Simon Test ki Normal report सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट : दोस्तों जब व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में संतान उत्पन्न नहीं होती है तो एक महिला और पुरुष के लिए समस्याएं पैदा हो जाती है जबकि बिना किसी गर्भ निरोधक उपाय के व्यक्ति संभोग करता है और साल 2 साल तक बच्चे नहीं होते हैं।ऐसी स्थिति में एक महिला की जांच करवाना जरूरी होता है वहीं पुरुष ने भी कुछ कमी हो सकती हैं तो पुरुष को भी जांच कराना जरूरी है परंतु महिला की जांच पुरुष करवा देता है और स्वयं अपनी जांच करवाने में संकोच महसूस करता है।
गर्भधारण ना होने की स्थिति में महिला के अंदर कई प्रकार की कमियां हो सकती हैं अतः एक स्त्री को कई प्रकार की जांच करवाना पड़ सकता है जबकि पुरुष को केवल सीमन टेस्ट से ही कमी को पता लगाया जा सकता है। यदि आप संतान उत्पन्न करने में अक्षम हो जाते हैं तो कहीं ना कहीं महिला और पुरुष दोनों में कल ही दिखाई देती है ऐसे में सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट कराना जरूरी होता है।
संभोग के दौरान एक पुरुष महिला की योनि में एक बार में कम से कम 20 से 50 शुक्राणुओं को स्खलित करता है जिसमें से लगभग एक तिहाई शुक्राणुओं की संरचना एक समान होती हैं जो गर्भधारण के लिए जिम्मेदार होते हैं। परंतु गर्भाशय के अंदर 50 से 100 शुक्राणु फेलोपियन ट्यूब में अंडे को निषेचित करने के लिए पहुंचते हैं जिसमें से 8 से 10 शुक्राणु अंडे को निषेचित करने के लिए अंडे के पास तक पहुंचने का प्रयास करते हैं।
इसके बावजूद भी यदि महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है तो निश्चित रूप से फर्टिलिटी की समस्या है और यह एक गंभीर समस्या हो सकती है ऐसे में स्त्री और पुरुष दोनों को सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट कराना जरूरी होता है।
सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट कब करवाएं | Simon Test ki Normal report
जब किसी भी नवविवाहित जोड़ी को 1 साल या 2 साल के अंदर बिना गर्भ निरोधक उपाय के महिला गर्भवती नहीं होती है तो ऐसे ही संतान प्राप्त करने के लिए सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट जरूरी हो जाती है। संतान उत्पन्न ना होने की स्थिति में महिला और पुरुष दोनों को अपनी जांच करवानी चाहिए क्योंकि कभी-कभी पुरुषों ने भी स्पर्म कम मात्रा में बनता है जिसकी वजह से फर्टिलिटी की समस्या उत्पन्न होती है।
महिला की जांच कौन-कौन सी होती है ?
जब कभी भी गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न होती है तो महिलाओं की पहली जांच कराई जाती है जिसके अंतर्गत कुछ जाचे इस प्रकार से होती है।
1. फैलोपियन ट्यूब
गर्भधारण की समस्या के दौरान महिला के फैलोपियन ट्यूब की जांच की जाती है कभी-कभी महिला में फैलोपियन ट्यूब में कमी आ जाती है जैसे टेढ़ापन या फैलोपियन ट्यूब का छोटा या बड़ा होना
2. गर्भाशय
महिला में गर्भाशय की भी समस्या होती है जिसके अंतर्गत कुछ महिलाओं के गर्भाशय छोटे होते हैं और कभी-कभी गर्भाशय में गांठ पड़ जाती है जिस प्रकार की समस्याएं सुलझाने के लिए गर्भाशय का अल्ट्रासाउंड आज के द्वारा इलाज किया जाता है।
3. अण्डाशय
गर्भधारण की समस्या का एक कारण अण्डाशय होता है अर्थात कभी-कभी अंडाशय में अंडाणु ना बनते हैं या फिर अंडाशय में गांठ हो सकती हैं इस प्रकार की समस्या की जांच करना आवश्यक होता है
4. खून की
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खून की जांच महिला की प्रमुख जांच में एक है क्योंकि कभी-कभी खून की कमी के कारण है गर्भधारण की समस्या उत्पन्न होती हैं
पुरुष के वीर्य की जांच में क्या होता है ?
