Kali kya hai ? kali ke shayk viman kaun kaun se hai ? यह एक लड़ाकू विमान है जिसे भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मैं इसे एक हथियार के रूप में बनाया था ताकि यह सभी हथियारों को सुरक्षा प्रदान कर सकें और उन पर पड़ने वाले अनेकों इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रभाव को रोक सके क्योंकि ऐसे प्रभाव हैं, जो किसी भी हथियार को निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं भाभा रिसर्च सेंटर मुंबई के करीब ट्रांबे नामक स्थान पर है। kali viman kya hai ?
यह एक पहाड़ी क्षेत्र है जो भी खतरनाक और खुफिया हथियार हमारे भारत में बनाए जाते हैं वे सभी यहीं पर संरक्षित होते हैं और उनका रखर खाव भारत सरकार बहुत ही पुख्ता निगरानी से करती है यह भारत की बहुत टॉप खुफिया जगह है | काली का पूरा नाम किलो एंपियर लीनियर इंजेक्टर है या किसी भी हथियार को उसके अपनी सिटी पोजीशन पर अटैक करता है इसका कोई भी वार खाली नहीं जाता है।
इसका आकार देखने में बहुत भारी इसीलिए इसको कहीं बाहर ले जाने में काफी मुश्किल होती है इसको बाहर ले जाने के लिए किसी बड़े जहाज की जरूरत होती है इस महान हथियार को बनाने के विचार सर्वप्रथम 1885 में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से आया था | अब तक इसके कई वर्जन बनाया जाता हैं लेकिन इन सभी में काली 1000 सबसे खतरनाक है।
यह लगभग 40गीगावॉट एनर्जी उत्पन्न करता है इसमें बिजली उत्पन्न करने की इतनी क्षमता है इसका हमला जब किसी दुश्मन के मिसाइल पर किया जाता है तब उसका संपूर्ण इलेक्ट्रिक सिस्टम खराब हो जाता है| इसका प्रयोग ऑपरेशन वाइटवॉश में किया गया।
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ऑपरेशन वाइट वास क्या है ? What is Operation White Was?
सियाचिन हमारे भारत का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जहां पर भारत और पाकिस्तान दोनों की सेनाएं आमने सामने रहती हैं यहां हिमस्खलन की घटना बहुत अधिक होती है जिसके चलते यहां पर बहुत फौजी शहीद होते हैं इस समस्या को दूर करने के लिए डीआरडीओ में एक प्लान बनाएंगे| जिसमें काली की बहुत अहम भूमिका थी।
इस ऑपरेशन में काली के द्वारा सियाचिन ग्लेशियर पर एक ऐसा विस्फोट कराया गया जिससे वहां की हजारों टन जमी बर्फ अचानक से पहले लगी और वह बहुत ही तेजी से लगभग 3:30 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से नीचे आने लगी जैसे पाकिस्तान के सैनिक सियाचिन के उस पार थे |
सभी बुरी तरह से मारे गए इसी घटना को ऑपरेशन वाइट पास का नाम दिया गया इस घटना के बारे में भारत अभी भी विवादास्पद बना हुआ है। यह एक खुफिया मिशन था जिसे इतनी शीघ्र अंजाम दिया गया किसके बारे में किसी को कोई पुख्ता खबर नहीं हो सकी और यह एक प्राकृतिक घटना बनकर रह गई।
काली के सहायक विमान कौन कौन से थे ? Which aircraft were the assistants of Kali?
इस काली को ले जाने वाला विमान था il-76 इस विमान को अकेले नहीं छोड़ा जा सकता था | इसीलिए इसकी सुरक्षा के लिए बहुत ही पुख्ता इंतजाम किए गए कई स्तर की सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई और इसके आगे सबसे पहले अवाक्स विमान को भेजा गया इस विमान के ऊपर रडार लगे होते हैं ।
जो दुश्मन की सभी गतिविधियों पर नजर रखता है यह याद ही पता लगाता है कि दुश्मन का विमान कहां और कितनी दूरी पर है और इस रिमार्क्स विमान के पीछे एक और विमान लगा गया जिसे सुखोई विमान कहते हैं इसको पुणे से बुलाया गया |
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जो दक्षिण भारत से लगभग हजारों किलोमीटर से उड़कर काली की सुरक्षा के लिए आया था ताकि इस मिशन पर किसी की नजर ना पड़े।!
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सुखोई विमान का कार्य क्या है ? What is the function of Sukhoi aircraft?
यह इंटरसिटी विमान है जिसकी खेती 2 से 3000 किलोमीटर प्रति घंटा है इसीलिए यहां दुश्मन के किसी भी विमान का पीछा करने में सक्षम है और इसमें नई तकनीकों का प्रयोग करके इसे इतना सक्षम बनाया गया है या किसी भी विमान को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है।
काली की रक्षा के लिए मिराज 2000 नामक जहाजों को काली के आसपास रखा गया जो सुखोई के ना रहने पर इसकी सुरक्षा कर सकें कोई भी विमान कश्मीर से नहीं उड़ाया गया जिससे कि दुश्मन को पता ना चले कि सियाचिन में कुछ होने वाला है फर्जी सभी जहाज हिंदुस्तान के विभिन्न क्षेत्रों से काली की रक्षा के लिए आए हुए थे |
इतनी लंबी उड़ान भरने के लिए विमानों को ईंधन की आवश्यकता पड़ेगी इसीलिए इसकी भी पूरी व्यवस्था की गई इसके लिए आई R-76 विमान जो एक एयर रिफ्यूलर विमान है जिसने कश्मीर में जाने वाले समस्त जहाजों में पहले से ही फ्यूल भर दिया गया।
इस प्रकार सबसे पहले चल रहा था| अब आप उसके बाद il- 76 सभी विमानों की सुरक्षा के लिए सुखोई विमान तैनात किए गए यह ना सीक्रेट मिशन था कि विमान की चालकों को भी नहीं पता था कि हमारी नजर इसरो सैटेलाइट से की जा रही है और जब यहां सियाचिन ग्लेशियर के ऊपर से गुजरा तब काली ने बहुत ही शक्तिशाली लेजर बीम को सियाचिन ग्लेशियर पर डाला |
जिससे कुछ ही समय बाद हजारों टन का विशालकाय ग्लेशियर अपनी जगह से खिसक गया और यह लगभग 350 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से नीचे की ओर खिसकने लगा यह घटना 7 अप्रैल 2012 की है जो कटक से लोड होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ा और 5:40 pm को सियाचिन ग्लेशियर पर अपने मिशन को अंजाम दिया |
जिससे पाकिस्तान के हजारों सैनिक मारे गए और यहां गति इतनी अधिक थी किसके सामने टिक पाना नामुमकिन था| काली किस विकराल प्रकोप से लगभग 90 फीट की बर्फ जम गई | जिसके नीचे सब कुछ खत्म हो गया इसका संपूर्ण मिशन सफल रहा इस इंसान को नाम दिया गया ।
मिशन व्हाट वास यह मिशन इतना जरूरी है और खुफिया था कि कोई भी सरकार और भारतीय संस्था इसे मानने के लिए तैयार नहीं थी इसका पता लगाने के लिए पाकिस्तान ने भारत पर बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय दबाव डालें लेकिन इसका कोई फर्क भारत पर नहीं पड़ा| आज भी यही रहस्यमई प्राकृतिक घटना के रूप में हमेशा के लिए खत्म कर दी गई।
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