हम इस पोस्ट Share Market या Stock market के बारे में पढेंगे ,अमीर हर कोई बनना चाहेता, रुपया सब की जरुरत है और हर कोई आसान तरीके से रुपया कमाने Earning का तरीका खोजता रहेता है, उन्ही तरीको में से शेअर मार्केट Shear market से रुपया बनाना एक बेहतरीन विकल्प है |
लेकिन यंहा से हर कोई रुपया Money नहीं कमा पाता है इसके क्या कारण है वो किसी अगली पोस्ट में बताऊंगा पर जो व्यक्ति पूरे मन से और द्रढ़ इच्छा शक्ति से इस बाजार में आता है वह बहुत कम समय में हद से ज्यादा रुपये कमा सकता है . वारेन बफेट और झुनझुनवाला इसके बेहतरीन उदहारण है ,
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यदि आप के पास कुछ बहुत समय और थोडा सा रिस्क Risk लेने की छमता है तो यंहा से आप निश्चित रूप से अच्छा रुपया कमा सकते है पर जब तक आप को इसके बारे में अच्छी जानकारी न हो जाये तब तक आप इसमें किसी भी तरह का कोई भी निवेश invest न करे अन्यथा आप को नुक्सान ही होगा .
यह पूरी पोस्ट पढ़ कर आप को शेयर बाजार की सामान्य जानकारी प्राप्त हो जाएगी , और उसके बाद यदि आप लगातार हमारी वेबसाइट www.OSir.in के पाठक बने रहे तो हम आप को इस मार्केट का खिलाड़ी बना देंगे .
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1. क्या शेयर मार्केट जुआ या सट्टा-बाज़ार है ? Is the stock market gambling or the speculative market?
बहुत से लोग इसे सट्टा-बाज़ार या जुआ कहते है और देखा जाये तो उनका कहेना गलत भी नहीं है क्योकि यंहा अधिकतम लोग जानकारी के आभाव या खुद से की गयी गलतियों की वजह से बहुत सा रुपया बर्बाद कर देते है और रुपया कमाने में नाकामयाब रहते है फिर सारा दोश इस मार्केट को देते है और इसे सट्टा-बाज़ार या जुआ कहने लगते है |
जबकी वह मार्केट को बिना समझे उसे सट्टा व्यापार की तरह देखते है इंट्रा ट्रेडिंग इसका बढ़िया उदाहरण है, अगर व्यापार है तो लाभ-हानि होना भी तय है, दुनिया में कोई ऐसा व्यापार नहीं है जिस में खतरा (risk) न हो , हा पर यदि आप को उस व्यापार की जितनी अच्छी जानकारी होगी आपका नुक्सान होने का खतरा उतना ही कम हो जायेगा ,
उसी प्रकार यह अपना शेअर मार्केट है यह पूर्ण रूप से व्यापार पर केन्द्रित मार्केट है जो बाजार के Supply and Demand आपूर्ति और मांग के नियम पर कार्य करती है यदि आप जिस व्यापार वर्ग में निवेश करने जा रहे है उसके बारे में आप को अच्छी जानकारी हो तो आप इस मार्केट में भी नुक्सान नहीं उठाएंगे जैशा की कोई भी किसी भी व्यापार में 100% लाभ आने की गारेंटी नहीं दे सकता
क्योकि 1% नुक्सान कंही से भी आ सकता है वैसे ही इसमें भी सब कुछ सही करते हुए भी 1% नुक्सान का डर बना रहेता है लेकिन यदि आप के पास अच्छा बैकअप (backup) प्लान है तो आप इस मार्केट में कभी असफल नहीं होंगे .जरूरी नहीं है की हर सौदे में आपको प्रॉफिट ही हो इसलिए जब भी निवेश करें लंबी अवधि के बारे में सोच कर ही निवेश करें और अपने फैसले पर विश्वास रखें.
बार बार शेयरों को स्विच बदलना फायदेमंद नहीं होता. हर तीन से छः महीने में अपने पोर्टफोलियो का आकलन जरूर कर लें की आप फायदे में है या नुक्सान में यदि नुक्सान आ रहा हो तो नया प्लान तयार करे . आगे के पॉइंट्स पढ़ कर आप अच्छे से जान जाएँगे की यह जुआ या किस्मत की मार्केट क्यों नहीं है .
शेयर मार्केट के बारे में जानने से पहले हमें यह जानना जरुरी है की आखिर यह शेयर किस बला का नाम है, इस बाजार में शेयर ही वह प्रोडक्ट है जो की यंहा खरीदा और बेचा जाता है .
