संपूर्ण शिव रक्षा स्तोत्र : हिंदी अर्थ सहित ,सही पाठ विधि एवं 6 लाभ | shiv raksha stotra

शिव रक्षा स्तोत्र | shiv raksha stotra : हमारे हिंदू धर्म के अनुसार 5 देवों में प्रसिद्ध भगवान शिव एक प्रमुख देवता माने जाते हैं जो बहुत ही शक्तिशाली है जिस प्रकार सप्ताह के हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित किए गए हैं उसी प्रकार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है भगवान शिव की पूजा और आराधना करने के लिए सोमवार का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.

भगवान शिव के अनेकों नाम प्रसिद्ध है जैसे कि उन्हें भोलेनाथ , महादेव , शिव अन्य नामों से जाना जाता है देवों के देव महादेव के भक्त उनकी विधि – विधान पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं महादेव ही एक ऐसे देवता है जो अपने भक्तों की पूजा पाठ से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।

भगवान शिव के भक्त उनकी पूजा उपासना करते हैं भगवान शिव को त्रिदेवों में प्रमुख माना जाता है भगवान शिव को संहार का देवता भी माना जाता है. अर्थात यह भी कहा जाता है कि भोलेनाथ का प्रिय भोग लगाने पर या फिर उनका व्रत संपूर्ण करने पर बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं अगर आप में से कोई भी व्यक्ति सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करता है.

तो पूजा करते समय shiv raksha stotra का पाठ करना शुभ माना जाता है। वैसे तो भगवान शिव को संहार का देवता कहा गया है लेकिन उसके बावजूद भी भगवान शिव अत्यंत भोले हैं इसीलिए उनका नाम भोलेनाथ भी रखा गया है। अगर कुंवारी कन्या एक भोलेनाथ का सोलह सोमवार व्रत करती हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा में मंत्र का जाप और स्त्रोत का पाठ करती हैं.

तो उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन के सभी कष्ट – परेशानियां दूर हो जाती हैं इसके अलावा अगर कोई भी व्यक्ति अपने आत्मविश्वास को बढ़ाना चाहता है तो सोमवार के दिन भगवान शिव का shiv raksha stotra पाठ अवश्य करें। इसीलिए आज हम आपको इस लेख के माध्यम से shiv raksha stotra का पाठ कैसे किया जाता है.

अर्थात शिव रक्षा पाठ करने की संपूर्ण विधि , शिव रक्षा पाठ करने के लाभ के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे अगर आप में से कोई भी व्यक्ति शिव रक्षा स्त्रोत के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहता है तो वह हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

शिव रक्षा स्तोत्र क्या है ? | Shiv raksha stotra kya hai ?

शिव रक्षा स्त्रोत एक ऐसा स्त्रोत है जोकि संपूर्ण शरीर की रक्षा के लिए बनाया गया है शिव रक्षा स्त्रोत संस्कृत भाषा में लिखा गया है शिव रक्षा स्त्रोत में हम भगवान शिव के अनेकों नामों को पुकारते हैं इस स्त्रोत की रचना हमारे संपूर्ण शरीर और प्रत्येक अंग की रक्षा के लिए इस स्त्रोत की रचना की गई है.

जिस प्रकार राम रक्षा स्त्रोत का पाठ किया जाता है उसी प्रकार यह स्त्रोत भी शरीर की रक्षा के लिए रचित किया गया है. शिव रक्षा स्त्रोत के पीछे एक ऐसी कहानी है कहते हैं शिव रक्षा स्त्रोत के लिए श्री नारायण यानी कि भगवान विष्णु ने अपने सपने में ऋषि को बताया था कि ऐसा निश्चित है.

शिवजी का चाँद

कि जो कोई भी इस स्त्रोत का पाठ करता है उस व्यक्ति का आत्मविश्वास , एकाग्रता अर्थात स्वर, पृथ्वी और पाताल को जीत लेता है अर्थात इसका अर्थ यह है कि वह व्यक्ति हर एक ऐसी जगह में विजय प्राप्त करता है जहां पर विजय को प्राप्त करना थोड़ा सा कठिन होता है.

शिव रक्षा स्त्रोत के द्वारा व्यक्ति के प्रत्येक अंग की बीमारियां समाप्त हो जाती है अगर किसी व्यक्ति को कोई भी बीमारी है या फिर बुरी आत्माएं दिखाई देती है गरीब अथवा अन्य नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव उस व्यक्ति के ऊपर रहता है तो वह व्यक्ति शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करके इन सभी परेशानियों को दूर कर सकता है.

