संपूर्ण गजेन्द्र मोक्ष का पाठ और विधि एवं पाठ के 5 लाभ और महत्व | gajendra moksh ka paath

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गजेन्द्र मोक्ष का पाठ | Gajendra moksh ka paath : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से gajendra moksh ka paath के बारे में बताने वाले हैं. क्या आप लोग जानते हैं कि गजेंद्र मोक्ष को किसका अंश माना जाता है गजेंद्र मोक्ष को श्रीमद् भागवत कथा का नवा अध्याय माना जाता है अगर कोई भी व्यक्ति गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहता है तो उसे भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने करना चाहिए।

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ऐसा कहा जाता है कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से सभी प्रकार के कर्ज से मुक्ति मिल जाती है और पित्र दोष भी दूर हो जाता है तो चलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से gajendra moksh ka paath के बारे में बताएंगे इसके अलावा गजेंद्र मोक्ष क्या है गजेंद्र मोक्ष का पाठ कैसे किया जाता है और गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत क्या है और गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत के लाभ कौन से हैं.

इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं अगर आप लोग हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ते हैं तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगेगी अगर आप इन सारे विषयों की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख में अंत तक अवश्य बने रहे।

गजेन्द्र मोक्ष क्या हैं ? | Gajendra Moksha kya hai ?

क्या आप लोग जानते हैं कि गजेंद्र मोक्ष क्या है तो चलिए हम आपको बताते हैं कि गजेंद्र मोक्ष क्या है श्रीमद् भागवत कथा के अष्टमी स्कंध में गजेंद्र मोक्ष की कथा लिखी हुई है द्वितीय अध्याय में ग्राह के साथ गजेंद्र के युद्ध का वर्णन किया गया है। गजेंद्र मोक्ष के तृतीय अध्याय में गजेंद्रकृत भगवान के सतवन और गजेंद्र मोक्ष का प्रसंग भी लिखा गया है.

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गजेंद्र मोक्ष के चौथे अध्याय में गज ग्राह के पूर्व जन्म का इतिहास भी लिखा गया है इसीलिए आजकल के सभी ज्योतिष्य बहुत से धार्मिक गुरु और कई लोग इस गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत से कर्ज से मुक्ति पाने के लिए गजेंद्र मोक्ष का पाठ करते रहते हैं. क्योंकि हमारे हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से पित्रदोष से मुक्ति मिल जाती है और जो व्यक्ति कर्ज से बहुत ही ज्यादा परेशान होता है कर्ज चुकाना अत्यंत कठिन होता है उसे भी गजेंद्र मोक्ष का पाठ अवश्य करना चाहिए।

गजेन्द्र मोक्ष का पाठ | Gajendra moksh ka paath

श्रीशुक उवाच

” एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो ह्रदि ।
जजाप परमं जाप्यं प्राक्जन्मन्यनुशिक्षितम् ॥ १ ॥

गजेन्द्र उवाच

” ॐ नमो भगवते तस्मै यत एतच्चिदात्मकम् ।
पुरुषायादिबीजाय परेशायाभीधीमहि ॥ ” २ ॥

यस्मिन्निदं यतश्चेदं येनेदं य इदं स्वयम् ।
योऽस्मात्परस्माच्च परस्तं प्रपद्दे स्वयंभुवम् ॥ ३ ॥

