Holi ki Puja : दोस्तों हिंदू धर्म में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं, जिसमें से होली भी एक महत्वपूर्ण त्योहार है. आध्यात्मिक दृष्टि एवं ज्योतिषीय गणना में होली का एक अलग महत्व होता है अक्सर हम लोग होली के दिन होली की पूजा करते हैं। Holi ki Puja कैसे करते हैं ? Holi ki Puja में क्या-क्या लगता है? Holi ki Puja क्यों की जाती है? आइए इन सभी जिज्ञासाओं के बारे में हम अपने इस आर्टिकल में बताते हैं।
होली भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने वाला त्यौहार है जो वसंत ऋतु में फागुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भारत के साथ-साथ होली जैसा पर्व विश्व के तमाम देशों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है होली के प्रथम दिन में होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन ढोल नगाड़े आदि के साथ लोग रंग खेलते हैं, फाग गाते हैं और लोग एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर गले लगते हैं।
होली एक ऐसा त्यौहार है जिसमें हम एक दूसरे से आपसी बैर को भुलाकर एक साथ रंग खेलते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयां आदि बांटते हैं होली का त्यौहार बसंत पंचमी से प्रारंभ होकर फागुन माह की पूर्णिमा को समाप्त होता है. इसके साथ साथ आठवें दिन छोटी होली के रूप में भी होली का पर्व मनाया जाता है। चारों तरफ रंग की फुहार फूट पड़ती है लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं. गुझिया इस पर्व की सबसे बड़ी पहचान होती है।
- 1. होली से संबंधित कहानी | Holi ki kahani
- 2. Holi ki Puja की सामग्री | Holi ki Puja ki samagri
- 3. होली की पूजा विधि | Holi ki Puja vidhi
- 4. होली पूजा मंत्र | Holi ki Puja mantra
- 4.1. होली-भस्म मंत्र | Holi-bhasm Mantra
- 4.2. होली की पूजा का क्षमा मंत्र | Holi ki puja ka mantra
- 5. होली की पूजा प्रारंभ करने से पहले मंत्र | puja prarambh karne se Pehle mantra
- 6. FAQ : Holi ki Puja
- 6.1. होली की पूजा किस देवता से संबंधित है?
- 6.2. होलिका के पति का क्या नाम था?
- 6.3. होली की पूजा कब की जाती है ?
- 7. निष्कर्ष
होली से संबंधित कहानी | Holi ki kahani
इतिहास और इतिहासकारों के अनुसार होली का पर्व आर्यों के समय से ही मनाया जा रहा है. यहां तक कि हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी इसे मनाते रहें हैं और आज भी मना रहे हैं। परंतु होली से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण कहानी प्रहलाद और उसके पिता हिरण्यकशिपु जुड़ी हुई है।
इस कहानी के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक असुर सम्राट था जो अहंकार बस अपने को ईश्वर मानता था और अपने आगे किसी दूसरे ईश्वर का नाम लेने वाले को दंड देता था। कहानी कहती है कि हिरण्यकशिपु के एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था जिसके कारण उसके पिता हिरण्यकशिपु उसे कई प्रकार के दंड देने लगा।
हिरण्यकशिपु की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था जिसे आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था। कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को विष्णु भक्त होने के कारण अनेकों प्रकार से मृत्युदंड देता रहा .लेकिन उसकी मृत्यु ना हुई तो अंत में उसे मारने के लिए अपनी बहन होलिका को बताया तो होलिका ने आग में ना जलने की बात बताई .तब हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से कहा कितुम प्रहलाद को लेकर आग में बोथ जाओ जिससे विष्णु भक्त पहलाद मारा जा सके.
इस प्रकार से होलिका प्रहलाद को मारने के लिए पूरी योजना बनाई और फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन अपनी योजना को अंजाम देने के लिए आग इकट्ठा करवाई और उसी में प्रहलाद को लेकर बैठ गई. जब वह प्रहलाद को मारने के लिए आदमी बैठ गई. जब आग तेजी से जलने लगी तो होलिका का शरीर भी जलने लगा और देखते ही देखते होलिका जलकर भस्म हो गई परंतु प्रहलाद बच गए.
भगवान विष्णु सबके रक्षक हैं और अपने भक्तों को कभी किसी प्रकार से कोई नुकसान नहीं करते हैं. इसलिए जब होलिका प्रहलाद को लेकर बैठी प्रहलाद सुरक्षित बच गए. तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा.
दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है कि त्रेता युग के प्रारंभ में भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था इसीलिए धुलेंडी नाम से भी जाना जाता है और होली के दूसरे दिन अबीर गुलाल रंग और पानी कीचड़ आदि से लोग धुलेंडी मनाते हैं।
Holi ki Puja की सामग्री | Holi ki Puja ki samagri
होली की पूजा करने के लिए होली के दिन गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाई जाती है इसके साथ साथ माला, रोली, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, पांच या सात प्रकार के अनाज नए गेहूं की बाली कलश जल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान, मिठाइयां और फल आदि सामग्री ली जाती है।
इन सामग्रियों के साथ-साथ गोबर से बनी ढाल,चार मालाएं भी ली जाती है. 4 मालाएं इसलिए ली जाती है क्योंकि कहा जाता है कि पहली माला पितरों के नाम की होती है दूसरी हनुमान जी के नाम की, तीसरी माला माता शीतला के लिए तथा चौथी माला परिवार के नाम से ली जाती है. जिससे हमारे पूर्वजों और परिवार का कल्याण हो.
