ॐ जम सः मंत्र का अर्थ और जप विधि एवं 6 लाभ | om jum sah mantra

ॐ जम सः | Om jum sah mantra : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को om jum sah mantra के बारे में बताएंगे यह एक प्रकार का महामृत्युंजय मंत्र है इस महामृत्युंजय मंत्र से भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है और शिव को प्रसन्न करने के लिए या एक खास मंत्र है यह मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान शिव की स्तुति में लिखा है अगर आप रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपकी हर प्रकार की परेशानी और रोग समाप्त हो जाते हैं वहीं पर अगर आप इस मंत्र का जाप करते हैं.

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तो आपको अकाल मृत्यु का डर भी नहीं रहेगा शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र के जाप करने से मनुष्य की हर प्रकार की बाधाएं और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं दोस्तों अगर आप लोग भी अपनी हर परेशानियां दूर करना चाहते हैं और अपने जीवन में हमेशा खुश रहना चाहते हैं तो आप इस मंत्र का जाप 1 बार जरूर करें यह बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है.

अगर आप इस मंत्र को सिद्ध कर ले जाते हैं तो आप इन सारी बाधाओं से हमेशा के लिए दूर हो जाएंगे और आप अपना जीवन खुशी खुशी बिता सकेंगे तो चलिए आज हम आप लोगों को om jum sah mantra के बारे में बताएंगे और इस मंत्र का अर्थ क्या है यह भी बताएंगे और इस मंत्र का जाप कैसे किया जाता है और क्यों किया जाता है यह भी बताएंगे इन सारी जानकारियों को प्राप्त करने के लिए आप हमारे आर्टिकल में अंत तक जरूर बने रहे।

ॐ जम सः कौन सा मंत्र हैं | Om jum sah mantra

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

ॐ जम सः का अर्थ क्या है ? | Om jum sah ka arth kya hai ?

महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहा जाता हैं। ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ । शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का जाप करने से मरते हुए व्यक्ति को जीवनदान मिल जाता है।

महामृत्युंजय यंत्र का बीज मंत्र क्या है ?

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करे ?

Shiv

आप जब भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हो या फिर पूजा पाठ करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए अगर आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप भगवान शिव के पास बैठकर करते हैं तो आपको भगवान शिव को जल और दूध का अभिषेक जरूर करना है और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय आप एकदम शांत अवस्था में बैठे जिससे जाप करते समय आपका मन इधर-उधर ना भटके और एक बात का ध्यान जरूर रखें जब भी आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हो उतने हमें आपको उबासी नहीं लेना है और ना ही आलसी बना रखना है।

महामृत्युजंय मंत्र जाप के फायदे | Mahamrityunjaya Mantra ka Jaap kaise kare

1. सम्पत्ति की प्राप्ति

जिस भी व्यक्ति को धन संपत्ति की जरूरत होती है और उसे पाने की इच्छा रखता है वह व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का पाठ जरूर करें इस महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से भगवान शिव हमेशा आपसे प्रसन्न रहेंगे और मनुष्य को कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होने देंगे।

2. दीर्घायु (लम्बी उम्र)

जो भी व्यक्ति अपनी लंबी उम्र की कामना करता है और वह चाहता है कि हमारी उमर लंबी हो जाए से नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए अगर आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाएगा क्योंकि यह मंत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है इसीलिए इस मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति की उम्र बढ़ जाती है।

3. यश (सम्मान) की प्राप्ति

अगर आप समाज में या फिर घर परिवार में सम्मान पाना चाहते हैं तो आपको इस मंत्र का जाप करना होगा अगर आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको समाज में उच्च स्थान प्राप्त होगा और सम्मान पाने की चाह रखने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।

4. संतान की प्राप्ति

जो भी व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है भगवान शिव की कृपा हमेशा उसके ऊपर बनी रहती है और उस व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है अगर आप इस मंत्र का जाप रोज करते हैं तो आपको संतान की प्राप्ति भी होती हैं।