यः स्वात्मनीदं निजमाययार्पितम् ।
क्वचिद्विभांतं क्व च तत्तिरोहितम् ।।

अविद्धदृक् साक्ष्युभयम तदीक्षते ।।।
सआत्ममूलोऽवतु मां परात्पतरः ।। ४ ।।

कालेन पंचत्वमितेषु कृत्स्नशो ।
लोकेषु पालेषु च सर्वहेतुषु ।।

तमस्तदा ऽ ऽ सीद् गहनं गभीरम् ।।।
यस्तस्य पारे ऽ भिविराजते विभुः ॥ ५ ॥

न यस्य देवा ऋषयः पदं विदुः ।
जन्तुः पुनः कोऽर्हति गंतुमीरितुम् ।।

यथा नटस्याकृतिभिर्विचेष्टतो ।।।
दुरत्ययानुक्रमणः स माऽवतु ॥ ६ ॥

दिदृक्षवो यस्य पदं सुमंगलम् ।
विमुक्तसंगा मुनयः सुसाधवः ।।

चरंत्यलोकव्रतमव्रणं वने ।।।
भूतात्मभूतः सुह्रदः स मे गतिः ॥ ७ ॥

न विद्यते यस्य च जन्म कर्म वा ।
न नामरुपे गुणदोष एव वा ।।

तथापि लोकाप्ययसंभवाय यः ।।।
स्वमायया तान्यनुकालमृच्छति ॥ ८ ॥

तस्मै नमः परेशाय ब्रह्मणेऽनन्तशक्तये ।
अरुपायोरुरुपाय नम आश्र्चर्य कर्मणे ॥ ९ ॥

नम आत्मप्रदीपाय साक्षिणे परमात्मने ।
नमो गिरां विदूराय मनसश्चेतसामपि ॥ १० ॥

सत्त्वेन प्रतिलभ्याय नैष्कर्म्येण विपश्र्चिता ।
नमः कैवल्यनाथाय निर्वाणसुखसंविदे ॥ ११ ॥

नमः शांताय घोराय मूढाय गुणधर्मिणे ।
निर्विशेषाय साम्याय नमो ज्ञानघनाय च ॥ १२ ।।

क्षेत्रज्ञाय नमस्तुभ्यं सर्वाध्यक्षाय साक्षिणे ।
पुरुषायात्ममूलाय मूलप्रकृतये नमः ॥ १३ ॥

सर्वेन्द्रियगुणद्रष्ट्रे सर्वप्रत्ययहेतवे ।
असताच्छाययोक्ताय सदाभासाय ते नमः ॥ १४ ॥

नमो नमस्तेऽखिल कारणाय ।
निष्कारणायाद्भुत कारणाय ।।
सर्वागमाम्नायमहार्णवाय ।।।
नमोऽपवर्गाय परायणाय ॥ १५ ॥

गुणारणिच्छन्नचिदूष्मपाय ।
तत्क्षोभ-विस्फूर्जितमानसाय ।।
नैष्कर्म्यभावेन विवर्जितागम ।।।
स्वयंप्रकाशाय नमस्करोमि ॥ १६ ॥

मादृक्प्रपन्नपशुपाशविमोक्षणाय ।
मुक्ताय भुरिकरुणाय नमोऽलयाय ।
स्वांशेनसर्वतनुभृत्मनसि-प्रतीत- ।।।
-प्रत्यग् दृशे भगवते बृहते नमस्ते ॥ १७ ॥

आत्मात्मजाप्तगृहवित्तजनेषु सक्तैः ।
दुष्प्रापणाय गुणसंगविवर्जिताय ।।
मुक्तात्मभिः स्वह्रदये परिभाविताय ।।।
ज्ञानात्मने भगवते नमः ईश्र्वराय ॥ १८ ॥

यं धर्मकामार्थ-विमुक्तिकामाः ।
भजन्त इष्टां गतिमाप्नुवन्ति ।।
किंत्वाशिषो रात्यपि देहमव्ययम् ।।।
करोतु मेऽदभ्रदयो विमोक्षणम् ॥ १९ ॥

एकांतिनो यस्य न कंचनार्थम् ।
वांछन्ति ये वै भगवत् प्रपन्नाः ।।
अत्यद्भुतं तच्चरितं सुमंगलम् ।।।
गायन्त आनन्द समुद्रमग्नाः ॥ २० ॥

तमक्षरं ब्रह्म परं परेशम् ।
अव्यक्तमाध्यात्मिकयोगगम्यम् ।।
अतीन्द्रियं सूक्ष्ममिवातिदूरम् ।।।
अनंतमाद्यं परिपूर्णमिडे ॥ २१ ॥

