नीलम रत्न धारण करने के क्या फायदे है ? neelam ratna ke fayde

Neelam ratna pahnne ke kya fayde hote hai ? नीलम कब पहने ? नीलम किस राशि को पहनना चाहिये ? आज के इस आर्टिकल Article में हम आपको नीलम रत्न धारण करने के फायदे के बारे में जानकारी देने वाले हैं, तो अगर आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो अंत तक अवश्य पढ़ें| कभी-कभी हमारी जिंदगी में ग्रहों की दृष्टि खराब Poor eyesight हो जाती है, जिसके कारण हमारी जिंदगी में कई परेशानियां आने लगती हैं|

ऐसे में ज्योतिष उपाय के तौर पर हमें उन ग्रहों से संबंधित रत्न Related gems धारण करने की सलाह दी जाती है,जिन ग्रहों के कारण हमारे जिंदगी में परेशानी हो रही होती है| आपको बता दें कि, नीलम को शनि देवता का रत्ना माना जाता है और नीलम रत्न को धारण करने से शनि ग्रह Saturn का बल मिलता है| neelam pahanne ke labh kya hai ?

शनि ग्रह न्याय का कारक होता है और अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह अच्छी स्थिति में होता है और वह व्यक्ति नीलम रत्न धारण करता है, तो शनि से संबंधित सभी कारक तत्वों में बढ़ोतरी होती है|

इसके अलावा शनि ग्रह की जन्म कुंडली जिस भाव में होती है, जिन भावों में शनि की राशि मकर और कुंभ होती हैं या फिर जिनकी भावों पर शनी की 3 दृष्टियां होती है, शनि का रत्न नीलम धारण करने से उस भावो के फलों में भी बढ़ोतरी होती है|

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परंतु हम आपको बता दे कि किसी भी रत्न को धारण करने के कुछ नियम होते हैं और इसीलिए अगर आप नीलम रत्न को धारण करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा|

अगर किसी किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की बुरी स्थिति है और वह नीलम रत्न धारण करता है, तो उसे फायदे की जगह पर नुकसान हो सकता है|

इसलिए नीचे हम आपको नीलम रत्न धारण करने के नियम बता रहे हैं, ताकि अगर आप नीलम रत्न धारण करना चाहते हैं,तो नियमों का पालन करते हुए उसे धारण कर सकें|

शनि रत्न नीलम धारण करने के नियम क्या होते है ? Rules for wearing Shani Ratna Sapphire ?

आपको बता दें कि अगर जन्म कुंडली में शनि ग्रह योग कारक होकर किसी अच्छे भाव में विराजमान हो तभी व्यक्ति को नीलम रत्न धारण करना चाहिए |

और अगर शनि ग्रह जन्म कुंडली में योगकारक होकर 6,8,12 भाव में विराजमान हो, तो व्यक्ति को किसी ज्योतिष की सलाह के अनुसार ही नीलम रत्न को धारण करना चाहिए|

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अगर आपकी जन्म कुंडली में शनि ग्रह मारक होकर बैठा हो तो आपको भूल कर भी नीलम रत्न को नहीं धारण करना चाहिए |

 नीलम रत्न क्यों धारण किया जाता है ? Why gems are worn ?

अगर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाए, तो हर व्यक्ति अपने पिछले जन्म में किए गए कर्मों को साथ लेकर ही अपने नए जन्म में पैदा होता है और उसके पिछले जन्म के कर्मों के अनुसार उसकी जन्मकुंडली का ही निर्माण होता है |

और फिर उस व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से ही उसकी कुंडली में ग्रह उसे अच्छा और बुरा फल देने के लिए अलग-अलग भाव में बैठते हैं|

और जैसा कि आप जानते हैं कि ग्रह कई प्रकार के होते हैं, इसीलिए जो ग्रह हमारी जन्म कुंडली के जिस भाव में बैठते हैं, वह उसी के अनुरूप फल देते हैं जिसके अनुसार हमारी जिंदगी में सुख या दुख चलता रहता है|

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाए, तो नवग्रहों की राशियां हर व्यक्ति को प्रभावित करके उसे अच्छा या फिर बुरा रिजल्ट देती हैं|

शास्त्र गणित हमें यह जानकारी देता है कि हमारे जन्म कुंडली में कौन से ग्रह योग कारक यानी कि अच्छे फल देने वाले हैं और कौन से ग्रह मारक यानी कि खराब फल देने वाले हैं और जब हमें इस बात की जानकारी हो जाती है |

