संपूर्ण एकादशी व्रत कथा : पूजा विधि एवं पूजा के नियम और 10 लाभ | ekadashi ki katha

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एकादशी व्रत कथा | Ekadashi ki katha : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से ekadashi ki katha बारे में बताने वाले हैं हमारे भारतवर्ष में कई प्रकार के ऐसे धार्मिक यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शरीर एवं मन का संतुलन बनाए रखने के लिए कई प्रकार के व्रत किए जाते हैं मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा गया है कि व्रत एवं उपवास करने से हमारे शरीर के सभी अंग संतुलित रहते हैं।

उन सभी व्रतों में से एक एकादशी व्रत किया जाता है हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार 11वीं तिथि को एकादशी व्रत किया जाता है सभी प्रकार के व्रत और उपवास ओं में से एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है एकादशी का व्रत प्रत्येक माह में 2 बार होता है एकादशी का व्रत पूर्णिमा और अमावस्या में होता है या फिर यूं कहें की एकादशी व्रत को कृष्ण पक्ष की अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।

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हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अलग अलग महत्व होता है हर पक्ष की एकादशी अलग अलग नाम से जानी जाती है जैसे कि ; रमा एकादशी, आमलकी एकादशी, पाप मोचनी एकादशी, रंगभरी एकादशी, षटतिला एकादशी इत्यादि. प्रकार की एकादशी होती हैं इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से ekadashi ki katha के बारे में बताएंगे इसके अलावा एकादशी व्रत का महत्व क्या होता है.

एकादशी व्रत की पूजा कैसे की जाती है ? एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं ? इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे अगर आप में से कोई भी एकादशी व्रत के बारे में और एकादशी कथा जानना चाहता है तो वह हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े ताकि उसे एकादशी व्रत की कथा के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके।

एकादशी व्रत का महत्व | Ekadashi Vrat ka mahatva

हमारे हिंदू धर्म में अलग-अलग प्रकार के व्रत और उपवास किए जाते हैं उन्हीं व्रत और उपवास में से एक एकादशी व्रत होता है पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एक बार द्वापर युग में युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा था कि हे माधव आप ऐसे कोई मार्ग बताइए जिससे समस्त दुखों और पापों का नाश हो सके ऐसा मार्ग बताइए जिससे चारों यज्ञ के अनुष्ठान से फल प्राप्त किया जा सके तो युधिष्ठिर ने एकादशी व्रत के बारे में बताया था.

भगवान विष्णु के 7 अवतार

इस जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाए तभी युधिष्ठिर ने सवाल का जवाब देते हुए कहा है श्री कृष्ण पांडवों को एकादशी व्रत को विधिवत करने की सलाह दीजिए इसी प्रकार एकादशी व्रत शुरुआत हुई थी तो चलिए अब हम आपको एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं इसके बारे में बताते हैं।

एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं ? | Ekadashi Vrat mein kya khana chahiye kya Nahi ?

  1. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति यह जानना चाहता है कि एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए क्या नहीं तो आज हम आप लोगों को बताएंगे की एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए अगर आपने से कोई भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है तो उस व्यक्ति को इस बात की जानकारी होना आवश्यक होता है नहीं तो उसका व्रत खंडित हो सकता है।
  2. शास्त्रों के मुताबिक और कहावतों के मुताबिक ऐसा कहा गया है कि एकादशी के व्रत में , सेंधा नमक , दूध , बादाम , अदरक , चीनी , काली मिर्च , नारियल , साबूदाना , आलू, कुट्टू का आटा आदि प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन किया जा सकता।
  3. अगर कोई भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है तो उस व्यक्ति को एकादशी के दिन लकड़ी का दातुन नहीं करना।
  4. एकादशी के व्रत में सात्विक भोजन कर सकते है।
  5. एकादशी का व्रत हमारे हिंदू धर्म से जुड़ा होता है और हिंदू धर्म में कभी भी व्रत के दौरान मांस मदिरा आदि का सेवन नहीं किया जाता इसीलिए इस व्रत में मांस मदिरा का सेवन करना बहुत ही हानिकारक माना जाता है।
  6. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है तो उस व्यक्ति को दशमी के दिन प्याज , लहसुन , मसूर की दाल आदि वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
  7. एकादशी के व्रत में प्रभु को भोग लगाने में तुलसी दल की पत्ती चढ़ाना चाहिए और उसी का सेवन करना चाहिए।
  8. एकादशी का व्रत इतना ज्यादा पवित्र माना जाता है जिसकी वजह से इस व्रत में जो बैंगन और मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी पूजा विधि | Ekadashi Puja Vidhi