शिव रक्षा स्त्रोत एक ऐसा शक्तिशाली स्त्रोत है जिसके नियमित पाठ करने से दीर्घायु , खुशी , मान – सम्मान , विजय प्राप्त अर्थात यशस्वी प्राप्त होता है.

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति इस संपूर्ण सृष्टि को अपनी और आकर्षित करना चाहता है तो उस व्यक्ति को शिव रक्षा स्त्रोत का जाप करना चाहिए.शिव रक्षा स्त्रोत की रचना यागवल्क्य ऋषि के द्वारा की गई है शिव रक्षा स्त्रोत के बारे में भगवान विष्णु ने सपने में बताया था.

कि इस स्त्रोत का जाप करने से व्यक्ति के शरीर से सभी नकारात्मक शक्तियां और भय दूर हो जाते हैं.

शिव रक्षा स्तोत्र | shiv raksha stotra

भगवान शिव का सबसे बड़ा मंत्र

विनियोग

ऊँ अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषि:,
श्रीसदाशिवो देवता, अनुष्टुप् छन्द:, श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोग: ।

अर्थ – श्रीशिव को प्रसन्न करने के लिए शिव रक्षा स्त्रोत के जाप में विनियोग किया जाता है शिव रक्षा स्त्रोत की रचना याज्ञवल्क्य ऋषि ने की थी उन्होंने यह भी कहा था कि श्रीसदाशिव देवता है और अनुष्टुप छन्द है,

चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।

अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम् ।।1।।

अर्थ – भगवान शिव यानी कि देवों के देव महादेव परम पवित्र चरित्र चतुर वर्ग यानी कि धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की सिद्धि देने वाले भगवान है भगवान शिव अतीव उदार है.

गौरीविनायकोपेतं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।

शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नर: ।।2।।

अर्थ –  जिन्हें मां गौरी से परिपूर्ण विनायक के युक्त पांच मुख वाले त्रयंबकम भगवान शिव 10 भुजाधारी के शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए.

गंगाधर: शिर: पातु भालमर्धेन्दुशेखर: ।

नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषण: ।।3।।

अर्थ – अपनी जटाओं में गंगा को धारण करने वाले एवं मस्तिष्क पर शिरो भूषण के रूप में अर्धचंद्र को धारण करने वाले , मदन को ध्वंस करने वाले दोनों नेत्रों की सर्पों का आभूषण पहनने वाले शरद भूषण भगवान शिव के कानों की रक्षा करें.

घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पति:।

जिह्वां वागीश्वर: पातु कन्धरां शितिकन्धर:।।4।।

अर्थ – जिन्हें त्रिपुरासुर नाम से जाना जाता है अर्थात विनायक पुराराति मेरे (नाक) की जगह पर संपूर्ण संसार की रक्षा करने वाले अर्थात मेरी मुक्की वाणी को समझने वाले नीलकंठ मेरी गर्दन की रक्षा कीजिए.

श्रीकण्ठ: पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धर:।

भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।।5।।

अर्थ –  जिसके नीलकंठ में सरस्वती यानी की वाणी का निवास होता है विश्व की धुरी को धारण करने वाले विश्वधुरन्धर मेरे दोनों कंधों की रक्षा कीजिए पृथ्वी के भारस्वरुप दैत्यादि का संहार करने वाले भगवान शिव मेरी दोनों भुजाओं की रक्षा कीजिए अर्थात मेरे दोनों हाथों की रक्षा कीजिए.

हृदयं शंकर: पातु जठरं गिरिजापति: ।

नाभिं मृत्युंजय: पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बर: ।।6।।

अर्थ – हे भोलेनाथ मेरे हृदय और गिरजापति मेरे जठरदेश की रक्षा कीजिए हे त्रिलोकनाथ मेरी नाभि की रक्षा कीजिए और वस्त्र रूप में धारण करने वाले मेरे शिव कटि-प्रदेश की रक्षा कीजिए.

सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सल: ।

ऊरू महेश्वर: पातु जानुनी जगदीश्वर: ।।7।।

अर्थ – दीनार्तशरणागतवत्सल: शरणागतों के प्रेम में लीन मेरे समस्त हड्डियों की अर्थात मेरे जानुओं की रक्षा कीजिए.

