सरस्वती स्त्रोतम | saraswati stotram : माता सरस्वती जिन्हें ज्ञान की देवी कहा गया है यह हमारी पूरे संसार को शिक्षित करने एवं उन्हें एक सही ज्ञान प्राप्त करने के योग्य बनाती है माता सरस्वती ज्ञान शिक्षा एवं संगीत की देवी हैं हमारे हिंदू धर्म में सरस्वती माता की पूजा बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाई जाती है माता सरस्वती मां पार्वती और मां लक्ष्मी त्रिदेवियां हैं।
हमारे भारत में गंगा यमुना और सरस्वती नदी बहती है सभी धर्म के लोग संगीत के क्षेत्र में माता सरस्वती की पूजा करते हैं शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा गया है कि सरस्वती स्त्रोतम की रचना ब्रह्मा जी ने की थी। माता सरस्वती बहुत ही गुणवान देवी हैं Saraswati Stotram बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है माता सरस्वती को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि शारदा ,भारती , विनपाणी, नामगल, आदि नामों से हमारे पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
दोस्तों मेरा नाम आरुषि अवस्थी है मैं हिंदू धर्म से हूं पिछले कई वर्षों से मैं हिंदू धर्म से जुड़े सभी हास्य के बारे में जान रही हूं क्योंकि मैं भगवान में बहुत ही श्रद्धा रखती हूं और इनके बारे में सभी जानकारी को प्राप्त करना मुझे बहुत अच्छा लगता है इसीलिए मैं हिंदू धर्म के सभी प्रकार के भजन चालीसा मंत्र का जाप आदि करती हूं इसीलिए आज मैं आप लोगों को इस लेख के माध्यम से saraswati stotram के बारे में जानकारी देंगे।
इसके अलावा सरस्वती स्त्रोतम क्या है सरस्वती स्तोत्रम का पाठ कैसे करें सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने के लाभ क्या है इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.
- 1. सरस्वती स्त्रोतम क्या है ? | Saraswati stotram kya hai ?
- 1.1. Saraswati Stotram PDF
- 2. सरस्वती स्तोत्रम| Saraswati Stotram
- 3. सरस्वती स्तोत्र | Saraswati Stotra
- 4. सरस्वती स्तोत्रम का पाठ कैसे करे ? | Saraswati stotram ka path kaise kare ?
- 5. सरस्वती स्तोत्रम का पाठ करने के फायदे | Saraswati stotram ka path karne ke fayde
- 6. FAQ : saraswati stotram
- 6.1. सरस्वती जी का मंत्र क्या है ?
- 6.2. सरस्वती मंत्र का जाप कैसे करें ?
- 6.3. सरस्वती मंत्र का जाप कब करना चाहिए ?
- 7. निष्कर्ष
सरस्वती स्त्रोतम क्या है ? | Saraswati stotram kya hai ?
सरस्वती स्त्रोत तम को माता सरस्वती को समर्पित किया गया है यह बहुत ही शक्तिशाली स्त्रोत है इसे स्त्रोत का जाप करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है माता सरस्वती को ज्ञान की देवी कहां गया है सरस्वती स्त्रोत तम का पाठ बहुत ही लाभकारी होता है इसे स्त्रोतम की रचना ब्रह्मा जी ने स्वयं की थी यह स्त्रोतम एक सिद्ध स्त्रोतम है इस स्त्रोतम का पाठ करने के बाद व्यक्ति की बुद्धि तीव्र हो जाती है और उस व्यक्ति के अंदर एक आत्मज्ञान जागृत होता है।
जो उस व्यक्ति को बहुत ही बुद्धिमान एवं शक्तिशाली बना देता है अगर आप में से कोई भी व्यक्ति सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करना चाहता है तो इस स्त्रोतम का पाठ करने के लिए आपको एक निश्चित दिन रखना होगा जैसे की अष्टमी नवमी या फिर चतुर्दशी के दिन सरस्वती स्त्रोत तम का पाठ करना बहुत ही लाभकारी बताया गया है।
कई लोग नील सरस्वती स्त्रोत का पाठ करते हैं उसका पाठ करना भी बहुत ही शुभ बताया गया है उसे स्त्रोत के पाठ से शत्रु का नाश संभव होता है अगर कोई व्यक्ति समस्त शत्रुओं का नाश करना चाहता है तो नील स्त्रोत का पाठ करें।
Saraswati Stotram PDF
नीचे दिए गए लिंक से आप सरस्वती स्त्रोत की पीडीएफ मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं और उसे आप कहीं भी अपने फोन पर बिना इंटरनेट के आसानी से पढ़ सकते हैं :
सरस्वती स्तोत्र | Saraswati Stotram PDF Sanskrit | डाऊनलोड लिंक |
सरस्वती स्तोत्रम| Saraswati Stotram
विनियोग
ॐ अस्य श्री सरस्वतीस्तोत्रमंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः।
