सम्पूर्ण गौरी पूजन विधि और गौरी व्रत कथा और मंगला गौरी आरती | Gauri Puja vidhi katha aur aarti

गौरी पूजन | Gauri Puja : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से गौरी पूजन के बारे में बताएंगे वैसे तो आप सभी लोगों ने माता गौरी का नाम सुना ही होगा माता गौरी की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

जिस प्रकार सप्ताह के सभी दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित किए गए हैं उसी प्रकार मंगलवार का दिन माता गौरी का माना जाता है इस दिन माता गौरी की पूजा करना उत्तम माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि सावन के महीने में मंगलवार के दिन माता गौरी की पूजा की जाती है माता गौरी को प्रसन्न करने के लिए सुहागिन और कुंवारी महिलाएं मां गौरी का व्रत रखती हैं।

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ऐसा करने से मां गौरी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख समृद्धि प्रदान करती हैं मां गौरी की पूजा सुहागिन महिलाएं ज्यादातर करती हैं अगर किसी महिला को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह महिला गौरी माता का पूजन कर सकती है।

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से गौरी पूजन के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं अगर आप लोग हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ते हैं तो आपको गौरी पूजन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

गौरी पूजा कब की जाती है ? | Gauri Puja kab ki Jaati Hai ?

सावन में आने वाला प्रत्येक मंगलवार माता गौरी को प्रिय होता है इसलिए सावन में मंगलवार के दिन माता गौरी का पूजन किया जाता है  इसे मंगला गौरी पूजन के नाम से भी जानते हैं सावन मे  मंगलवार का दिन मां गौरी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है.

Durga

इस दिन  मां गौरी को प्रसन्न करने के लिए एवं सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए सुहागन महिलाओं के साथ-साथ इस व्रत को कुंवारी कन्या भी रखती  हैं जहाँ सुहागन महिलाएं सुखी दांपत्य जीवन व्यतीत करने के लिए वही अविवाहित लड़कियां अच्छा जीवन साथी पाने के लिए के लिए यह व्रत रखती हैं.

गौरी पूजा का महत्व | Gauri Puja ka mahatva

धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन के महीने  के महीने में भगवान् शिव को समर्पित  सोमवार का जितना महत्व है उतना ही महत्व सावन में पड़ने वाले मंगलवार का भी है क्योंकि सावन में पड़ने  मंगलवार का दिन माता पार्वती देवी को समर्पित है

मंगला गौरी दुर्गा का रूप है इन्हें दुर्गा का आठवा रूप माना जाता है धार्मिक  मान्यता के अनुसार सावन में  मंगलवार के दिनों में  माता पार्वती गौरी की पूजा जीवन में प्रेम खुशहाली और आखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है मंगलवार के दिन यह व्रत विशेष रूप  से किया जाता है इसलिए इसे मंगला गौरी व्रत पूजा नाम से भी संबोधित किया जाता है .

गौरी पूजा मंत्र | Gauri Pujan Mantra

सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके

शरणनेताम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते

माना जाता है इस मंत्र का श्रद्धा पूर्वक जाप करने से व्यक्ति की सारी परेशानियां दूर हो जाती है.

गौरी पूजन विधि | Gauri Puja vidhi

गौरी पूजन के दिन कुमारी कन्या एवं सुहागन औरतें सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद नवीनतम वस्त्र धारण कर मां गौरी के सामने व्रत का संकल्प लें  तत्पश्चात पूजा आरंभ करे.

Durga

इसके बाद पूजा के स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर माता गौरी एवं भगवान शिव जी की प्रतिमा को स्थापित करें. इसके पश्चात माता गौरी एवं भगवान शिव जी के ऊपर गंगाजल छिड़क कर उन्हें स्नान कराएं.

स्नान  कराने के पश्चात मां गौरी की चौकी के सामने बैठकर पूरी आस्था के साथ पूजा आरंभ करें.अब माता गौरी के समक्ष आटे से बने 16  दीपक प्रज्वलित करें एवं माता गौरी को 16 सिंगार अर्पित करें. मां गौरी के सामने की अगरबत्ती और धूपबत्ती जलाएं और माता जी को 16 की संख्या में

गौरी पूजन सामग्री | gauri pujan samgri

  1. रोली
  2. गंगाजल
  3. नारियल
  4. पान का पत्ता
  5. चावल
  6. फूल
  7. दूध
  8. प्रसाद के लिए मिष्ठान एवं पंचाम्रत

अर्पित करें अब कथाकर मंत्र का जाप करने के पश्चात माता गौरी जी की आरती उतारे एवं सावन के प्रतेक मंगलवार मे पूजा कर लेने के बाद माता गौरी जी की मूर्ति को नदी में श्रद्धा पूर्वक विसर्जित करें. मां की पूजा के दिन एक बार अन्य ग्रहण करने का विधान है  इसलिए आप इस दिन एक बार अन्न खा कर सकते हैं

