिर वही हो गया.

दुखी होकर ब्राह्मण देवता फिर अपनी कन्या के पास गए और सारा हाल उसे बताया तो उसकी कन्या बोली है पिताश्री आप माता को यही लिवा लाओ मैं माता को विधि बता दूंगी जिससे गरीबी दूर हो जाएगी ब्राह्मण देवता अपने घर को वापस आए और अपनी स्त्री को साथ लेकर अपनी बेटी के घर राजमहल पहुंच गए ब्राह्मण की कन्या अपनी माता को समझाने लगी की हे माता श्री तुम प्रातः काल स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन करके सभी प्रकार की दरिद्रता को दूर कर सकती हो.

लेकिन उसकी मां ने उसकी एक बात ना सुने और प्रातः काल उठकर अपनी पुत्री के बच्चों की जूठन को खा लिया अपनी मां की इस हरकत को देखकर पुत्री को बहुत गुस्सा आया और एक रात को कोठारी से सभी सामान निकाल दिया और अपनी मां को उसमें बंद कर दिया.

दूसरे दिन प्रातः काल अपनी मां को उस कोठरी से निकालकर स्नान कराया और पाठ कराया तब जाकर उसकी मां को बुद्धि आई और फिर वह प्रत्येक बृहस्पतिवार को व्रत रखने लगी जैसे ही ब्राह्मण की स्त्री ने इस व्रत को शुरू किया उसका प्रभाव उन्हें दिखने लगा और वह बहुत ही धनवान और पुत्री 1:00 हो गए बृहस्पति जी के प्रभाव से इस लोक के सुख भोग कर स्वर्ग को प्राप्त हुए।

सब बोलो विष्णु भगवान की जय। बोलो बृहस्पति देव की जय॥

बृहस्पति देव की आरती | Brihaspati Dev Ki Aarti

कल्कि अवतार

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहत गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥

FAQ : बृहस्पति देव की कथा और आरती pdf

बृहस्पति पूजा कैसे किया जाता है?

बृहस्पति भगवान की पूजा के लिए आपको निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है चने की दाल, गुड , हल्दी , केला , उपला हवन करने के लिए और भगवान विष्णु की फोटो अगर आपके पास केले का पेड़ उपलब्ध है तो आप उसमें भी भगवान की फोटो रखकर बृहस्पति देव की पूजा कर सकते हैं इस प्रकार पूजा करने से आपको पूजा का विशेष फल प्राप्त होगा।

बृहस्पति भगवान की पूजा करने से क्या फल मिलता है?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा करता है तो वह बहुत ही प्रसन्न होते हैं बृहस्पति देव की पूजा करने से धन बुद्धि और शिक्षा का ज्ञान प्राप्त होता है इन्हें धन बुद्धि और शिक्षा का देवता भी माना गया है कहते हैं बृहस्पति देव की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है विवाह के लिए भी इस पूजा को किया जाता है।

गुरु का बीज मंत्र क्या है?

गुरु का बीज मंत्र कुछ इस प्रकार दिया गया है;

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बृहस्पति देव की कथा और आरती pdf के बारे में बताया इसके अलावा बृहस्पति देव की पूजा कैसे करें पूजा विधि क्या है बृहस्पति देव की आरती कथा इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है.

तो आपको बृहस्पति देव के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।