5. आरोग्य प्राप्ति

यह एक ऐसा मंत्र है जो कि मनुष्य को ना सिर्फ निर्भय बनाता है बल्कि मनुष्य की हर प्रकार की बीमारियों का नाश भी करता है इस मंत्र को भगवान शिव को मृत्यु का देवता भी कहा जाता है अगर आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपके सारे रोग नाश हो जाएंगे और आप निरोगी हो जाएंगे।

6. महामृत्युंजय मंत्र से होता है दोषों का नाश

अगर आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो आपके ऊपर से मंगल दोष , कालसर्प दोष, भूत प्रेत दोष , रोगनाश , संतान बाधा आदि प्रकार के दोष नाश जाते हैं।

ॐ जम सः मंत्र का Video

महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से क्या होता है ?

दोस्तों बहुत लोग ऐसा पूछते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से क्या होता है तो आज हम आप लोगों को यह बताएंगे कि महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से क्या होता है महामृत्युंजय मंत्र वही लोग पढ़ते हैं जिनको किसी भी प्रकार की परेशानी होती है क्योंकि इस मंत्र से अकाल मृत्यु का डर भी दूर हो जाता है.

shiv ji

शिव पुराण के अनुसार ऐसा कहा गया है कि इस मंत्र के जाप से मनुष्य की सभी प्रकार की बाधाएं खत्म हो जाती हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से आपके ऊपर मंगल दोष , नाड़ी दोष , कालसर्प दोष , भूत , प्रेत , दोष , गर्भ नाश , संतान बाधा और कई अन्य प्रकार के दोष हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं इसीलिए हर एक व्यक्ति इस मंत्र का जाप करना चाहता है और इसका लाभ उठाना चाहता है।

महामृत्युंजय जाप मंत्र | Mahamrityunjaya Jaap Mantra

कृतनित्यक्रियो जपकर्ता स्वासने पांगमुख उदहमुखो वा उपविश्य धृतरुद्राक्षभस्मत्रिपुण्ड्रः । आचम्य । प्राणानायाम्य। देशकालौ संकीर्त्य मम वा यज्ञमानस्य अमुक कामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजय मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमहंकरिष्ये वा कारयिष्ये।

महामृत्युंजय मंत्र प्राण प्रतिष्ठा आह्वान

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः।
ॐ गणपतये नमः। ॐ इष्टदेवतायै नमः।
इति नत्वा यथोक्तविधिना भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कुर्यात्‌।

महामृत्युंजय मंत्र विनियोगः

ॐ तत्सदद्येत्यादि मम अमुक प्रयोगसिद्धयर्थ भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च करिष्ये। ॐ आधारशक्ति कमलासनायनमः। इत्यासनं सम्पूज्य। पृथ्वीति मंत्रस्य। मेरुपृष्ठ ऋषि;, सुतलं छंदः कूर्मो देवता, आसने विनियोगः।

महामृत्युंजय मंत्र आसनः

ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय माँ देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌।
गन्धपुष्पादिना पृथ्वीं सम्पूज्य कमलासने भूतशुद्धिं कुर्यात्‌।
अन्यत्र कामनाभेदेन। अन्यासनेऽपि कुर्यात्‌।