जब महिला की पूरी तरह से जांच कर ली जाती है तो पुरुष की जांच आवश्यक हो जाती है कई बार ऐसा ही होता है कि महिला की जांच में सब कुछ सामान्य होता है फिर भी गर्भधारण नहीं होता है। ऐसी स्थिति में पुरुष के सीमेंट की नार्मल रिपोर्ट लेना जरूरी होता है क्योंकि पुरुष में केवल सीमेन टेस्ट से ही सभी प्रकार की कमी पता हो जाती है।
पुरुष के सीमन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट लेने से वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या गतिशीलता आकार और जीवित शुक्राणुओं की संख्या का पता चल जाता है जिससे सीमेन का सुधार करके फर्टिलिटी की समस्या समाप्त की जा सकती है।
पुरुष के वीर्य की जांच में क्या देखा जाता है ?
जब महिला की फर्टिलिटी की जांच हो जाती है तो सामान्य होने की स्थिति में पुरुष के सीमेन टेस्ट की नॉर्मल रिपोर्ट ली जाती है और उसके अंतर्गत विश्लेषण करके निम्नलिखित चीजें देखी जाती है
1. वीर्य की मात्रा और शुक्राणु की संख्या
एक सामान्य पुरुष में 30 से 40 लाख से ऊपर प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या होनी चाहिए अगर सीमेन टेस्ट किया जाता है तो सबसे पहले शुक्राणु की संख्या देखी जाती है
यदि पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 20 मिलियन प्रति मिलीलीटर से अधिक है तो सामान्य होती है यदि इससे कम है तो संतान पैदा करने में पुरुष अक्षम हो जाता है ऐसे में सबसे पहले पुरुष के वीर्य का टेस्ट और शुक्राणुओं की संख्या का टेस्ट किया जाता है
2. शुक्राणु की गतिशीलता
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पुरुष के सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट में यह देखा जाता है कि शुक्राणु की गतिशीलता कितनी अच्छी है यदि पुरुष के शुक्राणु की गतिशीलता कम है तो वह अंडे को निषेचित करने के लिए नहीं पहुंच पाते हैं जिससे गर्भधारण की समस्या उत्पन्न होती है
कभी-कभी पुरुषों के शुक्राणु की बनावट और आकार में विकार उत्पन्न हो जाता है जिसकी वजह से निषेचन क्रिया बाधित होती हैं ऐसे में शुक्राणुओं के आकार और बनावट पर ध्यान देना जरूरी है। दरअसल शुक्राणु का टेढ़ापन जा आकार में कमी होना प्रदूषण या रेडिएशन हो सकता है ऐसे में शुक्राणु के आकार की जांच होना जरूरी है साथ ही शुक्राणु के डीएनए टेस्ट लेना भी होता है
4. शुक्राणु का जीवित होना देखा जाता है
कई बार ऐसा देखा गया है कि एक पुरुष पिता बनने में असमर्थ रहता है क्योंकि उसके शुक्राणुओं की जीवित संख्या में कमी होती हैं अर्थात बहुत से शुक्राणु स्खलन के तुरंत बाद मृत हो जाते हैं जिससे वे अंडाणु का निषेचन नहीं कर पाते हैं
5. शुक्राणु की संख्या की जांच
सामान्य पुरुष में 20 मिलियन प्रति मिलीलीटर से अधिक शुक्राणु होते हैं तभी महिला को प्रेग्नेंट किया जा सकता है अगर आपके अंदर 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर से कम शुक्राणु स्खलित होते हैं तो गर्भधारण की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं।
6. पीएच स्तर की जाँच
सीमेन टेस्ट की रिपोर्ट में पीएच वैल्यू को भी देखना जरूरी होता है क्योंकि यदि पीएच वैल्यू 7.2 ले 7.8 होती है तो सामान्य माना जाता है अगर पीएच वैल्यू 8 से अधिक है तो सीमेंट गड़बड़ है।
7. वीर्य की स्थिति
कभी-कभी पुरुषों में वीर्य पतला या गाढ़ा हो जाता है जिसकी वजह से ही महिला को प्रेग्नेंट करना कठिन करना ऐसे में जब हम अपने सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट लेते हैं तो पता चल जाता है ।
