सम्पूर्ण चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf डाउनलोड एवं लाभ और पाठ विधि | Chandi Stotra ka path in hindi pdf

चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf | Chandi Stotra ka path in hindi pdf : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf के बारे में बताने वाले हैं आपने मां दुर्गा का नाम तो सुना ही होगा मां दुर्गा बहुत ही शक्तिशाली देवी मानी जाती है.

दुर्गा के नव रूप है इनके नो रूप बहुत ही विकराल है आदिशक्ति दुर्गा हिंदू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है जिन्हें माता , देवी ,शक्ति ,भगवती, माता रानी, जगत, जननी, जगदंबा आदि नामों से जाना जाता है मां दुर्गा आदिशक्ति परम भगवती अर्थात अत्यधिक अहंकार व अज्ञानता रूपी राक्षसों से रक्षा करने वाली ममतामई मोक्ष प्रदान करने वाली तथा कल्याणकारी देवी मानी जाती है.

मां दुर्गा के बारे में ऐसी मान्यता है कि वह शांति , समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाले लोगों या राक्षसों की शक्ति का विनाश करती है इसीलिए आज हम आपको एक ऐसे ही सोच के बारे में बताएंगे जिसका उपयोग करने से आपको किसी भी संकट से अपने आप को छुड़ा सकते हैं.

क्योंकि इस लेख के माध्यम से हम आपको चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf के बारे में बताने वाले हैं अगर आप इस स्त्रोत के बारे में जानना चाहते हैं या फिर चंडी स्त्रोत से जुड़े अन्य स्त्रोतों के बारे में जानकारी चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख को अन्य तक अवश्य पढ़ें.

चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf | Chandi Stotra ka path in hindi pdf

इस लिंक पर जाकर आप आसानी से चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf | Chandi Stotra ka path in hindi pdf डाउनलोड कर सकते हैं.

चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf | Chandi Stotra ka path in hindi pdfDownload pdf 

चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf | Chandi Stotra ka path in hindi pdf

Durga

दुर्ल्लभं मारिणींमार्ग दुर्ल्लभं तारिणींपदम्।

मन्त्रार्थ मंत्रचैतन्यं दुर्ल्लभं शवसाधनम्।।

श्मशानसाधनं योनिसाधनं ब्रह्मसाधनम्।

क्रियासाधनमं भक्तिसाधनं मुक्तिसाधनम्।।

तव प्रसादाद्देवेशि सर्व्वाः सिध्यन्ति सिद्धयः।।

नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनी।

नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनी।।

शिवे रक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे।

प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम्।।

जगत्क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम्।

करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम्।।

हरार्च्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम्।

गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालंकार भूषिताम्।।

हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम्।

सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरगणैर्युताम्।

मंत्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंगशोभिताम्।।

प्रणमामि महामायां दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम्।।

उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम्।

नीलां नीलघनाश्यामां नमामि नीलसुंदरीम्।।

श्यामांगी श्यामघटितांश्यामवर्णविभूषिताम्।

प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्व्वार्थसाधिनीम्।।

विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम्।

आद्यमाद्यगुरोराद्यमाद्यनाथप्रपूजिताम्।।

श्रीदुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मा सुरेश्वरीम्।

प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम्।।

त्रिपुरासुंदरी बालमबलागणभूषिताम्।

शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम्।।

सुंदरीं तारिणीं सर्व्वशिवागणविभूषिताम्।

नारायणी विष्णुपूज्यां ब्रह्माविष्णुहरप्रियाम्।।

सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यगुणवर्जिताम्।

सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्च्चितां सर्व्वसिद्धिदाम्।।

