मरने के बाद हमारे साथ क्या होता है ? insan ke marne ke bad aatma ka kya hota hai

Marne ke bad hamare sath kya hota hai ? जीवन का एक सुखद पल होता है केवल परिवार Family के लोगों के साथ भले ही एक दुखद वक्त Said timing हो लेकिन मरने वाले की आत्मा सदा के लिए मुक्त हो जाती है हालांकि सवाल Question यह उठता है कि मरने के बाद हमारे साथ क्या होता है हमारी आत्मा कहां चली जाती है |

शरीर के अंदर उपस्थित जीवात्मा किस प्रकार से हमारे शरीर से बाहर हो जाती है और हमारा पंचतत्व से निर्मित शरीर अपने-अपने तत्व में विलीन हो जाता है।

मरने के बाद लोगों के द्वारा बस यही कहा जाता है की आदमी को मुक्ति मिल गई है हरके इतना होता है कि यदि कोई व्यक्ति धार्मिक Person religious प्रवृत्ति का होता है तो लोग यह सोचते हैं कि मरने के बाद After death स्वर्ग में स्थान मिलेगा या नर्क में स्थान मिलेगा |

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वस्तुतः अच्छे लोगों के लिए यही कहा जाता है कि यह स्वर्ग की प्राप्ति करेगा और बुरा व्यक्ति है तो उसे मरने के बाद नर्क मिलेगा यदि आपने अच्छे कर्म किए हैं तो आपको स्वर्ग मिलेगा और बुरे कर्म किए हैं तो आपको नर्क का द्वार मिलेगा।

मरने के बाद हमारे साथ क्या होता है ? What happens to us after we die :

बहुत से धार्मिक व्यक्तियों का यह मानना होता है की आत्मा कभी नहीं नष्ट होती है केवल अपना रूप बदलती है गीता में श्रीकृष्ण ने भी इस विषय में कहा है कि आत्मा को ना तो कोई हवा सुख आ सकती है ना आग जला सकती है ना पानी गिला कर सकता है |

केवल मरने के बाद आत्मा अपने परमधाम की ओर चली जाती है इसके इतर यह भी कहा गया है कि जब व्यक्ति का शरीर वृद्ध हो जाता है तो आत्मा उस शरीर को उसी तरह से त्याग देती है जिस तरह से हमारे कपड़े फट जाने के बाद फेंक दिए जाते हैं।

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दरअसल मरते समय व्यक्ति के अंतिम शब्द कुछ अजीब होते हैं जिनका अनुभव हम कभी भी नहीं कर पाते हैं केवल मरने वाला व्यक्ति ही उस अनुभव का आनंद लेता है उसे महसूस होता होगा कि वह दुनिया की तमाम दुख दर्द से मुक्त हो रहा है और इस सांसारिक मोह माया से दूर जा रहा है।

मरने के बाद स्वर्ग मिलता है या नर्क ? heaven or hell after death :

जहां तक मेरा विचार है कि मरने के बाद मनुष्य को स्वर्ग और नरक कुछ नहीं प्राप्त होता है बल्कि यह एक मिथ्या भ्रम है स्वर्ग और नर्क दोनों इसी धरातल पर हैं बस यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के कर्म कैसे हैं |

अंतिम समय में व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार भोग भोग ता है और इसी को हम स्वर्ग या नर्क की संज्ञा दे देते हैं जो कुछ कुछ हद तक सही माना जा सकता है।

स्वर्ग एक कल्पना है और नर्क भी एक कल्पना है हर किस बात पर पड़ता है कि व्यक्ति अपने जीवन को किस प्रकार व्यतीत करता है उसके जीवन जीने की कला ही एक प्रकार का स्वर्ग और नर्क होता है क्योंकि यह निश्चित है कि व्यक्ति जो अच्छे कर्म करता है तो उसके साथ हमेशा अच्छा ही होता रहता है और जो व्यक्ति बुरे कार्य करता है और कहीं ना कहीं अपने बुरे कर्मों का फल भी प्राप्त करता है।

अक्सर लोग मृत्यु से डरते हैं मृत्यु के समय होने वाली विभिन्न प्रकार की घटनाओं से भी व्यक्ति डरता है जबकि उसे यह भी पता है कि मृत्यु निश्चित और अटल है वह एक ना एक दिन हमारे सामने विकराल रूप धारण करके हमें ले जाएगी उसके सामने हमारा कोई बस नहीं चलेगा |

फिर भी इंसान मरने से डरता है इतिहास इस बात का गवाह है कि दुनिया में कोई भी आज तक अमर नहीं रहा है और ना भविष्य में वह अमर होगा।

