Havan mantra pdf : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को Havan Mantra PDF download के बारे में बताएंगे क्योंकि हिंदू धर्म में कई देवी देवता हैं जिनकी पूजा पाठ की विधि अलग-अलग होती है लेकिन पूजा करने के बाद हवन या पूर्ण आगुति देने का विधान लगभग हर पूजा में किया जाता है यह परंपरा ऋषि मुनियों के समय से चली आ रही हैं.
जिसे आज तक हमारे बड़े बुजुर्ग निभाते हैं ऐसा कहा जाता है कि अगर आप पूजा करने के बाद हवन कर देते हैं तो आपकी पूजा संपूर्ण मानी जाती है क्योंकि हवन करने के बाद वातावरण शुद्ध हो जाता है और आपके घर पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
हिंदू धर्म में हवन को धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि अगर आप अपने घर पर नियमित रूप से हवन करते हैं तो इसके आपको अनेक फायदे मिलेंगे आइए सब जानते हैं कि आखिर क्यों पूजा के बाद हवन करना आवश्यक माना जाता है.
क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व तो चलिए जानते हैं हवन मंत्र pdf कौन सा होता है और इसकी पूजा विधि कैसे की जाती है अगर आपको हवन मंत्र Havan Mantra PDF download करना है या फिर हवन मंत्र की विधि जाननी है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें इसमें आपको हवन की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।
PDF Book Name | हवन पद्धति, विधी और मंत्र पुस्तक PDF |
Total No. of Book’s | 4 |
Language | Hindi |
Book Category | मंत्र और आध्यात्म |
Free Download Link | ✔ डाऊनलोड के लिये उपलब्ध |
- 1. हवन क्या है ? | Havan kya hai ?
- 2. हवन का धार्मिक महत्व | Havan ka dharmik mahatva
- 3. हवन आहुति मंत्र | Havan aahuti mantra
- 4. हवन से पहले शुद्धि का मंत्र
- 5. अग्नि प्रज्वल करने का मंत्र
- 6. हवन के मंत्र नीचे दिए गए हैं
- 7. हवन विधी और मंत्र पीडीएफ | Havan Mantra PDF download
- 8. हवन से सम्बंधित अन्य लेख
- 9. हवन मंत्र | Havan mantra
- 10. हवन करने की विधि | Havan karne ki vidhi
- 11. हवन करने के फायदे | Havan karne ke fayde
- 12. FAQ : Havan mantra | हवन मंत्र
- 12.1. हवन करते समय कौन कौन से मंत्र बोले जाते हैं?
- 12.2. हवन में कौन सा मंत्र पढ़ा जाता है?
- 12.3. हवन करते समय कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
- 13. निष्कर्ष
हवन क्या है ? | Havan kya hai ?
हमारे बड़े बुजुर्ग इस प्रथा को सदियों से चलाते आ रहे हैं इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी किया गया है इसकी पूजा अग्नि के जरिए ईश्वर की उपासना करने की विधि हवन या यज्ञ कहलाती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप नियमित रूप से हवन करते हैं तो आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश भी होता है। और पूजा करने के बाद हवन उतना ही शुभ फलदाई माना जाता है जितना पहले के जमाने में हुआ करता था क्योंकि हिंदू धर्म में पवन को शुद्धीकरण का एक कर्मकांड माना जाता है।
हवन का धार्मिक महत्व | Havan ka dharmik mahatva
हवन करना आज भी उतना ही शुभ फलदाई माना जाता है जितना कि पहले माना जाता था क्योंकि हिंदू धर्म में पवन को एक शुद्धीकरण का कर्मकांड माना जाता है ऐसा हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि अगर आप पूजा पाठ करते हैं और हवन नहीं करते हैं तो आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है.
जिसके कारण आपके घर के आसपास की नकारात्मक और बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जा सकता है अगर आप हवन करते हैं अगर कोई व्यक्ति ग्रह दोष से पीड़ित है तो वह ग्रह दोष को शांत करने के लिए हवन कर सकता है. ऐसा माना जाता है कि हवन पूरा होने के बाद ब्राह्मणों को भोजन जरूर करवाना चाहिए और दान जरूर करना चाहिए .
