घर का वास्तु शास्त्र बताइए ? घर का वास्तु टिप्स ghar ka vastu kaisa hona chahiye

Ghar ka vastu kya hona chahiye ? घर बनाने का सपना हर व्यक्ति का होता है। परंतु वास्तु Vastu की समझ ना होने के कारण कुछ ऐसी कमियां रह जाती हैं। जो कि आगे चलकर बहुत बड़ी समस्या (problem) बन जाती हैं। कभी कभी आपने देखा होगा कि कुछ लोग घर (house) तो खरीद (buy) लेते हैं। Ghar ka vastu banane ke liye kya karna chahiye ? ghar ka vastu kaisa hona chahiye ? घर का वास्तु शास्त्र क्या होना चाहिए ? 

लेकिन उसके विषय (subject) में ज्यादा सोच विचार (idea) नहीं करते जब वह उसमें रहने लगते हैं तब समस्याएं problem आने लगते हैं। उन समस्याओं problems से निदान पाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं। लेकिन फिर भी कामयाबी Succeed नहीं मिलती इसका सीधा मतलब यह है कि जो घर उन्होंने खरीदा buy है उसमें कोई वास्तु दोष Vastu faults है ।

इसी समस्या problem को लेकर हम एक उपाय सुलझाने जा रहे हैं। वास्तु के अनुसार According to vastu यह माना जाता है कि घर से निर्माण Construction शुरू करने से पहले भूमि पूजन Bhoomi Poojan करना चाहिए।

यह एक शुभ शुरुआत माना जाता है। और आगे की कार्यवाही करने के लिए एक अच्छी शुरुआत है। जब आप अपने घर का निर्माण कार्य शुरू करें तब यह सबसे अच्छा समय है जब आपको वास्तु का ध्यान रखना चाहिए।

, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर कैसे बनाना चाहिए, वायव्य कोण में क्या होना चाहिए, मकान का कौन सा हिस्सा ऊंचा होना चाहिए, घर में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए, घर में किस दिशा में क्या होना चाहिए, घर का आंगन कैसा होना चाहिए, गौशाला घर के किस दिशा में होना चाहिए, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की सीढ़ियां, घर का डिजाइन कैसा होना चाहिए, घर का आंगन किस दिशा में होना चाहिए, घर में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए, घर का कौन सा कोना ऊंचा होना चाहिए, शौचालय का रंग कैसा होना चाहिए, आंगन की लंबाई चौड़ाई कितनी होनी चाहिए, घर के आंगन की डिजाइन, घर का वातावरण कैसा होना चाहिए, ghar ka vastu, ghar ka vastu dosh, ghar ka vastu shastra in hindi, ghar ka vastu kaise thik kare, ghar ka vastu kaisa hona chahiye, ghar ka vastu tips, ghar ka vastu in english, ghar ka vastu naksha, ghar ka vastu dosh nivaran, ghar ka angan vastu, ghar ka naksha vastu anusar, uttar mukhi ghar ka vastu anusar naksha, ghar ka naksha vastu ke anusar, ghar ka rang vastu ke anusar, vastu ke anusar ghar ka naksha in hindi, vastu ke anusar ghar ka main gate, vastu ke anusar ghar ka bathroom, ghar ka vastu bataiye, ghar ka vastu bataen, ghar ka vastu batao, ghar ka vastu shastra bataye, ghar ka vastu dosh bataiye, ghar ka vastu dosh ke bare mein bataiye, ghar banane ka vastu shastra, ghar banane ka vastu, ghar ka vastu chart, ghar ka colour vastu, ghar ke bahar ka colour vastu, ghar ki chat ka vastu, vastu anusar ghar ka colour, vastu ke anusar ghar ka color, ,

वास्तु एक विशाल इमारत के अंदर और हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के लिए प्रयोग में लाया जाता है। वास्तु के नियमों का प्रयोग में लाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। और हमारे जीवन में आने वाली नकारात्मक परेशानियों को रोका जा सकता है।

इस प्राचीन वास्तु अभ्यास के ज्ञान निवास संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की समृद्धि, रोगमुक्त, अस्तित्व और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए प्रदान करता है।

वास्तु न केवल विचारों के बारे में है बल्कि यह सामान्य रूप आयाम और लंबाई और भवन की चौड़ाई के बीच का अनुपात के बारे में भी है।

1: 1 या 1:1.5 अधिकतम 1 : 2 का अनुपात होना चाहिए । सभी परिस्थितियों में दो या 1 से अधिक नहीं होना चाहिए।

इमारत आयाम अधिमान्यता क्या होती है ? What should be the building dimension preference?