दिव्यां सिद्धि प्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम्।

महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम्।।

प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम्।।

रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम्।

भैरवीं भुवनां देवी लोलजीह्वां सुरेश्वरीम्।।

चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम्।

त्रिपुरेशी विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम्।।

अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशीनीम्।

कमलां छिन्नभालांच मातंगीं सुरसुंदरीम्।।

षोडशीं विजयां भीमां धूम्रांच बगलामुखीम्।

सर्व्वसिद्धिप्रदां सर्व्वविद्यामंत्रविशोधिनीम्।।

प्रणमामि जगत्तारां सारांच मंत्रसिद्धये।।

इत्येवंच वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम्।

पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनी।।

कुजवारे चतुर्द्दश्याममायां जीववासरे।

शुक्रे निशिगते स्तोत्रं पठित्वा मोक्षमाप्नुयात्।

त्रिपक्षे मंत्रसिद्धिः स्यात्स्तोत्रपाठाद्धि शंकरि।।

चतुर्द्दश्यां निशाभागे शनिभौमदिने तथा।

निशामुखे पठेत्स्तोत्रं मंत्रसिद्धिमवाप्नुयात्।।

केवलं स्तोत्रपाठाद्धि मंत्रसिद्धिरनुत्तमा।

जागर्तिं सततं चण्डी स्तोत्रपाठाद्भुजंगिनी।।

चंडी स्त्रोत का पाठ करने के लाभ | Chandi Stotra ka path karne ke labh

अगर आप मुझसे कोई भी व्यक्ति चंडी स्त्रोत का पाठ करने के लाभ के बारे में जानना चाहता है तो आज हम उसे चंडी स्त्रोत का पाठ करने के निम्न लाभ के बारे में बताएंगे. शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि सभी देवताओं में भगवान विष्णु एक ऐसे श्रेष्ठ देवता है जो बहुत ही शक्तिशाली हैं.

जिस प्रकार सभी स्थितियों में से दुर्गा सप्तशती सबसे अधिक ताकतवर मानी जाती है उसी में से नवरात्रि के दिनों में की जाने वाली चंडी स्त्रोत का पाठ भी नवरात्रि के दिनों में किया जाता है इस स्त्रोत का पाठ करने के कई सारे लाभ प्राप्त होते हैं.

  1. चंडी स्त्रोत का पाठ करने से आने वाली पारिवारिक संकट दूर हो जाते हैं.
  2. स्त्रोत का पाठ करने से परिवार की सुख – समृद्धि वापस आ जाती है.
  3. चंडी स्त्रोत का पाठ करने से संतान की प्राप्ति होती है.
  4. धन के लाभ के लिए चंडी स्त्रोत का पाठ करना शुभ माना जाता है.
  5. चंडी स्त्रोत का पाठ करने से भयंकर संकट , असाध्य रोग दूर हो जाते हैं.

श्री चण्डी-ध्वज स्तोत्रम् | Shri Chandi Dhwaja Stotram

Durga

॥ विनियोग ॥
अस्य श्री चण्डी-ध्वज स्तोत्र मन्त्रस्य मार्कण्डेय ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रां बीजं, श्रीं शक्तिः, श्रूं कीलकं मम वाञ्छितार्थ फल सिद्धयर्थे विनियोगः.

॥ अंगन्यास ॥
श्रां, श्रीं, श्रूं, श्रैं, श्रौं, श्रः ।

॥ मूल पाठ ॥
ॐ श्रीं नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै भूत्त्यै नमो नमः ।
परमानन्दरुपिण्यै नित्यायै सततं नमः॥१॥

नमस्तेऽस्तु महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥२॥

रक्ष मां शरण्ये देवि धन-धान्य-प्रदायिनि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥३॥

नमस्तेऽस्तु महाकाली पर-ब्रह्म-स्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥४॥

नमस्तेऽस्तु महालक्ष्मी परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥५॥

नमस्तेऽस्तु महासरस्वती परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा॥६॥

नमस्तेऽस्तु ब्राह्मी परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥७॥

नमस्तेऽस्तु माहेश्वरी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥८॥

नमस्तेऽस्तु च कौमारी परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥९॥

नमस्ते वैष्णवी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१०॥

नमस्तेऽस्तु च वाराही परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥११॥

नारसिंही नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१२॥

नमो नमस्ते इन्द्राणी परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१३॥

नमो नमस्ते चामुण्डे परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१४॥

नमो नमस्ते नन्दायै परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१५॥

रक्तदन्ते नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१६॥

नमस्तेऽस्तु महादुर्गे परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१७॥

शाकम्भरी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१८॥

शिवदूति नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥१९॥

नमस्ते भ्रामरी देवि परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२०॥

नमो नवग्रहरुपे परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२१॥

नवकूट महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२२॥

स्वर्णपूर्णे नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२३॥

श्रीसुन्दरी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२४॥

नमो भगवती देवि परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२५॥

दिव्ययोगिनी नमस्ते परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२६॥

नमस्तेऽस्तु महादेवि परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२७॥

नमो नमस्ते सावित्री परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२८॥

जयलक्ष्मी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥२९॥

मोक्षलक्ष्मी नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरुपिणि ।
राज्यं देहि धनं देहि साम्राज्यं देहि मे सदा ॥३०॥

चण्डीध्वजमिदं स्तोत्रं सर्वकामफलप्रदम् ।
राजते सर्वजन्तूनां वशीकरण साधनम् ॥३१॥

सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

श्री चण्डी-ध्वज स्तोत्रम् के फायदे | Shri Chandi Dhwaja Stotram ke fayde

वैसे तो आप में से कुछ लोग इस बात की जानकारी अवश्य रखते होंगे कि मां दुर्गा के कितने रूप हैं मां दुर्गा के अनेकों रूप है उन्हीं रूपों में से एक रूप देवी चंडी का है या देवी काली मां के समान ही होती है चंडी की पूजा भी प्रातः उग्र रूप में की जाती है.

  1. श्री चंडी ध्वज स्त्रोतम का पाठ करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान होती है.
  2. इसके पश्चात श्री चंडी ध्वज स्त्रोतम का पाठ करने से शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.

श्री मंगलचंडि स्तोत्र | Shri Mangal Chandi strot

durga

|| श्री मंगलचंडि स्तोत्र ||

मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मङ्गलचण्डिके ऐं हुं हुं फट् स्वाहा।

ध्यानं

देवीं षोडशवर्षीयां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् |
बिम्बोष्टिं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभाननाम् ||
श्वेतचम्पकवर्णाभां सुनीलोल्पललोचनाम् |
जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् ||
संसारसागरे घोरे पोतरुपां वरां भजे |
देव्याश्च ध्यानमित्येवं स्तवनं श्रूयतां मुने ||

महादेव उवाच (स्तुती)

रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मङ्गलचण्डिके |
हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके ||
हर्षमङ्गलदक्षे च हर्षमङ्गलचण्डिके |
शुभे मङ्गलदक्षे च शुभमङ्गलचण्डिके ||
मङ्गले मङ्गलार्हे च सर्व मङ्गलमङ्गले |
सतां मन्गलदे देवि सर्वेषां मन्गलालये ||
पूज्या मङ्गलवारे च मङ्गलाभीष्टदैवते |
पूज्ये मङ्गलभूपस्य मनुवंशस्य संततम् ||
मङ्गलाधिष्टातृदेवि मङ्गलानां च मङ्गले |
संसार मङ्गलाधारे मोक्षमङ्गलदायिनि ||
सारे च मङ्गलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् |
प्रतिमङ्गलवारे च पूज्ये च शुभसुखप्रदे ||

