सम्पूर्ण गौरी गणेश पूजन मंत्र स्थापना विधि और गौरी गणेश प्रार्थना | Gauri ganesh puja mantra

गौरी गणेश पूजन मंत्र | Gauri ganesh puja mantra : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस पहले के आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से गौरी गणेश पूजन मंत्र के बारे में बताने वाले हैं वैसे तो आप सभी लोगों ने गणेश का नाम तो सुना ही होगा हमारे हिंदू धर्म में किसी भी पवित्र पूजा को शुरू करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है.

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सभी देवी देवताओं में सबसे प्रथम स्थान पर गणेश भगवान का नाम आता है इनके रिद्धि सिद्धि से सारे कार्य सफल हो जाते हैं वैसे तो गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की पूजा की जाती है गणेश चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करके अपने घर में गणपति पूजन के रूप में विधि विधान पूर्वक मंत्रों द्वारा इनकी पूजा की जाती है.

गणेश भगवान के लिए गणेश चतुर्थी का दिन विशेष माना गया है ऐसा कहा जाता है कि विधि विधान पूर्वक गणेश प्रतिमा की स्थापना करने से गणपति भगवान सारे विघ्न दूर कर देते हैं अपने मंगल मूर्ति रुप से सभी प्रकार के भक्तों के जीवन में सभी प्रकार के शुभ मंगल लेकर आते हैं.

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से गौरी गणेश पूजन मंत्र के बारे में बताने वाले हैं तो आइए जानते हैं कि गौरी गणेश पूजन मंत्र विधि कौन सी है जिसके द्वारा गौरी गणेश की पूजा संपन्न की जाती है।

गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र | Gauri ganesh puja mantra

अधिकतर लोगों को यह जानकारी अवश्य होगी कि किसी भी पूजा या फिर शुभ कार्य को करने से पहले गौरी गणेश की पूजा की जाती है हमारे हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है कि किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले गौरी गणेश की पूजा आरंभ करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

गौरी गणेश की पूजा करने के लिए हमारे हिंदू धर्म के अनुसार कुछ ऐसे वैदिक मंत्र दिए गए हैं जिनके साथ गौरी गणेश की पूजा करना बहुत ही उत्तम माना जाता है गौरी गणेश की पूजा में प्रत्येक पूजन चरण के लिए एक निश्चित मंत्र का प्रयोग किया जाता है।

अगर आपके घर में कोई भी धार्मिक कार्य हो रहा है या उसका आयोजन करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको सबसे पहले गौरी गणेश की पूजा करनी है ऐसे में अगर आप लोगों को गौरी गणेश पूजन विधि के बारे में जानकारी नहीं है और आप गूगल पर यह जानकारी सर्च कर रहे हैं।

अगर आपको अपने घर पर सभी मांगलिक कार्यक्रम के लिए गौरी गणेश के संपूर्ण मंत्र सहित गौरी गणेश पूजन करने की विधि के बारे में जानकारी चाहिए तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें क्योंकि हम आप लोगों को इस लेख में गौरी गणेश पूजन मंत्र के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।

गौरी गणेश पूजन मंत्र | Gauri Ganesh Puja Mantra

Ganesh Lakshmi

सबसे पहले आपको गणेश भगवान के लिए अपने हाथों में थोड़े से अक्षत पुष्प लेकर नीचे दिए गए मंत्र का जाप करते हुए गणेश को अर्पित कर देना है।

ॐ गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थमजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

उसी प्रकार निम्न मंत्र से गौरी के लिए अक्षत पुष्प लेकर उनके सामने अर्पित कर देना है।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ॥

1. आह्वान

आगच्छ भगवान् देव स्थाने चात्र स्थिरो भव ।
यावत् पूजां करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव ॥

गणेश का आवाहन- अपने हाथों में थोड़े से अक्षत लेकर गणेश भगवान का आवाहन करना है और साथ इस मंत्र का जाप अवश्य करना है।