होली के चारों ओर एक सूत के धागे को लपेटा जाता है और 7 बार होली की परिक्रमा करके शुद्ध जल होली को अर्पित कर देते हैं तथा अन्य सभी सामग्री में भी होली में अर्पित करते हैं। आग लगाने से पहले होली को जल का अर्घ्य दिया जाता है तथा सभी लोगों को तिलक लगाते हैं।
होली की पूजा विधि | Holi ki Puja vidhi
सनातन धर्म में सभी पर्व बहुत ही विधि विधान से मनाए जाते हैं और सबसे प्रमुख बात शुभ मुहूर्त देखकर ही पूजा की जाती है.ऐसे में Holi ki Puja शुभ मुहूर्त में की जाती है तो जीवन में कभी भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं होती है.
होली की पूजा करने के लिए सबसे पहले सभी प्रकार की सामग्रियों को एक थाली में ले लेते हैं और उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाते हैं इसके बाद शुद्ध जल को अपने आसपास छिड़ककर गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाते हैं।
इसके बाद अपने पास पूजा करने की सामग्री रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबुत हल्दी, बताशे, फल और एक कलश पानी आदि रख लेते हैं तथा मंत्रोचार करते हुए भगवान नरसिंह का ध्यान करके होलिका और प्रहलाद की मूर्ति पर रोली,मोली ,चावल, बतासे, फूल अर्पित करते हैं।
पूजा करने के बाद सभी सामग्रियों को होलिका दहन वाले स्थान पर ले जाकर होली में आग लगने से पहले अपना तथा अपने पिता और पुत्र का नाम लेकर लेते हैं. चावल को हाथों में लेकर गणेश का ध्यान करते हुए होलिका को अर्पित करते हैं।
इसके बाद प्रह्लाद का नाम लेकर फूल आदि चढ़ाते हैं तथा नरसिंह भगवान का स्मरण करते हुए सात प्रकार के अनाज होली में अर्पित कर देते हैं. इस प्रकार पूजा पूर्ण हो जाती है।
होली पूजा मंत्र | Holi ki Puja mantra
होली की पूजा करने में पारंपरिक पूजा पद्धति के अनुसार आठ पूरियों से बनी अठावरी व होली के दिन बने मिष्ठान और सभी सामग्रियों के साथ पूजा करते हैं .पूजा करते समय नीचे दिए जा रहे हैं मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः ।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।।
होली-भस्म मंत्र | Holi-bhasm Mantra
दोस्तों होलिका दहन के बाद जो राख बचती है उस राख को भस्म कहा जाता है और यह भस्म शरीर पर लगाने से सुख समृद्धि व निरोगता होती है .ऐसे में होली की भस्म को होली जलने के बाद अपने शरीर पर लगा ले या फिर दूसरे दिन होली की भस्म को लाकर घर में अपने शरीर पर लगाएं.
होली की भस्म अपने शरीर पर लगाते समय नीचे दिए जा रहे हैं मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रम्हणा शंकरेण च ।
अतस्त्वं पाहि माँ देवी! भूति भूतिप्रदा भव ॥
होली की पूजा का क्षमा मंत्र | Holi ki puja ka mantra
अक्सर सामान्य रूप से पूजा करते समय छोटी मोटी गलतियां भी हो जाती है जिसकी वजह से हमें कुछ नुकसान होने की भी संभावना हो सकती है.ऐसी स्थिति में होली की पूजा में अगर कोई त्रुटि हो जाती है तो उससे बचने के लिए होली से क्षमा मांगी जाती है और क्षमा मांगने के लिए नीचे दिए जा रहे मंत्र को पढ़ें।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे।।
होली की पूजा प्रारंभ करने से पहले मंत्र | puja prarambh karne se Pehle mantra
हर शुभ कार्य के लिए कोई ना कोई मंत्र जरूर बोला जाता है. इसलिए होली की पूजा प्रारंभ करने से पहले नीचे दिए जा रहे मंत्र को अवश्य बोले उसके बाद ही पूजा प्रारंभ करें।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।
FAQ : Holi ki Puja
होली की पूजा किस देवता से संबंधित है?
होलिका के पति का क्या नाम था?
होली की पूजा कब की जाती है ?
निष्कर्ष
Holi ki Puja सामान्य तौर पर हर वर्ष लोग होली के दिन होली की पूजा करते हैं क्योंकि यह पूजा आर्थिक एवंआध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. भारतीय हिंदू धर्म में सभी त्यौहार विधि विधान से मनाए जाते हैं जिससे जीवन में किसी भी प्रकार से कोई समस्या ना इसलिए होली के दिन अगर आप पूजा करते हैं तो पूरे विधि विधान से करें जिससे आपको अच्छा लाभ मिलेगा.
दोस्तों जहां होली एक तरफ हर्षोल्लास का पर्व है वहीं दूसरी तरफ अराजकता पर विजय का प्रतीक है हमारे इस आर्टिकल में आपको होली की पूजा से संबंधित जानकारी दी गई है।