संपूर्ण लिखित श्री शिव अष्टकम : पाठ की सही विधि और 8 फायदे | shiv ashtakam

❤ इसे और लोगो (मित्रो/परिवार) के साथ शेयर करे जिससे वह भी जान सके और इसका लाभ पाए ❤

शिव अष्टकम | Shiv ashtakam : शिव सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं हिंदू धर्म के त्रिदेवताओं में से भगवान शिव एक ऐसे देवता है जिन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड का पालन हर्ता कहा गया है भगवान शिव अनेकों नाम से जाने जाते हैं जैसे कि भोलेनाथ , शंकर , महेश , रूद्र , नीलकंठ , गंगाधर आदि नाम बहुत ही प्रसिद्ध है।

शास्त्रों के मुताबिक तंत्र साधना में इन्हें भैरव के नाम से जाना जाता है हिंदू धर्म के प्रमुख देवता भगवान शिव को कहा गया है वेदों में इनका नाम रूद्र है ऐसे में भगवान शिव के shiv ashtakam का पाठ जातक के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि शिव अष्टकम का पाठ करने से जातक को महादेव की कृपा प्राप्त होती है शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की कृपा से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

शिव अष्टकम, शिव अष्टकम pdf, शिव अष्टकम स्तोत्र, शिव अष्टकम लिरिक्स, shiv अष्टकम, shiv ashtakam pdf, shiv ashtakam stotra, shivashtakam stotram, shivashtakam mantra, शिव नामावली अष्टकम, शिव चालीसा शिव अष्टकम, shivashtakam benefits, shivashtakam bhajan, शिव अस्तक स्तोत्र, shiv ashtakam hindi, shiva mangalashtakam, shivashtakam lyrics meaning, shiva ashtakam pdf, shiv tandav ashtakam, भगवान शिव का परिचय, श्री शिव अष्टकम क्या है, शिव अष्टकम, शिवाष्टकम का पाठ कैसे करें , श्री शिव अष्टकम के लाभ , Shri Shiv Ashtakam ke Labh, Shiv ashtakam Paath kaise kare, Shiv ashtakam, Shri Shiv Ashtakam kya hai, Bhagwan Shiv Ka Parichay, ,

यह shiv ashtakam भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है जो भी मनुष्य इस शिव अष्टकम का पाठ सच्चे मन से करता है उसे मृत्यु के उपरांत भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और उसे शिवलोक में जगह प्राप्त होती है। कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं और उनके सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाने में उनकी मदद करते हैं।

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से shiv ashtakam का पाठ लिखित में देंगे इसके अलावा यह भी बताएंगे कि शिव अष्टकम का पाठ करने की विधि क्या है और शिव अष्टकम का पाठ जो भी मनुष्य करेगा उसे कौन से लाभ प्राप्त होंगे लेकिन उसके पहले हम आपको भगवान शिव के बारे में थोड़ी सी जानकारी देंगे।

जिसके द्वारा आप भगवान शिव के परिचय के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त कर सकें और उनकी शक्तियों के बारे में आपको जानकारी प्राप्त हो पाए इसीलिए आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें क्योंकि आज आपको इस लेख में भगवान शिव के परिचय के बारे में और उनके शिव अष्टकम के बारे में जानकारी मिलने वाली है।

भगवान शिव का परिचय | Bhagwan Shiv Ka Parichay

भगवान शिव हमारे हिंदू धर्म के एक प्रसिद्ध देवता है हमारे धर्म में भगवान शिव की पूजा बहुत ही विधि विधान पूर्वक की जाती है महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव के लिए अत्यंत प्रिय होता है शिवरात्रि वाले दिन विश्व के सभी लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। भगवान शिव को अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे कि भोलेनाथ , शंकर , महेश , रूद्र , गंगाधर , नीलकंठ आदि नामों से इन्हें पूरे विश्व में जाना जाता है।