जंघे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिप: ।

चरणौ करुणासिन्धु: सर्वांगानि सदाशिव: ।।8।।

अर्थ – हे भगवान शिव मेरे सभी अंगों की रक्षा कीजिए हे जग करता मेरे जंघाओं की रक्षा कीजिए गणाधिप: और दोनों गुल्फों की रक्षा कीजिए.

एतां शिवबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत् ।

स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात् ।।9।।

अर्थ – हे भगवान शिव जो साधक कल्याणकारी शक्ति के लिए या फिर शक्ति से युक्त इस शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करता है तो उसे समस्त कामनाओं का उपभोग अवश्य करना.

ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये ।

दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात् ।।10।।

अर्थ – हे भगवान शिव इस त्रिलोक में जितने भी भूत पिचास गृह आदि विचरण है उन सभी को शिव रक्षा स्त्रोत के पाठ द्वारा दूर भगा दीजिए

अभयंकरनामेदं कवचं पार्वतीपते: ।

भक्त्या बिभर्ति य: कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।।11।।

अर्थ – अगर कोई व्यक्ति भक्ति पूर्वक भगवान शंकर और माता पार्वती के इस “अभयंकर”  नामक कवच का पाठ धारण करता है तो व्यक्ति के तीनो लोक उसके अधीन हो जाते हैं.

इमां नारायण: स्वप्ने शिवरक्षां यथाssदिशत् ।

प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाsलिखत् ।।12।।

अर्थ – हे शिव जिस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने स्वप्न में शिव रक्षा स्त्रोत के बारे में उपदेश दिया था अर्थात योगीन्द्र मुनि याज्ञवल्क्य ने प्रातः काल उठकर इस स्त्रोत को लिखा था.

।।इति श्रीयाज्ञवल्क्यप्रोक्तं शिवरक्षास्तोत्रमं सम्पूर्णम्।। 

शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने की विधि | shiv raksha stotra ka path karne ki vidhi

भगवान शिव का सबसे बड़ा मंत्र

  1. शिव रक्षा स्त्रोत का जाप करने के लिए सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त पर उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  2. भगवान शिव की पूजा में सफेद रंग के वस्त्र धारण करें क्योंकि उन्हें सफेद रंग अत्यधिक प्रिय है इनकी पूजा में लाल रंग के वस्त्र का धारण नहीं करना है.
  3. उसके पश्चात घर के आस-पास भगवान शिव के मंदिर में जाकर विधि-विधान पूर्वक इनकी पूजा अर्चना करें.
  4. उसके पश्चात इनका प्रिय भोग भांग और पंचामृत का भोग लगाएं.
  5. उसके पश्चात अपने हाथों में जल लेकर भगवान शिव की शिवलिंग के सामने बैठकर shiv raksha stotra का जाप शुरू करें.

शिव रक्षा स्तोत्र के फायदे | shiv raksha stotra ke fayde

  1. अगर आप में से कोई भी व्यक्ति या फिर भगवान शिव का भक्त शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करता है तो उस व्यक्ति की सभी प्रकार की बीमारियां समाप्त हो जाती है.
  2. शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से बुरी आत्माओं से छुटकारा मिल जाता है.
  3. शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है.
  4. इस स्त्रोत का जाप करने से आत्मविश्वास भक्ति और एकता के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन से सभी नकारात्मक भय दूर हो जाते हैं.
  5. शिव रक्षा स्त्रोत एक ऐसा स्त्रोत है जिसका पाठ करने से गरीबी अर्थात सभी नकारात्मक विचारों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है.
  6. शिव रक्षा स्त्रोत का नियमित पाठ करने से खुशी मान सम्मान विजय आदि प्राप्त होते हैं.

FAQ: shiv raksha stotra

शिव रक्षा स्त्रोत की रचना किसने की ?

शिव रक्षा स्त्रोत की रचना यागवल्क्य ऋषि द्वारा की गई थी.

भगवान शिव का शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

भगवान शिव का या मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है इसे शिव गायत्री मंत्र के नाम से जाना जाता है सावन के महीने में इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है.

भगवान शिव का गुप्त मंत्र क्या है?

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । 
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आपको इस लेख के माध्यम से shiv raksha stotra के बारे में जानकारी दें शिव रक्षा स्त्रोत का जाप करने से हमारे संपूर्ण शरीर की बीमारियां दूर हो जाती है इसीलिए हमने आपको इस लेख में शिव रक्षा स्त्रोत का पाठ करने की विधि अर्थात shiv raksha stotra के फायदे क्या है इनके बारे में भी जानकारी दी है.

अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी.

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