Gayatri mantra ka kya arth hai ? हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को गायत्री मंत्र का अर्थ बताएंगे हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को महामंत्र के नाम से जाना जाता है ऐसा माना जाता है कि दुनिया की पहली पुस्तक ऋग्वेद की शुरुआत इसी मंत्र से हुई थी और यह एक ऐसा मंत्र है जिसको पढ़ने के बाद मन को शांति का अनुभव होता है मन के साथ ही हमारे तन को भी शांति मिलती है.
गायत्री मंत्र के उच्चारण से ही हमारे मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों का विनाश होता है और हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का विकास होता है गायत्री मंत्र को वेद ग्रंथ की माता के नाम से भी जाना जाता है यह मंत्र हिंदुओं का सबसे उत्तम मंत्र है तो दोस्तों आज हम इस लेख में गायत्री मंत्र क्या है? मंत्र का अर्थ क्या है? गायत्री मंत्र के फायदे गायत्री मंत्र के उपाय इन सारे विषयों पर चर्चा करेंगे और आपको इसकी पूरी जानकारी देंगे तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि गायत्री मंत्र का अर्थ क्या है?
- 1. गायत्री मंत्र क्या है ?
- 2. गायत्री मंत्र का अर्थ
- 3. गायत्री मंत्र किस देवता की आराधना है
- 4. गायत्री मंत्र के लेखक कौन हैं?
- 5. गायत्री मंत्र का दूसरा नाम क्या है ?
- 6. गायत्री मंत्र कब बोलना चाहिए
- 7. गायत्री मंत्र कैसे बोला जाता है?
- 8. गायत्री मंत्र कितनी बार बोला जाता है
- 9. गायत्री मंत्र का जाप करने से क्या होता है?
- 10. गायत्री मंत्र का जाप करने के फायदे
- 11. गायत्री मंत्र के उपाय
- 12. गायत्री मंत्र का जाप करते हुए रखें सावधानी?
- 13. FAQ : गायत्री मंत्र
- 13.1. मंत्र शब्द का क्या अर्थ है?
- 13.2. गायत्री माता किसका रूप है ?
- 13.3. महामंत्र कौन है?
- 14. निष्कर्ष
गायत्री मंत्र क्या है ?
गायत्री मंत्र एक ऐसा जाप है जिसको हर शुभ कार्य में बोला जाता है और यह विद्यालयों में भी बोला जाता है हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र को महामंत्र के नाम से जाना जाता है और कहां जाता है कि दुनिया की पहली पुस्तक ऋग्वेद की शुरुआत इसी मंत्र से हुई थी
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्,
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्!
गायत्री मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र मंत्रों का महामंत्र कहा जाता है एक ऐसा मंत्र जिसके उच्चारण से ही मन को शांति मिलती है चारों वेदों से मिले इस गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से ही व्यक्ति के जीवन में कष्टों का नाश हो जाता है एवं खुशियों का संचार होने लगता है और इस मंत्र का जाप करने से आपका शरीर निरोग बनता है और इंसान को यश की प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति भी होती है गायत्री मंत्र का अर्थ क्या है आइए आज हम आपको इसका शाब्दिक अर्थ बताएंगे
ॐ | सर्वरक्षक परमात्मा |
भूर्भुव | धरती और अंतरिक्ष |
स्व | स्वर्ग लोक |
तत्सवितुर्वरेण्यम् | सृष्टि कर्ता परमात्मा पूजनीय है |
भुर्ग देवस्य धीमहि | पाप निवारक और ज्ञान रूपी ईश्वर को हम नमन करते हैं |
धियो यो न: प्रचोदयात् | ईश्वर हमारा अज्ञान दूर कर हमें राह दिखाए |
गायत्री मंत्र किस देवता की आराधना है
गायत्री मंत्र सूर्य देव की आराधना है
गायत्री मंत्र के लेखक कौन हैं?
गायत्री मंत्र के लेखक विश्वामित्र को कहा जाता है।
गायत्री मंत्र का दूसरा नाम क्या है ?
गायत्री मंत्र का दूसरा नाम तारक मंत्र भी है जिसका अर्थ पैरा कर पार निकाल देने वाली शक्ति जिसे हम गायत्री मंत्र के नाम से जानते हैं.
गायत्री मंत्र कब बोलना चाहिए
गायत्री मंत्र का जाप सुबह प्रातः सूर्य उदय से पहले और सूर्य उदय हो जाने के बाद तक करना चाहिए और फिर दोपहर में और फिर शाम को सूर्य अस्त होने के पहले और सूर्य अस्त होने के बाद तक करना चाहिए गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
गायत्री मंत्र कैसे बोला जाता है?
गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले साफ-सुथरे वस्त्र पहने और उसके बाद चटाई पर बैठ जाएं और गायत्री मंत्र शुरू करने से पहले तुलसी या चंदन का माला प्रयोग करें और सुबह पूर्व दिशा की ओर मुंह करके गायत्री मंत्र का जाप करें और अगर आप शाम को भी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो शाम को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र का जाप करें।
गायत्री मंत्र कितनी बार बोला जाता है
गायत्री मंत्र का जाप रोज सुबह घर से बाहर निकलने से पहले 5 बार या 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है इससे सिद्ध सफलता और उच्च जीवन की प्राप्ति होती है अगर आप मंदिर जाते हैं तो आपको मंदिर में प्रवेश करने से पहले सभी देवी देवताओं को याद करते हुए 12 बार गायत्री मंत्र का जाप करते हुए अंदर प्रवेश करना चाहिए
गायत्री मंत्र का जाप करने से क्या होता है?
ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत और एकाग्र हो जाता है और घर के सभी दुख और दरिद्रता का नाश हो जाता है यह भी माना जाता है कि गायत्री मंत्र का जाप करने से संतान की प्राप्ति होती है और किसी भी कार्य को करने से पहले अगर आप गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो आपका वह कार्य अवश्य सफल होगा।
गायत्री मंत्र का जाप करने के फायदे
1. इस मंत्र का जाप करने से उत्साह एवं सकारात्मकता बढ़ती है।
2. गायत्री मंत्र का जाप करने से धर्म एवं सेवा कार्यों में मन लगता है।
3. गायत्री मंत्र का जाप करने से पूर्वाभास होने लगता है।
4. आशीर्वाद देने की शक्ति बढ़ती है।
5. स्वप्न सिद्धि प्राप्त होती है।
6. इसका जाप करने से आपका क्रोध शांत रहता है।
7. रोज सुबह और शाम गायत्री मंत्र का जाप करने से आपके चेहरे पर चमक आती है।
8. और बुराइयों से मन दूर रहता है।
गायत्री मंत्र के उपाय
1. पहला 108 बार गायत्री मंत्र का जाप कर केवल जल का फूंक लगाने पर भी भूत आदि दोष दूर होते हैं
2. कुछ दिन नित्य 108 बार गायत्री मंत्र जपने के बाद जिस तरफ मिट्टी का ढीला फेंका जाएगा उस तरफ से शत्रु वायु अग्निदोष दूर हो जाएगा
3. दुखी होकर मंत्र का जाप कर कुशा पर फूंक मारकर शरीर का स्पर्श करने से प्रकार के रोग भूत भय नष्ट हो जाते हैं
4. शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे गायत्री मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की ग्रह बाधा से मुक्ति मिलती हैं।
5. लाल कमल या चमेली के फूल एवं शाली चावल से हवन करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
6. गायत्री मंत्र का जाप करते हुए फूलों का हवन करने से सर्व सुख प्राप्ति होती है।
गायत्री मंत्र का जाप करते हुए रखें सावधानी?
- गायत्री मंत्र का जाप हरदम आसन पर बैठकर ही करना चाहिए तभी वह लाभकारी होता है
- गायत्री मंत्र का जाप तुलसी एवं चंदन के माला का प्रयोग करके ही जाप करना चाहिए
- इस मंत्र को धैर्य के साथ ध्यान में रखकर ही पढ़ना चाहिए
- गायत्री मंत्र का जाप रात में नहीं करना चाहिए गायत्री मंत्र का जाप हरदम ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए
FAQ : गायत्री मंत्र
मंत्र शब्द का क्या अर्थ है?
जब कोई व्यक्ति किसी विचार को मुख से बार बार 'विचार' या 'चिन्तन' करता है। उसे ही हम मंत्र कहते है। मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है साधारण वाक्यों जिन्हें हम बंधन में नहीं डालते है बल्कि बन्धन से मुक्त करते है.
गायत्री माता किसका रूप है ?
गायत्री माता का रूप भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी को कहा जाता है सरस्वती को और माँ पार्वती लक्ष्मी की अवतार भी गायत्री माता को ही कह जाता है
महामंत्र कौन है?
मंत्रों का मंत्र महामंत्र गायत्री ,मंत्र को कहा जाता है गायत्री मंत्र यह प्रथम इसलिए कि विश्व की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद की शुरुआत ही इस मंत्र से होती है। इसलिए इसे महामंत्र कहा जाता है यह मंत्र इस प्रकार है- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
निष्कर्ष
दोस्तों जैसे कि आपने देखा मैंने आज आपको गायत्री मंत्र का अर्थ बताया और उसके साथ साथ गायत्री मंत्र से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख में दी है दोस्तों अब आपको समझ में आ गया होगा कि गायत्री मंत्र का अर्थ क्या है और उससे जुड़ी सारी जानकारी दोस्तों अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं