संपूर्ण नारायण स्तोत्रम और सही विधि-विधान और 5 चमत्कारी लाभ | narayan stotram

नारायण स्तोत्रम | Narayana Stotram : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से narayan stotram के बारे में बताने वाले हैं नारायण स्त्रोत भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है जिस प्रकार सप्ताह के सभी दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित किए गए हैं उसी प्रकार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है.

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से और उनके स्तुति , स्त्रोतों का जाप करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं नारायण स्त्रोत का पाठ करने के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का दिन सबसे शुभ माना जाता है किस दिन एकादशी व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा के समय श्री नारायण स्त्रोत का पाठ करें।

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नारायण स्त्रोत का पाठ करके भगवान विष्णु को प्रसन्न करें और उनकी कृपा से हर मनोकामना को पूर्ण करें क्योंकि भगवान विष्णु की कृपा से कार्य में सफलता मिलती है और घर में सुख समृद्धि का आगमन होता है। इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से narayan stotram के बारे में बताने वाले हैं इसके अलावा नारायण स्त्रोत का पाठ करने की विधि क्या है.

नारायण स्त्रोत का पाठ करने के लाभ क्या है इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नारायण स्त्रोत के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहता है तो वह हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े ताकि उसे नारायण स्त्रोत के बारे में और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक अच्छा उपाय प्राप्त हो जाए।

नारायण स्तोत्रम | Narayana Stotram

नारायण स्त्रोत भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है नारायण स्त्रोत की रचना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई है नारायण स्त्रोत आदि श्री हरि को अत्यंत प्रिय है नारायण स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही सरल है नारायण स्त्रोत का पाठ करने के निम्नलिखित भाव बताए गए हैं अगर आपने से कोई भी व्यक्ति नारायण स्त्रोत का पाठ करना चाहता है तो उस मनुष्य को 43 दिनों तक इस पाठ को करना होगा तभी जाकर उसकी संपूर्ण इच्छाएं पूर्ण होंगी नारायण स्त्रोत का पाठ एकादशी के दिन किया जाता है।

नारायण स्तोत्रम | Narayana Stotram

भगवान विष्णु के 7 अवतार

नारायण नारायण जय गोविन्द हरे ॥
नारायण नारायण जय गोपाल हरे ॥
करुणापारावार वरुणालयगम्भीर नारायण ॥ 1 ॥
घननीरदसङ्काश कृतकलिकल्मषनाशन नारायण ॥ 2 ॥
यमुनातीरविहार धृतकौस्तुभमणिहार नारायण ॥ 3 ॥
पीताम्बरपरिधान सुरकल्याणनिधान नारायण ॥ 4 ॥
मञ्जुलगुञ्जाभूष मायामानुषवेष नारायण ॥ 5 ॥
राधाधरमधुरसिक रजनीकरकुलतिलक नारायण ॥ 6 ॥
मुरलीगानविनोद वेदस्तुतभूपाद नारायण ॥ 7 ॥
बर्हिनिबर्हापीड नटनाटकफणिक्रीड नारायण ॥ 8 ॥
वारिजभूषाभरण राजीवरुक्मिणीरमण नारायण ॥ 9 ॥
जलरुहदलनिभनेत्र जगदारम्भकसूत्र नारायण ॥ 10 ॥
पातकरजनीसंहार करुणालय मामुद्धर नारायण ॥ 11 ॥
अघ बकहयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे नारायण ॥ 12 ॥
हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर नारायण ॥ 13 ॥
दशरथराजकुमार दानवमदसंहार नारायण ॥ 14 ॥
गोवर्धनगिरि रमण गोपीमानसहरण नारायण ॥ 15 ॥
सरयुतीरविहार सज्जन‌ऋषिमन्दार नारायण ॥ 16 ॥
विश्वामित्रमखत्र विविधवरानुचरित्र नारायण ॥ 17 ॥
ध्वजवज्राङ्कुशपाद धरणीसुतसहमोद नारायण ॥ 18 ॥
जनकसुताप्रतिपाल जय जय संस्मृतिलील नारायण ॥ 19 ॥
दशरथवाग्धृतिभार दण्डक वनसञ्चार नारायण ॥ 20 ॥
मुष्टिकचाणूरसंहार मुनिमानसविहार नारायण ॥ 21 ॥
वालिविनिग्रहशौर्य वरसुग्रीवहितार्य नारायण ॥ 22 ॥
मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर नारायण ॥ 23 ॥
जलनिधि बन्धन धीर रावणकण्ठविदार नारायण ॥ 24 ॥
ताटकमर्दन राम नटगुणविविध सुराम नारायण ॥ 25 ॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन नारायण ॥ 26 ॥
सम्भ्रमसीताहार साकेतपुरविहार नारायण ॥ 27 ॥
अचलोद्धृतचञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर नारायण ॥ 28 ॥
नैगमगानविनोद रक्षित सुप्रह्लाद नारायण ॥ 29 ॥
भारत यतवरशङ्कर नामामृतमखिलान्तर नारायण ॥ 30

नारायण स्तोत्रम का पाठ कैसे करे ? | Narayana Stotram ka path kaise kare ?

