देवशयनी एकादशी क्या है ? संपूर्ण पूजा विधि ,व्रत कथा, आरती एवं व्रत के लाभ | devshayani ekadashi

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देवशयनी एकादशी | Devshayani ekadashi : होंगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण क्योंकि आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसा व्रत जो भगवान विष्णु की पूजा में किया जाता है हमारे हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत किए जाते हैं उसी एकादशी व्रत में एक और व्रत है जो कि devshayani ekadashi कहते हैं ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

हमारे हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त देवशयनी एकादशी का व्रत करता है उस व्यक्ति को भगवान विष्णु की विधि विधान पूर्वक पूजा करनी होती है इस व्रत को करने से अगर आपने कभी भी जाने अनजाने में कोई भी पाप किया है तो वह सभी मिट जाते हैं क्योंकि देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा में चलते हैं और उसी दिन चतुर्मास की शुरुआत की शुरुआत होती है.

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देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागृत अवस्था में रहते हैं इसीलिए देवशयनी एकादशी के दिन सभी प्रकार के मंगल कार्यक्रम बंद हो जाते हैं तो चलिए अब हम आप लोगों को इसलिए क्योंकि माध्यम से devshayani ekadashi के बारे में बताएंगे उसके अलावा devshayani ekadashi का व्रत कैसे किया जाता है ? भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें ?

देवशयनी एकादशी पौराणिक महत्व , देवशयनी एकादशी व्रत के फायदे इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे अगर आप में से कोई भी व्यक्ति इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहता है तो वह हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

देवशयनी एकादशी | Devshayani ekadashi

devshayani ekadashi के पीछे बहुत ही अच्छी पौराणिक कथा बताई गई है ऐसा कहा गया है कि बहुत समय पहले मान्धाता नाम एक राजा था वह राजा बहुत ही नेक दिल और अच्छा था मान्धाता राजा की प्रजा उससे हमेशा सुखी एवं खुश रहती थी एक बार उस राजा के राज्य में 3 साल तक बारिश नहीं हो रही थी जिसके कारण राज्य में अकाल पड़ गया था और उसी की वजह से जो प्रजा हमेशा उस राजा से खुश रहती थी वह अब निराश और दुखी हो गई थी.

जैसे ही मान्धाता राजा ने अपनी प्रजा को इतना दुखी देखा तो उससे रहा नहीं गया वह अपनी प्रजा के दुख को हटाने के लिए उपाय निकालने लगा राजा ने उपाय निकालने के लिए जंगल में जाना उचित समझा वह शेयर करते करते जंगल में गया और वहां पर उसे अंगिरा ऋषि का आश्रम दिखाई दिया तो वह उस आश्रम पहुंचा.

NARAYAN VISHNU BHAGWAN

जैसे ही ऋषि ने राजा को अत्यंत परेशान देखा तो ऋषि ने राजा से परेशान होने की वजह पूछी तभी राजा ने संपूर्ण दुख ऋषि के सामने बताया उसके पश्चात ऋषि ने राजा को एक ऐसा उपाय दिया जिसे एकादशी का व्रत कहते हैं ऋषि ने राजा को आषाढ़ी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी .

जैसे ही राजा ने ऋषि की बात सुनी राजा वहां से वापस अपने राज्य लौट आए और उसके पश्चात सभा में बैठकर राजा ने संपूर्ण प्रजा से इस व्रत के बारे में बताया और संपूर्ण विधि विधान पूर्वक करने की सलाह दी जैसे ही सभी प्रजा ने इस व्रत को और पूजन को किया उसके कुछ ही दिन बाद इसका असर राज्य के ऊपर पड़ा और एक बार फिर से उस राज्य में बारिश हुई और राज्य एक बार फिर से धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया.

देवशयनी एकादशी पूजा विधि | Devshayani ekadashi puja vidhi

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति देवशयनी एकादशी का व्रत करना चाहता है तो उसके लिए उस व्यक्ति को इस व्रत को करने की संपूर्ण विधि अवश्य पता होनी चाहिए तो चलिए आज हम आपको देवशयनी एकादशी की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में जानकारी देते हैं.

  1. इस एकादशी के लिए अपने घर की साफ सफाई अच्छे से करें.
  2. देवशयनी एकादशी करने के लिए आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निश्चिंत हो जाए और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  3. उसके पश्चात एकादशी के लिए संपूर्ण पूजन के लिए सामग्री एकत्रित करें.
  4. अपने घर में भगवान विष्णु की तस्वीर को स्थापित करें.
  5. यह फिर केले के पेड़ के नीचे साफ सफाई करके और उस जगह को पवित्र करके वहां पर देवशयनी एकादशी की पूजा की जाती है.
  6. मूर्ति को स्थापित करने के बाद भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें.
  7. उसके पश्चात पीले फूल , पीला प्रसाद और पीला चंदन अर्पित करें.
  8. उसके बाद भगवान विष्णु के प्रिय पान और सुपारी चढ़ाएं.
  9. उसके पश्चात भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और उनकी पूजा करें.
  10. पूजा करते समय भगवान विष्णु के इस मंत्र ‘‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्. विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्..” का जाप करें.
  11. इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि जिस दिन आप देवशयनी एकादशी का व्रत रखते हैं उस दिन सबसे पहले भगवान विष्णु को सुलाएं और उसके बाद ही खुद सोए.

1. हरिशयन मंत्र से भगवान विष्णु को सुलाएं

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।

2. भगवान विष्णु पूजन विधि

भगवान विष्णु के 7 अवतार

देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है ताकि भगवान विष्णु के हर व्यक्ति के ऊपर 4 महीने तक भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे इस एकादशी में भगवान विष्णु की कुछ इस प्रकार पूजा की जाती है.

  1. भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए सबसे पहले उनकी मूर्ति या फिर उनकी फोटो को घर के मंदिर में स्थापित करें.
  2. उसके पश्चात भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं.
  3. उन्हें पीली वस्तुओं का भोग लगाएं.
  4. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें.
  5. उसके पश्चात भगवान विष्णु के कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंत्र दिए गए हैं जिन का जाप करके आप सिर्फ श्री हरि के नाम का जाप कर सकते हैं क्योंकि उन मंत्रों में श्री हरि का नाम अपने आप सुशोभित है.
  6. श्री हरि के उन मंत्रों का जाप करते समय तुलसी या चंदन की माला का जाप करें.
  7. उसके पश्चात श्री हरि की आरती करें.

3. देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र

सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।

कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।

4. देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का मंत्र

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।

5. देवशयनी एकादशी विष्णु क्षमा मंत्र

गरुड़ भगवान

भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।

देवशयनी एकादशी की व्रत कथा | Devshayani ekadashi ki vrat katha

देवशयनी एकादशी को लेकर एक ऐसी व्रत कथा है जो आज हम आपको विस्तार से बताएंगे सूर्यवंश में मान्धाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा रहता था वह राजा बहुत ही अच्छा और बड़े दिलवाला था उसकी प्रजा उससे अधिक प्रेम करती थी कहा गया है कि एक बार उस राज्य में 3 साल तक बारिश नहीं हुई जिसके कारण उस राज्य में अकाल पड़ गया था जो प्रजा अपने राजा से अधिक प्रेम करती थी वह अब उनसे निराश और दुखी थी क्योंकि उनके राज्य में बारिश नहीं हो रही थी.

ऐसी दुखी हालत में राजा अपनी प्रजा को देखकर बहुत ही दुखी थे वह उपाय खोजने के लिए जंगल में शेर के लिए निकले तभी उन्हें अंगिरा ऋषि का आश्रम दिखाई दिया और वह वहां पहुंचे अंगिरा ऋषि ब्रह्मा जी के पुत्र हैं तभी ऋषि ने राजा से पूछा आप इतने चिंतित क्यों हैं तो राजा ने अपनी सभी बात ऋषि से बताई ऋषि ने राजा को एक ऐसा उपाय दिया जो राजा के लिए बहुत ही फलदाई था.