ॐ गणानां त्वा गणपति

ॐ हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति

ॐ हवामहे निधीनां त्वा निधिपति

ॐ हवामहे वसो मम।

आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्।।

एह्येहि हेरम्ब महेशपुत्र ! समस्तविघ्नौघविनाशदक्ष !।
माङ्गल्यपूजाप्रथमप्रधान गृहाण पूजां भगवन् ! नमस्ते।।

ॐ भूर्भुवः स्वः सिद्धिबुद्धिसहिताय गणपतये नमः, गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च।

अपने हाथों में जो आपने अक्षत लिए थे वह गणेश जी की मूर्ति के सामने चढ़ा दें और उसके बाद दोबारा से अपने हाथ में अक्षत लेकर गणेश जी की दाहिनी गौरी जी का आवाहन करें। आवाहन करने के साथ-साथ आपको इस मंत्र का जाप भी करना है।

2. गौरी का आवाहन

ॐ अम्बे अम्बिकेऽम्बालिके न मा नयति कश्चन।
ससस्त्यश्वकः सुभद्रिकां काम्पीलवासिनीम्।।

हेमाद्रितनयां देवीं वरदां शङ्करप्रियाम्।
लम्बोदरस्य जननीं

ॐभूर्भुवः स्वः गौर्यै नमः, गौरीमावाहयामि, स्थापयामि,

पूजयामि च।

3. प्रतिष्ठा

अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च ।
अस्यै देवत्यमर्चायै मामहेति च कञ्चन ॥

4. आसन

जिस समय आप गौरी गणेश दोनों को चौकी पर स्थापित कर रहे होते हैं उस समय आपको इस मंत्र का जाप करना है।

रम्यं सुन्दरं दिव्यं सर्वं सौख्यकरं शुभम् ।
आसनं च मयादत्तं गृहाण परमेश्वर ॥
आसनं समर्पयामि ॥

5. पाद्य

उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगन्ध संयुतम् ।
पाद प्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगृह्यताम् ॥
पाद्यं समर्पयामि ॥

6. अर्घ्य

गौरी गणेश को अर्घ्य देते समय आपको इस मंत्र का जाप अवश्य करना है।

गृहाण देवेश ! गन्धपुष्पाक्षत सह ।
करुणाकर मे देव गृहाणार्घ्य नमोस्तुते ॥
अर्घ्य समर्पयामि ॥

7. आचमन

गौरी गणेश को आचमन कराते समय इस मंत्र का जाप करना है।

सर्वतोर्थ वक्तं सुगन्धि निर्मलं जलम् ।
आचम्यताम् मयादत्तं गृहाण परमेश्वर ॥
आचमं स. ॥

8. स्नान

गौरी गणेश को स्नान कराते समय इस मंत्र का जाप करना है।

-ॐ शुद्धवालः सर्वशुद्धवालो मणिवालस्तऽआश्विनाः श्येतः श्येताक्षोऽरुणस्ते रुद्राय पशुपतये कर्णायामा अवलिप्तारौद्रा नभोरूपाः पार्जन्याः।।

गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदा जलैः ।
स्नापितोऽसि त्वया देव तथा शान्तिं कुरुष्व मे ॥

9. वस्त्र

स्नान कराने के बाद जब गौरी गणेश को वस्त्र पहनाए जाते हैं उस समय आपको इस मंत्र का जाप करना है।

ॐ युवा सुवासाः परिवीत आगात् स उ श्रेयान् भवति जायमानः।
तं धीरासः कवय उन्नयन्ति स्वाध्यो3 मनसा देवयन्तः।।

सर्व भूषादिके सौम्ये लोकलज्जा निवारणे ।

मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृहीताम् ॥
वस्त्र समर्पयामि ॥

यज्ञोपवीत – ( केवल गणेशजी को ) –
ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रां प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।

आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।

यज्ञोपवीतमसि यज्ञस्य त्वा यज्ञोपवीततेनोपनह्यामि।

नवाभिर्नन्तुभिर्युक्त त्रिगुणं देवतामयं ।

उपवीर्तेमपादत्तं गृहाण परमेश्वर ॥
यज्ञोपवीतं समर्पयामि ॥

10. चन्दन

गणेश भगवान को चंदन लगाते समय इस मंत्र का जाप करना है ।

ॐ त्वां गन्धर्वा अखनँस्त्वामिन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः।
त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्मादमुच्यत।।