  1. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नारायण स्त्रोत का पाठ करना चाहता है तो उसे एकादशी का दिन चुनना चाहिए।
  2. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति एकादशी के दिन नारायण स्त्रोत का पाठ करता है तो उसे दो प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं एक तो नारायण स्त्रोत का लाभ मिलेगा और दूसरा एकादशी व्रत का लाभ प्राप्त होगा।
  3. एकादशी वाले दिन सबसे पहले एकादशी व्रत का संकल्प लें उसके पश्चात सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निश्चिंत हो जाएं।
  4. उसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें हो सके तो नारायण स्त्रोत के लिए पीले वस्त्र धारण करें क्योंकि भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यंत प्रिय है।
  5. वस्त्र धारण करने के बाद अपने घर में भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें या फिर किसी केले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें केले का पेड़ भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है इसीलिए उसके नीचे भी बैठ कर आप एकादशी और नारायण स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं।
  6. फोटो को स्थापित करने के पश्चात उनके सामने धूप दीप जलाएं और उन्हें पीले रंग के वस्त्र या फिर पीले रंग का नया कपड़ा चढ़ाएं।
  7. उसके पश्चात उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाएं। वैसे तो भगवान विष्णु को केला अत्यंत प्रिय है तो आप उसका भोग भी लगा सकते हैं।
  8. भोग लगाने के बाद उनकी आरती करें।
  9. उसके पश्चात उनकी मूर्ति के सामने बैठकर नारायण स्त्रोत का पाठ करें जब भी आप नारायण स्त्रोत का पाठ करते हैं तो आपको नारायण स्त्रोत का अर्थ समझना आवश्यक है तभी आप उसका लाभ उठा पाएंगे।
  10. एक बात का ध्यान हमेशा रखें कि भगवान विष्णु की पूजा और व्रत में कभी भी केला खुद ना खाएं।
  11. भगवान विष्णु को केले का भोग लगा सकते हैं लेकिन खुद खाना वर्जित माना जाता है।

नारायण स्तोत्र पाठ के लाभ | Narayana Stotram path ke labh

NARAYAN VISHNU BHAGWAN

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नारायण स्त्रोत का विधि विधान पूर्वक पाठ करता है तो उसे निम्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

1. मन की शांति

शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा गया है कि नारायण स्त्रोत का पाठ करने से मन की शांति होती है।

2. बुराइयों से छुटकारा

अगर आप में से किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन से सभी प्रकार की बुराइयों को दूर करना है तो उसे नारायण स्त्रोत का पाठ करना चाहिए क्योंकि इसे स्त्रोत का नियमित पाठ करने से सभी प्रकार की बुराइयां दूर हो जाती है।

3. धन प्राप्ति

वैसे तो आप सभी लोग यह जानते होंगे कि भगवान विष्णु की पत्नी का नाम लक्ष्मी है ऐसे में अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नारायण स्त्रोत का पाठ करता है तो उसे धन प्राप्ति अवश्य होती है क्योंकि अगर आप भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो उस पूजा से लक्ष्मी जी प्रसन्न हो जाती हैं।

4. सुख – समृद्धि

वैसे तो सभी लोग अपने जीवन में सुख समृद्धि और शांति चाहते हैं चाहते हैं कि उनका जीवन सही तरीके से चले उनके जीवन में कभी भी किसी प्रकार की अर्चना ना आए तो ऐसे में उन व्यक्तियों को नारायण स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नारायण स्त्रोत का 43 दिन तक पाठ करता है तो उसे सुख-समृद्धि आदि चीजें प्राप्त होती हैं।

5. पापों से मुक्ति

अगर किसी पुरुष ने अपने अगले जन्म में किसी भी प्रकार के पाप किए हैं तो उस व्यक्ति के आने वाले जन्म में दोनों के पाप से मुक्ति दिलाने के लिए नारायण स्त्रोत का पाठ किया जाता है इस स्त्रोत का पाठ करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

FAQ : narayan stotram

विष्णु भगवान का मंत्र कौन सा है ?

ॐ नमोः नारायणाय नमः। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।अगर आप कभी भी भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो साथ में माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा अवश्य करें और उस पूजन में ऊपर दिए गए मंत्रों का उच्चारण अवश्य करें। 

भगवान विष्णु जी का बीज मंत्र क्या है ?

भगवान विष्णु का बीज मंत्र बहुत ही प्रसिद्ध है उनके मंत्रों का उच्चारण करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।

 

विष्णु पुराण का मूल मंत्र क्या है ?

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय ।

भगवान विष्णु के पौराणिक मूल्य मंत्र का जाप करने से और भगवान विष्णु का स्मरण करने से आपको पुण्य की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से narayan stotram के बारे में बताया इसके अलावा नारायण स्त्रोत का पाठ करने की विधि क्या है नारायण स्त्रोत पाठ करने के लाभ क्या है और नारायण स्त्रोत क्या है इसकी रचना किसने की थी इनके बारे में जानकारी दी अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको नारायण स्त्रोत के बारे में जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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