NARAYAN VISHNU BHAGWAN

अगर आप लोग यह जानना चाहते हैं कि एकादशी पूजा विधि किस प्रकार होती है तो आज हम आप लोगों को एकादशी व्रत की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में बताएंगे।

  1. एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है इसीलिए आपको पूजा करने के लिए भगवान विष्णु की तस्वीर को लाना है।
  2. उसके पश्चात दशमी के दिन भगवान विष्णु की तस्वीर का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प करना है और उस व्रत को करने से 1 दिन पहले यानी की दशमी के दिन मांस , मदिरा , लहसुन, प्याज , मसूर की दाल और चावल आदि चीजों का सेवन पहले से ही नहीं करना चाहिए।
  3. उसके पश्चात एकादशी व्रत को करने के लिए एकादशी तिथि वाले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निश्चिंत हो जाएं।
  4. स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद अपने घर के मंदिर में या फिर केले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की तस्वीर को स्थापित करें।
  5. उसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं।
  6. उसके पश्चात भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने फूल, नैवेद्य, फल अर्पण करें.
  7. उसके पश्चात भगवान विष्णु के कुछ मंत्रों का ध्यान करें “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” जपें. कृष्ण, नारायण, राम आदि का नाम लेते हुए भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों का उच्चारण करें
  8. एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने बैठकर गीता का पाठ अवश्य करें।
  9. एकादशी के व्रत में और जल का सेवन करना वर्जित माना जाता है एकादशी व्रत निर्जला व्रत होता है आप इस व्रत में एक टाइम का भोजन ही ग्रहण कर सकते हैं। और उस भोजन में आप सात्विक फलाहार कर सकते हैं।
  10. एकादशी के व्रत में खाने के लिए या फिर यूं समझ ले कि फलाहार करने के लिए इन सभी चीजों का सेवन शास्त्रों के अनुसार बताया गया है। नारियल, चीनी, मेवा, कूटू, अदरक, चीनी, दूध, साबूदाना, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, शकरकंद आदि का सेवन कर सकते हैं।

एकादशी व्रत कथा | Ekadashi ki katha

एक बार की बात है एक गांव में नर्मदा नदी के तट पर मांधाता नाम का राजा राज करता था वह राजा अत्यंत दान शील तथा तपस्वी था एक दिन जब वह जंगल में तपस्या करने गया तभी ना जाने कहां से उसी जंगल में एक जंगली भालू आ गया और राजा पर पैरों से हमला करने लगा राजा तपस्या में लीन थे फिर बाद जैसे ही राजा को आभास हुआ कि उसके पैरों में भालू के पंजे जैसे लग रहे हैं तभी वह भालू कुछ ही देर में पैर चलाते-चलाते भालू राजा को घसीटते हुए जंगल में ले गया।

जितना ज्यादा घबरा गए थे मगर तापस धर्म अनुकूल उनके क्रोध और हिंसा ना करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की गरुड़ भगवान से भगवान विष्णु को पुकारा जैसे ही भगवान विष्णु ने उनकी पुकार सुनी श्री हरि विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने चक्र से भालू को मार दिया।

लेकिन जब तक राजा ने भगवान विष्णु को पुकारा और उनसे प्रार्थना की अब तक वह भालू राजा का पैर खा चुका था जैसे ही राजा ने अपने पैर को देखा वह बहुत ही शोकाकुल हुए उन्हें दुखी देखकर भगवान विष्णु बोले हैं हे वत्स! शोक मत करो। भगवान विष्णु ने कहा हे राजन तुम मथुरा जाओ और वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। उस मूर्ति के प्रभाव से आपका अंग दोबारा आपको मिल जाएगा इस भालू ने भेजो काटा है यह तुम्हारे पूर्वजन्म का अपराध था जो अब मिट चुका है।

राजा ने भगवान विष्णु की आज्ञा को मानकर मथुरा जाकर वहां पर श्रद्धा पूर्वक एकादशी व्रत किया एकादशी व्रत करने के बाद इसके प्रभाव से राजा शीघ्र ही पुनः सुंदर और संपूर्ण अंगों वाले हो गए इस एकादशी प्रभाव से राजा मांधाता स्वर्ग गए थे।

भगवान विष्णु ने ऐसा कहा था कि अगर कोई भी व्यक्ति भाई से पीड़ित है तो उसे वरुथिनी एकादशी व्रत का उपवास करना चाहिए वरुथिनी एकादशी व्रत को करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है इसी प्रकार एकादशी व्रत की शुरुआत हुई थी।

