न्यास ध्यान nyas dhyan योग की ऐसी विधि है जिसमें आत्मबल और आत्मविश्वास को को मजबूती मिलती है। इस विधि से किसी भी प्रकार के तनाव और विभिन्न चिंताओं और शंकाओं से छुटकारा पाए जाते हैं न्यास ध्यान nyas dhyaan करने से मन को नियंत्रित करने में पूर्ण सफलता मिल जाती हैं जिसके माध्यम से हम विभिन्न कार्य बड़ी आसानी से कर लेते हैं।
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न्यास ध्यान करने से मन को नियंत्रित करके कठिन से कठिन कार्यों को करने में सक्षम हो जाते हैं। ध्यान करने से संकल्प शक्ति और इच्छाशक्ति मजबूत हो जाती है और जो मन में ठान लेते हैं वह हम करके दिखा सकते हैं एक बार यह शक्ति अर्जित होने पर हम समस्त कार्य बड़ी आसानी से कर लेते हैं।यह क्षमता न्यास ध्यान में प्रबल होती है |
न्यास धाम साधना से हम अपने अंदर उर्जा का नया संचार जागृत करते हैं हमारे शरीर में ऊर्जा की केंद्र होते हैं जिनमें दिन भर काम करने की वजह से ऊर्जा की कमी हो जाती है इस ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए न्यास साधना की जाती है ।
न्यास ध्यान साधना में शरीर के केंद्र कौन से होते है ? What are the centers of the body in meditation practice?
न्यास साधना शरीर में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए की जाती है ।हमारे शरीर में ऊर्जा के 26 केंद्र होते हैं जो इस प्रकार हैं :
पैरों की तलहटी | 2 |
पिंडलियां | 2 |
जंघाएँ | 2 |
गुप्तेन्द्रियां | 1 |
नाभि | 1 |
हृदय | 1 |
फेफड़े | 2 |
कंधे | 2 |
दाहिना पंजा हाथ भुजा | 3 |
बायां पंजा हाथ भुजा | 3 |
आंखें | 2 |
कान | 2 |
नाक | 1 |
मुंह | 1 |
भृकुटी | 1 |
कुल केंद्र | 26 |
मानव के शरीर में 26 ऊर्जा केंद्र इस प्रकार होते हैं जिनका न्यास साधना से उर्जित किया जाता है।
मनुष्य दिन 26 केंद्रों को ध्यान नहीं देता है तो जीवित रहते हुए भी उसका कोई अंग निष्क्रिय हो जाता है। यदि इन केंद्रों पर मनुष्य ध्यान करेगा तो समस्त केंद्र सक्रिय और सजीव हो जाएंगे जिससे मनुष्य अधिक स्वस्थ रहेगा और ज्यादा दिनों तक प्राणशक्ति इकट्ठा रहेगी।
न्यास साधना की कितनी विधियां है ? न्यास ध्यान कैसे करे ! How many methods of spiritual practice are there?
कोई भी मनुष्य यदि न्यास साधना करना चाहता है तो न्यास साधना के लिए विधिपूर्वक करना आवश्यक होता है ।न्यास साधना की निम्नलिखित विधियां हैं :
1. न्यास ध्यान योग की पहली विधि : First method of Nyas meditation yoga
न्यास साधना की पहली विधि में व्यक्ति को जमीन पर या किसी पलंग पर एक आरामदायक गद्दा बिछाकर लेटना है। इसके बाद आंखों को बंद करके मन को एकाग्र करें। जब मन एकाग्र हो जाए तो दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली को मोड़ कर इस पर ध्यान रखें उंगली मोड़ते समय शरीर की सारी इंद्रियां और मन पूरा उसी पर केंद्रित होना चाहिए |
इसके अलावा मन में किसी भी प्रकार का अन्य विचार नहीं होना चाहिए इसके बाद मध्यमा उंगली को मोड़े। इस क्रम में पांचों उंगलियां मोड़ना है और जब दाहिने हाथ की उंगली मुड़ जाएं फिर दाहिने हाथ के बाद बाएं हाथ की उंगलियों को क्रमशः मोड़ना होता है।
इस तरह करने के बाद फिर से दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली को खोलें और क्रमशः पांचों उंगलियां खोलते जाएं इसके बाद बाएं हाथ की पांचों उंगलियां खोलते जाना है परंतु ध्यान रहे इस समय मन पूरी तरह से उंगलियों पर ही केंद्रित रहे।
न्यास साधना में उंगलियों का कर्म मोड़ते और खोलते समय किसी प्रकार की जल्दबाजी ना करें इस प्रकार से आपका मन एकाग्र करने में सफलता मिलेगी।
इस प्रकार की साधना में पहली विधि को दिन में 4 या 6 बार अभ्यास करें।
2. न्यास ध्यान योग की दूसरी विधि : Second method of Trust Meditation Yoga
न्यास साधना के दूसरे क्रम में पीठ के बल बिस्तर पर लेट जाएं परंतु किसी प्रकार की तकिया या चादर सिर के नीचे ना लगाएं जिससे आपके शरीर पूरी तरह समांतर रहे।बाया हाथ शरीर के समांतर चिपका हुआ हो और दाहिना हाथ दूर सीधा फैला हुआ हो।
इसके बाद आप अपने शरीर को पूरी तरह से ढीला करें और मन आज्ञा दीजिए कि आपका दाहिना हाथ धीरे-धीरे उठकर आपके सीने पर आ जाए इसके बाद आप किसी अन्य प्रकार की कोई भी हरकत ना करें और प्रयत्न करें कि आप अपने मन से हाथ उठाने का प्रयास ना करें बल्कि ऐसा महसूस करें कि हाथ अपने आप उठ रहा है।
