[pdf] संपूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता हिंदी में bhagwat gita pdf free downlad | bhagwat gita pdf in hindi

Bhagwat gita pdf in hindi | भागवत गीता पीडीएफ हिंदी में : हेलो नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सब दोस्तों आपका इस नए लेख में बहुत-बहुत स्वागत है आज इस लेख में हम आपको Bhagwat gita pdf in hindi के बारे में बताने वाले हैं दोस्तों आपको यह तो मालूम ही होगा कि श्रीमद्भगवद्गीता महासमर में कलांत अर्जुन के प्रति कहे गए श्री कृष्ण के उद्बोधन वाक्य हैं.

लेकिन भगवत गीता में पूरे भारत के दर्शन और मनुष्य जीवन से जुड़ी हर एक छोटी से बड़ी बात संक्षिप्त रूप से बताई गई है जिस तरह भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवत गीता का सार दिया तो अर्जुन को अपने कर्तव्य का स्मरण हुआ वैसे ही जो भी व्यक्ति इस जीवन में भगवत गीता को पढ़ता है या सुनता है.

उसे भी अपने जीवन के लक्ष्य और कर्तव्य का स्मरण हो जाता है भगवत गीता वह किताब है जो मनुष्य के जीवन का पथ भी है पाथेय भी है पथ दर्शक भी है इसीलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में भगवत गीता को अवश्य ही पढ़ना चाहिए.

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आज के इस लेख में हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने वाले हैं तो यदि आप Bhagwat gita pdf in hindi के बारे में जानकारी चाहते हैं तो आपको हमारे इस लेख को शुरुआत से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ने की आवश्यकता है तो चलिए आपका ज्यादा वक्त ना लेते हुए आज के इस लेख को शुरू करते हैं और Bhagwat gita pdf in hindi के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।

Bhagwat gita pdf in hindi | भागवत गीता पीडीएफ हिंदी में

भगवत गीता हिंदू धर्म की एक ऐसी पुस्तक जिस पर प्रत्येक हिंदू को गर्व होता है और जो भी व्यक्ति अपने जीवन में एक बार भगवत गीता को पढ़ लेता है उसे अपने कर्तव्य का स्मरण हो जाता है और वह व्यक्ति इस जीवन के मोह माया और बंधनों से छुटकारा पाकर मुक्ति के पथ को पहचान जाता है.

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भगवत गीता हमें परमात्मा से जोड़ती है और हमारा जन्म शृष्टि पर किस उद्देश्य से हुआ है इसके बारे में हमें स्मरण कराती है भगवत गीता की चेतना प्रत्येक भारती की रोम-रोम में विद्वान है क्योंकि यह हमारी संस्कृति पर आधारित है भगवत गीता ने संपूर्ण मानव जाति को ज्ञान से पुलकित किया है और विश्व के सर्वश्रेष्ठ विचारको ने भी इसकी प्रशंसा की है.

श्रीमद भगवत गीता श्री कृष्ण भगवान की दिव्य वाणी है जिसे महाभारत के युद्ध के वक्त श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया था वही हमारी भगवत गीता में संक्षिप्त रूप से लिखा हुआ है गीता मे परम गति को प्राप्त करने के बहुत से साधन बताए गए हैं और प्रत्येक मनुष्य अपनी रूचि के अनुसार उस साधन को चुनकर अभीष्ट मनोरथ सिद्ध कर सकता है.

इस जन्म और मृत्यु के बंधन से मनुष्य मुक्त हो सकता है इस लेख में हम आपको भगवत गीता के बारे में संपूर्ण जानकारी तो नहीं दे सकते हैं क्योंकि भगवत गीता के बारे में जितना भी लिखा जाए वह कम ही है।

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गीता के अनुसार आत्मा, परमात्मा, कर्म और त्याग क्या है ? | geeta ke anusaar aatma paramaatma karm aur tyaag kya hai ?

भगवत गीता में आत्मा, परमात्मा, कर्म और त्याग के बारे में संक्षिप्त रूप से लिखा हुआ है यदि हम भगवद्गीता को पढ़ें तो इसमें हमें जीवन के हर छोटे बड़े लक्ष्य के बारे में जानकारी मिलती है आइए जानते हैं कि गीता के अनुसार आत्मा परमात्मा कर्म और त्याग क्या होता है।

1. आत्मा

इस संसार में हमें जो कुछ भी दिखाई देता है वह सब नाशवान है अर्थात जिसका जन्म होता है एक ना एक दिन उसकी मृत्यु होना निश्चित है इसीलिए प्रत्येक युग में जन्म लेने वाला हर शरीर मरता है और इसी के अनुसार भगवत गीता को समझकर ज्ञानी लोग शरीर के मोह से छुटकारा पा लेते हैं.

