11 इंद्रियों के नाम और सम्पूर्ण जानकारियां – indriyo ke naam

Sabhi indriyo ke naam aur jankari ? इंद्रियां शरीर में वह प्रमेय है जो शरीर से संयुक्त, अतींद्रिय तथा ज्ञान का करण हो। संस्कृत भाषा में इंद्रियों को करण कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इंद्रिया शरीर का ऐसा अवयव हैं जिनके द्वारा हम वाह्य एवं आंतरिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। इंद्रियों के द्वारा हो जो भी कर्म करते हैं उन्हीं के अनुसार हमें ज्ञान प्राप्त होता है |

indriyon k naam aur jankari

हमारे शरीर में ज्ञानेंद्रिय और कर्म इंद्रियां प्रमुख रूप से पाई जाती है और संयुक्त रुप से इनमें पांच पांच इंद्रियां वर्गीकृत है। कर्म इंद्रियों से रूप रस गंध स्पर्श और शब्द आदि का ज्ञान करते हैं तथा ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से अभ्यंतर विषयों का जैसे सुख-दुख आदि का अनुभव करते हैं।

हमारे शरीर में इंद्रियों का अभाव हो तो हम किसी भी प्रकार के विषय का ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकते हैं| हमारे शरीर में पाई जाने वाली इंद्रियों से हम या तो कोई काम करते हैं या फिर कोई ज्ञान प्राप्त करते हैं अभ्यंतर के सुख-दुख हमें जो भी प्राप्त होता है उसका अनुभव हम मन के द्वारा करते हैं |

ऐसे में यह माना जाता है कि शरीर के अंदर कर्म और ज्ञान इंद्रियों के साथ-साथ मन इंद्री भी पाई जाती है इस प्रकार से indriyo ke naam इंद्रियों की संख्या 11 हो जाती है।

मतों के अनुसार इंद्रियां कितनी होती है ?

MIND DIMAG SENSE

अनेक मतों के अनुसार शरीर में पाई जाने वाली इंद्रियां अलग-अलग वर्णित की गई हैं सामान्य तौर पर देखा जाए तो शरीर के अंदर 11 इंद्रियों का वर्णन विशेष रूप से मिलता है परंतु अलग-अलग मदों के अनुसार इंद्रियों की संख्या भी अलग-अलग बताई गई है।

संतमत दर्शन के अनुसार इंद्रियां कितनी है ? – indriyo ke naam
darshan

संतमत के दर्शन के अनुसार indriyo ke naam इंद्रियों की संख्या को 14 माना गया है जिसमें से पांच कर्मेंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियों होती हैं तथा चार इंद्रियां अंतः करण माना गया है। इसके अंतर्गत मन चित्र बुद्धि और अहंकार को रखा गया है। संतमत दर्शन के अनुसार ज्ञानेंद्रियों के अंतर्गत आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा; तथा कर्मेंद्रियां के अंतर्गत हाथ, पैर, मुंह, गुदा और लिंग को रखा गया है।

न्याय दर्शन के अनुसार इंद्रियाँ कितनी है ? 

न्याय के अनुसार  इंद्रियों को दो भागों में बांटा गया है जिसमें बहिरिंद्रिय के अंतर्गत घ्राण, रसना, चक्षु, त्वक् तथा श्रोत्र (पाँच) आती हैं तथा अन्तरिन्द्रीय – केवल मन को रखा गया है इस प्रकार से शरीर में दो प्रकार के इंद्रियों का वर्णन न्याय के अनुसार किया गया।

think mind

न्याय के अनुसार इंद्रियों को क्रमशः गंध रस रूप स्पर्श तथा शब्द की उत्पत्ति को मन से होता हुआ बताया गया है तथा सुख दुख आदि भी भीतरी विषय हैं इनकी उपलब्धि मन से ही होती है।

सांख्य दर्शन के अनुसार इन्द्रियाँ कितनी है ? 

सांख्य के अनुसार इंद्रियों की संख्या को 11 बताया गया है जिसके अंतर्गत ज्ञानेंद्रियों तथा कर्मेंद्रियों को पांच पांच भागों में बांटा गया है ज्ञानेंद्रियां अन्य मतों के अनुसार वही मानी गई है परंतु इस मत के अनुसार कर्मेंद्रियां मुख हाथ पैर मलद्वार तथा जननेंद्रिय को माना गया है जो क्रमशः बोलने ग्रहण करने चलने मल त्यागने तथा संतान उत्पादन का कार्य करती हैं |

इसके अलावा 11 भी इंद्री के रूप में मन को माना गया है इस मन को संकल्पविकल्पात्मक मन कहा जाता है। इस प्रकार से सांख्य दर्शन के अनुसार 11 इंद्रियों वर्णित है।

 कर्मेंद्रियों के कार्य क्या है ? – indriyo ke naam

हमारे शरीर में पाई जाने वाली सभी इंद्रियों एक कार्य अलग-अलग होते हैं कर्म इंद्री और ज्ञान इंद्रियों के आधार पर दस इंद्रियां शरीर में उपस्थित हैं जिनके क्रमशः इस प्रकार से हैं-

कर्म इंद्रियों के अंतर्गत पांच इंद्रियों क्रमशः मुंह हाथ लिंग गुदा और पैर हैं जिनके कार्य इस प्रकार से होते हैं –

1. मुख इंद्री का क्या कार्य है ?

open mouth woman

मुंह से भोजन करने और बोलने का कार्य किया जाता है जिससे हम कोई अपनी बात किसी दूसरे तक पहुंचा सकते हैं तथा मुंह के अंदर उपस्थित दांत ओठ तालु कंठ आदि मुंह के अंतर्गत आते हैं परंतु जीभ रसास्वादन करती हैं।

2. हाथ इंद्री का क्या कार्य है ?

