हिंदू धर्म के प्रमुख वेद,ग्रंथ और पुराण के नाम और जानकारी | Hindu dharm ke granth

Dharm ki shuruaat kisne ki ? विश्व का सबसे पुराना सनातन हिंदू धर्म अपने अंदर विभिन्न प्रकार की विशेषताएं रखता है हिंदू धर्म कोई एक परिवर्तित धर्म ना होकर वेदों का धर्म ग्रंथ है ऐसे में हिंदू धर्म की विशेषताओं के अंतर्गत धर्म ग्रंथ ही एक अपनी अहम विशेषता रखते हैं.

अगर हम हिंदू धर्म के तमाम ग्रंथों का वर्णन पढ़ते हैं तो पता चलता है कि आदिकाल से हिंदू धर्म की एक अलग-अलग विचारधाराओं से ग्रंथों की रचना हुई है जिसके अंतर्गत वेदों से लेकर पुराणों तक का वर्णन किया गया है.हिन्दू धर्म के चार वेद हिंदू धर्म के चार आश्रम हिन्दू धर्म ग्रंथ वेद ऋग्वेद के अनुसार धर्म क्या है hindu dharm ke char ved rigved kya hota hai

हिंदू धर्म में वर्णित अनेकों प्रकार के वेदांग धर्म ग्रंथ कई संख्याओं में अपनी महत्ता रखते हैं जिनको प्रमुख रूप से दो भागों में बांटा गया है. हिंदू धर्म के प्रथम सोपान में श्रुति कहलाते हैं जिससे चार वेद

  1. संहिताओं
  2. ब्राह्मणों
  3. अरण्यकों
  4. उपनिषदों
  5. वेदाङ्ग
  6. सूत्र

आदि ग्रन्थों की गणना की जाती है।

हिंदू धर्म के द्वितीय सोपान में ग्रंथ स्मृति कह लाए हैं जिसके अंतर्गत अट्ठारह स्मृतियां 18 पुराण कथा रामायण और महाभारत आते हैं आगम ग्रंथ इसी श्रेणी में रखे गए हैं. हिंदू धर्म के अंतर्गत वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ माने जाते हैं जिनको संस्कृत में रचा गया है और ज्ञान ग्रंथ कहा जाता है भारतीय दर्शन के अनुसार वेदों को सांसद ज्ञान बताया जाता है वेदों को ईश्वर के द्वारा रचित ग्रंथ माना गया है और ब्रह्मा जी ने यह सुना इसलिए इन्हें श्रुति कहा जाता है वेदों की संख्या 4 है जो हिंदू धर्म का स्तंभ है

हिंदू धर्म के चार वेद के नाम

  1. ऋगवेद
  2. सामवेद
  3. अथर्ववेद
  4. यजुर्वेद

1. ऋग्वेद क्या है

हिंदू धर्म में वर्णित चार वेदों में ऋग्वेद सबसे पुराना और प्रथम वेद माना जाता है जिसके अंतर्गत सूक्त संग्रह किया गया इन्हें अष्टकों और मंडलों में विभक्त किया गया उसके बाद वर्गों और अनुवाको में विभक्त कर दिया गया. ऋग्वेद में 10 मंडल 1028 सूक्त और 10627 मंत्र है. वेद में स्त्रोतों का भंडार है.

2.सामवेद

सामवेद के अंदर बहुत ऋग्वेद के ही मंत्र है इसके स्वतंत्र मंत्र 78 हूं और कुल अट्ठारह सौ पचहत्तर मंत्र हैं यह वेद दो भागों में विभक्त हुआ है

a. पूर्वार्चिक :

पूर्वार्चिक को छंद और छंदसी तथा प्रकृति कहा जाता है

b. उत्तरार्चिक :

उत्तरार्चिक को `ऊह´ और `रहस्य´ कहते हैं।

3. अथर्व वेद संहिता

अथर्ववेद को 20 भागों में बांटा गया है जिसमें 760 सूक्त हैं और 12 सुमंत्र ऋक्-संहिता के हैं इसमें कुल मंत्रों की संख्या 5977 हैं. सभी वेदों का संबंध किसी न किसी ब्राह्मण का अलग-अलग है जिसमें से ऋग्वेद के ब्राह्मण ऐतरेय औरकौशीतकि सामवेद के

  1. ब्राह्मण -ताण्डय
  2. षड्विंश
  3. सामविधान
  4. वंश
  5. आर्षेय
  6. देवताध्याय
  7. संहितोपनिषत्
  8. छान्दोग्य
  9. जैमिनीय
  10. सत्यायन
  11. भल्लवी

है कृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण -तैत्तिरीय है और शुक्ल यजुर्वेद का शतपथ है अथर्ववेद का ब्राह्मण – गोपथ ब्राह्मण है।

4. यजुर्वेद

यजुर्वेद को दो संहिताओं शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद संहिता. शुक्ल यजुर्वेद को वाजसनेयि-संहिता´ भी कहा जाता है जिसमें 17 शाखाएं और 40 अध्याय हैं तथा प्रत्येक अध्याय कंडिका में विभक्त है कंडिका ओं की संख्या 1975 है जिसके अंतर्गत दर्श पौर्णमास, अग्निष्टोम, वाजपेय, अग्निहोत्र, चातुर्मास्य, अश्वमेध, पुरूषमेध आदि यज्ञों के वर्णन है।

कृष्ण यजुर्वेद कोतैत्तिरिय-संहिता संहिता भी कहा जाता है जिसमें कुछ मंत्र ऋग्वेद के और कुछ मंत्र अथर्ववेद के हैं इसे सात अष्टकों में बांटा गया है इसमें भी अश्वमेध, ज्योतिष्टोम, राजसूय, अतिरात्र आदि यज्ञों का वर्णन है।

हिंदू धर्म की स्मृतियों के नाम

हिंदू धर्म में ऐसे महान लोग पैदा हुए जिनके नाम से बहुत सारी स्मृतियां भी हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित है जिनके अंतर्गत समाज की धर्म मर्यादा वर्णधर्म, आश्रम-धर्म, राज-धर्म, साधारण धर्म, दैनिक कृत्य, स्त्री-पुरूष का कर्तव्य आदि को रखा गया है और इन्हीं महापुरुषों के नाम पर इनकी स्मृतियों के नाम रखे गए हैं

हिंदू धर्म की महान स्मृति

  1. मनु
  2. अत्रि
  3. विष्णु
  4. हारीत
  5. याज्ञवल्क्य
  6. उशना
  7. अंगिरा
  8. यम
  9. आपस्तम्ब
  10. संवर्त
  11. कात्यायन
  12. बृहस्पति
  13. पराशर
  14. व्यास
  15. शंख
  16. लिखित
  17. दक्ष
  18. गौतम
  19. शातातप
  20. वशिष्ठ

उपरोक्त स्मृतियों के अलावा भी कुछ स्मृतियां ऋषि यों के नाम पर अलग-अलग हैं

  1. गोभिल
  2. जमदग्नि
  3. विश्वामित्र
  4. प्रजापति
  5. वृद्धशातातप
  6. पैठीनसि
  7. आश्वायन
  8. पितामह
  9. बौद्धायन
  10. भारद्वाज
  11. छागलेय
  12. जाबालि
  13. च्यवन
  14. मरीचि
  15. कश्यप … आदि

हिंदू धर्म में पुराण के नाम

पुराणों की संख्या 18 जिसमें से मुख्य रूप से 10 माने गए है ईष, केन, कठ, प्रश्, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक के अतिरिक्त श्वेताश्वतर और कौशीतकि को रखा गया हैं। वेदों में निहित अत्यंत गूढ़ ज्ञान को पौराणिक कथाओं के आधार पर सत्य घटनाओं और कल्पनाओं से मिश्रित करके पुराणों का प्रादुर्भाव हुआ