गायत्री छन्दः
श्री सरस्वती देवता। धर्मार्थकाममोक्षार्थे जपे विनियोगः।
आरूढ़ा श्वेतहंसे भ्रमति च गगने दक्षिणे चाक्षसूत्रं वामे हस्ते च
दिव्याम्बरकनकमयं पुस्तकं ज्ञानगम्या।
सा वीणां वादयंती स्वकरकरजपैः शास्त्रविज्ञानशब्दैः
क्रीडंती दिव्यरूपा करकमलधरा भारती सुप्रसन्ना॥1॥
श्वेतपद्मासना देवी श्वेतगन्धानुलेपना।
अर्चिता मुनिभिः सर्वैर्ऋषिभिः स्तूयते सदा।
एवं ध्यात्वा सदा देवीं वांछितं लभते नरः॥2॥
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥3॥
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥4॥
ह्रीं ह्रीं हृद्यैकबीजे शशिरुचिकमले कल्पविस्पष्टशोभे
भव्ये भव्यानुकूले कुमतिवनदवे विश्ववन्द्यांघ्रिपद्मे।
पद्मे पद्मोपविष्टे प्रणजनमनोमोदसंपादयित्रि प्रोत्फुल्ल
ज्ञानकूटे हरिनिजदयिते देवि संसारसारे॥5॥
ऐं ऐं ऐं दृष्टमन्त्रे कमलभवमुखांभोजभूते स्वरूपे
रूपारूपप्रकाशे सकल गुणमये निर्गुणे निर्विकारे।
न स्थूले नैव सूक्ष्मेऽप्यविदितविभवे नापि विज्ञानतत्वे
विश्वे विश्वान्तरात्मे सुरवरनमिते निष्कले नित्यशुद्धे॥6॥
ह्रीं ह्रीं ह्रीं जाप्यतुष्टे हिमरुचिमुकुटे वल्लकीव्यग्रहस्ते
मातर्मातर्नमस्ते दह दह जडतां देहि बुद्धिं प्रशस्ताम्।
विद्ये वेदान्तवेद्ये परिणतपठिते मोक्षदे परिणतपठिते
मोक्षदे मुक्तिमार्गे मार्गतीतस्वरूपे भव मम वरदा शारदे शुभ्रहारे॥7॥
धीं धीं धीं धारणाख्ये धृतिमतिनतिभिर्नामभिः कीर्तनीये
नित्येऽनित्ये निमित्ते मुनिगणनमिते नूतने वै पुराणे।
पुण्ये पुण्यप्रवाहे हरिहरनमिते नित्यशुद्धे सुवर्णे
मातर्मात्रार्धतत्वे मतिमतिमतिदे माधवप्रीतिमोदे॥8॥
ह्रूं ह्रूं ह्रूं स्वस्वरूपे दह दह दुरितं पुस्तकव्यग्रहस्ते
सन्तुष्टाकारचित्ते स्मितमुखि सुभगे जृम्भिणि स्तम्भविद्ये।
मोहे मुग्धप्रवाहे कुरु मम विमतिध्वान्तविध्वंसमीडे
गीर्गौर्वाग्भारति त्वं कविवररसनासिद्धिदे सिद्दिसाध्ये॥9॥
स्तौमि त्वां त्वां च वन्दे मम खलु रसनां नो कदाचित्यजेथा
मा मे बुद्धिर्विरुद्धा भवतु न च मनो देवि मे यातु पापम्।
मा मे दुःखं कदाचित्क्कचिदपि विषयेऽप्यस्तु मे नाकुलत्वं
शास्त्रे वादे कवित्वे प्रसरतु मम धीर्मास्तु कुण्ठा कदापि॥10॥
इत्येतैः श्लोकमुख्यैः प्रतिदिनमुषसि स्तौति यो भक्तिनम्रो
वाणी वाचस्पतेरप्यविदितविभवो वाक्पटुर्मृष्ठकण्ठः।
स स्यादिष्टार्थलाभैः सुतमिव सततं पाति तं सा च देवी
सौभाग्यं तस्य लोके प्रभवति कविता विघ्नमस्तं प्रयाति॥11॥
निर्विघ्नं तस्य विद्या प्रभवति सततं चाश्रुतग्रंथबोधः
कीर्तिस्रैलोक्यमध्ये निवसति वदने शारदा तस्य साक्षात्।
दीर्घायुर्लोकपूज्यः सकलगुणानिधिः सन्ततं राजमान्यो
वाग्देव्याः संप्रसादात्रिजगति विजयी जायते सत्सभासु॥12॥
ब्रह्मचारी व्रती मौनी त्रयोदश्यां निरामिषः।
सारस्वतो जनः पाठात्सकृदिष्टार्थलाभवान्॥13॥
पक्षद्वये त्रयोदश्यामेकविंशतिसंख्यया।
अविच्छिन्नः पठेद्धीमान्ध्यात्वा देवीं सरस्वतीम्॥14॥
सर्वपापविनिर्मुक्तः सुभगो लोकविश्रुतः।
वांछितं फलमाप्नोति लोकेऽस्मिन्नात्र संशयः॥15॥
ब्रह्मणेति स्वयं प्रोक्तं सरस्वत्यां स्तवं शुभम्।
प्रयत्नेन पठेन्नित्यं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥16॥
॥इति श्रीमद्ब्रह्मणा विरचितं सरस्वतीस्तोत्रं संपूर्णम्॥
सरस्वती स्तोत्र | Saraswati Stotra
रविरुद्रपितामहविष्णुनुतं हरिचन्दनकुङ्कुमपङ्कयुतम्।
मुनिवृन्दगजेन्द्रसमानयुतं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥१॥
शशिशुद्धसुधाहिमधामयुतं शरदम्बरबिम्बसमानकरम्।
बहुरत्नमनोहरकान्तियुतं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥२॥
कनकाब्जविभूषितभूतिभवं भवभावविभाषितभिन्नपदम्।
प्रभुचित्तसमाहितसाधुपदं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥३॥
भवसागरमज्जनभीतिनुतं प्रतिपादितसन्ततिकारमिदम्।
विमलादिकशुद्धविशुद्धपदं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥४॥
मतिहीनजनाश्रयपादमिदं सकलागमभाषितभिन्नपदम्।
परिपूरितविश्वमनेकभवं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥५॥
परिपूर्णमनोरथधामनिधिं परमार्थविचारविवेकविधिम्।