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लेकिन शरीर में विद्वान आत्मा अजन्मा अविनाशी अक्षर अव्यय और नित्य है आत्मा को हम लाख उपाय करने के पश्चात भी नष्ट नहीं कर सकते हैं अज्ञानी लोग शरीर और आत्मा में भेद नहीं देख पाते हैं.

इसीलिए वह सदैव दुख-सुख के बंधन में बंधे रहते हैं और इसी भ्रम के कारण वे सत्कर्म से वंचित भी रह जाते हैं जबकि किसी भी स्थिति में सत्कर्म का प्रभाव आत्मा पर नहीं पड़ता है आत्मा पाप लिप्त भी नहीं होती है वह अचल सनातन नित्य का एक रूप है।

2. परमात्मा

लोक वेद में प्रसिद्ध पुरुषोत्तम ही परमात्मा है परमात्मा कभी भी प्रकाश से प्रकाशित नहीं होता है अपितु सूर्य चंद्र नक्षत्र आदि की चमक परमात्मा से प्रकाशित है पूरे ब्रह्मांड के कण-कण में परमात्मा विद्वान है इस संसार में जो भी सर्वोत्तम है वह परमात्मा का ही तत्व है ब्रह्मांड का समस्त ज्ञान सौंदर्य तेज बल उसी परमात्मा का ही एक रूप है.

NARAYAN VISHNU BHAGWAN

परमात्मा संसार में कुछ इस प्रकार पिरोया हुआ है जैसे मणियों में सूत्र पिरोया होता है क्योंकि परमात्मा ही इस सृष्टि के कर्ताधर्ता और पालक पोषण है परमात्मा ही प्रत्येक जीव के शरीर में रहते हैं किंतु दिखाई नहीं देते हैं.

क्योंकि वह अति सूक्ष्म है और उनका रूप अति विराट भी है परमात्मा अनंत और उनका ज्ञान असीम है जो व्यक्ति मन बुद्धि और कर्म को समर्पित करके परमात्मा के भजनों को बजता है वह परमात्मा को प्राप्त कर सकता है।

3. कर्म

दोस्तों कर्म की परिभाषा करना बहुत ही कठिन है क्योंकि जैसा कि हमने बताया है कि ग्रंथो को आसक्ति कर्तव्य शुभ अशुभ योग भक्ति आदि को ध्यान में रखते हुए परिभाषा किया गया है और उस में बहुत ही कम जगह में ध्यान में रखते हुए कर्म को परिभाषित किया गया है गीता के अनुसार शरीर वाणी और मन से की गई क्रिया कर्म होती है.

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यानी शरीर निर्वाह संबंधी क्रियाएं नींद चिंतन आदि क्रियाएं और समाज आदि क्रियाएं यह सब कर्म ही है इस कर्म की परिभाषा को ध्यान में रखते हुए गीता में बताया गया है कि मनुष्य अपने जीवन में एक भी समय बिना कर्म किए नहीं रह सकता है.

क्योंकि हर पल मनुष्य मन शरीर और वाणी से कुछ ना कुछ कर रहा होता है अर्थात मनुष्य अपने जीवन में जो कुछ भी करता है वह कर्म होता है आप ऐसा भी कह सकते हैं कि हमारे द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य हमारा कर्म होता है।

4. त्याग

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि लोभ से मिलने वाला सुख क्षण भर के लिए होता है जबकि त्याग हमें स्थाई आनंद देता है श्री कृष्ण का कहना है कि सत्संग ईश्वर की कृपा से मिलता है परंतु कुसंगति में मनुष्य अपने कर्मों से पड़ता है श्री कृष्ण यह भी कहते हैं कि मनुष्य को वस्त्र बदलने की जगह अपने हृदय को परिवर्तित करते रहना चाहिए.

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गीता के अनुसार जवानी में जिस व्यक्ति ने ज्यादा पाप किए हैं उसे बुढ़ापे में उन पापों को भोगना पड़ता है आनंद हमेशा मनुष्य के भीतर ही रहता है परंतु मनुष्य उसे बाहरी सुखों में ढूंढता रहता है जब हम भगवान की उपासना करते हैं तो हमें अनंत आनंद की अनुभूति होती है और हमें ईश्वर की उपासना शरीर से ही नहीं बल्कि पूरे मन से और प्रेम से करनी चाहिए।

श्रीमद भगवत गीता को पढ़ने के क्या लाभ होते हैं ? | shreemad bhagavad geeta ko padhane ke kya labh hote hain ?