शेयर का अर्थ होता है अंश यानी हिस्सा यदि आपके पास किसी कंपनी के शेयर है तो आप उस कंपनी के उतने हिस्से के मालिक बन जाते हैं जितने शेयर आपके पास हैं एक प्रकार से आप उस कम्पनी के हिस्सेदार बन जाते है . शेयर को हिंदी में अंश कहते हैं और शेयर होल्डर को अंशधारक. शेयर बाजार से शेयर खरीद कर आप भी वहां लिस्टेड किसी भी कंपनी के मालिक बन सकते हैं.
आप जितना शेयर खरीदेंगे उस कंपनी में आप उतने ही हिस्से के मालिक बन जाएंगे. कम्पनी के हिस्सेदार बनने के बाद कम्पनी में भी फायदा या नुकसान आएगा वह आप के खरीदे गए शेयर के एवज में दिया जायेगा , सभी शेयर होल्डर यानि की हिस्सेदार कंपनी द्वारा घोषित किये गए सभी Dividend डिविडेंड (फायदे) अथवा Bonus Share बोनस शेयर के अधिकारी होते हैं.
India में कई प्रकार के share issue किये जाते, उन्में में से कुछ प्रमुख शेयर जिनके बारे में ज्यादा चर्चा होती है, वो इस प्रकार है।
- इक्विटी शेयर (Equity Shares)
- प्रेफेरेंस शेयर (Preference Shares)
- डीफ्फेरेड शेयर (Deferred Shares)
- बोनस शेयर (Bonus Shares)
कोई भी कंपनी को शुरू करने के लिए बहुत बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है यह बहुत कठिन है कि इतनी बड़ी पूंजी कोई एक व्यक्ति अपने पास से उस कंपनी में लगा सके यदि उस बड़ी पूंजी को छोटे-छोटे अंशों (भागो) अथवा शेयरों में बांट दिया जाए तो बहुत से व्यक्ति उस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदकर उस कंपनी के मालिक बन सकते हैं
कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार शेयर खरीद कर कंपनी के उतने ही हिस्से का मालिक बन सकता है जितनी उसकी क्षमता है. यदि कोई शेयर होल्डर उस कम्पनी में हिस्सेदार नहीं रहेना चाहेता है तो वह अपने शेयर को उस समय के वर्तमान मूल्य पर किसी अन्य ग्राहक को बेच सकता है खरीद फरोक्त का यह कार्य शेयर ब्रोकर (शेअर दलाल) के माध्यम से होता है अब यंही पर अवश्यकता आती है शेयर मार्केट की तो अब जानते है शेअर बाजार के बारे में .
” मुंबई का शेयर बाजार – सन् 1875 में स्थापित यह एशिया का पहला शेयर बाजार है। “
Share Market को ही Stock market स्टॉक मार्केट भी कहा जाता है . शेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे-बेचे जा सकते हैं। किसी भी दूसरे बाज़ार की तरह शेयर बाज़ार में भी खरीदने और बेचने वाले एक-दूसरे से मिलते हैं और मोल-भाव कर के शौदा पक्का करते हैं।
पहले शेयरों की खरीद-बिक्री मौखिक बोलियों से होती थी और खरीदने-बेचने वाले मुंहजबानी ही सौदे किया करते थे। लेकिन अब यह सारा लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों के जरिये होता है। इंटरनेट पर भी यह सुविधा मिलती है। आज स्थिति यह है कि खरीदने-बेचने वाले एक-दूसरे को जान भी नहीं पाते।
एक प्रकार से देखे तो यहा पे शेयरो की नीलामी होती है। अगर किसी को बेंचना होता है तो सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ये शेयर बेंच दिया जाता है। या अगर कोई शेयर खरीदना चाह्ता है तो बेचने वालो मे से जो सबसे कम कीमत पे तैयार होता है उससे शेयर खरीद लिया जता है।
भारत में दो शेयर बाजार है :
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत और एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना 1875 में हुई थी। इस एक्सचेंज की पहुंच 417 शहरों तक है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारतीय शेयर बाज़ार के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है।
दूसरा एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार में अपना श्रेष्ठ स्थान दिलाने में बीएसई की अहम भूमिका है। एशिया के सबसे प्राचीन और देश के प्रथम स्टॉक एक्सचेंज को – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सिक्युरिटीज कांट्रेक्ट रेग्युलेशन एक्ट 1956 के तहत स्थाई मान्यता मिली है।
2. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, दिल्ली – National Stock Exchange – NSE
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है। यह मुंबई में स्थित है। इसकी स्थापना 1992 में हुई थी। कारोबार के लिहाज से यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। इसके वीसैट (VSAT) टर्मिनल भारत के 320 शहरों तक फैले हुए हैं।
शेयर मन्डी (जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज या नैशनल स्टॉक एक्सचेंज इस तरह कि बोलियाँ लगाने के लिये ज़रूरी सभी तरह कि सुविधाये मुहैया कराते है। सोचिये, एक दिन मे करोड़ो शेयरों का आदान-प्रदान होता है।
कितना मुश्किल हो जाये अगर सभी कारोबरियोँ को चिल्ला चिल्ला के ही खरीदे और बेंचने वालो को ढूंढ्ना हो। अगर ऐसा हो तो शेयर खरीद्ना और बेंचना लगभग असम्भव हो जायेगा।
शेयर मन्डियाँ इस काम को सरल और सही ढंग से करने का मूलभूत ढांचा प्रदान करती है। कई प्रकार के नियम, कम्प्यूटर की मदत, शेयर ब्रोकर, इंटेर्नेट के मध्यम से ये मूलभूत ढांचा दिया जाता है। असल मे शेयर बाज़ार एक बहुत ही सुविधाजनक सब्ज़ी मंडी से ज़्यादा कुछ भी नही है।
कुछ साल पहले तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज मे सीधे खरीद फरोख्त करनी पड़ती थी। पिछ्ले कुछ सालो से कम्प्यूटरो और इंटरनेट के माध्यम से कोई भी घर बैठे शेयर खरीद और बेंच सकता है। सूचना क्रांति का ये एक उत्कृष्ट नमुना है। जो काम पहले कुछ पैसे वाले लोग ही कर सकते थे अब वो सब एक आम आदमी भी कर सक्ता है।
कोई भी व्यक्ति आसानी से किसी कंपनी के शेयर खरीद सके इसके लिए आवश्यक है कि वह कंपनी किसी ना किसी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड हो. एक बार यदि कोई कंपनी किसी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो जाती है तो उस कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज में शुरू हो जाती है.
इसके लिए कम्पनियां आईपीओ ले कर आतीं हैं. लिस्टिंग के बाद उस कंपनी के शेयरधारक अपने शेयर उस स्टॉक एक्सचेंज पर बेच सकते है तथा उस शेयर को खरीदने के इच्छुक व्यक्ति उस शेयर को उसी स्टॉक एक्सचेंज से खरीद सकते हैं. जब किसी कंपनी का शेयर आसानी से बिकने या खरीदने के लिए उपलब्ध रहता है तो उसे कंपनी की शेयरों की liquidity लिक्विडिटी अथवा तरलता कहा जाता है
किसी भी शेयर की वास्तविक बाजार कीमत उसके फेस वैल्यू से अधिक अथवा कम हो सकती है और यह कीमत शेयर की मांग और पूर्ति पर निर्भर करती है. यह शेयर बाजार का साधारणता नियम है कि जिस शेयर की मांग अधिक होती है उसकी कीमत बढ़ती है और जिस शेयर की मांग नहीं होती है उसे शेयर होल्डर बेचना चाहते है तो उस शेयर की कीमत घट जाती है.
जो व्यक्ति अथवा व्यत्क्तियों का समूह किसी कंपनी को शुरू करने की योजना बनाते है उन्हें प्रमोटर कहा जाता है. प्रमोटर एक हिस्सा उन शेयरों में अपने पास रखते है और बाकी हिस्सा पब्लिक को पेश किया जाता है. जो हिस्सा प्रमोटरों के पास रहता है आमतौर पर वह हिस्सा शेयर मार्केट में ट्रेड होने के लिए नहीं आता. शेयर मार्केट में वही हिस्सा ट्रेड होता है जो पब्लिक के पास होता है.
आमतौर पर शेयरों में निवेश करने वाले को निवेशक कहा जाता है मगर बहुत से लोग इंट्रा डे ट्रेडिंग में काम करते है. मेरे हिसाब से वास्तविक निवेशक वही है जो शेयर खरीदने के बाद उसे कम से कम तीन वर्ष के लिए अपने पास रखें.
मेरे मुताबिक आज आप को शेयर मार्केट के बारे में बहुत कुछ पता चला होगा और शेयर कोई जुआ या सट्टा-बाज़ार नहीं है यह भी पता चल गया होगा , हम इसके अगले पार्ट में शेयर मार्केट में निवेश करने की मूलभूत जानकारी देंगे और भी काफी जरुरी जानकारी मिलेगी इसके अगले पार्ट में , तो आप को यह जानकारी कैसी लगी हमे नीचे कमेन्ट करके या हमारे फेसबुक पेज www.fb.com/osirdotin को लाइक करके भी हमे बता सकते है .
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