ऐसे कई कार्य जैसे की भूमि पूजन या फिर हवन निर्माण पूजा कथा और विवाह आदि कार्यक्रमों में हवन जरूर से जरूर करवाना चाहिए क्योंकि हवन करने से वास्तु दोष भी ठीक हो जाता है।
हवन आहुति मंत्र | Havan aahuti mantra
ओम कृष्णाय नमः, ओम माधवये नमः, ॐ नारायणाय नमः
1. जब भी आप इस मंत्र का जाप कर रहे हो उस समय आपको आचमन करना है और उसके बाद अपने हाथों में थोड़ा सा पानी लेकर अपने हाथों को शुद्ध कर लेना है और उसके बाद आपको अपने हाथों में गंगाजल के साथ नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना है और उस गंगाजल को अपने चारों दिशाओं में छोड़कर खुद को और चारों दिशाओं को शुद्ध करना है।
हवन से पहले शुद्धि का मंत्र
ॐ अपवित्र: पवित्रो सर्वावस्थां गतोपिवा य: स्मरेत पुण्डरीकाक्ष स: वाह्यभ्यतरे: शुचि:
2. हवन करने से पहले शुद्धीकरण करना बहुत ही ज्यादा आवश्यक माना जाता है इसीलिए हवन करते समय नीचे दिए गए अग्नि प्रज्वल मंत्र को पढ़कर कपूर को जला देना है उसके बाद एक अग्नि प्रज्वलित कर देना है।
अग्नि प्रज्वल करने का मंत्र
चंद्रमा मनसो जात: तच्चक्षो: सूर्यअजायत श्रोताद्वायुप्राणश्च मुखादार्गिनजायत.
3. इतना करने के बाद आपको हवन को चालू कर देना है और नीचे दिए गए हमारे मंत्र का जाप करना है जैसे ही आप मंत्र जब करना शुरू करेंगे उसी के बाद आपको हवन में आहुति देनी है और इसी के बाद हर मंत्र में आपको हवन में आहुति देनी है।
हवन के मंत्र नीचे दिए गए हैं
उन्हें मंत्रों का जप करके आपको हवन संपूर्ण करना है.
स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
हवन विधी और मंत्र पीडीएफ | Havan Mantra PDF download
इस लिंक से आप हवन मंत्र की पीडीएफ Havan Mantra PDF आसानी से डाऊनलोड कर सकते है साथ में हमने आप के लिए कुछ अन्य बुक्स को डाऊनलोड करने के लिंक भी दे दिए है अपनी जरूरत के मुताबिक डाऊनलोड कर सकते है .
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हवन मंत्र | Havan mantra
1. ॐ गणपते स्वाहा.
2. ॐ ब्रह्मणे स्वाहा .
3. ॐ ईशानाय स्वाहा .
4. ॐ अग्नये स्वाहा .
5. ॐ निऋतये स्वाहा .
6. ॐ वायवे स्वाहा .
7. ॐ अध्वराय स्वाहा.
8. ॐ अदभ्य: स्वाहा .
9. ॐ नलाय स्वाहा .
10. ॐ प्रभासाय स्वाहा .
11. ॐ एकपदे स्वाहा .
12. ॐ विरूपाक्षाय स्वाहा .
13. ॐ रवताय स्वाहा .
14. ॐ दुर्गायै स्वाहा .
15. ॐ सोमाय स्वाहा .
16. ॐ इंद्राय स्वाहा .
17. ॐ यमाय स्वाहा .
18. ॐ वरुणाय स्वाहा .
19. ॐ ध्रुवाय स्वाहा .
20. ॐ प्रजापते स्वाहा .
21. ॐ अनिलाय स्वाहा .
22. ॐ प्रत्युषाय स्वाहा .
23. ॐ अजाय स्वाहा .
24. ॐ अर्हिबुध्न्याय स्वाहा .
25. ॐ रैवताय स्वाहा .
26. ॐ सपाय स्वाहा .
27. ॐ बहुरूपाय स्वाहा .
28. ॐ सवित्रे स्वाहा .
29. ॐ पिनाकिने स्वाहा .
30. ॐ धात्रे स्वाहा .
31. ॐ यमाय स्वाहा .
32. ॐ सूर्याय स्वाहा .
33. ॐ विवस्वते स्वाहा .
34. ॐ सवित्रे स्वाहा .
35. ॐ विष्णवे स्वाहा .
36. ॐ क्रतवे स्वाहा .
37. ॐ वसवे स्वाहा .
38. ॐ कामाय स्वाहा .
39. ॐ रोचनाय स्वाहा .
40. ॐ आर्द्रवाय स्वाहा .
41. ॐ अग्निष्ठाताय स्वाहा .
42. ॐ त्रयंबकाय भूरेश्वराय स्वाहा .
43. ॐ जयंताय स्वाहा .
44. ॐ रुद्राय स्वाहा .
45. ॐ मित्राय स्वाहा .
46. ॐ वरुणाय स्वाहा .
47. ॐ भगाय स्वाहा .
48. ॐ पूष्णे स्वाहा .
49. ॐ त्वषटे स्वाहा .
50. ॐ अशिवभ्यं स्वाहा .
51. ॐ दक्षाय स्वाहा .
52. ॐ फालाय स्वाहा .
53. ॐ अध्वराय स्वाहा .
54. ॐ पिशाचेभ्या: स्वाहा .