यस्य ब्रह्मादयो देवा वेदा लोकाश्र्चराचराः ।
नामरुपविभेदेन फल्ग्व्या च कलया कृताः ॥ २२ ॥

यथार्चिषोऽग्ने सवितुर्गभस्तयोः ।
निर्यान्ति संयान्त्यसकृत् स्वरोचिषः ।।
तथा यतोऽयं गुणसंप्रवाहो ।।।
बुद्धिर्मनः ख्रानि शरीरसर्गाः ॥ २३ ॥

स वै न देवासुरमर्त्यतिर्यङ ।
न स्त्री न षंढो न पुमान् न जन्तुः ।।
नायं गुणः कर्म न सन्न चासन् ।।।
निषेधशेषो जयतादशेषः ॥ २४ ॥

जिजी विषे नाहमियामुया किम् ।
अन्तर्बहिश्र्चावृतयेभयोन्या ।।
इच्छामि कालेन न यस्य विप्लवः ।।।
तस्यात्मलोकावरणस्य मोक्षम् ॥ २५ ॥

सोऽहं विश्र्वसृजं विश्र्वमविश्र्वं विश्र्ववेदसम् ।
विश्र्वात्मानमजंब्रह्म प्रणतोऽस्मि परं पदम् ॥ २६ ॥

योगरंधितकर्माणो ह्रदि योग-विभाविते ।
योगिनो यं प्रपश्यति योगेशं तं नतोऽस्म्यहम् ॥ २७ ॥

नमो नमस्तुभ्यमसह्यवेग- ।
-शक्तित्रयायाखिलधीगुणाय ।।

प्रपन्नपालाय दुरन्तशक्तये ।।।
कदिन्द्रियाणामनवाप्यवर्त्मने ॥ २८ ॥

नायं वेद स्वमात्मानं यच्छक्त्याहं धिया हतम् ।
तं दुरत्ययमाहात्म्यं भगवंतमितोऽस्म्यहम् ॥ २९ ॥

श्रीशुक उवाच

एवं गजेन्द्र मुपवर्णितनिर्विशेषम् ।
ब्रह्मादयो विविधलिंग भिदाभिमानाः ।।

नैते यदोपससृपुनिंखिलात्मकत्वात् ।।।
तत्राखिलामरमयो हरिराविरासीत् ॥ ३० ॥

तं तद्वदार्तमुपलभ्य जगन्निवासः ।
स्तोत्रं निशम्य दिविजै सह संस्तुवद्भिः ।।
छंदोमयेन गरुडेन समुह्यमानः ।।।
चक्रायुधोऽभ्यगमदाशु यतो गजेन्द्रः ॥ ३१ ॥

सोऽन्तः सरस्युरुबलेन गृहीत आर्तो ।
दृष्टवा गरुत्मति हरिं ख उपात्तचक्रम् ।।
उत्क्षिप्य साम्बुजकरं गिरमाह कृच्छ्रात् ।।।
नारायणाखिलगुरो भगवन् नमस्ते ॥ ३२ ॥

तं वीक्ष्य पीडितमजः सहसावतीर्य ।
सग्राहमाशु सरसः कृपायोज्जहार ।।
ग्राहाद् विपाटितमुखादरिणा गजेन्द्रम् ।।।
संपश्यतां हरिरमूमुचदुस्त्रियाणाम् ॥ ३३ ॥

योऽसौ ग्राहः स वै सद्यः परमाश्र्चर्य रुपधृक् ।
मुक्तो देवलशापेन हुहु-गंधर्व सत्तमः ।।
सोऽनुकंपित ईशेन परिक्रम्य प्रणम्य तम् ।।।
लोकस्य पश्यतो लोकं स्वमगान्मुक्त-किल्बिषः ॥ ३४ ॥

गजेन्द्रो भगवत्स्पर्शाद् विमुक्तोऽज्ञानबंधनात् ।
प्राप्तो भगवतो रुपं पीतवासाश्र्चतुर्भुजः ।।
एवं विमोक्ष्य गजयुथपमब्जनाभः ।।।
स्तेनापि पार्षदगति गमितेन युक्तः ॥ ३५ ॥