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आपका मन जितना ही अधिक एकाग्र होगा अंतर्मन उतना ही जल्दी आदेशों का पालन करेगा जिसके फलस्वरूप धीरे-धीरे हाथ स्वता सीने पर आ जाएंगे। यह अभ्यास दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं और करना चाहिए।
3. न्यास ध्यान योग की तीसरी विधि : Third method of Trust Meditation Yoga
न्यास साधना की तीसरी विधि में किसी बिस्तर पर या पलंग पर सीधे लेट कर एक वाक्य का चिंतन करना है इसके अलावा किसी भी प्रकार का विचार मन में नहीं करना है जैसे ईश्वर एक है इसका चिंतन कर कर रहे हैं तो तो अब आपका चिंतन केवल यही होना चाहिए ईश्वर एक ही है और कैसे एक है।
आपका चिंतन इस समय इस प्रकार होना चाहिए कि कमरे में कोई आदि जाए तो आपको कुछ बताना चले केवल आप अपने विचार में ही लीन रहे। धीरे धीरे अभ्यास को करते रहें जिसे मस्तिष्क को नियंत्रित करें तथा जिस बिंदु पर विचार कर रहे हैं उसी बिंदु पर विचार करेंगे।
4. न्यास ध्यान योग की चौथी विधि : Fourth method of Nyas meditation meditation
इस विध में मन एकाग्र करने के लिए रात को पलंग पर सोते समय आरामदायक स्थिति में लेट जाएं और आंखें बंद करके अगले दिन की दिनचर्या पर मनन करें कि कल हमें क्या क्या करना है उसे क्रम पूर्वक ध्यान करें।
आप अपने मन में चिंतन करें कि प्रातः उठने के बाद पहले क्या-क्या किया फिर उसके बाद क्या किया रमसा उनको याद करें और रात को सोते समय फिर से दिन भर की दिनचर्या को क्रम से याद करने का प्रयत्न करें।
ध्यान रखना है कि जो काम आपने दिन भर किए हैं उनको क्रम से ही पुनः याद करना है। यदि आप दिनभर किया गया कार्य ही से याद करते हैं तो आपकी सफलता निश्चित मानी जाती है। इसी तरह प्रतिदिन करने से पिछले दिनों के कार्य को याद करने से आपको विशेष सफलता मिलेगी।
5. न्यास ध्यान योग की पांचवी विधि : fifth method of Nyas meditation yoga
इस विधि में चौथी विधि की तरह ही पिछले कई दिनों को क्रमशः याद करना है इसके लिए रात को सोते समय आराम से बिस्तर पर सोए और आंखें बंद करके पिछले दिनों के कार्य याद करें।
ऐसे पिछले दिन महीने कौन सी कपड़े पहने थे उसके बाद किससे मिला किस से कौन सी बातें की क्या-क्या दिखाई दिया इत्यादि बातें स्मरण करना है।यह अभ्यास चौथी विधिसे कठिन है परंतु आप घर पूर्व करते हैं तो सफलता निश्चित मिलती है।
इस विधि की सफलता के बाद आप कोई भी जीते हुए समय में किए गए कार्य को सफलतापूर्वक याद कर सकते या फिर जैसे कोई किताब पढ़ते हैं और किसी पृष्ठ को एक बार पढ़ने पर फिर से पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी अर्थात पढ़ा गया पृष्ठ तुरंत याद हो जाता है। इस विधि के बाल आपको हर कार्य में बहुत ही आनंद आएगा मन कहीं पर भटक रहा था परंतु अब नहीं ऐसा होगा।
6. न्यास ध्यान योग की छठी विधि : Six method of Nyas meditation yoga
न्यास साधना की छठी विधि को मानस पूजा विधि कहा जाता है इस विधि को करने के बाद निश्चित ही सफलता मिलती है,हालांकि यह विद कठिन है। इस विधि में साधक को प्रातः स्नान करके आसन पर बैठना है और अपनी आंखें बंद करते ही मस्तिष्क को विचार शून्य बनाना है। जब आपका मस्तिष्क पूर्ण रूप से विचार शून्य हो जाए तब आंखें बंद करके अपने इष्ट तस्वीर सामने लानी चाहिए।
उदाहरण के लिए मेरे ईस्ट भगवान कृष्ण है तो आप आंखें बंद करके अपने मस्तिष्क की मानस फर्क कृष्ण का चित्र चिंतन करेंगे जिस से उनका साकार रुप अंकित हो जाएगा और फिर उनके लिए पीतांबर पहन आता हूं चंदन घिसकर तिलक लगाता हूं साथ ही बीन बजाते हुए सामने दिखाई देते हैं,फूलों का हार पहनाता हूं, अगरबत्ती प्रसाद रखता हूं अर्थात सारे काम कर रहा हूं, ऐसा ध्यान करते हैं।
यह सब काम एक ही स्थान पर आंखें बंद करके करता हूं तो लगभग आधा घंटा का समय लगेगा और आपको आनंद भी मिलेगा।
समय आपके मस्तिष्क में इसी और तरीके विचार नहीं होनी चाहिए विचार आपने किया है वही स्पष्ट दिखाई देता है। इसके बाद अपने मस्तिष्क में श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करता हूं जैसे
ओम श्री कृष्ण वासुदेवाय नमः ।
इस प्रकार सारा कार्य अपने मस्तिष्क के विचारों में ही कर लेता हूं। इसके करने के बाद हमें अपने इष्ट केसा अच्छा दर्शन होते हैं और पूर्ण तृप्ति मिलती है।
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