55. ॐ पुरूरवसे स्वाहा.
56. ॐ सिद्धेभ्य: स्वाहा .
57. ॐ सोमपाय स्वाहा .
58. ॐ सर्पेभ्या स्वाहा .
59. ॐ वर्हिषदे स्वाहा .
60. ॐ गन्धर्वाय स्वाहा .
61. ॐ सुकालाय स्वाहा .
62. ॐ हुह्वै स्वाहा .
63. ॐ शुद्राय स्वाहा .
64. ॐ एक श्रृंङ्गाय स्वाहा .
65. ॐ कश्यपाय स्वाहा .
66. ॐ सोमाय स्वाहा.
67. ॐ भारद्वाजाय स्वाहा.
68. ॐ अत्रये स्वाहा .
69. ॐ गौतमाय स्वाहा .
70. ॐ विश्वामित्राय स्वाहा .
71. ॐ वशिष्ठाय स्वाहा .
72. ॐ जमदग्नये स्वाहा
73. ॐ वसुकये स्वाहा .
74. ॐ अनन्ताय स्वाहा.
75. ॐ तक्षकाय स्वाहा .
76. ॐ शेषाय स्वाहा .
77. ॐ पदमाय स्वाहा.
78. ॐ कर्कोटकाय स्वाहा .
79. ॐ शंखपालाय स्वाहा .
80. ॐ महापदमाय स्वाहा .
81. ॐ कंबलाय स्वाहा .
82. ॐ वसुभ्य: स्वाहा .
83. ॐ गुह्यकेभ्य: स्वाहा.
84. ॐ अदभ्य: स्वाहा .
85. ॐ भूतेभ्या स्वाहा .
86. ॐ मारुताय स्वाहा .
87. ॐ विश्वावसवे स्वाहा .
88. ॐ जगत्प्राणाय स्वाहा .
89. ॐ हयायै स्वाहा .
90. ॐ मातरिश्वने स्वाहा .
91. ॐ धृताच्यै स्वाहा .
92. ॐ गंगायै स्वाहा .
93. ॐ मेनकायै स्वाहा .
94. ॐ सरय्यवै स्वाहा .
95. ॐ उर्वस्यै स्वाहा .
96. ॐ रंभायै स्वाहा .
97. ॐ सुकेस्यै स्वाहा .
98. ॐ तिलोत्तमायै स्वाहा .
99. ॐ रुद्रेभ्य: स्वाहा .
100. ॐ मंजुघोषाय स्वाहा .
101. ॐ नन्दीश्वराय स्वाहा .
102. ॐ स्कन्दाय स्वाहा .
103. ॐ महादेवाय स्वाहा .
104. ॐ भूलायै स्वाहा .
105. ॐ मरुदगणाय स्वाहा .
106. ॐ श्रिये स्वाहा .
107. ॐ रोगाय स्वाहा .
108. ॐ पितृभ्या स्वाहा .
109. ॐ मृत्यवे स्वाहा.
110. ॐ दधि समुद्राय स्वाहा.
111. ॐ विघ्नराजाय स्वाहा .
112. ॐ जीवन समुद्राय स्वाहा .
113. ॐ समीराय स्वाहा .
114. ॐ सोमाय स्वाहा .
115. ॐ मरुते स्वाहा .
116. ॐ बुधाय स्वाहा .
117. ॐ समीरणाय स्वाहा
118. ॐ शनैश्चराय स्वाहा .
119. ॐ मेदिन्यै स्वाहा.
120. ॐ केतवे स्वाहा .
121. ॐ सरस्वतयै स्वाहा .
122. ॐ महेश्वर्य स्वाहा .
123. ॐ कौशिक्यै स्वाहा .
124. ॐ वैष्णव्यै स्वाहा .
125. ॐ वैत्रवत्यै स्वाहा .
126. ॐ इन्द्राण्यै स्वाहा
127. ॐ ताप्तये स्वाहा .
128. ॐ गोदावर्ये स्वाहा .
129. ॐ कृष्णाय स्वाहा .
130. ॐ रेवायै पयौ दायै स्वाहा .
131. ॐ तुंगभद्रायै स्वाहा .
132. ॐ भीमरथ्यै स्वाहा .
133. ॐ लवण समुद्राय स्वाहा .
134. ॐ क्षुद्रनदीभ्या स्वाहा .
135. ॐ सुरा समुद्राय स्वाहा .
136. ॐ इक्षु समुद्राय स्वाहा .
137. ॐ सर्पि समुद्राय स्वाहा .
138. ॐ वज्राय स्वाहा .
139. ॐ क्षीर समुद्राय स्वाहा .
140. ॐ दण्डार्ये स्वाहा .
141. ॐ आदित्याय स्वाहा .
142. ॐ पाशाय स्वाहा .
