यदि आप रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय के बारे में जानना चाहते हैं था अपने पितरों को शांतिपूर्वक मुक्त करना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं . तो रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय अवश्य ही करना चाहिए क्योंकि जब तक पितरों के आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है तब तक चाहे किसी भी कार्य में सफलता की प्राप्ति नहीं होती है .
ऐसे में व्यक्ति के ऊपर तीन प्रकार का कर्ज होता है पहले कर्ज देव ऋण , दूसरा कर्ज ऋषि कर्ज तथा तीसरा कर्ज पित्र ऋण होता है इन कर्जो से मुक्त होना बहुत जरूरी होता है .
यह कर्ज मुक्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के पूजा पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान तथा विभिन्न तीर्थ स्थलों पर जाकर भगवान के दर्शन और पूजा करनी होती है और नियमित रूप से पूजा पाठ करते रहना चाहिए जिससे पितृ दोष से जल्द ही मुक्ति मिल जाए.
रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय तथा पितृ दोष के लक्षण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की जाएगी रावण संहिता के अनुसार पित्त दोष के उपाय के लिए आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य ही पढ़े.
- 1. रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय | Ravan sanhita ke anusar pitra dosh ke upay
- 2. रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के लक्षण | Ravan sanhita ke anusar pitra dosh ke lakshan
- 3. पितृ दोष क्या है ? | Pitra dosh kya hai ?
- 4. पितृ दोष के प्रकार | Pitra dosh ke prakar
- 5. पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए ? | Pitra dosh ki pooja kab karni chahiye ?
- 6. पितृ दोष और कालसर्प दोष | Pitra dosh aur kalsarp dosh
- 7. FAQ: रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय
- 7.1. पितरों की शांति के लिए कौन सा मंत्र?
- 7.2. पितरों की शांति के लिए कौन सा पाठ करना चाहिए?
- 7.3. पितृ दोष खत्म करने का क्या उपाय है?
- 8. निष्कर्ष
रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय | Ravan sanhita ke anusar pitra dosh ke upay
पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध किया जाता है तथा पितृ पक्ष में दिवंगत पुरखों का तर्पण और श्राद्ध दोनों किया जाता है. श्राद्ध का शाब्दिक अर्थ पितृ पक्ष में पितरों के कृतज्ञता प्रकट करने का होता है पूर्ण रूप से उनका सम्मान करना तथा उनका श्राद्ध करना होता है .
इसके अलावा पिंडदान के माध्यम से पितरों का श्राद्ध किया जाता है और हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि पित्र जिस भी लोक में स्थित होंगे उन्हें तर्पण से शांति और मुक्ति प्रदान होगी रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय कुछ इस प्रकार है-
- पितृ दोष से मुक्ति प्रदान करने के लिए भागवत गीता का पाठ रोजाना करने से पितृ दोष मुक्त हो जाते हैं.
- पितृ दोष से मुक्त होने के लिए विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी तिल का दान अवश्य करें.
- इसके अलावा अपने ईष्ट देवता जो आपके कुल देवता हूं उनकी पूजा अवश्य करें ऐसा करने से पितृ देवता प्रसन्न हो जाते हैं और आपको पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है.
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.
- पीपल तथा बरगद का पेड़ घर में लगायें इससे आपके पितृ दोष मुक्त हो जाएंगे.
- पितृ दोष दूर करने के लिए किसी तीर्थ या फिर गया करने के लिए एक बार अवश्य जाएं और पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
- महामृत्युंजय स्रोत का पाठ करने से और नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से पितृ देवता जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं.
- पवित्र नदी में काले तिल को बहाने से पितृ मुक्ति प्राप्त होती है.
- श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों का तर्पण जरूर भी करना चाहिए ऐसा करने से आपके पितृ दोष मुक्त हो जाएंगे.
- इसके अलावा आप किसी गरीब लड़की की शादी भी करवा सकते हैं इस प्रकार के किसी भी पुण्य काम को करने से जिसमें आपको पुण्य की प्राप्ति हो वह कार्य अवश्य ही करें इससे आपके पितृ दोष समाप्त हो जाएंगे.
रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के लक्षण | Ravan sanhita ke anusar pitra dosh ke lakshan
पितृ दोष बहुत ही भयानक दोष होता है या जिस भी व्यक्ति के ऊपर होता है उसका पूरा जीवन कठिनाइयों के साथ परेशानी भारत बीतता है पितृ दोष के विभिन्न प्रकार के लक्षण होते हैं .
इन लक्षणों से पितृ दोष के बारे में आसानी से पहचाना जा सकता है यहां पर पितृ दोष के कुछ विशेष महत्वपूर्ण लक्षण बताए गए है जो इस प्रकार हैं-
- यदि किसी के विवाह में बार-बार रुकावटें आ रही हैं तो वहां पितृ दोष की उपस्थिति होती है.