फलश्रुती

स्तोत्रेणानेन शम्भुश्च स्तुत्वा मङ्गलचण्डिकाम् |
प्रतिमङ्गलवारे च पूजां कृत्वा गतः शिवः ||
देव्याश्च मङ्गलस्तोत्रं यः श्रुणोति समाहितः |
तन्मङ्गलं भवेच्छश्वन्न भवेत् तदमङ्गलम् ||

|| इति श्री श्रीमद देवी भागवत पुराणे मङ्गलचण्डिका स्तोत्रं संपूर्णम् ||

श्री मंगलचंडि स्तोत्र के फायदे | Mangal Chandika Stotra fayde

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति श्री महा चंडी स्त्रोत का पाठ करता है तो उसे कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं जो निम्न प्रकार से हैं ;

  1. महा चंडी स्त्रोत का पाठ करने से लोगों के विवाह एवं कार्यक्षेत्र में वृद्धि होती है.
  2. महा चंडी स्त्रोत का पाठ करने से धन की समस्या दूर हो जाती है.
  3. यह स्त्रोत इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि इस स्त्रोत के द्वारा व्यापार की समस्या भी हल हो जाती है.
  4. महा चंडी स्त्रोत महाशक्तिशाली है इसका प्रयोग करने से घर में गृह क्लेश दूर हो जाते हैं.
  5. यह स्त्रोत इतना ज्यादा चमत्कारी है कि इसके द्वारा धन की प्राप्ति भी की जा सकती है.

अगर कोई भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ महा चंडी स्त्रोत का पाठ करता है तो उसे बुद्धि , शक्ति , शुभता आदि जैसे गुण प्राप्त होते हैं और उस व्यक्ति की कुंडली से मंगली दोष दूर हो जाता है उस व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए आत्मसमर्पण प्राप्त होता है और इस स्त्रोत के द्वारा भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

महा चण्डी स्तोत्र | Maha Chandi strot

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जय चण्डी अम्बे महारानी। जय वरदाती जय कल्याणी ।

सिंह वाहिनी खड़ग धारनी। जय दुर्गा जय दैत्य संहारनी।

दक्ष सुता जय उमा भवानी। शंकर प्रियदाती सुखदानी।

चिंता सकल निवारन वाली। मुंड माल को धारने वाली।

मधु कैटम संहारे तू नैं । चण्ड मुण्ड भी मारे तू नें।

महिषासुर का सीस उतारा। रक्तबीज का पिया लहू सारा ।

शुम्भ निशुम्भ का नाम मिटाया। देवराज को तख्त बिठाया ।

भीड जभी देवों पर आई। तू ही चण्डी हुई सहाई।

खंडे वाली खप्पर वाली। तेरे दर का ‘चमन’ सवाली।

शारदा बन उपकार हो करती। लक्ष्मी बन भण्डार हो भरती।

तू ही वैष्णो तू ही बालिका, तू ही ज्वाला देवी कालिका ।

अमर सदा तेरी अमर कहानी। जय मां चण्डी आदि भवानी।

कलह क्लेश से मुझे बचाना। सगरी चिन्ता दूर हटाना।

कोई दुःख न मुझे सताये, कोई गम न मुझे दबायें।

गंधव देवों की माया । भूतप्रेत दैत्यों की छाया।

झूठे सच्चे सपनों का डर । जादू टोने यन्त्र मन्त्र ।

कर्जा झगड़ा कोई बिमारी। संकट आफत विपता भारी।

इनसे मैय्या मुझे बचाइयो। चण्डी अपनी दया दिखाइयों ।

तेरा भरोसा तेरा सहारा। तेरे बिन न कोई रखवारा।

तेरा हर दम ध्यान धरूं मैं। चरणों में प्रणाम करूं मैं।

मेरे औगुण ध्यान न धरियो। चंडिका मेरी रक्षा करियो ।

इज्जत मान बनाये रखना। शत्रुओं से भी बचाये रखना।

मेरा तेज बढ़ाती रहना। अपनी दया दिखाती रहना।

मेरे हाथ में बरकत भर दो। पूर्ण मेरी आशा कर दो।

अपना नाम जपाना मुझको। दाती सुखी बनाना मुझकों।

मेरे सिर पर हाथ धरो मां। ‘चमन’ का भी कल्याण करो ।

महा चण्डी स्तोत्र का पाठ करने की विधि | Maha Chandi strot ka path karne ki vidhi

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति महा चंडी स्त्रोत का पाठ करना चाहता है तो इस स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही सरल है जो हम आपको विस्तार से बताएंगे.

