कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र ,साधना विधि और सावधानियाँ | karna pishachini siddhi : karn pishachini sadhna

कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र और साधना |  karna pishachini siddhi  : तंत्र मंत्र द्वारा अलौकिक शक्तियों भरपूर एक स्त्री रुपी शक्ति है।कर्ण पिशाचिनी सिद्धि साधक के वश में होते ही वर्तमान और भूत भविष्य के विषय में होने वाली घटना के विषय में बताने लगती है। sadhna kaise kare ?

साधक की सभी प्रकार की परिस्थितियों से अवगत कराती है और भविष्यवाणी भी करती है। इस सिद्धि के बाद व्यक्ति आत्मविश्वास से भरपूर अद्भुत शक्ति संपन्न बन जाता है। व्यक्ति के अंदर दैवीय शक्ति और इच्छाएं पूर्ण होने की शक्ति आ जाती है।

इस साधना के सिद्ध होने के बाद पिसा चीनी शक्ति जो एक स्त्री के रूप में होती है वह साधक के कान में उसके प्रश्न का उत्तर दे देती है। मंत्र की सिद्धि होने के बाद पिशाच वशीकरण vasikarana होता है जिससे कोई आत्मा आकर सही जवाब कान में दे देती है।

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कर्ण पिशाचिनी सिद्धि पारलौकिक शक्तियों को प्राप्त करने की अत्यंत गोपिनीय विद्या है।! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !

कर्ण पिशाचिनी सिद्धि क्या है और कैसे की जाती है ? | karna pishachini siddhi

यह सिद्ध साधना दो प्रकार से होती है :

  1. वैदिक साधना
  2. तांत्रिक साधना

यह साधना एक प्रकार की त्रिकाल दर्शी साधना होती है इस साधना को करनी के बाद व्यक्ति त्रिकाल दर्शी हो जाता है इसको करने के लिए 11 से 21 दिन का समय होता है। इस साधना को करने के लिए व्यक्ति के अंदर आस्था, विश्वास और असहजता को सहन करने की अटल व अपार क्षमता होनी चाहिए। क्योंकि यह साधना सामान्य विधि से करना असंभव है।

कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र : कर्ण पिशाचिनी की साधना मंत्र क्या है ? 

कर्ण पिशाचिनी साधना कई प्रकार से की जाती है। साधना के मंत्र भी अलग-अलग हैं। इससे वैदिक और तांत्रिक दोनों रूप से किया जाता है
यह गुप्त त्रिकालदर्शी साधना होती हैं इसका मंत्र इस प्रकार हैं ,

ऊँ लिंग सर्वनाम शक्ति भगवती कर्ण-पिशाचिनी चंड रुपी सच स चमम वचन दे स्वाहा!!

कर्ण पिशाचिनी साधना विधि | karn pishachini sadhna

कर्ण पिशाचिनी साधना करने के लिए काले वस्त्र धारण करें । साधना के समय किसी भी प्रकार का कोई बातचीत ना करें, इस साधना में निराहार रहना जरूरी है या फिर दिन में केवल एक बार ही भोजन करें । विशेष बात यह है कि इस साधना के दौरान किसी भी प्रकार की स्त्री से संबंध नहीं रखना है।

साधना के दौरान किसी भी प्रकार की गलती आपके लिए भारी नुकसान दे सकती हैं हालांकि यह सिद्धि कठिन है परंतु दुसाध्य नहीं है। मंत्र जाप द्वारा इस सिद्ध को 11 से 21 दिन में की जाती है। इसे किसी तांत्रिक के माध्यम से सिद्ध किया जा सकता है यह साधना कोई भी व्यक्ति अपने आप से ना करें।

इस साधना के लिए कुछ प्रयोग किए जाते हैं।

1. कर्ण पिशाचिनी की साधना का प्रथम प्रयोग 

कर्ण पिशाचिनी सिद्धि करने के लिए पहले प्रयोग में कांस्य की थाली में सिन्दूर से त्रिशूल बनाकर मंत्र द्वारा पूजा करें यह पूजा रात और दिन में  उचित चौघड़िया में की जाती है।
सिद्ध करने के लिए घी का दीपक जलाकर 11 सौ बार मंत्र का जाप करें और त्रिशूल का रात में पूजन करें।

इस सिद्ध के लिए 11 दिन तक प्रयोग करने से  कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो जाती है।

कर्ण पिशाचिनी साधना की सावधानियाँ :

  1. दिन में केवल एक बार भोजन करें और पूरे दिन निराहार रहे।
  2. सिद्ध करती समय काले वस्त्र धारण करें।
  3. यह साधना के दौरान किसी भी स्त्री से बातचीत न करें।
  4. साधना करने के लिए सदैव तन मन से शुद्ध रहें।

2. कर्ण पिशाचिनी की साधना का दूसरा प्रयोग 

कर्ण पिशाचिनी की साधना का मंत्र  | karna pishachini mantra

ॐ नम: कर्णपिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनि मम कर्णे अवतरावतर अतीता नागतवर्त मानानि दर्शय दर्शय मम भविष्य कथय-कथय ह्यीं कर्ण पिशाचिनी स्वहा।।