shivling

इनका सबसे प्रसिद्ध नाम महादेव है तंत्र विद्या में इनका नाम भैरव है भगवान शिव त्रिदेव में से एक है भगवान शिव के 3 पुत्र थे कार्तिकेय , अय्यपा और गणेश हैं, इनकी पत्नी का नाम पार्वती था। भगवान शिव की पुत्री का नाम अशोक सुंदरी , ज्योति और मनसा देवी हैं। भगवान शिव दो रूपों में बने हैं एक शिवलिंग तथा दूसरी मूर्ति भगवान शिव के गले में नाग देवता विराजमान है और उनके हाथों में डमरू सुशोभित है दूसरे हाथ में त्रिशूल चमकता हुआ दिखाई देता है भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजमान है।

श्री शिव अष्टकम क्या है ? | Shri Shiv Ashtakam kya hai ?

भगवान शिव का यह परम कल्याणकारी shiv ashtakam बहुत ही शक्तिशाली है शिव अष्टकम की रचना ऋषि मार्कंडेय जी ने की थी उन्होंने कहा था कि जो भी व्यक्ति भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहता है उसे shiv ashtakam का पाठ करना होगा अगर कोई भी जातक भगवान शिव के इस शिव अष्टकम का पाठ श्रद्धा पूर्वक करेगा तो उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

शिव अष्टकम | Shiv ashtakam

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।

भवद्भव्य भूतॆश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 1 ॥

गलॆ रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणॆशादि पालम् ।
जटाजूट गङ्गॊत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 2॥

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।
अनादिं ह्यपारं महा मॊहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 3 ॥

वटाधॊ निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।
गिरीशं गणॆशं सुरॆशं महॆशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 4 ॥

गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदॆहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गॆहम् ।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 5 ॥

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भॊज नम्राय कामं ददानम् ।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 6 ॥

शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनॆत्रं पवित्रं धनॆशस्य मित्रम् ।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 7 ॥

हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वॆदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशानॆ वसन्तं मनॊजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडॆ ॥ 8 ॥

स्वयं यः प्रभातॆ नरश्शूल पाणॆ पठॆत् स्तॊत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मॊक्षं प्रयाति ॥

शिव अष्टकम का पाठ कैसे करें ? | Shiv ashtakam Paath kaise kare ?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहता है तो भगवान शिव के सबसे प्रिय शिव अष्टकम का पाठ करना चाहिए इसीलिए हमने आपको ऊपर शिव अष्टकम लिखित में दिया है अब हम आपको शिव अष्टकम का पाठ कैसे करना है इसकी संपूर्ण विधि बताने वाले हैं इसलिए आप हमारे इस लेख को अंतर अवश्य पढ़ें।

शिवजी का चाँद

  1. शिव अष्टकम का पाठ करने के लिए आपको सोमवार का दिन निश्चित करना होगा भगवान शिव की पूजा सोमवार के दिन की जाती है इसीलिए शिव अष्टकम का पाठ सोमवार के दिन करना उत्तम माना जाता है।
  2. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति शिव अष्टकम का पाठ सावन के सोमवार में करता है तो वह और भी उत्तम माना जाता है क्योंकि सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित किया गया है।
  3. शिव अष्टकम का पाठ करने के लिए सावन के सोमवार वाले दिन सुबह प्रातः उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं उसके पश्चात खुद को गंगाजल से शुद्ध कर ले और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  4. उसके पश्चात भगवान शिव की पूजा करने के लिए शिवलिंग के सामने या भगवान शिव की मूर्ति के सामने आसन लगाकर ध्यान करें।
  5. हमारे हिंदू धर्म में ऐसा कहा गया है कि भगवान शिव की मूर्ति के समक्ष बैठकर शिव अष्टकम का पाठ करना शुभ माना जाता है।
  6. जिस समय आप भगवान शिव के शिव अष्टकम का पाठ कर रहे होते हैं उस समय आपको महादेव का ध्यान ही करना है।
  7. ध्यान करने के बाद भगवान शिव की शिवलिंग पर गंगाजल , बेलपत्र , सफेद फूल , धूपबत्ती , अगरबत्ती , घी का दीपक , और भोग में कुछ मीठा लगाएं।
  8. यह संपूर्ण सामग्री महादेव के सामने समर्पित करने के बाद हाथ जोड़कर शिव के समक्ष बैठकर shiv ashtakam का पाठ करना है।
  9. अगर आप पूर्ण श्रद्धा के साथ शिव अष्टकम का पाठ बिना अपने मन को इधर-उधर भटके हुए करते हैं तो आपको इसका लाभ अवश्य प्राप्त होगा।