महामृत्युंजय मंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विनियोगः

अस्य श्रीप्राणप्रतिष्ठामंत्रस्य ब्रह्माविष्णुरुद्रा ऋषयः ऋग्यजुः सामानि छन्दांसि, परा प्राणशक्तिर्देवता, ॐ बीजम्‌, ह्रीं शक्तिः, क्रौं कीलकं प्राण-प्रतिष्ठापने विनियोगः।
डं. कं खं गं घं नमो वाय्वग्निजलभूम्यात्मने हृदयाय नमः।
ञं चं छं जं झं शब्द स्पर्श रूपरसगन्धात्मने शिरसे स्वाहा।
णं टं ठं डं ढं श्रीत्रत्वड़ नयनजिह्वाघ्राणात्मने शिखायै वषट्।
नं तं थं धं दं वाक्पाणिपादपायूपस्थात्मने कवचाय हुम्‌।
मं पं फं भं बं वक्तव्यादानगमनविसर्गानन्दात्मने नेत्रत्रयाय वौषट्।
शं यं रं लं हं षं क्षं सं बुद्धिमानाऽहंकार-चित्तात्मने अस्राय फट्।
एवं करन्यासं कृत्वा ततो नाभितः पादपर्यन्तम्‌ आँ नमः।
हृदयतो नाभिपर्यन्तं ह्रीं नमः।
मूर्द्धा द्विहृदयपर्यन्तं क्रौं नमः।
ततो हृदयकमले न्यसेत्‌।
यं त्वगात्मने नमः वायुकोणे।
रं रक्तात्मने नमः अग्निकोणे।
लं मांसात्मने नमः पूर्वे ।
वं मेदसात्मने नमः पश्चिमे ।
शं अस्थ्यात्मने नमः नैऋत्ये।
ओंषं शुक्रात्मने नमः उत्तरे।
सं प्राणात्मने नमः दक्षिणे।
हे जीवात्मने नमः मध्ये एवं हदयकमले।

महामृत्युंजय मंत्र अथ ध्यानम्‌

Shiv

रक्ताम्भास्थिपोतोल्लसदरुणसरोजाङ घ्रिरूढा कराब्जैः
पाशं कोदण्डमिक्षूदभवमथगुणमप्यड़ कुशं पंचबाणान्‌।
विभ्राणसृक्कपालं त्रिनयनलसिता पीनवक्षोरुहाढया
देवी बालार्कवणां भवतुशु भकरो प्राणशक्तिः परा नः ॥

अथ महामृत्युंजय संकल्प

तत्र संध्योपासनादिनित्यकर्मानन्तरं भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कृत्वा प्रतिज्ञासंकल्प कुर्यात ॐ तत्सदद्येत्यादि सर्वमुच्चार्य मासोत्तमे मासे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे अमुकगोत्रो अमुकशर्मा/वर्मा/गुप्ता मम शरीरे ज्वरादि-रोगनिवृत्तिपूर्वकमायुरारोग्यलाभार्थं वा धनपुत्रयश सौख्यादिकिकामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजयदेव प्रीमिकामनया यथासंख्यापरिमितं महामृत्युंजयजपमहं करिष्ये।

विनियोग

अस्य श्री महामृत्युंजयमंत्रस्य वशिष्ठ ऋषिः, अनुष्टुप्छन्दः श्री त्र्यम्बकरुद्रो देवता, श्री बीजम्‌, ह्रीं शक्तिः, मम अनीष्ठसहूयिर्थे जपे विनियोगः।

अथ यष्यादिन्यासः
ॐ वसिष्ठऋषये नमः शिरसि।
अनुष्ठुछन्दसे नमो मुखे।
श्री त्र्यम्बकरुद्र देवतायै नमो हृदि।
श्री बीजाय नमोगुह्ये।
ह्रीं शक्तये नमोः पादयोः।

॥ इति यष्यादिन्यासः ॥

अथ करन्यासः

ॐ ह्रीं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं ॐ नमो भगवते रुद्रायं शूलपाणये स्वाहा अंगुष्ठाभ्यं नमः।

ॐ ह्रीं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः यजामहे ॐ नमो भगवते रुद्राय अमृतमूर्तये माँ जीवय तर्जनीभ्याँ नमः।

ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्‌ ओं नमो भगवते रुद्राय चन्द्रशिरसे जटिने स्वाहा मध्यामाभ्याँ वषट्।

ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः उर्वारुकमिव बन्धनात्‌ ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिपुरान्तकाय हां ह्रीं अनामिकाभ्याँ हुम्‌।

ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मृत्योर्मुक्षीय ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिलोचनाय ऋग्यजुः साममन्त्राय कनिष्ठिकाभ्याँ वौषट्।

ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मामृताम्‌ ॐ नमो भगवते रुद्राय अग्निवयाय ज्वल ज्वल माँ रक्ष रक्ष अघारास्त्राय करतलकरपृष्ठाभ्याँ फट् ।