श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धढ्य सुमनोहरं ।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्याताम् ॥
गन्धं सं. ॥

11. कुमकुम ( रोली )

गौरी को कुमकुम लगाते समय इस मंत्र का जाप करना है और गौरी का आवाहन करना है।

कुम्कुमं कामनादिव्यं कामिनीकाम् संभवम् ।

कुम्कुमेवार्चितोदेव गृहाण परमेश्वर ॥
कुम्कुमं सं. ॥

12. अक्षत

माता गौरी के ऊपर कुमकुम लगाने के बाद गौरी गणेश के ऊपर अक्षत छिड़कने समय इस मंत्र का जाप करना है।

ॐ अक्षन्नमीमदन्त ह्यव प्रिया अधूषत।
अस्तोषत स्वभानवो विप्रा नविष्ठया मती योजान्विन्द्र ते हरी।।
अक्षतांश्चसुरश्रेष्ठ कुम्कुभोक्ताः सुशोभिताः । मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥
अक्षतान् सं. ॥

13. पुष्प

गौरी गणेश को पुष्प अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप करना है और साथ ही दोनों लोगों का आवाहन करना है।

ॐ ओषधीः प्रति मोदध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः।
अश्वा इव सजित्वरीर्वीरुधः पारयिष्णवः।।

माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मया नीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर ॥
पुष्पाणि सं. ॥

14. दूर्वा ( दूब )

गौरी गणेश के सामने दूर्वा जलाते समय इस मंत्र का आवाहन करना है और साथ ही इस मंत्र का जाप ही करना है।

ॐ काण्डात्काण्डात्प्ररोहन्ती परुषः परुषस्परि।

एवा नो दूर्वे प्रतनुसहश्रेण शतेन च।।

त्वंदूर्वेऽमृत जन्मासि वन्दितासि सुरैरपि ।

सौभाग्य सन्ततिर्देहि सर्व कार्यकारी भव ॥ दूर्व सं. ॥

15. सिन्दूर

गौरी में सिंदूर भरते समय इस मंत्र का जाप करके ही सिंदूर को भरना है।

ॐ सिन्धोरिव प्राध्वने शूघनासो वातप्रमियः पतयन्ति यह्वाः।
घृतस्य धारा अरुषो न वाजी काष्ठा भिन्दन्नूर्मिभिः पिन्वमानः।।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्द्धनम् । शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ॥ सिन्दूरं सं. ॥

16. धूप

धूप जलाते समय आपको इस मंत्र का जाप करना है।

ॐ धूरसि धूर्व्व धूर्व्वन्तं धूर्व्वतं योऽस्मान् धूर्व्वति तं धूर्व्वयं वयं धूर्व्वामः।

देवानामसि वद्दितम ॐ सस्नितमं पप्रितमं जुष्टतमं देवहूतमम्।।
वनस्पतिरसोदभूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः ॥

आघ्रेयः सर्वदेवतां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्

धूपमाघ्रापयामि ॥

17. दीप

दीपक प्रज्वलित करते समय इस मंत्र का जाप करना है और गौरी गणेश का आवाहन करना है।

ॐ अग्निर्ज्योतिज्योतिरग्निः स्वाहा सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा।

अग्निर्वर्चो ज्योतिर्वर्चः स्वाहा सूर्यो वर्चो ज्योतिर्वर्च स्वाहा।।

18. नैवेद्य

ॐ नाभ्या आसीदन्तरिक्ष शीर्ष्णो द्यौः समवर्तत।

पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्राँत्तथा लोकाँ2 अकल्पयन्।।