जो व्यक्ति श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन करता है वह व्यक्ति धीरे-धीरे मोह, माया, लालच, क्रोध और कामवासना जैसे विचलित करने वाले बंधनों से मुक्त हो जाता है क्योंकि इस प्रकार के बंधन मनुष्य के जीवन में बहुत सारी रुकावटें लाती हैं दोस्तों हम आपको बता दें कि हमारे सनातन धर्म में भगवत गीता का बहुत ही विशेष स्थान है.

क्योंकि हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ माना गया है क्योंकि भगवत गीता भगवान श्री कृष्ण जी के कमल मुख से निकला हुआ अमृत है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दौरान अपने सखा अर्जुन को दिया था.

भगवत गीता का नियमित रूप से अध्ययन और उसके श्लोकों का अध्ययन करने से मनुष्य के जीवन में अविश्वसनीय परिवर्तन आते हैं जो मनुष्य अपने जीवन में कर्म के रास्ते को जानना चाहता है और दिव्य ज्ञान को प्राप्त करना चाहता है.

उसे भगवत गीता का अध्ययन अवश्य करना चाहिए ताकि मनुष्य मोह, माया, छल और लालच के बंधनों से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो सके तथा अपने कर्तव्य को पहचान सके।

FAQ: Bhagwat gita pdf in hindi

गीता की 18 बातें कौन सी है?

गीता के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण का उपदेश देते हैं कि जो मनुष्य गीता में लिखी हुई अट्ठारह बातों को अपने जीवन में उतारता है वह दुख, क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, मोह, माया, लालच, चिंता, भय इत्यादि जैसे बंधनों से मुक्ति पा लेता है।

भगवत गीता क्यों पढ़ना चाहिए?

सनातन धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता सर्वशक्तिमान है यह मनुष्य के सभी संदेशों को दूर करके एक स्पष्ट उत्तर प्रदान करती है और मनुष्य का मार्गदर्शन करती है।

संपूर्ण गीता का सार क्या है?

श्रीमद भगवत गीता में श्री कृष्ण जी अर्जुन से कहते हैं कि हे पार्थ इस सृष्टि में जन्म और मृत्यु ही यथार्थ सत्य है जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु होना निश्चित है और मृत्यु हुई एक मात्र सत्य है उसके अलावा सब कुछ असत्य है।

गीता का पहला अध्याय क्या है?

गीता के पहले अध्याय का नाम अर्जुन विषाद योग है इस अध्याय में कुरुक्षेत्र के मैदान में उपस्थित बंधुओं और संबंधियों को सामने देखकर अर्जुन के मन में उठे विषाद और मन स्थिति का वर्णन किया गया है जिसे संजय धृतराष्ट्र से बताते हैं।

गीता का मुख्य उद्देश्य क्या है?

गीता का मुख्य उद्देश्य परमात्मा के ज्ञान आत्मा के ज्ञान और सृष्टि विधान के ज्ञान को स्पष्ट करना है गीता वास्तव में चरित्र निर्माण का एक बहुत बड़ा और सबसे उत्तम शास्त्र है इसके माध्यम से भगवान ने कहा है कि चरित्र कमल पुष्प के समान संसार में रहकर और श्रेष्ठ कर्मों से बनता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने आपको Bhagwat gita pdf in hindi के बारे में जानकारी दी है इस लेख में हमने भगवत गीता के बारे में कुछ ऐसी जानकारी प्राप्त की थी जिसे प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में अवश्य जानना चाहिए इस लेख में हमने आपको गीता के अनुसार आत्मा परमात्मा कर्म और त्याग क्या है.

इसके बारे में संक्षिप्त रूप से जानकारी दी है जैसा कि लेख को पढ़ने के बाद आपको मालूम ही हो गया होगा कि सनातन धर्म में भगवत गीता का कितना अधिक महत्व है क्योंकि भगवत गीता भगवान श्री कृष्ण के कमल मुख से निकला हुआ अमृत है जिसे प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में अवश्य पीना चाहिए.

क्योंकि भगवत गीता को पढ़ने के बाद मनुष्य छल मोह माया लालच जैसे बंधनों से मुक्त हो जाता है और परमात्मा में विलीन हो जाता है यदि आपने हमारे इस लेख को शुरुआत से लेकर अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ा होगा तो आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं.

हमारे द्वारा लिखा गया या लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा Bhagwat gita pdf in hindi को शुरुआत से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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