  1. महा चंडी स्त्रोत का पाठ करने के लिए किसी भी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को इस स्त्रोत का पाठ शुरू करना है.
  2. शुक्ल पक्ष की अष्टमी को शुरू करने के बाद लगभग 21 दिन तक एक बार महा चंडी स्त्रोत का पाठ दिन में अवश्य करना है.
  3. महा चंडी स्त्रोत का पाठ करने के लिए शुक्ल पक्ष की अष्टमी को प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद आसन ग्रहण करें उसके बाद महा चंडी स्त्रोत का पाठ 7 बार अवश्य करें.
  4. अगर आप महा चंडी स्त्रोत का पाठ 21 दिन तक लगातार करते हैं तभी आप को इसका लाभ प्राप्त होगा.

महा चण्डी स्तोत्र के फायदे | Maha Chandi strot ke fayde

महा चंडी स्त्रोत तम का वर्णन दुर्गासप्तशती से ही किया गया है महा चंडी का रूप शुरू से रक्षा करने के लिए बनाया गया है महा चंडी स्त्रोत का एक अपना महत्व है.

  1. महा चंडी स्त्रोत का पाठ करने से आप किसी भी कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं.
  2. महा चंडी स्त्रोत इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि इसके द्वारा आप अपने शत्रु पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.
  3. अगर किसी भी व्यक्ति के सपने में सर्प दिखता है तो उसे महा चंडी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.
  4. महा चंडी स्त्रोत का पाठ करने से कुंडली में लगे सभी राहु – केतु शुभ फल देने लगते हैं.
  5. समस्त रोगों से छुटकारा पाने के लिए महा चंडी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.
  6. अगर कोई भी व्यक्ति भूत प्रेत आदि जैसे चीजों से बहुत अधिक डरता है तो उसे महा चंडी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.
  7. भय का नाश करने के लिए और पाप का नाश करने के लिए महा चंडी स्त्रोत का पाठ करें.

FAQ : चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf

मंगल चंडी पाठ क्या है?

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि मंगल चंडी स्त्रोत क्या है तो हमारे हिंदू धर्म की रचना है ऐसा कहा गया है कि देवी चंडिका आया फिर चंडी देवी की पूजा के लिए उनके भक्तों की सहायता के लिए इस स्त्रोत के बारे में बताया गया है इस स्त्रोत के द्वारा भक्त माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं अभी तक इस स्त्रोत का पाठ सिर्फ भगवान शिव ने ही किया है.

चंडी पाठ कब करना चाहिए?

चंडी स्त्रोत का पाठ नवरात्रि के दिनों में किया जाता है हर एक घर में दुर्गा मां की पूजा होती है उसी में से 1 दिन चंडी देवी का आता है ऐसी मान्यता है कि चंडी का पाठ करने से भय और पापों का नाश हो जाता है.

चंडी मंत्र क्या है?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति चंडी मंत्र का जाप करता है तो उसकी जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाते हैं और खुशियां उसके जीवन में आ जाती है. चंडी मंत्र इस प्रकार है ;

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से चंडी स्त्रोत का पाठ इन हिंदी pdf के बारे में बताया इसके अलावा चंडी स्त्रोत का पाठ करने के लाभ क्या है और चंडी स्त्रोत से जुड़े अन्य स्त्रोत के बारे में भी जानकारी दी है जैसे कि श्री महा चंडी स्त्रोत , श्री चंडी स्त्रोतम , महाचंडी स्त्रोत तम इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी.

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