गंधर्वसिद्धविबुधैरुपगीयमान-
कर्माभ्दुतं स्वभवनं गरुडासनोऽगात् ॥ ३६ ॥

॥ इति श्रीमद् भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां अष्टमस्कन्धे गजेंन्द्रमोक्षणे तृतीयोऽध्यायः ॥

गजेंद्र मोक्ष का पाठ कैसे करें ? | Gajendra Moksh ka paath kaise karen ?

अगर आप लोग गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहते हैं तो हमने आपको गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत ऊपर दे दिया है उसके अलावा आपको किस प्रकार उसका पाठ करना है वह इसमें हम बताएंगे गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने के लिए आपको सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठना है स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाना है.

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उसके बाद आपको अपना ध्यान इधर उधर से हटा देना है केवल भगवान के ऊपर ही लगाना है उसके बाद आपको गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का पाठ शुरू करना है यह जरूरी नहीं है कि आप उस पाठ को संस्कृत में ही पढ़े आप हिंदी में भी उसका पाठ कर सकते हैं ऐसा कहा जाता है कि अगर इस पाठ को अलग नियमों रूपों से किया जाए तो भगवान के दर्शन अंत समय में जरूर होते हैं।

गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का महत्व | Gajendra Moksha stotra ka mahatva

अगर कोई भी व्यक्ति गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का पाठ करना चाहता है तो हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा गया है जब कोई भी व्यक्ति किसी बहुत बड़े संकट में फस जाता है तो उस समय उस व्यक्ति को गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए. गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से भगवान विष्णु उस व्यक्ति को उस मुसीबत से दूर कर देते हैं जैसा कि उन्होंने गजेंद्र नाम के गज को मगरमच्छ के मुंह से बाहर निकाला था उसी प्रकार वह मुसीबत से भी बाहर निकाल लेते हैं इसे ही गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का महत्व कहते हैं।

गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत के लाभ | Gajendra Moksha stotra ke Labh

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  1. अगर कोई भी व्यक्ति गजेंद्र मोक्ष का पाठ करता है तो उस व्यक्ति को उसके सभी कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।
  2. इसके अलावा गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से पित्र दोष से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है।
  3. गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से सुख – समृद्धि प्राप्त होती हैं।
  4. अगर आप गजेंद्र मोक्ष का पाठ करते हैं तो आपको धन ऐश्वर्य की प्रप्ति होती हैं।
  5. गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से स्वास्थ्य प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

FAQ : gajendra moksh ka paath

गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

अगर आप लोग गजेंद्र मोक्ष का पाठ करते हैं तो इसका पाठ करने से पित्र दोष दूर हो जाते हैं और पित्र देव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और उसके साथ सुख समृद्धि और धन ऐश्वर्य और स्वास्थ्य प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गजेन्द्र मोक्ष किसका अंश है?

अगर आप लोग यह जानना चाहते हैं कि गजेंद्र मोक्ष का अंश है तो हम आप लोगों को बता दें कि जो श्रीमद् भागवत कथा के नवे अध्याय का अंत है उसे गजेंद्र मोक्ष कहते हैं।

गजेन्द्र मोक्ष का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

अगर आप लोग यह जानना चाहते हैं कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ कब और कैसे किया जाता है तो हम आप लोगों को बता दें कि जिस भी व्यक्ति के ऊपर अधिक कर्ज होता है उसे आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अगर गजेंद्र मोक्ष का पाठ किया जाए तो लाभकारी होता हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से gajendra moksh ka paath कैसे किया जाता है गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत और गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत के लाभ क्या है उसका महत्व क्या है इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

❤ इसे और लोगो (मित्रो/परिवार) के साथ शेयर करे जिससे वह भी जान सके और इसका लाभ पाए ❤

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