हिंदू धर्म के ग्रंथ पुराण

18 पुराणों के नाम विष्णुपुराण में इस प्रकार है –

  • ब्रह्मपुराण
  • पद्मपुराण
  • विष्णुपुराण
  • शिवपुराण – वायु पुराण
  • श्रीमद्भावत महापुराण – देवीभागवत पुराण
  • नारदपुराण
  • मार्कण्डेय पुराण
  • अग्निपुराण
  • भविष्यपुराण
  • ब्रह्म वैवर्त पुराण
  • लिंगपुराण
  • वाराह पुराण
  • स्कन्द पुराण
  • वामन पुराण
  • कूर्मपुराण
  • मत्स्यपुराण
  • गरुड़पुराण
  • ब्रह्माण्ड पुराण

हिंदू धर्म ग्रंथ के उप पुराण के नाम

  1. हिंदू धर्म में पुराणों को भी देवी देवताओं के नाम पर 18 प्रकार के बनाए गए हैं जो इस प्रकार से हैं
  2. गणेश पुराण
  3. नरसिंह पुराण
  4. कल्कि पुराण
  5. एकाम्र पुराण
  6. कपिल पुराण
  7. दत्त पुराण
  8. श्रीविष्णुधर्मौत्तर पुराण
  9. मुद्गगल पुराण
  10. सनत्कुमार पुराण
  11. शिवधर्म पुराण
  12. आचार्य पुराण
  13. मानव पुराण
  14. उश्ना पुराण
  15. वरुण पुराण
  16. कालिका पुराण
  17. महेश्वर पुराण
  18. साम्ब पुराण
  19. सौर पुराण

कुछ अन्य पुराण

  • पराशर पुराण
  • मरीच पुराण
  • भार्गव पुराण
  • हरिवंश पुराण
  • सौर पुराण
  • प्रज्ञा पुराण

प्रज्ञा पुराण

पुराणों की बात की जाए तो पशुपत पुराण के अंतर्गत 11 उप पुराण भी मिलते हैं जिनके अंतर्गत सृष्टिक्रम, राजवंशावली, मन्वन्तर-क्रम, ऋषिवंशावली, पंच-देवताओं की उपासना, तीर्थों, व्रतों, दानों का माहात्म्य का वर्णन किया गया है

रामायण और महाभारत हिंदू धर्म के ग्रंथ

हिंदू धर्म के अंतर्गत रामायण और महाभारत का भी विशेष महत्व है जो हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में लिखे गए हैं जिसमें से तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस को भी धर्म ग्रंथ के रूप में रखा गया है. इसके अलावा गर्ग संहिता, कौटिलीय अर्थशास्त्र, योगवासिष्ठ, आयुर्वेद के सारे ग्रंथ हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों के अंतर्गत रखे गए हैं

षड्दर्शन ग्रंथ

हिंदू धर्म के अंतर्गत षड्दर्शन को भी रखा गया है जिसमें धार्मिक विचारों और दार्शनिक विचारों चिंतन के रूप में माना जाता है और आस्तिक दर्शन के रूप में जाना जाता है षड्दर्शन के अंतर्गत निम्नलिखित ग्रंथ आते हैं

1.न्यायमहर्षि गौतम
2.वैशेषिकमहर्षि कणाद
3.साङ्ख्य महर्षि कपिल
4.योगमहर्षि पतञ्जलि
5.पूर्व मीमांसा महर्षि जैमिनी
6.उत्तर मीमांसा या वेदान्त महर्षि वादरायण

हिन्दू धर्म की भाष्य एवं रचनाएँ

हिंदू धर्म ग्रंथों के अंतर्गत भारत से और रचनाएं भी आती हैं जिनमें से प्रमुख भारत सरकार और उनकी रचनाएं यहां पर वर्णित है जिसने प्रमुख आदि शंकराचार्य रामानुजाचार्य दयानंद सरस्वती प्रभुपाद स्वामी प्रमुख भाष्य कार हैं उपरोक्त हिंदू धर्म ग्रंथों के अलावा ऐसे बहुत से धर्म ग्रंथ है जो ज्ञात और अज्ञात प्राप्त होते रहते हैं जिसमें से उनके रचनाकारों की जानकारी भी नहीं प्राप्त हो पाती है.

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