श्री शिव अष्टकम के लाभ | Shri Shivashtakam ke Labh

शिव मंदिर का शिखर

  1. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति किसी शिव अष्टकम का पाठ करता है तो उस व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
  2. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष लगा हुआ है तो उसे शिव अष्टकम का पाठ करना चाहिए।
  3. मनोकामना पूर्ति के लिए शिव अष्टकम का पाठ करना लाभकारी माना जाता है भगवान शिव के इस अष्टकम का पाठ करने से भगवान शिव हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं।
  4. अगर किसी व्यक्ति के विवाह में विभिन्न प्रकार की अड़चनें आ रही हैं और उस अर्चन के द्वारा विवाह संपन्न नहीं हो रहा है तो ऐसे में भगवान शिव का शिव अष्टकम का पाठ करना विवाह की हर समस्या का समाधान है।
  5. कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जिनके दंपति जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं चलती रहती हैं उन समस्याओं को दूर करने के लिए शिव अष्टकम का पाठ करना चाहिए।
  6. घर में सुख समृद्धि लाने के लिए मनुष्य को शिव अष्टकम का पाठ करना चाहिए।
  7. अगर आप में से किसी भी व्यक्ति का कार्य काफी लंबे समय तक अटका हुआ है वह किसी कारणवश कार्य संपन्न नहीं हो रहा है तो ऐसे में व्यक्ति को सावन के पहले सोमवार के दिन शिव अष्टकम का पाठ करना चाहिए।
  8. अकाल मृत्यु का भय दूर करने के लिए शिव अष्टकम का प्रतिदिन पाठ करना शुभ माना जाता है।

FAQ : shiv ashtakam

श्री शिव अष्टकम का पाठ किसने लिखा था ?

शिवास्टकम भगवान शिव को समर्पित किया गया है इसकी रचना ऋषि मार्कंडेय जी ने की थी।

श्री शिव अष्टकम का पाठ कब करना चाहिए ?

Shiv ashtakam का पाठ अगर सावन के प्रथम सोमवार से शुरू किया जाए तो या अति उत्तम माना जाता है या फिर शिवरात्रि के दिन से शिव अष्टकम का पाठ प्रारंभ किया जा सकता है।

हिंदू धर्म में शिव कौन है ?

हमारे हिंदू धर्म में भगवान शिव का स्थान बहुत ही ऊंचा है भगवान शिव त्रिदेव में से एक है इन्हें कई नामों से जाना जाता है जैसे कि इनका प्रसिद्ध नाम भोलेनाथ या फिर महादेव है । आमतौर पर इन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है भगवान शिव सनातन धर्म की संस्कृति से जुड़े हुए हैं।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से shiv ashtakam लिखित में दिया है इसके अलावा शिव अष्टकम का पाठ कैसे करना है ? शिव अष्टकम का पाठ करने से कौन से लाभ प्राप्त होते हैं और भगवान शिव के परिचय के बारे में भी जानकारी दी है अगर आपने हमारे इस लेख को ध्यानपूर्वक शुरू से अंत तक पढ़ा है.

तो आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी प्राप्त हो गई होगी और आपको शिव अष्टकम से कुछ ना कुछ लाभ प्राप्त हुए होंगे उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे कहीं ना कहीं आपके लिए यह जानकारी काम आई होगी।

❤ इसे और लोगो (मित्रो/परिवार) के साथ शेयर करे जिससे वह भी जान सके और इसका लाभ पाए ❤

Leave a Comment