॥ इति करन्यासः ॥

अथांगन्यासः

ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं ॐ नमो भगवते रुद्राय शूलपाणये स्वाहा हृदयाय नमः।

ॐ ह्रौं ओं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः यजामहे ॐ नमो भगवते रुद्राय अमृतमूर्तये माँ जीवय शिरसे स्वाहा।

ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्‌ ॐ नमो भगवते रुद्राय चंद्रशिरसे जटिने स्वाहा शिखायै वषट्।

ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः उर्वारुकमिव बन्धनात्‌ ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिपुरांतकाय ह्रां ह्रां कवचाय हुम्‌।

ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मृत्यार्मुक्षीय ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिलोचनाय ऋग्यजु साममंत्रयाय नेत्रत्रयाय वौषट्।

ॐ ह्रौं ॐ जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः मामृतात्‌ ॐ नमो भगवते रुद्राय अग्नित्रयाय ज्वल ज्वल माँ रक्ष रक्ष अघोरास्त्राय फट्।

॥ इत्यंगन्यासः ॥

 

अथाक्षरन्यासः

त्र्यं नमः दक्षिणचरणाग्रे।
बं नमः,
कं नमः,
यं नमः,
जां नमः दक्षिणचरणसन्धिचतुष्केषु ।
मं नमः वामचरणाग्रे ।
हें नमः,
सुं नमः,
गं नमः,
धिं नम, वामचरणसन्धिचतुष्केषु ।
पुं नमः, गुह्ये।
ष्टिं नमः, आधारे।
वं नमः, जठरे।
र्द्धं नमः, हृदये।
नं नमः, कण्ठे।
उं नमः, दक्षिणकराग्रे।
वां नमः,
रुं नमः,
कं नमः,
मिं नमः, दक्षिणकरसन्धिचतुष्केषु।
वं नमः, बामकराग्रे।
बं नमः,
धं नमः,
नां नमः,
मृं नमः वामकरसन्धिचतुष्केषु।
त्यों नमः, वदने।
मुं नमः, ओष्ठयोः।
क्षीं नमः, घ्राणयोः।
यं नमः, दृशोः।
माँ नमः श्रवणयोः ।
मृं नमः भ्रवोः ।
तां नमः, शिरसि।
॥ इत्यक्षरन्यास ॥

FAQ : Om jum sah mantra

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए?

क्या आप जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए अगर आप महामृत्युंजय मंत्र जाप से अकाल मृत्यु को डालना चाहते हैं तो इसकी आपको अयोग्यता भी प्राप्त करनी होगी मंत्र का जाप करने के लिए आपको स्नान करते समय आपको अपने शरीर पर लोटे पानी डालते वक्त इस मंत्र का जाप करने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है और लाभ होता है। 

महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ कैसे करें?

"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं स्थायीम्। उर्वारुकमिव प्रबंधन प्रबंधन मृत्‍युक्षीय मामृतात्॥” उर्वरुकामिव बंधनन मृत्योमुखिया ममृततो "

मृत संजीवनी मंत्र क्या है?

मृत संजीवनी महा-मृत्युंजय मंत्र – 'ऊं हौं जूं स:। ऊं भूर्भव: स्व:। ऊं त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनांन्मत्योर्मुक्षीय मामृतात।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आपने देखा आज हमने आपको om jum sah mantra के बारे में बताया तो अब आप लोगों को इस मंत्र की असली शक्ति के बारे में पता चल गया होगा क्योंकि यह मंत्र एक ऐसा मंत्र है जो कि मनुष्य के जीवन की हर प्रकार की समस्याओं को और परेशानियों को दूर कर देता है.

इसीलिए हर व्यक्ति किस मंत्र का उपयोग करना चाहता है क्योंकि हर एक मनुष्य चाहता है कि उसके जीवन में हमेशा खुशी बनी रहे इसीलिए इस मंत्र का जाप करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताया गया लेख आपको अच्छा लगा होगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।

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