क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं | Kya period me puja kar sakte hai : दोस्तों प्रकृति की रचना अजीब है जहां एक तरफ विभिन्न प्रकार के नर जीवो को पैदा किया वहीं दूसरी तरफ मादा जीवो को भी जन्म दिया जिससे हर जाति अपनी संतानों को उत्पन्न करके अपने वंश की वृद्धि कर सकें।
इसी क्रम में मनुष्य जैसी जाति का निर्माण किया जहां स्त्रियों को संतानोत्पत्ति के लिए मासिक धर्म दिया। प्रत्येक महिला को हर महीने मासिक चक्र से गुजरना पड़ता है वहीं दूसरी तरफ मासिक चक्र के दौरान मानव जाति ने सभ्यता और संस्कृति के साथ साथ पूजा-पाठ व्रत हवन आदि के नियमों का निर्माण किया।
ऐसे में जब भी किसी महिला को मासिक धर्म या पीरियड प्रारंभ होता है तो ईश्वर आराधना पूजा पाठ में बाधा बन जाता है।
विभिन्न प्रकार के धर्म शास्त्र हिंदू सनातन धर्म में स्त्रियों के लिए मासिक धर्म के दौरान पूजा-पाठ संबंधित कई नियमों को बनाकर स्त्रियों को पूजा पाठ के लिए वर्जित कर दिया।
शास्त्र कहते हैं कि पूजा पाठ के दौरान मंत्रोचार किया जाता है जो पूरी तरह शुद्धता के साथ करना पड़ता है ऐसे में जब किसी भी महिला को मासिक या पीरियड प्रारंभ होता है तो उसे अपवित्र माना जाता है।
सृष्टि के आरंभ से आज तक महिलाओं में होने वाले पीरियड से लेकर कई प्रकार के सामाजिक बंधन और भ्रांतियां हैं जबकि मासिक धर्म ही एक स्त्री को पूर्ण स्त्री में परिवर्तित करता है क्योंकि मासिक धर्म ही स्त्री को संतान प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं ? | Kya period me puja kar sakte hai ?
शास्त्र कहते हैं कि जब कोई स्त्री को पीरियड प्रारंभ हो जाता है तो इस दौरान उसे पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए। हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए पीरियड के दौरान मंदिर जाने से रोका जाता है जबकि एक महिला को सर्जन करने की क्षमता की शक्ति उसके अंदर होने वाले पीरियड से ही होती है।
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जो पीरियड एक महिला को पूर्ण स्त्री में परिवर्तित करता है समाज सृजित करने का अवसर देता है अगर उसी महिला को व्रत के दौरान पीरियड आ जाते हैं तो वह अपवित्र क्यों हो जाती है और वह इस दौरान क्या करें क्या ना करें? यह एक बहुत ही असमंजस पूर्ण स्थित उत्पन्न हो जाती हैं।
लेकिन जब कोई भी स्त्री ईश्वर आराधना पूजा पाठ करती है और इस दौरान उसे पीरियड आते हैं तो स्त्री के मन में कई प्रकार के प्रश्न उत्पन्न होते हैं वह सोचती है कि क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं? क्या पीरियड के दौरान पूजा करना सही है? पीरियड के दौरान पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए? पीरियड के दौरान पूजा कैसे करें?
आइए इन तमाम सवालों के जवाब हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताते हैं. हालांकि शास्त्रों और धार्मिक मान्यता के अनुसार किसी भी महिला या लड़की को पीरियड के दौरान पूजा पाठ नहीं करना चाहिए। लगभग हर स्त्री को लगभग 4 से 6 दिन पीरियड आता है.
अधिकांश स्त्रियों को अधिकतम 4 दिन तथा कुछ महिलाओं को 6 दिन तक पीरियड रखता है। ऐसे समय में महिलाओं को शास्त्रों के अनुसार मानसिक रूप से पूजा करने की बात कही गई है।
इसके अलावा इस दौरान अगर वह पूरी श्रद्धा से किसी भी देवी देवता की पूजा पाठ करती है तो वह परिवार के किसी सदस्य के द्वारा पूजा पाठ कर सकती है तथा पूजा स्थल से दूर बैठकर वह स्वयं मानसिक रूप से मंत्रोचार और पूजा कर सकती हैं।
पूजा पाठ के दौरान पीरियड्स आने पर क्या करें ? | Puja path ke dauran periods aane par kya kare ?
