संपूर्ण श्रीसूर्यकवचस्तोत्रम् एवं सूर्य भगवान् आरती पाठ विधि और पाठ के 6 फायदे | surya kavacham

सूर्य कवचम | surya kavacham : भगवान सूर्य देव हिंदू धर्म के एक करुणानिधान देवता है जो सभी जीवो पर अपनी कृपा बरसाते रहते हैं। इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सूर्य भगवान के सबसे ज्यादा शक्तिशाली कवच surya kavacham के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस प्रकार हमारे हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित किए गए हैं उसी प्रकार रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित किया गया है.

हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सूर्य कवचम में भगवान भास्कर की अंतिम कृपा रहती है शास्त्रों के मुताबिक कहा गया है कि पृथ्वी पर जितने भी जीव प्राणी अभी तक जीवित हैं उनके जीवित होने का कारण सूर्यदेव ही है क्योंकि नवग्रहों में से सबसे बड़ा ग्रह सूर्य को माना जाता है ज्योतिष शास्त्र में ऐसा लिखा है कि सूर्य को समस्त ग्रहों का राजा कहा गया है.

ऐसे में अगर कोई भी व्यक्ति surya kavacham का पाठ सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए करता है तो उस व्यक्ति को सूर्य भगवान की कृपा प्राप्त होती है हिंदू धर्म के पंच देवताओं में से एक देवता आदित्य का पूजन पूरे विश्व में किया जाता है। कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य भगवान का स्थान अच्छा होता है तो वह व्यक्ति तेजस्वी और आत्मविश्वास ही होता है.

उस व्यक्ति को अच्छे फल प्राप्त होते हैं उस व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाएं नहीं होती हैं चलिए अब हम आपको बताते हैं कि सूर्य कवचम का प्रतिदिन तीन बार पाठ करने से सूर्य देवता की शांति की जा सकती है। इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से surya kavacham का पाठ कैसे किया जाता है और सूर्य कवच लिखित में देने वाले हैं।

अगर कोई व्यक्ति सूर्य कवच का पाठ करता है तो उस व्यक्ति को सूर्य कवच के लाभ क्या है इसके बारे में जानकारी होना आवश्यक है अगर आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ते हैं तो आपको इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी अवश्य प्राप्त हो जाएगी इसीलिए आप हमारे इसलिए को को अंत तक अवश्य पढ़ें।

सूर्य भगवान कौन है ? | Surya bhagwan kaun hai ?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति भगवान शिव जी के बारे में जानना चाहता है कि सूर्य देवता कौन है तो हम आपको बता दें कि हमारे हिंदू धर्म में पंच देवताओं में से एकमात्र सूर्य देवता ही ऐसे हैं जो संपूर्ण सृष्टि को अभी तक जीवित रखे हैं हमारे हिंदू धर्म के एक महान देवता जो सभी प्राणियों को नित्य प्रति ताप देते हैं वैसे तो अधिकतर लोगों को सूर्य भगवान के बारे में जानकारी होगी और यह भी जानते होंगे.

कि भगवान सूर्य के बिना जीवन की कल्पना करना बहुत ही मुश्किल है भगवान सूर्य के पिता का नाम ऋषि कश्यप था और उनकी माता का नाम अदिति था भगवान सूर्य के पिता महर्षि कश्यप के 33 पुत्र थे अर्थात 33 पुत्रों में से 12 पुत्र आदिति देवी के थे।

surya

ऋषि कश्यप के सभी पुत्र देवता की श्रेणी में आते थे और उन्हीं में से एक पुत्र का नाम सूर्य देव है सूर्य देवता का विवाह संज्ञा देवी के साथ हुआ था जो देव शिल्पी विश्वकर्मा जी की पुत्री हैं कुछ समय बीतने के बाद भगवान सूर्य को प्रमुख 3 पुत्र हुए थे उनका नाम यमुना , यम , और शनि देव यह तीनों भगवान सूर्य के पुत्र हैं.

शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि भगवान सूर्य के और भी पुत्र थे जो भगवान सूर्य के अंशु द्वारा उत्पादित हुए थे जैसे कि कपिराज सुग्रीव, सूर्यपुत्र कर्ण आदि भी सूर्य देव के पुत्र हैं।

सूर्य कवचम का पाठ क्यों किया जाता है ? | Surya kavacham ka paath Kyon Kiya jata hai ?