मंगला गौरी व्रत पूजा कथा | Mangla Gauri Vrat Puja Katha

प्राचीन समय मे कुरु नामक देश में एक नामक राजा था जो सभी कलाओ मे पारंगत था .सभी सुख होने के बाद भी वह संतान के सुख से वंचित था जिसके चलते राजा ने घोर जप तप किया और माँ गौरी की भक्ति भावना से श्रधा पूर्वक उपासना की राजा की भक्ति भावना से माँ गौरी प्रसन्न हुई और देवी ने वरदान मांगने को कहा ,

वह संतान के सुख से वंचित था इसलिए उसने गौरी मां से कहा मुझे वंश चलाने के लिए वरदान के रूप में पुत्र चाहिए गौरी मां ने राजन से कहा हे राजन मैं तुम्हारी भक्ति भावना से प्रसन्न होकर तुम्हें यह  वरदान देती हूं लेकिन तुम्हारा जो पुत्र होगा वह 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा  मां की बात सुनकर राजा बहुत दुखी होते हैं लेकिन उन्होंने यह जानते हुए भी मां से पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा.

Durga

माता गौरी की कृपा से रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम चिरायु रखा मां ने पुत्र को 16 वर्ष तक ही जीवित रहने का वरदान दिया था इसलिए राजा को अपने पुत्र की आकस्मिक  मृत्यु होने की चिंता सताए जा रही थी.

राजा ने 16 वर्ष की अवधि से पूर्व ही अपने पुत्र का विवाह एक ऐसी कन्या करा दिया जो मां गौरी का व्रत रखती थी जैसा कि माना जाता  है माँ गौरी का व्रत रखने से सुखी सौभाग्य साली और सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है उसे भी सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ.

विवाह के उपरांत उसके अकाल मृत्यु होने का दोष स्वत समाप्त हो गया  और उसका सुहाग अमर हो गया इस तरह जो भी स्त्री इस व्रत को भक्ति भावना से साथ करती है उसकी सम्पूर्ण मनोकामना पूरी होती है.

गौरी पूजन के लाभ | Gauri Puja ke Labh

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  1. गौरी पूजन से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उन्हें सदा सुहागन रहने का मां गौरी आशीर्वाद प्रदान करती  हैं.
  2. जिन स्त्रियों को संतान प्राप्त नहीं होती है वह बहुत ही दुखी रहती हैं यदि वह विधि विधान के साथ गौरी पूजन करती हैं तो माँ की कृपा से  उनकी गोद हमेशा भरी रहती है.
  3. यदि  कुंवारी कन्या गौरी पूजन को  पूरी आस्था के साथ  करती  हैं तो उन्हें अच्छा वर सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है. और उनका वैवाहिक जीवन खुशियों से परिपूर्ण होता है.
  4. गौरी पूजन करने से पारिवारिक कलह समाप्त हो जाता है और परिवार में खुशियां आती  है और धन धान्य  की कमी नहीं रहती इसके  साथ ही शादी विवाह में आने वाली बाधाये दूर हो जाती है.
  5. गौरी पूजा करने से व्यक्ति में जो कुरीतियां होती है वो नष्ट हो जाती है और व्यक्ति में अच्छाइयों का समावेश होने लगता है.

मां मंगला गौरी की आरती | Man Mangla Gauri ki aarti

जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है, साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराता नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

देवन अरज करत हम चित को लाता गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।

FAQ : गौरी पूजन

गौरी पूजन कैसे करते हैं?

अगर कोई भी व्यक्ति मंगला गौरी की पूजा करना चाहता है तो उसके लिए उस व्यक्ति को चौकी पर माता गौरी की प्रतिमा को स्थापित करना है उसके बाद मां गौरी के समक्ष बैठकर व्रत का संकल्प लेना है उसके बाद मां गौरी के सामने आटे का बना हुआ दीपक प्रज्वलित करना है धूप दीप जलाकर फूल चढ़ाना है उसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ मां गौरी की पूजा करनी है और उनकी आरती करके प्रार्थना करनी है।

गौरी मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

अगर कोई भी व्यक्ति मां गौरी के मंत्रों का जाप करना चाहता है तो उस व्यक्ति को मां गौरी के मंत्रों का 108 बार जाप करना चाहिए।

सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।

निष्कर्ष

दोस्तों इस लेख के माध्यम से हमने आप लोगो को  मां गौरी की पूजा से संबंधित संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक दी है इसके साथ यह भी बताने का प्रयास किया है गौरी पूजन कब और कैसे किया जाता है इस पूजा में कौन से  मंत्र प्रयोग किए जाते हैं.

इस पूजा की प्रचलित कथा कौन सी है और वर्तमान समय में इस पूजा का क्या महत्व है दोस्तों यदि आपने हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ा है तो हम आशा करते है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी .

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