अगर आप एक महिला हैं और पूजा पाठ करती हैं तथा प्रतिदिन के पूजा पाठ के दौरान आपको पीरियड आ जाता है तो क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं? या पूजा पाठ के दौरान अगर पीरियड आते हैं तो क्या करना चाहिए?आइए जानते हैं।
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शास्त्र कहते हैं कि अगर कोई भी महिला व्रत और पूजा पाठ करती हैं तथा पीरियड आते हैं तो आपको पूरा व्रत करना जरूरी है क्योंकि पीरियड महिलाओं का एक अहम अनिवार्य हिस्सा है।
इसलिए शास्त्रों के अनुसार आप मन में ईश्वर के प्रति आस्था रखें। ईश्वर का पूजा पाठ मन से संबंधित होता है अगर आपका मन पवित्र है तो शारीरिक शुद्धता उसके बाद होती हैं।
यदि आप किसी संकल्पुर को लेकर पूजा पाठ करती हैं तो पीरियड आने पर धार्मिक कार्यों के प्रति अपनी पूजा-पाठ पारिवारिक व्यक्ति से करवाएं तथा स्वयं दूर बैठकर मनसे चिंतन करें।
पूजा पाठ आपकी प्रतिदिन की दिनचर्या है तो दूसरी तरफ मासिक धर्म भी हर महीने होने वाली एक अनिवार्य क्रिया है इसलिए जब भी आपको पीरियड आते हैं तो आप स्वच्छता का ख्याल रखते हैं साफ-सुथरे वस्त्र पहन कर मानसिक रूप से मंत्रोचार कर सकते हैं।
पूजा पाठ के दौरान मासिक चक्र आने पर प्रत्येक महिला को स्नान आदि करके पवित्र होकर ही भोजन आदि बनाना चाहिए। इससे परिवार के लोगों को लाभ मिलता है।
पीरियड के कितने दिन बाद पूजा पाठ करनी चाहिए ?
सामान्य तौर पर प्रत्येक महिला को अधिकतम 4 दिन पीरियड जरूर रहता है कुछ विषम परिस्थितियों में 5 या 6 दिन पीरियड आता है इस दौरान महिलाओं को पेट दर्द थकान जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है तथा शारीरिक तापमान भी बढ़ जाता है.
शास्त्र कहते हैं कि जब किसी भी महिला को पीरियड प्रारंभ होता है तो उसके शरीर में अतिरिक्त उर्जा आ जाती है यह ऊर्जा काफी असहनीय होती है।
शास्त्रों के अनुसार ही कहा जाता है कि अगर पीरियड आते हैं और महिला उस दौरान पूजा-पाठ व्रत रखती है और वह किसी देवी देवता के सामने पूजा पाठ करती है आराधना करती है तो उसके अंदर से निकलने वाली ऊर्जा ईश्वर भी बर्दाश्त नहीं कर पाता है.
जिसके चलते पीरियड के दौरान महिलाओं को पूजा पाठ से वर्जित किया जाता है।
सामान्य तौर पर अगर 4 दिन पीरियड आता है तो पांचवें दिन संपूर्ण शरीर की विधिवत साफ सफाई करनी चाहिए यहां तक की महिलाओं को अपने बालों की साफ सफाई करना आवश्यक होता है और उसके बाद महिलाओं को संभावित सिंगार करके पूजा पाठ करना चाहिए।
धार्मिक मान्यताएं इस बात पर जोर देती हैं कि महिलाओं को पीरियड समाप्त होने के बाद पूरे श्रंगार करनी चाहिए तथा सबसे पहले मां लक्ष्मी के दर्शन करने चाहिए उसके बाद अपने पति के दर्शन करना चाहिए यदि पति घर पर मौजूद नहीं है तो सूर्य देव के दर्शन कर अपनी पूजा पाठ प्रारंभ करें।
FAQ : क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं
पीरियड के दौरान क्या-क्या नहीं छूना चाहिए ?
सुहागिन स्त्रियों को किस-किस दिन सिंदूर लगाना चाहिए ?
क्या पीरियड के दौरान सिंदूर लगाना चाहिए ?
निष्कर्ष
दोस्तों जहां महिलाओं में पीरियड आना एक अनिवार्य हिस्सा है हम सभी जानते हैं कि अगर महिलाओं को पीरियड नहीं आता है तो संतानोत्पत्ति होना संभव नहीं है क्योंकि महिलाओं में पीरियड या मासिक धर्म ही स्त्री को मां का सुख प्रदान करता है लेकिन पीरियड के दौरान पूजा पाठ करने के लिए रोका गया है।
अगर किसी भी महिला के मन में यह सवाल है कि क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं? तो इस संबंध में धर्म पुराण कहते हैं कि पूजा-पाठ व्रत तथा किसी भी प्रकार की मांगलिक कार्यक्रमों में भागीदारी नहीं करनी चाहिए।
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