नील सरस्वती स्तोत्रं | neel saraswati stotram : दोस्तों नील सरस्वती स्त्रोत क्या है इसकी महिमा क्या है यह नील सरस्वती देवी कौन है नील सरस्वती स्त्रोत नील सरस्वती देवी के लिए गाए जाने वाला और जप किया जाने वाला एक स्त्रोत मंत्र है।
नील सरस्वती जी के इस स्त्रोत के पाठ करने से धन, सुख की प्राप्ति होती है और शत्रु पराजित होते हैं। वास्तव में बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के लिए महान दिन होता है इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है.
परंतु बहुत कम लोग जानते होंगे कि नील सरस्वती देवी की भी पूजा बसंत पंचमी के दिन अथवा अष्टमी नवमी और चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है इस दिन मनाने से व्यक्ति को इच्छित फल प्राप्त होता है। जहां एक और मां सरस्वती विद्या की देवी कही जाती हैं.
वही नील सरस्वती देवी सुख समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार नील सरस्वती देवी स्त्रोत का पाठ करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और कई प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को धन संपन्न की अधिष्ठात्री होने का वरदान दिया तो उनके शरीर से एक तेज उत्पन्न हुआ जो शक्ति से अवतरित होने से उसका रंग नीला था।
इन्हीं को नील सरस्वती देवी कहा गया, मां दुर्गा की दस महाविद्या स्वरूप के साथ-साथ नवदुर्गा स्वरूप की भी पूजा होती है और इन्हीं में त्रिदेवियां सरस्वती लक्ष्मी और काली भी हैं यह तीनों मां दुर्गा के विराट स्वरूप भुवनेश्वरी देवी के अंश माने जाते हैं।
एक तरफ मां सरस्वती को सुर संगीत और ज्ञान की देवी माना जाता है तो दूसरी ओर नील सरस्वती देवी को धन्य और समृद्धि की देवी के साथ-साथ रहस्य विद्या मायाजाल और इंद्रजाल की देवी माना जाता है।
दोस्तों बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा के अलावा नील सरस्वती देवी की भी पूजा की जाती है। नील सरस्वती देवी की आराधना करने के लिए neel saraswati stotram का पाठ किया जाता है आइए हम आपको नील सरस्वती स्तोत्रम के बारे में बताते हैं जो इस प्रकार हैं।
घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।1।।
अर्थ
हे देवी आप भयानक रूप वाली घोर गर्जना करने वाली शत्रुओं को भयभीत करने वाली और भक्तों को वरदान देने वाली हैं हम आपकी शरण में आए हैं रक्षा करें।
ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।
जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।2।।
अर्थ
ही सर्वशक्तिमान नील देवी सरस्वती आप देव और दानवों द्वारा पूजित है सिद्धू तथा गंधर्व के द्वारा सेवित हैं तथा जड़ता और पाप को हरने वाली हैं आप मुझ शरणागत की रक्षा करें
जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।
द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।3।।
अर्थ
हे देवी जटा जूट से सुशोभित चंचल जिह्वा को अंदर की ओर करने वाली बुद्धि को प्रबल पीसने बनाने वाली आप मुझ शरणागत की रक्षा करें
सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते।
सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।।4।।
अर्थ
हे सौम्य क्रोध धारण करने वाली उत्तम विग्रह वाली प्रचंड रूप धरने वाली देवी आपको सादर नमस्कार है हे सृष्टि स्वरूपिणी आपको नमस्कार है और हम आप की शरण में आए हैं रक्षा करें।
जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला।
मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।5।।
अर्थ
हे देवी नील सरस्वती आप मूर्खों की मूर्खता को नाश करती हैं भक्तों की भक्त वत्सल हैं और आप मुड़ता को हरने वाली हैं मुझ शरणागत की रक्षा करो।
वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नम:।
उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्।।6।।
अर्थ
हे देवी नील सरस्वती वं ह्रूं ह्रूं आप का बीज मंत्र है और हम इस मंत्र के माध्यम से आपके दर्शन की कामना करता हूँ। बलि तथा होम से प्रसन्न होनेवाली हे देवि ! आपको नमस्कार है। उग्र आपदाओं से तारनेवाली आपको नित्य नमस्कार है, आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।
बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे।
मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्।।7।।
अर्थ
हे देवि ! आप मुझे बुद्धि और कीर्ति दें, कवित्व की शक्ति दें और मेरी मूढ़ता का नाश करें और मुझ शरणागत की रक्षा करें।
इन्द्रादिविलसदद्वन्द्ववन्दिते करुणामयि।
तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम्।।8।।
अर्थ
इंद्र आदि के द्वारा बंदनी शोभा युक्त जुगल चरण वाली करुणा से पूर्ण चंद्रमा के समान मुख मंडल वाली और जगत को उतारने वाली हे देवी आप मुझसे नागत की रक्षा करें।
अष्टभ्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां य: पठेन्नर:।
षण्मासै: सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।9।।
अर्थ
जो मनुष्य अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी तिथि को इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह छः महीने में सिद्धि प्राप्त कर लेता है, इसमें संदेह नहीं करना चाहिए।
मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम्।
विद्यार्थी लभते विद्यां विद्यां तर्कव्याकरणादिकम।।10।।
अर्थ
इसका पाठ करने से मोक्ष की कामना करनेवाला मोक्ष प्राप्त कर लेता है, धन चाहनेवाला धन पा जाता है और विद्या चाहनेवाला विद्या तथा तर्क – व्याकरण आदि का ज्ञान प्राप्त कर लेता है।
इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाSन्वित:।
तस्य शत्रु: क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते।।11।।
अर्थ
जो मनुष्य भक्तिपरायण होकर सतत इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके शत्रु का नाश हो जाता है और उसमें महान बुद्धि का उदय हो जाता है।
पीडायां वापि संग्रामे जाड्ये दाने तथा भये।
य इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशय:।।12।।
अर्थ
जो व्यक्ति विपत्ति में, संग्राम में, मूर्खता की स्थिति में, दान के समय तथा भय की स्थिति में इस स्तोत्र को पढ़ता है, उसका कल्याण हो जाता है, इसमें संदेह नहीं है।
इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत।।13।।
अर्थ
इस प्रकार स्तुति करने के अनन्तर देवी को प्रणाम करके उन्हें योनिमुद्रा दिखानी चाहिए।
नील सरस्वती देवी स्त्रोत पाठ के साथ-साथ मां नील सरस्वती के मंत्र को भी जाप किया जा सकता है जिससे आपका कल्याण होगा यह मंत्र उतना ही शक्तिशाली है जितना मां नील सरस्वती स्त्रोत है। मां नील सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जप करें। मंत्र इस प्रकार है।
ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नम:.
दोस्तों मां सरस्वती सुर संगीत और ज्ञान की देवी है नील सरस्वती मां सुख समृद्धि धन वैभव की देवी है आइए हम नील सरस्वती स्त्रोत या मंत्र के लाभ के बारे में जानते हैं :
दोस्तों यह आर्टिकल हमारा neel saraswati stotram के बारे में जानकारी देने के लिए लिखा गया है यहां पर हम आपको नील देवी सरस्वती के बारे में और उनकी महिमा के बारे में बताने का भरसक प्रयत्न किया है अगर आप नील देवी सरस्वती के स्त्रोत का पाठ करते हैं तो निश्चित है कि आप अपने ज्ञान के साथ-साथ धन-संपत्ति में भी वृद्धि करेंगे।
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