143. ॐ भौमाय स्वाहा .
144. ॐ गदायै स्वाहा .
145. ॐ पदमाय स्वाहा .
146. ॐ बृहस्पतये स्वाहा .
147. ॐ महाविष्णवे स्वाहा .
148. ॐ राहवे स्वाहा .
149. ॐ शक्त्ये स्वाहा .
150. ॐ ब्रह्मयै स्वाहा .
151. ॐ खंगाय स्वाहा
152. ॐ कौमार्ये स्वाहा.
153. ॐ अंकुशाय स्वाहा .
154. ॐ वाराहै स्वाहा .
155. ॐ त्रिशूलाय स्वाहा .
156. ॐ चामुण्डायै स्वाहा .
157. ॐ महाविष्णवे स्वाहा.
हवन करने की विधि | Havan karne ki vidhi
हवन करने से पहले आपको सबसे ज्यादा स्वच्छता पर ध्यान रखना होगा और उसी प्रकार प्रतिदिन की तरह पूजा करने के बाद ही अग्नि स्थापना करते हुए अग्नि स्थापित करने के लिए हवन कुंड के चारों तरफ आम की चौकोर लकड़ी लगाकर उसके अंदर कपूर को रखकर जला दे।
उसके बाद हवन मंत्र के साथ साथ हवन कुंड में आहुति देते हुए मंत्र के साथ प्रारंभ करना है फिर आपको नौ ग्रह के नाम से या फिर मंत्रों से आहुति देकर हवन को संपूर्ण करना है। अगर आप प्रकार हवन विधि को करते हैं तो आपका हवन संपूर्ण माना जाएगा।
हवन करने के फायदे | Havan karne ke fayde
- हवन का सबसे बड़ा फायदा वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिए और साथ-साथ अच्छी सेहत के लिए किया जाता है क्योंकि हवन से निकलने वाले धुएं से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचालन होता है और उसी की वजह से बीमारियां भी दूर हो जाती हैं क्योंकि बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए ऋग्वेद में भी इसका जिक्र किया गया है।
- अगर आप हवन करते हैं तो उसकी पवित्रता भी जरूरी होती है ताकि आपकी सेहत के साथ-साथ उस हवन की आध्यात्मिक शुद्धता भी बनी रहे। हवन करते समय पूर्व स्वच्छता का भी ख्याल रखना आवश्यक होता है।
- हवन करने के लिए आपको कुछ सामग्री की आवश्यकता होती है जैसे कि आम की लकड़ी , नीम ,बेल , पलाश का पेड़ , देवदार की जड़ , पीपल की छाल , गूलर की छाल और पत्ती , चंदन की लकड़ी आम की पत्ती और तना , जामुन की कोमल पत्ती , अश्वगंधा की जड़ , कपूर , लॉन्ग चावल , ब्राम्ही , मुलैठी के जड़ , बहेड़ा का फल और भी शकर जौ, तिल , गुगल , लोभान , इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का उपयोग किया जाता है।
- हवन के लिए गाय के गोबर से बनी गौर का प्रयोग किया जाता है धी में डूब कर उस गौर को डाला जाता है क्योंकि इस हवन से 94 जीवाणु का नाम होता है इसीलिए हवन का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इससे घर की शुद्धता सेहत का भी बेहद अच्छा ख्याल रखा जा सकता है और प्रत्येक घर में हवन करना चाहिए।
- हवन के साथ-साथ अगर आप किसी मंत्र का जाप करते हैं तो उस मंत्र से सकारात्मक धानी तरंगित होती है और आपके शरीर में उर्जा प्रदान करें और किसी भी मंत्र का उच्चारण करते समय सुविधा अनुसार उसे बोलना चाहिए।
FAQ : Havan mantra | हवन मंत्र
हवन करते समय कौन कौन से मंत्र बोले जाते हैं?
हवन में कौन सा मंत्र पढ़ा जाता है?
हवन करते समय कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
निष्कर्ष
जैसा कि आपने देखा आज मैंने आप लोगों को havan mantra के बारे में बताया हवन की संपूर्ण जानकारी दी है इस लेख में हमने आपको हवन के संपूर्ण मंत्र दिए हैं और हवन क्या है वैसे तो हवन घर की शुद्धता और सेहत के लिए किया जाता है क्योंकि हवन करने से घर के आसपास का वातावरण और आपके घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है.
इसीलिए हवन किया जाता है किसी से कुछ बुरी शक्तियों का नाश भी होता है इसीलिए इस हवन को करवाना उतना ही आवश्यक है जितना कि आपका जीवन आवश्यक है इसीलिए घर में हवन करवाना उतना ही आवश्यक माना जाता है उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दिया गया यह देख आपको अच्छा लगा होगा और आज के लिए उपयोगी साबित हुआ है।