Pregnant hone ke lakshan गर्भ के दौरान कौन-कौन से बदलाव होते हैं : महिलाओं की जिंदगी में गर्भ धारण करना एक खूबसूरत वक्त होता है. क्योंकि उस वक्त वह अपने गर्भ में एक नई जिंदगी पाल रही होती है और हर दिन हर पल उस नई जिंदगी का इंतजार कर रही होती हैं। हर मां 9 महीने तक अपने बच्चे के लिए जीते हैं.
उसका खान-पान, उठना बैठना सब कुछ बच्चे को ध्यान में रखकर ही करती हैं. लेकिन इस दौरान शारीरिक बदलाव होते हैं, जो गर्भधारण का पता लगाने के लिए प्राथमिक लक्षण होते हैं. गर्भ के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन के लक्षण यहां दिए गए है, जो इस प्रकार है :
प्रेग्नेंट होने के लक्षण | Pregnant hone ke lakshan
1. पाचन क्रिया और इंवेंटी पर प्रभाव | Effects on Digestion and Inventory
गर्भावस्था के दौरान प्रत्येक महिला को पाचन क्रिया और इम्यूनिटी में परिवर्तन हो जाता है, अधिकतर महिलाओं को वाचन की गड़बड़ी के कारण खट्टी डकार, सीने में दर्द, जलन, गैस और बेचैनी जैसी समस्याएं होती है।
पाचन क्रिया और इंवेंटी का समाधान
गर्भावस्था के दौरान किसी भी महिला को अधिक तले भुने फास्ट फूड का सेवन नहीं करना चाहिए तथा रोज मॉर्निंग वाक जरूर करें।
2. मितली आना | Nausea
गर्भधारण करने के बाद अक्सर महिलाओं को उलटी की समस्या होती रहती है. जिससे किसी भी समय उल्टियां होती हैं। ऐसा शारीरिक बदलाव और पाचन की गड़बड़ी के कारण होता है।
समाधान
यदि गर्भ के दौरान उल्टियां भी हो रही है, तो इसे अनदेखा ना करते हुए डॉक्टर की सलाह जरूर लें. क्योंकि अधिक मैथिली के कारण गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे, बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक होता है.
3. निपल्स और ब्रेस्ट में बदलाव | Changes in nipples and breast
गर्भवती महिलाओं में जैसे जैसे बच्चे का विकास होता है. उनके ब्रेस्ट और निपल्स का भी साइज बढ़ने लगता है. हार्मोन चेंजेज होने की वजह से यह परिवर्तन दिखाई देते हैं, बहुत-सी महिलाओं को निप्पल की वजह से खुजलाहट भी होती हैं।
समाधान
इस समस्या से निदान पाने के लिए डॉक्टर की सलाह लें और उनके बताए ही तरीकों के आधार पर नर्सिंग ब्रा पहने और नहाने के बाद संपूर्ण शरीर पर हल्के हाथों से मसाज करें।
4. यूरिन लीक होना | leaking urine
गर्भावस्था के दौरान शरीर में बायोलॉजिकल चेंजेज होते हैं. जिसकी वजह से बिना कंट्रोल के यूरिन लीक हो जाता है. जब कभी भी तेज चीन किया खांसी आती है, तो यूरिन लीक होना आम बात हो जाती है। चौथे पांचवे महीने में बच्चे की वजह प्रेशर ब्लैडर पर पड़ता है. जिससे यूरिन की समस्या होती है।
समाधान
यूरिन लीक होने से बचाव के लिए कीगल एक्सरसाइज करें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
5. पेट के निचले हिस्से में दर्द | lower abdominal pain
जैसे-जैसे गर्भ का विकास होता है. महिला के पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है। पेट के भारी होने पर प्यूबिक बोन और ग्रोइंन मसल्स में स्ट्रेच होता है. बच्चे के हिसाब से आपकी मसल्स स्ट्रेच करती है. इसलिए पेट के निचले हिस्से में दर्द हो जाता है।
समाधान
इस दौरान अपने पैरों के नीचे तकिया लगा कर लेट सकती हैं तथा बैठते समय फुट्रेस्ट का प्रयोग कर सकती हैं।
6. माहवारी आने में देरी | delay in menstruation
गर्भावस्था के कारण कभी-कभी शुरुआत में मासिक धर्म होने का एहसास होता है. हालांकि यह लक्षण गर्भ होने का हो सकता है. परंतु जब भी समय पर मासिक धर्म ना आए, तो यह गर्भ होने का एहसास हो जाता है अर्थात महिला गर्भवती हो सकती है।
7. थकान का बढ़ना | increased fatigue
गर्भधारण होने के बाद शरीर में प्रोजेस्ट्रोन का स्तर बढ़ जाता है. जिसकी वजह से हल्की-हल्की थकान महसूस होने लगती है।
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समाधान
यदि इस तरह का लक्षण अनुभव हो रहा हो, तो डॉक्टर की सलाह बेकर चेकअप करवाएं।
8. सांस लेने में दिक्कत | Difficulty in breathing
गर्भ धारण करने के बाद महिलाओं को सांस लेने में तकलीफ होती है और कभी-कभी या अकसर थकान महसूस होती रहती है ।
9. योनि में बदलाव | Vaginal changes
गर्भावस्था के दौरान बहुत कम महिलाएं योनि की ओर ध्यान देती हैं. जबकि इस दौरान योनि में काफी बदलाव आ जाते हैं, आपकी योनी से एक अजीब सी गंध आने लगती है और ऑल फैक्ट्री सेंस बढ़ जाता है. हालांकि पहली तिमाही में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता है.