 कर्ण पिशाचिनी मंत्र साधना विधि :

इस मंत्र द्वारा कर्ण पिशाचिनी सिद्धि होली, दीपावली या फिर किसी ग्रहण वाले दिन से शुरुआत की जाती है। इस मंत्र को आम की लकडी की बनी तख्ती पर अनार की कलम से 108 बार मंत्र लिखकर जाप किया जाता है। एक बार जाप करने के बाद मंत्र को मिटा दे और फिर दुबारा मंत्र लिखें इस क्रम में 108 बार मंत्र का जाप करते हुए पंचउपचार विधि से पूजा करें उसके बाद 11 सौ बार मंत्र का उच्चारण करते ही जाप  करें।

3. कर्ण पिशाचिनी की साधना का तीसरा प्रयोग 

कर्ण पिशाचिनी की साधना का मंत्र :

ऊँ ह्रीं नमो भगवति कर्ण पिशाचिनी चंडवेगिनी वद वद स्वाहा!!

कर्ण पिशाचिनी की मंत्र साधना विधि :

इस मंत्र का जाप 21 दिनों तक ग्वार पाठे को अभिमंत्रित कर कि हाथ और पैर में लेप लगाएं और प्रतिदिन 5000 बार मंत्र का जाप करें। जयपुर होने पर आपके कान में कर्ण पिशाचिनी की आवाज सुनाई देगी जो आपको कान में आकर कुछ कहेगी।

4. कर्ण पिशाचिनी की साधना का चौथा प्रयोग

कर्ण पिशाचिनी की साधना का मंत्र :

ऊँ ह्रीं सनामशक्ति भगवति कर्ण पिशाचिनी चंडरूपिणि वद वद स्वाहा!!

कर्ण पिशाचिनी की मंत्र साधना विधि :

इस मंत्र का जाप प्रतिदिन 5000 बार काले ग्वार पाठे को सामने रखकर 21 दिन तक करना होता है और साधना पूर्ण हो जाती ही

5. कर्ण पिशाचिनी की साधना का पांचवां प्रयोग 

कर्ण पिशाचिनी की साधना का मंत्र :

ऊँ हंसो हंसः नमो भगवति कर्ण पिशाचिनी चंडवेगिनी स्वाहा!!

कर्ण पिशाचिनी की मंत्र साधना विधि :

इस मंत्र का जाप 11 दिन तक 10 हजार बार जाप करना होता है इसके लिए गाय के गोबर में पीली मिट्टी मिलाकर प्रतिदिन तुलसी के पौधे के चारों ओर लिपाई करके उस स्थान पर हल्दी कुमकुम और अछत डालकर आसन लगाएं और मंत्र जाप करें।

6. कर्ण पिशाचिनी की साधना का छठा प्रयोग 

कर्ण पिशाचिनी की साधना का मंत्र :

ऊँ भगवति चंडकर्णे पिशाचिनी स्वाहा!!

कर्ण पिशाचिनी की मंत्र साधना विधि :

इस मंत्र का जाप रात ने लाल कपड़े पहनकर करें घी का दीपक बनाकर 10 हजार बार मंत्र जाप करें और 21 दिन तक जाप करने के बाद
कर्ण पिशाचिनी की साधना सिद्ध हो जाती है।

7. कर्ण पिशाचिनी की साधना का सातवां प्रयोग 

कर्ण पिशाचिनी की साधना का मंत्र :

ऊँ कर्ण पिशाचिनी दग्धमीन बलि, गृहण गृहण मम सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा!

कर्ण पिशाचिनी की मंत्र साधना विधि :

इस मंत्र का जाप आधी रात को कर्ण पिशाचिनी को याद करते हुए किया जाता है
इस मंत्र के जाप के पहले

“ऊँ अमृत कुरु कुरु स्वाहा!”

का जाप करें इस प्रयोग में मछली की बलि देने का प्रावधान है। इस विधान के पूरे होने के बाद 5000 बार मंत्र का जाप करें और यह प्रक्रिया सूर्योदय से पहले हो जानी चाहिए।! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !

इस सिद्धि के लिए पूर्णाहुति 21 दिनों में संपन्न होती है और पूर्णाहुति

ऊँ कर्ण पिशाचिनी तर्पयामि स्वाह!

मंत्र के साथ समाप्त होती है। इस प्रकार से करण पिशाची सिद्धि करने के बाद व्यक्ति को मनवांछित कार्य सिद्ध करने की शक्ति मिलती है।

चेतावनी

कर्ण  पिशाचिनी सिद्धि कोई भी साधक बिना किसी गुरु के ना करें।
यह लेख केवल एक जानकारी हेतु है कोई मंत्र जाप या सिद्ध करने से पहले किसी योग्य गुरु की सलाह और सानिध्य प्राप्त करें।

-: चेतावनी disclaimer :-

सभी तांत्रिक साधनाएं एवं क्रियाएँ सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से दी गई हैं, किसी के ऊपर दुरुपयोग न करें एवं साधना किसी गुरु के सानिध्य (संपर्क) में ही करे अन्यथा इसमें त्रुटि से होने वाले किसी भी नुकसान के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे |

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