1 पूर्व पश्चिम में कम |

2 उत्तर दक्षिण में अधिक होनी चाहिए |

3 भवन का  मुख्य द्वार उत्तर, उत्तर पूर्व और पूर्व  दिशा में होना चाहिए घर के मुख्य द्वार पर मांगलिक चिन्ह जैसे ओम स्वास्तिक का प्रयोग करना चाहिए। घर में मुख्य द्वार जैसे अन्य द्वार नहीं बनाने चाहिए। तथा मुख्य द्वार को बेल पत्र लता आदि के चित्रों से अलंकृत करना चाहिए।

4 वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए। इसका उल्लेख कई वास्तु ग्रंथों में मिलता है भवन भास्कर और विश्वकर्मा प्रकाश सहित अन्य ग्रंथों में भी मिलता है।

5 वास्तु के अनुसार एक आदर्श मकान का मेन गेट उत्तर दिशा में ही होना चाहिए वही आपके घर पूर्व उत्तर की ओर होना शुभ माना गया है। इस तरह वास्तु के अनुसार घर के कमरे, पूजा स्थान, किचन ,बाथरूम, बेडरूम एक खास दिशा में होनी चाहिए । जिससे घर में वास्तु दोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं ।

6 पूर्व दिशा सूर्य उदय की दिशा है इस दिशा के सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करते हैं यदि घर का मेन गेट किस दिशा में होता है तो बहुत अच्छा है खिड़की भी रख सकते हैं ।

7 पश्चिम दिशा आपका रसोई घर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। रसोईघर और टॉयलेट पास पास ना हो इसका भी ध्यान रखें।

8 उत्तर दिशा इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकनी भी इसी दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में है तो और भी उत्तम है ।

9 दक्षिण दिशा  में किसी भी प्रकार का खुला स्थान नहीं होना चाहिए। घर में इस स्थान पर भारी सामान रखें। यदि इस दिशा में खिडकी  है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएगा। इससे घर में कलेश बढ़ेगा ।

10 उत्तर पूर्व दिशा इसे ईशान दिशा भी कहते हैं । यह जल का स्थान है । इस दिशा में बोरिंग स्विमिंग पूल पूजा स्थल आदि होना चाहिए। इस दिशा में मेन गेट का होना बहुत ही अच्छा रहता है।

11 उत्तर पश्चिम दिशा इस वायव्य भी कहते हैं इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज ,गौशाला आदिहोना चाहिए ।

12 दक्षिण पूर्व दिशा इसे घर का अग्नि कोण कहते हैं। यह अग्नि तत्व की दिशा है इस दिशा में गैस बॉयलर ट्रांसफार्मर आदि होना चाहिए।

13 दक्षिण पश्चिम दिशा इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में  खिड़की दरवाजे बिल्कुल ही नहीं होना चाहिए । घर के मुखिया का कमरा यहां बना सकते हैं।

यह भी पढ़े :

घर का आंगन कैसा होना चाहिए ? What should be the courtyard of the house?

1 घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है। घर के आगे या पीछे छोटा ही सही पर आंगन होना चाहिए। आंगन में तुलसी, अनार ,जामफल मीठा या कड़वा नीम, आंवला आदि के पौधे होने चाहिए। यह पौधे सकारात्मक ऊर्जा देने वाले होते है।

2 तुलसी हवा को शुद्ध कर कैंसर जैसे रोगों को मिटाती हैं।

3 अनार खून बढ़ाने और वातावरण को सकारात्मक करने का कार्य करता है ।

4 करी पत्ता खाते रहने से आंखों की रोशनी कायम रहती है वही बाल घने और काले बने रहते हैं।

5 दूसरी ओर आंवला शरीर को वक्त के पहले बुढा नहीं होने देता। यदि नीम लगा है तो जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होगा।

जो व्यक्ति एक पौधा तुलसी, एक नीम, 10  इमली, तीन अनार , तीन आंवला और 5 आम के वृक्ष लगाता है। वह पुण्यात्मा कहलाता है। और कभी नर्क के दर्शन भी नहीं करता ।

इसके अलावा घर के द्वार के आगे प्रतिदिन रंगोली बनाएं। घर में या घर के आंगन में टॉयलेट और बाथरूम बनाते वक्त वास्तु का सबसे ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि इसके बुरे प्रभाव के कारण घर का वातावरण बिगड़ सकता है।

दोनों ही स्थानों को ज्योतिष में राहु और चंद्र की शरारत का स्थान माना गया है। स्नान गृह में चंद्रमा का वास है और शौचालय में राहु का। शौचालय और बाथरूम एक साथ नहीं होना चाहिए ।अर्थात चंद्रमा और राहु एक साथ होना चंद्र ग्रहण है।

यदि ऐसा है तो यह गृह कलह का कारण बन सकता है। स्नान गृह की आंतरिक व्यवस्था में नल को पूर्व की दिशा में लगाना चाहिए। जिससे स्नान के समय मुख पूर्व या उत्तर में हो गीजर या मेन स्विच बोर्ड पूर्व में या अग्नि कोण में होने चाहिए। बाथरूम की दीवारों  को हल्का नीला आसमानी ,सफेद, गुलाबी होना चाहिए।

शौचालय में शौच में बैठते समय दक्षिण या पश्चिम में हो शेष व्यवस्था बाथरूम के समान रखनी चाहिए।