ॐ प्राणाय स्वाहा।

ॐ अपानाय स्वाहा।

ॐ समानाय स्वाहा।

ॐ उदानाय स्वाहा।

ॐ व्यानाय स्वाहा।
शर्कराघृत संयुक्त मधुर स्वादुचोत्तमम् ।

उपहारं समायुक्तं नैवेद्य प्रतिगृह्यताम् ॥

नैवेद्यं निवेदयामि ॥

19. आचमन

गौरी गणेश को आचमन कराते समय इस मंत्र का जाप करना है।

गंगाजलं समानीतं सुवर्णकलशेस्थितम् ॥

20. आचम्यता

सुरश्रेष्ठशुद्धमाचमनीयम्

॥ आचमनीयं सं. ॥

21. ऋतुफल

ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः।

बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व हसः।।
इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।
नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम् ।

कूष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यताम् ॥ ऋतुफलं सं. ॥

22. ताम्बूल पूगीफल

ॐ यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत।
वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः।।
पूंगीफलं महादिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम् ।

एलाचूर्णादिसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ।

ताम्बूलं पूंगीफलं सं. ।

23. दक्षिणा

ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्।

स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम।।
हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः ।

अनन्त पुण्य फलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे । दक्षिणां सं. ॥

विशेषः– अगर आप लोग पंचोपचार की पूजा करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको यह मंत्र प्रयोग करना चाहिए आपको स्नानादि से निश्चिंत होने के बाद दक्षिण दिशा तक की विधि तीनों पृथ्वी गौरी गणेश पूजा के लिए करनी चाहिए। आप जिस भी देवी देवता की पूजा करेंगे उसमें यह मंत्र विधि अवश्य काम आएगी।

हाथ में पुष्प – अक्षत लेकर नीचे के मन्त्र से प्रार्थना कर चढाएँ ।

गणेश जी की प्रार्थना | Ganesh ji ki Prathna

Ganesh Lakshmi

ॐ रक्ष – रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक ।
भक्तानां अभयंकर्त्ता त्राता भव भवार्णवात् ॥
द्वै मातुर कृपासिन्धो षण्मातुराग्रज प्रभो ।
वरद् त्वं वरं देहि वांञ्छितं वाञ्छतार्थद ॥

गौरी जी की प्रार्थना | Gauri Ji ki Prathna

शरणागतदीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽ‍स्तुते

गौरी गणेश पूजन मंत्र लिरिक्स | Gauri Ganesh Puja Mantra Lyrics | गौरी गणेश पूजन वैदिक मंत्र Lyrics

Ganesh Lakshmi

स्वस्तिवाचनम् 

ॐ आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासोऽअपरीता स उदभिदः ।

देवा नो यथा सदमिद् वृधे ऽअसन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवे दिवे ॥१॥

देवानां भद्रा सुमतिर्ऋ जूयतान्देवाना गुंग रातिरभिनो निवर्त्तताम् ।
देवानां सख्यमुपसेदिमा व्वयन्देवा नऽआयुः प्रतिरन्तु जीवसे ।।२।।

तान्पूर्वया निविदा हूमहेव्वयम्भगम्मित्रमदितिन्दक्षमस्रिधम् ।

अर्य्यमणँ वरुण गुंग सोममश्विना सरस्वती नः सुभगा मयस्करत् ।।३।।
तन्नो व्वातो मयोभु व्वातु भेषजन्तन्माता पृथिवी तत्पिता द्यौः ।

तद् ग्रावाणः सोमसुतो मयोभुवस्तदश्श्विना श्रृणुतन्धिष्ण्या युवम् ॥४||
तमीशानञ्जगतस्तस्थुषस्प्पतिन्धियजिन्वमवसे हूमहे व्वयम् ।

पूषा नो यथा वेदसामसद् वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये ।।५।।
स्वस्ति नऽइन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ।

स्वस्ति नस्तार्क्ष्योऽअरिष्टनेमिः स्वस्ति नो वृहस्पतिर्दधातु ।।६।।
पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभँय्यावानो व्विददषेषु जग्मयः ।

अग्निजिह्वा मनवः सुरचक्षसो विश्वे नो देवाऽअवसा गमन्निह ।।७।।
भद्रं कर्णेभिः श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।