- इसके अलावा जो लाख कोशिशें के बावजूद अपनी आर्थिक परिस्थितियों को ठीक नहीं कर पा रहे हैं और उसमें सुधार नहीं आ रहा है तो वहां भी पितृ दोष होता है.
- संतान संबंधी समस्या पितृ दोषी का कारण हो सकती है.
- स्वास्थ्य का लगातार खराब होना और स्वास्थ्य में सुधार न आना पितृ दोषी का कारण होता है.
- जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है और वह अपने से बड़े व्यक्ति या परिवार के किसी भी व्यक्ति के साथ के संबंध अच्छे नहीं है तो वहां पर पितृ दोष की उपस्थिति होती है.
पितृ दोष क्या है ? | Pitra dosh kya hai ?
रावण संहिता के अनुसार जब कभी भी कोई व्यक्ति अपने पितरों को श्राद्ध नहीं देता है और अपने पितरों को मुक्त नहीं करवाता है तब उनके जीवन में पितृ दोष अक्षर बना ही रहता है. मनुष्य के जीवन में पितृ दोष तब तक रहता है जब तक वह अपने पितृ तर्पण और पिंडदान ना करें तब तक वह पितृ दोष से मुक्त नहीं होता है .
इसलिए मनुष्य को पितृ दोष दूर करने के लिए पितृ पक्ष में पितरों को अवश्य ही मुक्त करना चाहिए पितृ दोष को मुक्त करने के लिए पितृ दोष की पूजा अपने घर पर करनी चाहिए .
परंतु यदि आप जल्द ही पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आपको तीर्थ स्थान की यात्रा करनी होगी हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार तीर्थ स्थान पर जाने से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है और पितरों को शीघ्र शांति और मोक्ष प्राप्त होता है .
पितृ दोष के प्रकार | Pitra dosh ke prakar
ऐसा माना जाता है कि जब पितृ दोष की मुक्ति नहीं करवाई जाती है तो आने वाली पीढ़ी पर परिवार से संबंधित लोगों पर बहुत भयानक किसका असर होता है. उनका जीवन पितृ दोष से बुरी तरह से प्रभावित रहता है और वह अपने किसी भी कार्य को आगे नहीं चला सकते हैं पितृ दोष के कारण स्वास्थ्य का खराब होना और अन्य प्रकार के कष्ट आते रहते हैं पितृ दोष मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
- सूर्यकृत पितृ दोष
- मंगलकृत पितृ दोष
पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए ? | Pitra dosh ki pooja kab karni chahiye ?
यह पूजा भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पुनः प्रारंभ होती है श्राद्ध पक्ष के दौरान पूजा करने से विशेष रूप से फल की प्राप्ति होती है इससे पितृ दोष शांत हो जाता है.
इसीलिए पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान करते हैं और यह पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है ताकि वह जल्द ही पितृ दोष से मुक्त हो जाए.
पितृ दोष और कालसर्प दोष | Pitra dosh aur kalsarp dosh
पितृ दोष और कालसर्प दोनों अलग-अलग प्रकार के दोष होते हैं पितृ दोष तथा कप सर्प दोष में बहुत अंतर होता है दोनों दोषों में कुंडली में कुछ समानताएं होती हैं परंतु दोनों ही भिन्न-भिन्न होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब जन्म कुंडली में प्रत्येक ग्रह राहु और केतु के बीच में आता है तो कालसर्प दोष का बनता है ज्योतिष परंपरा में कालसर्प दोष लगभग 12 प्रकार के होते हैं तथा पितृ दोष की बात करें तो यह तब होता है.
जब कुंडली के नौवे घर में सूर्य और केतु या फिर सूर्य और राहु जुड़े होते हैं ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार का अंतर पाया जाता है. परंतु पितृ दोष तथा कालसर्प दोनों के बीच अंतर और उनके बारे में जानने के लिए किसी ज्योतिषी से इसके बारे में अवश्य ही जानकारी लेनी चाहिए.
FAQ: रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय
पितरों की शांति के लिए कौन सा मंत्र?
पितरों की शांति के लिए कौन सा पाठ करना चाहिए?
पितृ दोष खत्म करने का क्या उपाय है?
निष्कर्ष
इस लेख के माध्यम से हमने आपको रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के उपाय के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान कर दी है इसके अलावा आपको रावण संहिता के प्रमुख लक्षण जिसकी पहचान आसानी से की जा सकती है इसके बारे में भी जानकारी दी गई है तथा साथ ही आपको यह भी बताया गया है कि पितृ दोष क्या होता है और इससे मुक्ति कैसे पाई जा सकती है तथा पितृ दोष और कालसर्प के बीच अंतर भी बताया गया है.