लेकिन अगले तिमाही में हारमोंस परिवर्तन की वजह से काफी परिवर्तन हो जाते हैं. वैरिकोज नशे दिखाई देने लगती हैं और पीएच में परिवर्तन आ जाता है।
10. यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन | urinary tract infection
गर्भधारण करने के बाद यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन यूटीआई का खतरा बढ़ जाता है, जैसे-जैसे गर्भ बड़ा होता है. गर्भाशय ब्लैडर पर दबाव पड़ता है, जो ब्लैडर को खाली होने से रोकता है. इससे यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन हो सकता है।
11. योनि का संवेदनशील होना | Vaginal sensitivity
गर्भावस्था के दौरान योनी में ब्लड फ्लो बढ़ने लगता है. जिससे योनि संवेदनशील हो जाती है और सूजन आ जाती है। योनि में वेरीकोज नशे दिखाई देने लगती हैं. क्योंकि इस दौरान ज्यादा मात्रा में रक्त धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहता है।
12. योनि का रंग बदल जाता है | The color of the vagina changes
गर्भधारण करने के बाद धीरे-धीरे योनि का रंग बदल जाता है. हार्मोन पिगमेंटेशन प्रभावित होता है. जिससे योनि का रंग हल्का नीला या गहरा नीला दिखाई देने लगता है।
13. योनि में खुजली होना | Vaginal itching
गर्भधारण करने के बाद योनि स्राव में वृद्धि पीएच स्थल में परिवर्तन के कारण योनि में असहज खुजली महसूस होती रहती हैं. यह समस्या अधिक दिनों तक बनी रहती है, तो डॉक्टर का परामर्श जरूरी है।
14. योनि पर इनग्रोन बाल होना | ingrown hairs on the vagina
गर्भधारण करने के बाद एस्ट्रोजन की मात्रा रक्त प्रवाह में ज्यादा हो जाती है. जिसे पीबिक हेयर तेजी से बढ़ते हैं और पसीना भी आने लगता है. योनि पर प्यूबिक हेयर अंदर की ओर घूम जाते हैं. जिससे स्किन इन्फेक्शन की संभावना होती है।
15. मुहासे होना | getting acne
बहुत-सी महिलाओं को किशोरावस्था में मुंहासे नहीं निकलते हैं. परंतु गर्भावस्था में कई बार मुंहासे और फुंसियां निकल आती है. गर्भावस्था के दौरान हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. जिससे अधिक शिवम का उत्पादन होता है, रोम छिद्र और उद्धव जाते हैं और त्वचा पर दाग धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
समाधान
यदि इस दौरान मुंहासे फुंसियां निकलती हैं, तो किसी भी प्रकार की क्रीम का इस्तेमाल ना करें. बल्कि किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही कुछ करने का प्रयास करें। घरेलू नुक्सा में मुल्तानी मिट्टी और दही का पेस्ट बनाकर लगाने से आराम मिल जाता है।
16. खिंचाव के निशान | stretch marks
गर्भधारण करने के बाद आमतौर पर पेट, स्तनों और जांघों पर लाल्या भूरी रेखाएं बन जाती हैं, जो वजन बढ़ता है. रेखाएं और गहरी होने लगती हैं. हालांकि स्ट्रेच मार्क्स गर्भावस्था का एक हिस्सा होते हैं. यह सभी महिलाओं में होता है।
17. त्वचा पर पपड़ी बनना | scabs on the skin
गर्भधारण करने के बाद जब गर्भ का विकास होता है, तब स्तनों और जांघों की भी नीचे रगड़ के कारण त्वचा छिल जाती है या पपड़ी बन जाती है. कभी-कभी तो चाय में जलन और छाले भी हो जाते हैं और इनमें से दुर्गंध आती है।
समाधान
जब आपकी स्किन पर पपड़ी बनने की समस्या है, तो आप प्रभावित हिस्से को सूखा, रखी या फिर कोई सूखने वाला पाउडर इस्तेमाल करें और टाइट कपड़े पहनने से बचें।
18. रेसेज बनना | become races
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में छोटे-छोटे रेसेज बन जाते हैं. हारमोंस की अधिकता के कारण गर्मियों में त्वचा घमौरियों के प्रति संवेदनशील हो जाती है. जिससे लाल खुजली वाले चकत्ते बन जाते हैं।
गर्भधारण करने के बाद यदि उपरोक्त बताए गए लक्षण या बदलाव दिखाई देते हैं, तो किसी विशेषज्ञ से परामर्श लेकर ही इलाज करें अन्यथा की दृष्टि में आप को और बच्चे को भारी नुकसान हो सकता है।
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