सुरयोषितसेवितपादतलं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥६॥
सुरमौलिमणिद्युतिशुभ्रकरं विषयादिमहाभयवर्णहरम्।
निजकान्तिविलोपितचन्द्रशिवं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥७॥
गुणनैककुलं स्थितिभीतपदं गुणगौरवगर्वितसत्यपदम्।
कमलोदरकोमलपादतलं तव नौमि सरस्वति पादयुगम्॥८॥
सरस्वती स्तोत्रम का पाठ कैसे करे ? | Saraswati stotram ka path kaise kare ?
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करना चाहता है तो उसके लिए उस व्यक्ति को सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करने की संपूर्ण विधि अवश्य पता होनी चाहिए इसीलिए आज हम आप लोगों को सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करने की विधि बताएंगे.
- सरस्वती स्त्रोत तम का पाठ करने के लिए सबसे पहले आपको माता सरस्वती की तस्वीर को बाजार से खरीद कर लाना है.
- उसके पश्चात माता सरस्वती की पूजा करने के लिए संपूर्ण तैयारी करना है.
- स्नानादि करने के बाद माता सरस्वती की तस्वीर की स्थापना करनी है.
- उसके पश्चात तस्वीर के सामने आसन लगाकर बैठ जाना है.
- तस्वीर के सामने धूप – दीप और अगरबत्ती जलाना है.
- उसके पश्चात धूप – दीप और माता की तस्वीर का आचमन करना है.
- उसके पश्चात तस्वीर पर चंदन लगाना है.
- चंदन लगाते समय मंत्र का जाप अवश्य करें.चंदनस्य महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम आपदं हरति नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ||
- उसके बाद माता रानी को सिंगार का सामान भेंट करना है.
- उसके पश्चात सरस्वती स्तोत्रम का पाठ प्रारंभ करना है.
- पाठ समाप्त होने के पश्चात आरती करें और उसके बाद भोग के रूप में रखा गया प्रसाद सभी लोगों में वितरित कर देना है.
सरस्वती स्तोत्रम का पाठ करने के फायदे | Saraswati stotram ka path karne ke fayde
सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करने के बाद उसे कौन से फायदे मिलते हैं उसके बारे में जानकारी देंगे।
- सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करने से संगीत कला में वृद्धि मिलती है।
- सरस्वती माता को ज्ञान की देवी कहा गया है ऐसे में अगर आप सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करते हैं तो आपकी बुद्धि में विकास होता है।
- जिस समय आप माता सरस्वती के स्त्रोतम का पाठ कर रहे होते हैं उस समय आप के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा फैली होती है।
- माता सरस्वती को संगीत की देवी कहा गया है अगर कोई व्यक्ति संगीत में अत्यधिक लीन रहता है तो उसे सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोत का पाठ करने से संगीत कला में वृद्धि होती है।
- माता सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और ज्ञान , संगीत , तीव्र बुद्धि प्राप्त करने के लिए सरस्वती स्त्रोत्रम का पाठ अवश्य करें।
- अगर आपके आसपास कोई भी नकारात्मक उर्जा फैली हुई है उस उर्जा को दूर करने के लिए सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करना बहुत ही शुभ बताया गया है।
- किसी विद्यार्थी का मन पढ़ाई में नहीं लगता है वह कक्षा में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है तो उसे सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करना चाहिए इस स्त्रोतम का पाठ करने से कक्षा में ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
FAQ : saraswati stotram
सरस्वती जी का मंत्र क्या है ?
ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
सरस्वती मंत्र का जाप कैसे करें ?
सरस्वती मंत्र का जाप कब करना चाहिए ?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम saraswati stotram के बारे में बताया इसके अलावा सरस्वती स्त्रोतम का पाठ क्या है सरस्वती स्त्रोतम का पाठ कैसे करें सरस्वती स्त्रोतम का पाठ करने की लाभ क्या है इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी अगर आपने हमारे लिए कुछ ऐसे पड़ा है तो आपको ही सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।