तो चलिए अब हम आप लोगों को सूर्य कवचम के बारे में बताते हैं अब आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर सूर्य कवचम का पाठ क्यों किया जाता है सूर्य कवचम को भगवान सूर्य को समर्पित किया गया है इन को प्रसन्न करने के लिए इस कवच का पाठ किया जाता है सूर्य कवच धारण करने से और प्रतिदिन इसका पाठ करने से सूर्य भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और उस व्यक्ति के ऊपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं और साथ ही सुख – समृद्धि , सुंदरता और संपत्ति भी देते हैं।

सूर्य कवचम की महिमा के बारे में ग्रंथों में उल्लेख किया गया है यह एक ऐसा कवच है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकता है लेकिन इसके लिए उस व्यक्ति को प्रात काल उठकर सूर्य देव को नमस्कार करने के बाद सूर्य कवच का पाठ करना चाहिए शुभ मुहूर्त में सूर्य कवच का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।क्या आप जानते हैं कि सूर्य कवचम की रचना किसने की थी तो हम आपको बता दें कि सूर्य कवचम की रचना ब्रह्मा ऋषिवर ने की थी।

सूर्य कवचम | surya kavacham

Surya

श्रीसूर्यध्यानम्

रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।
पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैः
माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥

श्री सूर्यप्रणामः

जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥

। याज्ञवल्क्य उवाच ।

श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥ १॥

दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥२ ॥

शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।
नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥

घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।
जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥ ४ ॥

स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥५ ॥

सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥६ ॥

सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः ।

स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥ ७ ॥
॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥

Surya kavacham का पाठ कैसे करें ? | Surya kavacham ka paath kaise karen ?

surya

  1. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति सूर्य कवचम का पाठ करना चाहता है तो उसके लिए उस व्यक्ति को सूर्य का वचन की संपूर्ण विधि अवश्य पता होनी चाहिए जो कि आज हम आपको विस्तार से बताएंगे।
  2. सूर्य कवच का पाठ करने के लिए रविवार के दिन सुबह प्रातः काल उठकर स्नानादि से निश्चिंत होने के बाद सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
  3. उसके बाद सूर्य भगवान के सामने धूप , दीप और फूल चढ़ाएं।
  4. उसके पश्चात भगवान सूर्य को श्रद्धा पूर्वक नमस्कार करें और उसी के समक्ष surya kavacham का पाठ प्रारंभ करें।
  5. सूर्य कवच का पाठ समाप्त होने के बाद भगवान सूर्य के प्रिय मंत्र का उच्चारण करें और उस मंत्र को धारण कर ले।
  6. भगवान सूर्य को अरग देने के बाद सूर्य भगवान के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप करके एक लॉकेट को लेकर अपने गले में धारण करने ले।
  7. Surya kavacham का पाठ करने से पहले आपको एक बात का विशेष ध्यान रखना है कि बिना पूजा किए हुए सूर्य कवच का पाठ ना करें।
  8. अगर आप बिना पूजा किए हुए सूर्य कवच का प्रयोग करते हैं तो यह आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है।

सूर्य कवच के फायदे | Surya kavacham ke fayde

  1. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति सूर्य कवच का पाठ करता है तो उस व्यक्ति को समाज में सम्मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
  2. सूर्य कवच का पाठ करने से आपके सभी कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाते हैं।
  3. सूर्य कवच इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि इसका जाप करने से मात्र सौभाग्य के साथ-साथ यस और पराक्रम भी प्राप्त होता है।
  4. सूर्य कवच का पाठ करके आप स्वयं को एक रक्षा कवच दे सकते हैं।
  5. अपने जीवन की सभी प्रकार की आपदाओं को दूर करने के लिए सूर्य कवच का पाठ करना शुभ माना जाता है।
  6. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति रविवार के दिन सूर्य कवच का पाठ करता है तो यह उसके लिए धन लाभ भी हो सकता है।

सूर्य भगवान की आरती | Surya Bhagwan ki aarti

Sun

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

FAQ : Surya kavacham

सूर्य का मूल मंत्र क्या है ?

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ।।

सूर्य को जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए ?

भगवान सूर्य का गायत्री मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है भगवान सूर्य को अर्घ देने के बाद इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति प्राप्त होती है और दिमाग एकाग्रता की ओर बढ़ता है। गायत्री मंत्र - ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ओम सूर्याय नमः बोलने से क्या होता है ?

ॐ हूं सूर्याय नम: भगवान सूर्य का यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है इस मंत्र के द्वारा मन को मानसिक शांति दी जा सकती है और उसके साथ व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि भी लाई जा सकती है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से surya kavacham के बारे में जानकारी दी इसके अलावा सूर्य कवच का पाठ कैसे करना चाहिए भगवान सूर्य कौन है ? सूर्य कवच का पाठ क्यों करना चाहिए? सूर्य कवच का पाठ करने के लाभ क्या है? इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी अवश्य प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे और आपको सूर्य कवच के बारे में जानकारी प्राप्त हो गई होगी।