कि, हमारे लिए कौन-कौन से ग्रह अच्छे हैं और कौन-कौन से ग्रह खराब है, तो यह संभावित बात है कि अच्छे ग्रह यानि कि अच्छा फल देने वाले ग्रहों की अधिक प्रभाव में राशियां हमारे ऊपर पड़ेगी तो हमें ज्यादा अच्छे रिजल्ट प्राप्त होंगे|

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और अगर कम पड़ेगी, तो हमें कम अच्छे रिजल्ट प्राप्त होंगे| ऐसे ही अगर कुंडली में किसी अच्छे ग्रह का बल कम होता है, तो वह सूरज के साथ अस्त हो या कमजोर हो, तब उस ग्रह से संबंधित रत्नों को धारण करके उस ग्रह के बल को बढ़ाया जा सकता है|

सभी ग्रहों से संबंधित रत्न अलग-अलग होते हैं| इसीलिए शनि ग्रह की शांति के लिए नीलम रत्न धारण किया जाता है तथा अन्य ग्रहों की शांति के लिए अन्य विभिन्न प्रकार के रत्न धारण किए जाते हैं|

किसी भी ग्रह का रत्न एक चुंबक की तरह काम करता है और किसी भी ग्रह से संबंधित रत्न को धारण करने से व्यक्ति में उस ग्रह से संबंधित प्रभाव पड़ने लगते हैं|

अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कोई ग्रह जिस भाव में बैठा हो और जिन भावों में उसकी दृष्टि हो तो ग्रह उसका ही फल देते हैं| ऐसे ही अगर कुंडली में मारक ग्रह यानि कि बुरा फल देने वाले ग्रहों से संबंधित रत्न को अगर धारण किया जाए, तो उस ग्रह का बल बढ़ जाता है जिससे कि बुरे परिणाम ज्यादा मिलने चालू हो जाते हैं| इसलिए कभी भी आपको मारक ग्रहों के रत्न को धारण नहीं करना चाहिए|

नीलम रत्न की पहचान कैसे करे ? How to identify Sapphire gemstone ?

नीलम रत्न मुख्य तौर पर तीन चार प्रकार का मार्केट में मौजूद होता है और अगर हम भारत की बात करें, तो हमारे भारत देश में पाडर नीलम की कीमत सबसे ज्यादा होती है|

इसकी कीमत की बात की जाए तो इसकी कीमत ₹5000 से लेकर ₹50000 प्रति रत्ती होती है| इसके बाद श्रीलंका का नीलम सबसे बढ़िया माना जाता है जिसे सलोनी नीलम कहा जाता है| इस नीलम की कीमत 1200 से लेकर ₹10000 प्रति रति के आसपास होती है|

इसके बाद बैंकॉक का नीलम सबसे बढ़िया माना जाता है| बैंकॉक के नीलम की कीमत ₹250 से लेकर ₹700 प्रति रति पर बिकता है| नीलम रत्न की क्वालिटी उसकी पारदर्शिता के ऊपर निर्धारित होती है|

नीलम रत्न जितना ज्यादा साफ होता है, उसकी कीमत भी उतनी ज्यादा ही लगती है और अगर नीलम रत्न के अंदर रेशे कम होते हैं, तो उसकी कीमत कम लगती है| आपको बता दें कि ज्यादा पारदर्शिता वाला नीलम ज्यादा अच्छा लाभ देता है, क्योंकि उसमें से प्रकाश ज्यादा गुजरता है|

नीलम रत्न कब और कैसे धारण करना चाहिये ? When and how to wear Blue Sapphire Stone ?

NEELAM

आपको बता दें कि अगर आप नीलम रत्न को धारण करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको शनिवार के दिन का चयन करना चाहिए, क्योंकि नीलम रत्न शनिदेव से संबंधित होता है| इसीलिए शनिवार के दिन नीलम रत्न को धारण करना चाहिए|

नीलम रत्न को धारण करने से पहले आपको इसे चांदी की अंगूठी में जड़वा लेना चाहिए और उसके बाद शनिवार को इसे धारण करने से पहले गंगाजल से धोना चाहिए और फिर इसे अपने पूजा स्थान में रख कर 108 बार सनी भगवान के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए| उसके बाद श्रद्धा पूर्वक इसे धारण करना चाहिए|

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