माता पार्वती मंत्र क्या है? मां पार्वती की पूजा का सही तरीका और फायदे जाने Parvati Mantra benefits

Maa parvati ji ka mantra kya hai ? हमारे वेद शास्त्रों में ऐसे हजारों तंत्र मंत्र का उल्लेख मिलता है जिनकी साधना करने से देवी देवताओं की कृपा पाई जाती है इन मंत्रों में वह ताकत की मिलती है क्योंकि अन्यत्र प्राप्त करना कठिन हो जाता है मनुष्य स्वयं एक क्षमता 1 प्राणी है जो इन मंत्रों के जाप के माध्यम से अत्यधिक शक्तिशाली बन जाता है। mata parvati ka roop kaisa hota hai ?

शास्त्रों में वर्णित है कि बहुत से राक्षस इन्हीं मंत्रों के माध्यम से देवी-देवताओं पर विजय प्राप्त कर लेते थे जिनका वध करने के लिए हर बार एक नई शक्ति का अवतार होता था हिंदू धर्म में मंत्रों का बहुत ही बड़ा महत्व है इन मंत्रों से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

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आदि शक्ति मां पार्वती अपने भक्तों की प्रति बहुत ही उदार रहती है खास तौर पर विवाहित कन्या के प्रति बहुत ही श्रद्धा रखती हूं जो अविवाहित कन्याएं मां पार्वती की पूजा और व्रत करती हैं उनकी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण हो जाती हैं।

पुराणों के अनुसार मां पार्वती दुर्गा काली का रूप में माना जाता है और इन्हें गौरी तथा मां अंबा के रूप में भी जाना जाता है इसके अलावा इन्हें भगवान शंकर की पत्नी और करुणा की देवी माना जाता है।

माता पार्वती का स्वरूप कैसा होता है ? What is the nature of Mother Parvati?

पुराणों में वर्णित है कि माता पार्वती का मुख उज्जवल और तेज मैं गौर वर्ण है इसीलिए इन्हें गौरी भी कहा जाता है इनके हाथों में त्रिशूल, अंकुशा, शंख, चक्र, तलवार, पास विद्यमान है तथा सफेद वस्त्र धारण करने वाली मां पार्वती को अंबा के रूप में जाना जाता है|

 

पुराणों में वर्णित है कि माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में बिना उनकी अनुमति के शामिल होने के कारण यज्ञ कुंड में भस्म होना पड़ा था जिसके पश्चात उन्हें माता पार्वती के रूप में भगवान शंकर की पत्नी के लिए अवतरित  हुई।

मां पार्वती की पूजा कैसे करें ? How to worship Maa Parvati?

माता पार्वती की पूजा करने से पहले अपने हाथों में जल फूल अक्षत लेकर एक संकल्प लेना पड़ता है संकल्प लेते समय जिस तिथि वर्ष वार और जगह का नाम तथा अपना गोत्र पढ़कर अपनी इच्छा को ध्यान देना होता है इसके बाद हाथ में जो भी जल फूल अक्षत आज ही उन्हें जमीन पर छोड़ना पड़ता है|

देवताओं में सबसे पहले गणेश की पूजा होती है इसलिए मां पार्वती की भी पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अवश्य करें और उसे प्रार्थना करें, कि जो मैं संकल्प लेने जा रहा हूं उसे निर्विघ्न रुप से पूर्ण करें| इसके बाद गणेश भगवान को वस्त्र गंध पुष्प अक्षत अर्पित करके मां पार्वती का पूजन प्रारंभ करें|

माता पार्वती की मूर्ति भगवान शंकर की बाई तरफ रखकर आवाहन करना होता है मां पार्वती को स्नान करवाएं और पंचामृत से शुद्ध करें इसके बाद माता पार्वती को वस्त्र वह आभूषण अर्पित करें साथ में फूल माला भी चढ़ाएं माता पार्वती को इत्र लगाकर धूप और दीप जलाकर चावल अर्पित करें साथ में माता पार्वती की आरती करके परिक्रमा करें।

मां पार्वती की पूजा के दौरान अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए तथा घर में सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए मंत्र का जाप करें

मंत्र : Mantra

ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः
ऊँ पार्वत्यै नमः

शिव-पार्वती को भी प्रसन्न करें : Please also Shiva and Parvati

mata पार्वती की सिद्धि  के साथ साथ उनके आराध्य भगवान shiv की भी आराधना जरुर करे | इसके लिए इस मंत्र का जाप करें |

ऊँ साम्ब शिवाय नमः
ऊँ गौर्ये नमः

घर में सुख-शांति के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती के लिए यह विशेष मंत्र जाप करें : For happiness and peace in the house, chant this special mantra for Lord Shankar and Mother Parvati.

माँ parvati को प्रसन्न करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जप करे और घर में सुख शांति लायें

मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि

माँ parvati को कैसे प्रसन्न करें इसके लिए आप यह वीडियो भी देखे

मनपसंद वर के लिए सिद्ध मंत्र : Siddha Mantra for favorite groom

अविवाहित कन्याएं अपनी विवाह के लिए तथा सुयोग्य वर पाने के लिए मां पार्वती के लिए इस मंत्र का जाप करें।

हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।

कार्य सिद्ध के लिए इस मंत्र  का जप करें : Chant this mantra to get the work done

सभी प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए मां पार्वती के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती ममं कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।
माता पार्वती की सिद्धि करने के लिए इस स्तुति को भी करें।

त्वं माता जगतां पितापि च हर: सर्वे इमे बालका-स्तस्मात्त्वच्छिशुभावत: सुरगणे नास्त्येव ते सम्भ्रम:।

मातस्त्वं शिवसुन्दरि त्रिजगतां लज्जास्वरूपा यत-स्तस्मात्त्वं जय देवि रक्ष धरणीं गौरि प्रसीदस्व न:।।

त्वमात्मा   त्वं  ब्रह्म      त्रिगुणरहितं   विश्वजननि  स्वयं   भूत्वा   योषित्पुरुषविषयाहो    जगति  च।

करोष्येवं    क्रीडां     स्वगुणवशतस्ते     च    जननीं वदन्ति  त्वां  लोका:  स्मरहरवरस्वामिरमणीम्।।

त्वं स्वेच्छावशत:  कदा  प्रतिभवस्यंशेन शम्भु: पुमा-न्स्त्रीरूपेण शिवे स्वयं विहरसि त्रैलोक्यसम्मोहिनि।

सैव त्वं निजलीलया प्रतिभवन् कृष्ण: कदाचित्पुमान् शम्भुं सम्परिकल्प्य चात्ममहिषीं राधां रमस्यम्बिके।।

प्रसीद मातर्देवेशि जगद्रक्षणकारिणि।।

विरम  त्वमिदानीं तु धरणीरक्षणाय।।

।।इति श्रीमहाभागवते महापुराणे ब्रह्मादयै: कृता पार्वतीस्तुति: सम्पूर्णा।

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