ऋषि ने राजा से कहा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विधि विधान पूर्वक व्रत कीजिए अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके राज्य में बारिश अवश्य होगी राजारिशी की बात सुनकर अपने राज्य को वापस आ गए और उन्होंने सभी प्रजा से इस व्रत के बारे में विचार किया और संपूर्ण प्रजा और राजा मिलकर इस व्रत को करने लगे कुछ ही दिनों बाद इस व्रत का असर राज्य पर दिखाई दिया और बारिश होने लगी.

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है तो इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति प्रदान के लिए इस व्रत को किया जाता है.

देवशयनी एकादशी व्रत के फायदे | Devshayani ekadashi vrat ke fayde

कल्कि अवतार

1. मानसिक विकार

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति देवशयनी एकादशी का व्रत विधि विधान पूर्वक करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है तो उस व्यक्ति का मन शुद्ध हो जाता है और मानसिक विकार भी दूर हो जाता है.

2. पापों का नाश

उसके पश्चात अगर आप देवशयनी एकादशी व्रत की कथा को सुनते हैं तो उसके सुनने से ही आपके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

3. मनोकामना पूर्ति

भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए और अपनी सभी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए देवशयनी एकादशी का व्रत किया जाता है.

4. मोक्ष की प्राप्ति

शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है.

5. सिद्धियों की प्राप्ति

accomplishments

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा गया है कि यह एक ऐसा व्रत है जिसके माध्यम से सिद्धियों को प्राप्त कर सकते हैं.

6. सुख एवं शांति की प्राप्ति

अगर आपके जीवन में अनेकों प्रकार की उथल-पुथल मच रही है और आप उसके कारण बहुत ही परेशान हैं तो आपको ऐसे में देवशयनी एकादशी का व्रत करना चाहिए इस व्रत को करने से जीवन में आ रही उथल-पुथल शांत हो जाती है और सुख एवं शांति प्रदान होती है.

7. पुण्य फल की प्राप्ति

अपनी सेहत को ठीक करने के लिए शारीरिक कष्ट दूर करने के लिए और पुण्य फल प्राप्त करने के लिए संपूर्ण विधि विधान पूर्वक देवशयनी एकादशी व्रत रखते हैं.

8. धन प्राप्ति

धन लाभ के लिए भगवान विष्णु की पूजा और उनके व्रत को करना चाहिए क्योंकि कहते हैं अगर आप भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो साथ में माता लक्ष्मी की पूजा अवश्य होती है.

भगवान विष्णु की आरती | Bhagwan vishnu ki aarti

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥ 

FAQ : devshayani ekadashi

देवशयनी ग्यारस कब आती है ?

यह एकादशी व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष को किया जाता है जिससे देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

देवोत्थान एकादशी का क्या महत्व है ?

एकादशी के दिन सभी प्रकार के शुभ और मंगल कार्य शुरू किए जाते हैं जिसे देवउठनी एकादशी चतुर्मास कहा जाता है.

देवशयनी एकादशी पर क्या करें ?

इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का व्रत करने के लिए स्नान आदि से निश्चिंत हो जाए उसके बाद विष्णु की पूजा करके व्रत को परिपूर्ण करें.

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से devshayani ekadashi के बारे में बताया इसके अलावा देवशयनी एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा भी बताई है और इस एकादशी व्रत को करने के लाभ क्या है अर्थात इस पूजा में किए जाने वाले मंत्र कौन से हैं इन सभी विषयों के बारे में जानकारी दें वैसे हम आपको बता दें कि यह व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है.

इस व्रत को करने के अनेकों लाभ हैं अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी.

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