स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवा गुंग सस्तनूभिर्व्यशेमहि दवहितँय्यदायुः ।।८।।

शतमिन्नु शरदो ऽअन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम् ।

पुत्रासो यत्र पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः ।।९।।
अदितिर्धौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः ।

विश्वे देवाऽअदितिः पञ्चजना अदितिर्जात मदितिर्जनित्त्वम् ।।
द्यौः शान्तरन्तरिक्ष गुंग शान्तिः प्रथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः व्वनस्प्पतयः शान्तिर्विश्वे देवाः शान्तिर्ब्रह्मशान्तिः सर्व गुंग शान्तिः शान्तिरेवशान्तिः सामाशान्तिरेधि ।।११।।

यतोयत: समीहसेततोनो अभयङ्कुरु शन्नः कुरुप्प्रजाब्भ्योऽभयन्नः पशुभ्यः ।।१२.।।

शान्तिः शान्ति सुशान्तिर्भवतु ।

गौरी गणेश की पूजा स्थापना विधि | Gauri Ganesh ki Puja sthapana Vidhi

अगर कोई भी व्यक्ति अपने घर में गौरी गणेश की पूजा अर्चना करना चाहता है तो आज हम आप लोगों को गौरी गणेश की पूजा स्थापना विधि के बारे में जानकारी देंगे.

  1. गौरी गणेश पूजा स्थापना के लिए सबसे पहले कलश स्थापना करनी है उसके बाद गौरी गणेश की स्थापना पाटे के ऊपर करनी है.
  2. अगर आपके घर में गौरी गणेश की फोटो या मूर्ति नहीं है तो आप गौरी गणेश बनाने के लिए खड़ी सुपारी और खड़ी हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं कि हमारे हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है कि खड़ी सुपारी में गणेश भगवान का वास होता है और खड़ी हल्दी में गौरी जी का वास होता है.
  3. उसके बाद आपको हल्दी की गांठ में एक रक्षा सूत्र लपेटकर गौरी जी और सुपारी में एक रक्षा सूत्र लपेटकर गणेश के तौर रख ले
  4. अब आपको गौरी गणेश दोनों को एक पान के पत्ते या केले के पत्ते या फिर आम के पत्ते में या फिर किसी भी पत्ते पर दोनों की स्थापना कर देनी है.
  5. अब आपको थोड़ी सी पिसी हल्दी लेना है और उसके साथ थोड़ी से पिसे चावल और थोड़ा सा बालू या फिर मिट्टी या गाय के गोबर से भी गौरी गणेश बनाना है.
  6. इन सारी पवित्र वस्तुओं के साथ ही आपको गौरी गणेश भगवान की स्थापना करनी है और उनकी पूजा करनी है.
  7. पूजा शुरू करने से पहले आपको कलश पर दीपक जलाना है उसके पश्चात ही गौरी गणेश की स्थापना करनी है.
  8. बिना किसी बाधा के पूजा संपन्न हो जाए इसके लिए आपको गौरी गणेश की सबसे पहले पूजा करनी है.

FAQ : गौरी गणेश पूजन मंत्र

गणेश जी की पूजा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

जिस समय आप भगवान गणेश की पूजा कर रहे होते हैं उस समय आप को स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण नहीं उसके बाद पूजा की चौकी पर गंगाजल छिड़क कर उसे साफ कर लेना है उसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर अक्षत डालकर गणेश भगवान की मूर्ति को स्थापित करना है। उसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति को गंगाजल से अभिषेक करना है उसके बाद अक्षत फूल माला तिलक धूप दीप जलाकर उनकी आरती करनी है।

गणेश जी का महामंत्र कौन सा है?

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

' 'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।

संकल्प मंत्र क्या है?

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते :, तमेऽब्दे प्लवंग नाम संवत्सरे दक्षिणायने

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को लेख के माध्यम से गौरी गणेश पूजन मंत्र के बारे में बताया इसके अलावा गौरी गणेश की पूजा कैसे की जाती है इसके बारे में भी बताया है. अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ाई.

तो आपको इन सारे विषयों की सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।