8. आईवीएफ
यदि पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या 5 से 10 मिनट के बीच है तो आईयूआई उपचार के द्वारा गर्भधारण में समस्या उत्पन्न होती है ऐसे में आईवीएफ उपचार बेहतर होता है जिससे महिला में अंडों का उत्सर्जन अधिक हो जाता है।
आईवीएफ के द्वारा हारमोंस के इंजेक्शन और दवाई देकर अंडों को बाहर निकाल कर उचित तापमान में रख दिया जाता है और लैब में अंडों को निषेचित कर के भ्रूण में विकसित कराया जाता है यह निसंतानता को दूर करने का एक कारगर उपाय है।
9. इक्सी
यदि पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी है तो ऐसी स्थिति में एक सी तकनीक से भी संतान उत्पन्न किया जा सकता है इसमें महिला के अंडों में शुक्राणु को इंजेक्ट करके निषेचित करवाया जाता है। यह तकनीक ऐसे समय में प्रयोग की जाती है जब एक पुरुष में शुक्राणु का उत्सर्जन नहीं हो पाता है तो उसके शुक्राणुओं को निकाल कर टेस्टीक्यूलर बायोप्सी से एक दंपति माता पिता बन जाता है।
वीर्य की जाँच के लिये वीर्य कैसे दे ?
यदि आपको अपनी सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट देना है तो कम से कम 72 घंटे पहले से वीर्य का स्खलन न करें और किसी भी प्रकार के मादक पदार्थ दारु शराब चाय बीड़ी सिगरेट का सेवन न करें। यदि किसी भी प्रकार की दवा का प्रयोग कर रहे हैं तो सीमेन टेस्ट देने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही सीमेन टेस्ट के लिए जाएं।
1. सीमेन कैसे निकाले
जब भी किसी भी व्यक्ति को अपने सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट करवाना है तो अपना सीमेन किस प्रकार से निकाल कर डॉक्टर को देना है इस विषय पर जानना जरूरी है।
2. हस्तमैथुन से वीर्य निकाल कर देना
सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट बनाने के लिए सीमेन को हस्तमैथुन के माध्यम से निकाला जा सकता है। हस्तमैथुन के द्वारा दिया गया सीमेंट सबसे ज्यादा उचित है तथा सही रिपोर्ट दी प्राप्त होती है।
3. कंडोम के साथ सेक्स करके वीर्य निकालना
सीमेन टेस्ट कराने के लिए कंडोम के साथ सेक्स करके निकाला जा सकता है परंतु यह क्रिया जटिल होती है इसलिए सीमेन टेस्ट की नॉर्मल रिपोर्ट अच्छी नहीं मिलती है क्योंकि तत्काल सेक्स करना संभव नहीं है।
4. विद्युत उपकरणों वीर्य निकालना
आज के समय में व्यक्ति को विद्युत उपकरणों के द्वारा उत्तेजना दी जाती है जिससे वीर्य स्खलित हो जाता है परंतु यदि क्रिया काफी जटिल होती है। यदि कोई व्यक्ति अपने सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट बनाना चाहता है तो उसे सबसे अच्छा वीर्य निकालने का तरीका हस्तमैथुन है क्योंकि सीमेन टेस्ट तभी अच्छी रिपोर्ट है मिलती है जब वीर्य निकलने से 20 मिनट के अंदर लाइव में वीर्य पहुंच जाए।
निष्कर्ष
जब कोई भी दंपत्ति संतान प्राप्त करने में अक्षम है तो उसे तत्काल अपने सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट करा लेनी चाहिए क्योंकि महिलाओं के अलावा पुरुषों में भी कभी-कभी कमी हो जाती है जिसकी वजह से संतान पैदा करने में समस्याएं होती हैं।
हालांकि महिलाओं में कई प्रकार की समस्याएं होती है इसलिए महिला की भी जांच करवाना आवश्यक हो जाता है जब महिला की रिपोर्ट सामान्य है तभी पुरुष को अपने सीमेन टेस्ट की नार्मल रिपोर्ट करवानी चाहिए।
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