64 yogini mantra sadhana ? दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को चौसठ योगिनी मंत्र और नाम के बारे में बताएंगे जिसको करने के बाद आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे चौसठ योगिनी मंत्र के बारे में जानने के लिए आपको पूरा जरूर इसमें हमने आपको विधि पूर्वक सारी चीजें बताइए जिनका प्रयोग करके आपकी 64 योगिनी मंत्र का जाप कर सकते हैं.
इसमें मैंने आपको 64 ऐसे मंत्र बताइए जो बहुत ही प्रभावशाली है और मैंने इसमें आपको उन आठ मातृकाओं के बारे में बताया है जो बहुत ही शक्तिशाली है आप लोग भी इन मंत्रों का उपयोग कर रखते हैं चौसठ योगिनी मंत्र का जाप करने के लिए तो चलिए आज हम आप लोगों को बताएंगे चौसठ योगिनी मंत्र के बारे में और उसकी विधि पूर्वक पूजा के बारे मे इसमें मैंने आप लोगों को चौसठ योगिनी कौन है इसके बारे में बताया है 64 योगिनी क्या है? इसके बारे में बताएं अब हम इसकी विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
64 योगिनी कौन है ?
64 योगिनी जन्म मां काली से हुआ है 64 योगिनी सृष्टि के विभिन्न आयामों पर शासन करती है और हर एक योगिनी का एक विशिष्ट चरित्र है इनका संबंध आठ मातृकाओ से है।
64 योगिनी क्या है ?
यह सभी आद्या शक्ति मां काली की ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश है और देवी महात्म्य के अनुसार इन 7 देवियों ने शुंभ निशुंभ और रक्त बीज राक्षसों के विरुद्ध मां दुर्गा की सहायता की थी और देवी दुर्गा ने स्वयं मातृकाओं की रचना की थी इनमें से 7 देवी शक्तियों को संबंधित देवो के ही नारद रूप माना जाता है.
यह 7 देवियां अपने पतियों के वाहन तथा आयुध के साथ यहां उपस्थित होती हैं आठवीं मातृका स्वयं मां काली है हर एक मातृका की सहायक आठ शक्तियां हैं इसीलिए इनकी संख्या 64 हो जाती है. आइए जानते हैं कि यह मातृका कौन-कौन सी हैं और किन-किन देवों से संबंधित हैं।
7 देवियों के नाम | देवताओं के नाम |
ब्रह्माणी | ब्रह्मा |
महेश्वरी | शिव |
देवी कुमारी | कार्तिकेय |
वैष्णवी | भगवान विष्णु |
इंद्राणी | देवराज इंद्र |
वाराही | वाराह |
नारसिंही | नरसिम्हा |
जैसे मैंने बताया कि योगिनी साक्षात आदिकाल की ही अवतार है तथा सदैव माता पार्वती की सखियों की तरह ही रहती है देवी पार्वती द्वारा लड़े गए समस्त युद्ध में समस्त योगिनी ने भाग लिया था अपनी वीरता का परिचय दिया था।
64 योगिनी मंत्र
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मी मनोरमायोनि स्वाहा।
- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा।
64 योगिनी मंत्र का जाप करने के लिए आपको इसकी विधि भी बताई गई है उस विधि के अनुसार आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
64 योगिनी मंत्र जाप करने की विधि
अगर आप भी चौसठ योगिनी मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप हर सोमवार या फिर अमावस्या और पूर्णिमा की रात्रि को किया जाता है साधना की शुरुआत करने से पहले स्नान कर ले स्नान करने के बाद अपने देवता , इष्ट देवता , कथा पित्र देवता का आशीर्वाद लेकर चौसठ योगिनी मंत्र का जाप करना शुरू करें इसमें दो देवताओं के जाप जरूरी हैं.
गणेश मंत्र और गुरु मंत्र का जाप जरूर है। अगर आप भी 64 योगिनी मंत्र का जाप करना चाहते है तो भगवान शिव की पूजा और साधना करे उसके बाद उनकी शिवलिंग पर जल को अर्पित करे उसके बाद थोड़े से चावल को भगवान के ऊपर छिड़के उसके बाद पूजा आरंभ करे उसके बाद जिस 64 योगिनी मंत्र का जाप करना चाहते है उसी मंत्र की एक माला या गयारह माला का जाप करें ।
FAQ : 64 योगिनी मंत्र और नाम
चौसठ योगिनी साधना कैसे करें?
चौसठ योगिनी मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति होती है और व्यापार में वृद्धि होती है इस मंत्र का जाप करें मंत्र- 'ॐ ह्रीं हूं रक्ष कर्मणि आगच्छ कनकावति स्वाहा। जिससे आपके मन की हर मनोकामना पूर्ण हो पाए।
योगिनी मंत्र क्या है?
योगिनी मंत्र का जाप अपनी परिचारिकाओं के साथ आकर वांछित कामना पूर्ण करती हैं। मंत्र का जाप आप लोग अगर करेंगे तो आपके मन की भी इच्छा पूर्ण हो जाएगी मंत्र- 'ॐ ह्रीं हूं रक्ष कर्मणि आगच्छ कनकावति स्वाहा। ' इनका जप भी रात्रि में मास भर किया जाता है।
योगिनी का मतलब क्या होता है?
योगिनी मतलब जिस इंद्रियों को आप अपने काबू में कर सकें।
निष्कर्ष
जैसा कि आज मैंने आप लोंगो बताया कि 64 योगिनी मंत्र और नाम के बारे में बताएं तो आप लोगों को पढ़ने के बाद समझ में आ गया होगा कि 64 योनि मंत्र क्या है और इसका जाप कैसे करना चाहिए और 64 योनि मंत्र के नाम कौन-कौन से हैं मंत्र का जाप कैसे करना है हमने आपको विधि पूर्वक इस आर्टिकल में दे रखा है उसे पढ़कर आप भी चौसठ योगिनी मंत्र का जाप कर सकते हैं।