मौत से डर ही व्यक्ति की बुढ़ापे की ओर ले जाता है और बुढ़ापे में व्यक्ति कुछ इस तरह से अक्षम हो जाता है कि वह पुनर्जन्म की अवधारणा में विश्वास करने लगता है लोग भी इस बात को मानते हैं कि पुनः नया कोई जीवन प्राप्त होगा अब अगली पीढ़ी में उसे किस रूप में जन्म मिलता है यह एक कल्पनीय विषय है।

इतिहास में बहुत सारी ऐसी घटनाएं जरूर मिलती हैं जिससे कोई व्यक्ति मौत से लड़कर वापस लौटा है और उसने अपनी संपूर्ण कहानी को व्यक्त भी किया है |

कुछ लोगों ने मौत से लौट कर के यह बात बताई है कि मैं मर चुका हूं और मरने के बाद मैं ऐसी जगह पर गया हूं जहां पर केवल एक बहुत बड़ा प्रकाश सा दिखाई देता है वहां बिल्कुल शांत और एकांत होता है |

कोई अजीब सी चकाचौंध होती है जिसमें वह खो जाता है और पुनः जब वह उस दुनिया में विचरण करता है तो उसे बहुत ही सुखद और आनंद मिलता है इस प्रकार के अनुभव मर कर लौटने वाले व्यक्तियों ने जीवन में शेयर किया है |

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यहां पर आपको एक उदाहरण दिया जा रहा है जिसमें यह देखा गया कि एक व्यक्ति मौत से लौट कर आया है और उसने बताया कि अचानक मैं ऊपर गया और मैं ऐसे प्रकाश में समा गया जहां पर बहुत ही सुंदर और आनंदमय शांत प्रिय जगह है। यह मानवीय तौर तरीकों से अलग था।

इसीलिए इसे समझ पाना भी काफी मुश्किल है वहां जो कुछ भी देखा वह बहुत ही खूबसूरत था परंतु सब कुछ बदला था सब कुछ साफ नहीं दिखाई देता था हमारे ऊपर जितने भी महान संकट दुख दर्द भी थी वह बिल्कुल नहीं थे बल्कि मैं बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था।

इस प्रकार के अनुभव यह बताते हैं कि हमें मौत से नहीं डरना चाहिए बल्कि मौत का स्वागत बड़ी ही शालीनता के साथ करना चाहिए मौत एक ऐसी सुखद और आनंदमई स्थित है जिसका अनुभव जीने वाला व्यक्ति नहीं कर सकता है।

मरने के बाद आत्मा कहां जाती है ? soul go after death

गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है इस विषय का विशेष वर्णन किया गया है-

गरुड़ पुराण के अनुसार यह कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में अच्छे कर्म करता है उसे स्वर्ग प्राप्त होता है और जो व्यक्ति बुरे कार्य करता है उसे नर्क प्राप्त होता है अच्छे कर्म वालों को स्वर्ग में भव्य स्वागत किया जाता है उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है परंतु जो लोग बुरे होते हैं उनके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया जाता है और सजाएं दी जाती है |

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गीता में श्रीकृष्ण ने इस बात को विशेष जोर दिया कि आत्मा अमर और अजर है इसका ना तो अंत होता है और ना प्रारंभ होता है बल्कि शरीर का बदलाव होता है |

हमारा शरीर पंच तत्वों से बना हुआ है और मरने के बाद पंचतत्व अपने-अपने तत्व में विलीन हो जाते हैं आत्मा एक प्रकार की ऊर्जा है जो मरने के बाद व्यक्ति के शरीर से बाहर हो जाती हैं और प्रकाश पुंज के रूप में ऊपर की ओर चली जाती है |

गरुड़ पुराण के अनुसार कहा जाता है कि मृत्यु के समय व्यक्ति के सामने कुछ यमदूत आते हैं जो उसे अपने साथ ले जाने की बात करते हैं इसीलिए आत्मा शरीर छोड़ देती है और उन हिंदुओं के साथ चली जाती है उसके बाद आत्मा को एक दिन यमलोक में रखते हैं उसके अच्छे और बुरे कर्मों को दिखाते हैं इसके बाद उसे उसी घर में छोड़ देते हैं जहां उसका जीवन व्यतीत हुआ है।

गरुण पुराण में वर्णित मृत्यु के बाद जब यमदूत यमलोक में आत्मा को ले जाते हैं तो 13 दिनों तक आत्मा परिजनों के बीच में विचरण करती है और 13 दिनों के बाद पुनः आत्मा यमलोक की ओर चली जाती है |

ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है उसकी मृत्यु होते समय उसके प्राण बड़ी आसानी से बिना कष्ट दिए निकल जाते हैं परंतु जो लोग बुरे कर्म करते हैं उनकी आत्मा अंतिम समय में उन्हें बहुत कष्ट देती है |

ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के बाद यमलोक के रास्ते में स्वर्ग लोग पितृलोक और नरक लोक भी पढ़ते हैं जो व्यक्ति के कर्मों के आधार पर होते हैं यहीं पर उसके अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर निर्धारित किया जाता है कि उसे कहां पर स्थान दिया जाना है।

शरीर से प्राण कैसे निकलते हैं ? life leave the body

गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि मृत्यु ई समय व्यक्ति कई प्रकार के हावभाव करता है परंतु मुंह से कुछ कहना चाहते हुए भी नहीं कह पाता है अंत समय में उसकी समस्त इंद्रियों निष्क्रिय हो जाती हैं गरुड़ पुराण के अनुसार माना जाता है कि मृत्यु के समय व्यक्ति की आत्मा अंगूठे के बराबर हो जाती है जिसे यमदूत पकड़ लेते हैं और चले जाते हैं।

मस्ती के बाद यमदूत उसे पकड़कर यमलोक ले जाते हैं और रास्ते में उसे बहुत से कष्ट देते हैं ऐसी ऐसी बातों से आत्मा जोर जोर से रोने लगती है परंतु यमदूत ओं को उनके ऊपर कोई दया नहीं आती है।

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आत्मा तरह तरह के कष्ट शक्ति है भूख प्यास से तड़पती है और यमलोक में यमदूत उसे ऐसे रास्ते से ले जाते हैं जहां उसे बिल्कुल किसी प्रकार का कोई उजाला नहीं दिखाई देता है अर्थात अंधेरे मार्ग से ले जाते हैं।

यमलोक की दूरी कितनी है ? distance of Yamlok

गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक की दूरी को 99000 योजन बताया गया है यदि वर्तमान में इसकी गणना हम किलोमीटर में करें तो एक योजन बराबर 16 किलोमीटर माना जाता है |

ऐसी स्थिति में जब यमलोक यमदूत ले जाते हैं तो रास्ते में थोड़ी-थोड़ी देर पर आत्मा को सजा भी देते जाते हैं इसी दौरान यमराज की आज्ञा के अनुसार यमदूत उस आत्मा को पुनः उसके घर ले जाते हैं।

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कहा जाता है कि यमदूत मरने वाले की आत्मा को वापस उसके घर जब लाते हैं तो उसकी आत्मा पुनः अपने शरीर में प्रवेश करने की इच्छा रखती है लेकिन यमदूत उसको मुक्त नहीं करते हैं जिसके कारण मरने वाले व्यक्ति की आत्मा की शांति हेतु उसके पुत्रों के द्वारा पिंडदान कराया जाता है।

पिंड दान क्यों करते हैं ? Why do Pind Daan :

मरने के बाद आत्मा भूख प्यास आज से तड़पती है यदि आत्मा भूख प्यास से तड़पती है तो वह मान्यताओं के अनुसार भूत प्रेत का रूप धारण कर सकती है जो सुनसान जगहों पर या जंगलों में निवास करती है मरने वाले की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करना जरूरी हो जाता है गरुड़ पुराण कहता है कि पिंडदान से आत्मा को शांति प्राप्त होती है और उसे चलने की शक्ति मिलती है।

आत्मा का शरीर कैसे बनता है ? body of the soul formed

मृत्यु हो जाने के बाद व्यक्ति के शरीर को जलाने पर मृत शरीर से अंगूठे के बराबर शरीर उत्पन्न होता है जो यमलोक के मार्ग में अपने कर्मों के अनुसार शुभ और अशुभ फल प्राप्त करता है इसीलिए पिंडदान करने के पहले दिन –

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मूर्धा (सिर), दूसरे दिन से गर्दन और कंधे, तीसरे दिन से ह्रदय, चौथे दिन के पिंड से पीठ, पांचवें दिन से नाभि, छठे और सातवें दिन से कमर और नीचे का भाग, आठवें दिन से पैर, नौवें और दसवें दिन से भूख-प्यास आदि उत्पन्न होती है।

कितने दिनों बाद आत्मा यमलोक पहुंचती है ? many days the soul reaches Yamaloka

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गरुण पुराण के अनुसार कहा जाता है कि व्यक्ति की आत्मा मरने के बाद 13 दिन तक उसी घर के आस-पास घर में निवास करती है उसके बाद यमलोक के लिए प्रस्थान करती है कहा जाता है कि 13 दिन बाद यमदूत आत्मा को पकड़ कर भूखे प्यासे अकेले यमलोक ले जाते हैं |

रास्ते में वैतरणी नदी जो 86000 योजन की मानी जाती है उसको छोड़कर 47 दिन में यमलोक पहुंच जाती है इस प्रकार से आत्मा 16 पुरियों को पार कर यमराज के पास पहुंचती है।

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