हाथ से किसी भी वस्तु को पकड़ने और छोड़ने का कार्य किया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के लौकिक और पारलौकिक क्रियाकलाप हाथों के द्वारा ही संपन्न होते हैं सांसारिक कामों में हाथ की उपयोगिता सबसे अधिक होती है |

3. लिंग इंद्री का क्या कार्य है ?

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लिंग इंद्री मूत्र और वीर्य का त्याग करता है शरीर में निर्मित अनावश्यक पदार्थ के रूप में उत्सर्जित होने वाला मूत्र लिंग के माध्यम से त्याग किया जाता है तथा संतानोत्पत्ति के कार्य हेतु लिंग का प्रयोग वीर्य त्यागने में किया जाता है यह एक मैथुन और जनन अंग है जिसके माध्यम से नई संतानों की उत्पत्ति होती है|

4. गुदा इंद्री का क्या कार्य है ?

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कर्म इंद्रियों के अंतर्गत गुदा से मल त्याग किया जाता है और अपान वायु को त्याग करने का मार्ग होता है शरीर में बनने वाली अनावश्यक अपान वायु गुदा के माध्यम से बाहर होते हैं तथा अपशिष्ट पदार्थ मल भी इसी माध्यम से बाहर होता है।

5. पैर इंद्री का क्या कार्य है ?

कर्मेंद्रियों के अंतर्गत पर मुख्य रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण के लिए चलन का कार्य करते हैं। सारांश में यह कहा जा सकता है कि कर्म इंद्रियों के कार्य वाई के द्वारा संचालित होते हैं जिसके अंतर्गत चल ना भूलना बल करना पसारना और सिकुड़ना होता है जो वायु की प्रकृति होती है।

ज्ञानेंद्रियों के क्या कार्य हैं ? Functions of the sense organs

शरीर में पांच प्रकार की ज्ञानेंद्रियां पाई जाती हैं जिनके कार्य इस प्रकार से हैं-

आँख, नाक, कान, जीभ और त्वचा |

1. आंख इंद्री का क्या कार्य है ?

eye

आंख इंद्री का प्रमुख रूप सांसारिक प्रकृति को देखने का है जिससे हम समस्त संसार को देखकर उसका अनुभव करते हैं। आंखों में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के आकार प्रकार रंग रूप आदि का ज्ञान कराती है|

2. कान इंद्री का क्या कार्य है ?

EAR KAAN SENSE

कान इंद्री हमें बाहरी वातावरण में होने वाली शब्द ध्वनि को स्पष्ट करते हैं हमारे कान ही हमें हर प्रकार के वातावरण में होने वाली विभिन्न ध्वनियों का अनुभव कर आते हैं जिसके माध्यम से हम कर्म इंद्रियों को संचालित करते हैं।

3. नाक इंद्री का क्या कार्य है ?

ज्ञानेंद्रियों के अंतर्गत नाक का काम किसी भी प्रकार की गंद का अनुभव कराना है। प्रकृति में उपस्थित विभिन्न प्रकार के सुगंध और दुर्गंध के विषय में जानकारी ना केंद्र द्वारा ही होती है।

4. जीभ इंद्री का क्या कार्य है ?

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जीभ इंद्री हमें सभी प्रकार के प्रकृति में उपस्थित फल फूलों या अन्य पदार्थों के रसों का स्वाद आदि का अनुभव कराती है हालांकि जीभ एक प्रकार से कर्म इंद्री के अंतर्गत भी आती है क्योंकि यह मुंह में पाई जाती है जिसके कारण मुंह से होने वाले सभी काम में जीभ सहायक होती है।

5. त्वचा इंद्री का क्या कार्य है ?

Black Skin

त्वचा इंद्री स्पर्श मात्र से होने वाले अनुभव करा देती है प्रकृति में सर्दी गर्मी तथा अन्य प्रकार के वातावरण तापमान को पचा अनुभव कराती है किसके माध्यम से हम अपने शरीर को ढालते हैं।

6. मन का क्या कार्य है ?

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मन को 11वीं इंद्री के रूप में जाना जाता है। मनकर मंत्री और ज्ञान इंद्री के बीच संतुलन स्थापित करता है मन विचार और कल्पना के द्वारा संसार के सुख और दुख भोगने में मदद करता है और मन के द्वारा उत्पन्न हुई इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्यक्ति संसार में भटकता है। मन से इच्छाएं उत्पन्न होती हैं और एक इच्छा पूर्ण होने पर मंथ तुरंत दूसरी इच्छा पर केंद्रित हो जाता है।

7. बुद्धि का क्या कार्य है ?

MIND DIMAG

बुद्धि एक प्रकार की इंद्री ही होती है जो व्यक्ति के ज्ञान के आधार पर कार्य करते हैं व्यक्ति के अंदर उत्पन्न बुद्धि से वह अपने कार्यों को सिद्ध कर देता है।

8. चित्त का क्या कार्य है ?

unblemished mind

मनुष्य के अंदर उपस्थित चित्त आत्मा और परमात्मा के बीच चेतन और अचेतन की उपस्थिति दर्ज करता है व्यक्ति के अंदर उपस्थित चित्त एक ऐसा अवयव है जो मन के इशारों पर कार्य करता है परंतु अचेतन मन जो चित्त का दूसरा रूप है यह मन के इशारों पर कार्य नहीं करता है।

9. अहंकार का क्या कार्य है ?

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संत दर्शन के अनुसार अहंकार को 14 ही इंद्री माना गया है अलंकार भी एक ऐसा अवयव है जो व्यक्ति को उत्थान और पतन का कारण बनता है अहंकार जब कार्य करता है तो व्यक्ति के अंदर विवेक और बुद्धि का नाश हो जाता है।

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