एकादशी का व्रत करने के फायदे | Ekadashi ka Vrat karne ke fayde

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अगर आप में से कोई भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है या फिर एकादशी का व्रत रखना चाहता है तो उसे एकादशी व्रत के फायदों के बारे में अवश्य जानकारी चाहिए एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है भगवान विष्णु के एक और स्वरूप की पूजा एकादशी के व्रत में की जाती है एकादशी व्रत के निम्न प्रकार के फायदे हैं जो हम आपको नीचे विस्तार से बताएंगे।

1. पुण्य की प्राप्ति

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है और संपूर्ण पूजा विधि के साथ इस व्रत को संपूर्ण करता है तो उस व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।

2. संकट से मुक्ति

एकादशी का व्रत करने से और उसका उपवास करने से सभी प्रकार के संकटों से छुटकारा मिल जाता है।

3. मोक्ष की प्राप्ति

आजकल के इस युग में कई ऐसे व्यक्ति होते है जिन्हें मोह माया से कोई भी संबंध नहीं होता है वह मरने से पहले यही कहते हैं कि हमें इस दुनिया में दोबारा जन्म ना मिले ऐसे व्यक्तियों को पहले ही एकादशी व्रत को करना चाहिए और उस व्रत के लाभ को यानी कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस व्रत को संपूर्ण तरह से करना चाहिए।

4. पुत्र की प्राप्ति

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जिस भी किसी महिला को संतान नहीं हो रही है तो उस महिला को एकादशी व्रत करना चाहिए एकादशी व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होने में मदद मिलती है साथ ही पुत्र की लंबी आयु और जिंदगी में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं।

5. सुख ऐश्वर्य प्राप्ति

एकादशी का व्रत इतना ज्यादा प्रभावशाली होता है कि इस व्रत को करने से सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

6. दरिद्रता का नाश

एकादशी का व्रत अगर संपूर्ण तरीके से किया जाए और इसमें कोई भी गलती ना हो तो इस व्रत को करने से दुर्भाग्य , दरिद्रता आदि प्रकार की बुरी चीजें नष्ट हो जाती हैं।

7. शत्रु का नाश

एकादशी का व्रत इतना ज्यादा शक्तिशाली होता है कि इस व्रत को अगर कोई भी साधक कर लेता है तो उस व्यक्ति के शत्रु का नाश हो जाता है और हमेशा वह अपने शत्रु से बचा रहता है।

8. भूत प्रेत से मुक्ति

एकादशी का व्रत करने से आपको हर प्रकार के भूत , पिचास , राक्षस , योनि से छुटकारा मिल जाएगा।

9. धन प्राप्ति

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एकादशी का व्रत करने से धन- प्राप्ति , वैभव और कीर्ति की प्राप्ति होती है।

10. इच्छा की पूर्ति

एकादशी का व्रत इतना ज्यादा शक्तिशाली होता है कि इस व्रत को करने से जीवन बहुत ही सरल हो जाता है और इस व्रत को करने से आप अपनी सभी प्रकार की इच्छाओं को पूर्ण कर सकते हैं।

FAQ : ekadashi ki katha

एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है ?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति या जानना चाहता है कि एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है तो हम आपको बता दें कि हमारे हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसा बताया गया है कि जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला व्रत किया जाता है इस दिन बिना कुछ खाए पिए ही इस व्रत को किया जाता है इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है इसीलिए एकादशी का व्रत किया जाता है।

सबसे बड़ी एकादशी कौन सी है ?

सबसे बड़ी एकादशी वर्ष भर की होती है यह एकादशी बहुत ही शक्तिशाली है एकादशियों एकादशी इसका उपवास करने से पुण्य लाभ प्राप्त होते हैं इस एकादशी को निर्जला रखा जाता है इस दिन स्वयं निर्जला रखकर ब्राह्मण या फिर जरूरतमंद व्यक्तियों को पानी पिलाना चाहिए।

एकादशी किसकी बेटी है ?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति या जानना चाहता है कि एकादशी किसकी बेटी थी तो हम आपको बता दें कि एकादशी एक देवी थी जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था एकादशी देवी मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को प्रकट हुई थी इसीलिए इन्हें भगवान विष्णु की पुत्री कहा जाता है युधिष्ठिर ने एकादशी माता के जन्म की कथा भी सुनाई है जो हमने आपको इस लेख में दी है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से ekadashi ki katha के बारे में बताया इसके अलावा एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है एकादशी व्रत का महत्व क्या है एकादशी व्रत कैसे किया जाता है एकादशी व्रत के लाभ क्या है इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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