भूत क्या होता है : भूत प्रेत क्या क्यों और कैसे होते है जाने | bhoot kya hota hai

bhoot kya hota hai ? भूत प्रेत की कथाएं आदिकाल से हमारी जिज्ञासा का विषय रही है सनातन धर्म संस्कृति में बताया गया है कि भूत प्रेत ऐसी आत्माएं होती हैं जो मरने के बाद जन्म लेते हैं। शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति मरने से पहले कोई इच्छा अधूरी रह जाती है और वह इस अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए स्वर्ग या नरक मैं नहीं जा पाते यही भूत प्रेत बन जाते हैं।

ghost

इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि कुछ लोग आकस्मिक मौत का जब शिकार हो जाते हैं तो उनकी आयु पूर्ण नहीं हो पाती है जिसकी वजह से वे अपनी आयु को पूर्ण करने के लिए भूत प्रेत योनि में घूमते रहते हैं।

हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद किसी भी मृत आत्मा की अंत्येष्टि नहीं की जाती है परंतु जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसकी अंत्येष्टि उचित तरीके से संस्कृति और संस्कार के अनुसार नहीं की जाती है तो वह आत्मा भी प्रेत बन जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के आधार पर आत्मा के तीन रूपों का वर्णन किया गया है जिसमें भौतिक शरीर को जीवात्मा कहा गया और वासना में शरीर को भूत प्रेत कहा जाता है जब आत्मा शूज शरीर में प्रवेश कर जाती है तो सूक्ष्मात्मा बन जाती हैं। मृत आत्माओं को उनके जीवित रहने पर किए गए कर्म के आधार पर अच्छा और बुरा कहा गया है जो लोग जीवन भर वासनाओं में लिप्त रहे हैं वे प्रेत आत्मा के रूप में प्रेत लोक में निवास करते हैं।bhoot kya hota hai

Evil spirit

वही जो आत्माएं जीवन भर अच्छे कर्म करती रहती हैं वे आत्माएं मृत होने पर स्वर्ग लोक निवास करते हैं तथा जीवन मरण के बंधन से मुक्त होकर ईश्वरत्व को प्राप्त हो जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब व्यक्ति अपने जीवन में मानसिकता, वृत्ति-प्रवृत्ति, सत्कर्मों को स्वीकार करता है उसी अनुरूप आत्मा उसने प्रविष्ट हो जाती हैं और अपने अपने अनुसार तत्वों को ग्रहण कर लेती है।

“]

ऋषि परंपरा भूत प्रेत क्या है ? | bhoot kya hota hai

योग और ऋषि परंपरा के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है जिससे शरीर पर अलग-अलग प्रभाव दिखाई देते हैं और यही शरीर जब मृत्यु को प्राप्त होता है तो हमारे पंच तत्वों के कर्म भूत प्रेत ही बनेंगे या फिर अन्य योनि में जन्म देते हैं।

मनुष्य की मृत्यु के बाद हवाई तत्व की प्रधानता के कारण सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर जाता है बाकी आधुनिक जल पृथ्वी आकाश तत्व रस बंद रूप का एहसास कराते हैं। वायु तत्व की प्रधानता से प्रेत वायवीय शरीर के होते हैं जिसकी वजह से उनको भोजन पानी की आवश्यकता नहीं रहती है।

baba sadhu god dangerous

मिथुन शरीर में काम इंद्रिय का कोई काम नहीं रहता है आकाश तत्व तो नहीं होता है जिसकी वजह से यह कोई धन नहीं कर सकते अर्थात भूत प्रेत बोलने में असमर्थ रहते हैं। भूत प्रेतों में आकाश तत्व की कमी के कारण संवेदनशीलता नहीं रहती है। किसी प्रकार के तत्व के ठोस पन ना होने के कारण भूत प्रेतों को लाठी तलवार या किसी चीज से नहीं मारा जा सकता भूत प्रेतों में सुख-दुख का अनुभव करने की क्षमता होती है।

हमारे धर्म ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता में भूत प्रेतों का वर्णन है जिसमें दो धुंधकारी को प्रेत योनि में बताया गया और उसकी कथा को मानस साहित्य के लिए बताया जाता है इसी तरह से ऋग्वेद जैसे ग्रंथों में भी भूत प्रेतों से संबंधित कहानियां वर्णित है।

धार्मिक मान्यताओं में भूत प्रेत

दुनिया में फैले सभी धर्म भूत प्रेतों से संबंधित बातों पर विश्वास करते हैं और अपने अपने धर्म ग्रंथों में इनका वर्णन भी करते हैं ज्योतिष साहित्य के ग्रंथों में भूत प्रेत बाधाओं से पीड़ित लोगों के लिए पितृदोष और प्रेत पीड़ा का वर्णन किया है।

sadhu tantrik

अध्यात्म योग ने भी भूत प्रेत के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए विश्लेषण किया और हिंदू धर्म के अतिरिक्त बौद्ध पारसी इस्लाम यहूदी सभी धर्मों ने भूत प्रेतों की योनि को स्वीकार करके उसे अपने अपने तरीके से वर्णित किया है।

संपूर्ण विश्व में भूत प्रेत के अलौकिक सत्य को जानने के लिए अनेकों प्रकार से शोध भी किए और सार्वजनिक सत्य को स्वीकार किया है कई बार तो बहुत से फोटोग्राफी करने वाले लोग भूत प्रेतों की आश्चर्यजनक तस्वीरों को भी अपने कैमरे में कैद किया है।

निष्कर्स

आज भी यह प्रश्न kya bhoot hota hai? का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है बस जानी सुनी कहानियाँ और कुछ अनसुलझे प्रयोग लेकिन भूत होते है या नहीं अभी तक इस पर कोई प्रमाणिक रूप से अपना तथ्य नहीं दे सकता है इसलिए आप इसका अपने विवेक से और तथ्यों को ध्यान रखते हुये विचार करे .

Leave a Comment