जाने मरने के बाद क्या होता है ? मृत्यु के बाद की दुनिया | Marne ke baad kya hota hai ?

Marne ke Baad Kya Hota Hai  मरने के बाद क्या होता है : शायद हर कोई इसके बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है, क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जानना किसी के लिए भी काफी रोचक पूर्ण होता है, कई लोग यह सोचते हैं कि, जब हम मरने लगते हैं तो हमारी बॉडी के साथ क्या होता है और  Marne ke baad aatma kahan jaati Hai ?

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अगर आप धार्मिक स्वभाव के हैं, तो आप यही कहेंगे कि Marne ke Baad हमारी आत्मा या तो Swarg में जाती है या फिर Narak में जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अपनी जिंदगी में अच्छे कर्म करता है वह मरने के बाद स्वर्ग में जाता है वही जो व्यक्ति अपनी जिंदगी में चोरी लूटपाट धोखाधड़ी करता है वह मरने के बाद नरक में जाता है.

कुल मिलाकर कर्म के आधार पर उसे स्वर्ग अथवा नर्क की प्राप्ति होती है परंतु फिर भी लोग जानना चाहते हैं कि आखिर मरने के बाद क्या होता है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि, आत्मा कभी भी नहीं मरती है ना ही वह नष्ट होती है, क्योंकि आत्मा अजर अमर होती है, वह सिर्फ व्यक्ति के मरने के बाद उसके शरीर को छोड़कर किसी अन्य शरीर में प्रवेश करती है. आइए जानते हैं कि धार्मिक दृष्टि के अनुसार Marne ke baad kya Hota Hai.

मरने के बाद क्या होता है ? | Marne ke baad kya hota hai ?

मौत एक ऐसा सच है, जिसे कोई भी ना तो नजरअंदाज कर सकता है ना ही भुला सकता है.हमारे हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब आदमी की मृत्यु हो जाती है, तो वह या तो स्वर्ग में जाता है या फिर नरक में जाता है और अगर Puran के अनुसार देखा जाए तो पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति अपनी जिंदगी में अच्छे काम करता है उसके प्राण लेने देवदूत आते हैं और उसे स्वर्ग में ले जाते हैं.

dead body

वही जो आदमी अपनी जिंदगी में चोरी लूटपाट धोखाधड़ी, दूसरे का बुरा करता है, उसके मरने के बाद उसके प्राण लेने के लिए यमराज के यमदूत आते हैं,जो उसे लेकर नर्क में जाते हैं,परंतु उससे पहले उस आत्मा को यमलोक में ले जाया जाता है.

यमलोक में बैठे हुए यमराज उस आत्मा को उसने जिंदा रहते हुए जो बुरे काम किए थे उसके अनुसार सजा देते हैं. आपको बता दें कि, मौत होने के बाद क्या होता है, इसके बारे में विस्तार से हमारे हिंदू धर्म के ग्रंथ गरुड़ पुराण में बताया गया है.

गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार आदमी की जान निकलती है और किस प्रकार वह प्राण पिंडदान प्राप्त कर दूसरा रूप लेते हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोलने का मन होने पर भी नहीं बोल पाता है. हालांकि अंत समय में उसे दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है जिसके बाद वह पूरी दुनिया को एक नजर से देखने लगता है.

जब इंसान का आखरी समय नजदीक आता है,तब उसे दिव्य दृष्टि प्राप्त हो जाती है और उसकी बॉडी की सभी इंद्रियां नष्ट हो जाती है और वह हिलने डुलने में भी असमर्थ हो जाता है.इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगता है साथ ही लार टपकने लगती है.

जो व्यक्ति खराब होता है और जिसने खराब कर्म किए होते हैं, उसकी बॉडी से प्राण शरीर के निचले हिस्से से निकलते हैं.उस समय दो यमदूत आते हैं.

यमदूत कैसे होते है ? 

यमदूत का चेहरा बहुत ही भयानक होता है और उनकी आंखे बड़ी-बड़ी तथा लाल लाल होती है और वह नग्न अवस्था में ही आते हैं.यम दूतों के दांत भी बड़े बड़े होते हैं, साथ ही उनका चेहरा भी टेढ़ा मेढ़ा होता है और उनके नाखून इतने खतरनाक होते हैं कि वह अपने नाखूनों के प्रहार से किसी को भी चीर फाड़ सकते हैं.

YANRAJ

जब इतने भयानक यमदूत Marne wale व्यक्ति के सामने आते हैं, तो डर के मारे उसकी बॉडी से मल मूत्र निकलने लगते हैं और उस समय उसकी बॉडी से जान पैर के अंगूठे के रास्ते से निकलती है जिसे यमदूत पकड़ लेते हैं.

इसके बाद यमदूत उसे लेकर यमलोक जाते हैं और वहां पर यमराज व्यक्ति को उसके बुरे कामों की सजा की सजा देते हैं और इतना ही नहीं यमराज के यमदूत उस बुरी आत्मा को यमलोक की सजा के बारे में भी जानकारी देते हैं.

जिसके बाद बुरी आत्मा अपने पापों के साथ यमराज के यमलोक में जाती है.इसके बाद शुरू होता है सजा का दौर. यमलोक में उसे कुत्तों से कटवाया जाता है, साथ ही उसे गर्म चीज पर चढ़ाया जाता है और जब वह भूख प्यास से तड़पता है तो उसे खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया जाता है बल्कि उसकी पीठ पर मारा भी जाता है.अगर गरुण पुराण के अनुसार देखा जाए तो यमलोक 99 हजार योजन दूर है.

मृत्यु के बाद पिंड दान करने से क्या होता है ? 

पापी आत्मा को यमलोक में बहुत भयानक सजा दी जाती है. इसके बाद पापी आत्मा यमराज की यातना देखकर यमराज से परमिशन पाकर कुछ देर के लिए आकाश के रास्ते होते हुए अपने घर को आती है और अपने घर पहुंचने के बाद वह फिर से अपनी बॉडी में प्रवेश करने की कोशिश करती है.

PIND DAN

परंतु वह आत्मा अपनी बॉडी में प्रवेश नहीं कर पाती है. उस आत्मा की पिंडदान से भी तृप्ति नहीं मिलती है जिसके बाद वह आत्मा फिर से यमलोक चली जाती है. आपको बता दें कि, जो लोग अपने घर के किसी भी सदस्य का पिंडदान नहीं करते हैं उनके घर के उस सदस्य की आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है और और वह मोक्ष प्राप्त नहीं कर पाती है.

इसीलिए व्यक्ति की मृत्यु के 10 दिनों के अंदर ही उसका पिंडदान अवश्य कर देना चाहिए. गरुड़ पुराण में भी ऐसा बताया गया है कि, जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसका पिंडदान उसकी मृत्यु के 10 दिन के अंदर कर देना चाहिए.

पिंडदान में से 2 भाग पंचमहाभूत का होता है और तीसरा भाग यमदूत का होता है तथा चौथा भाग प्रेत खाता है. 9वेदिन पिंड दान करने से प्रेत का शरीर बनता है.दसवें दिन प्रदान करने से प्रेत को चलने की एनर्जी प्राप्त होती है.

पिंड दान करने से क्या होता है ? 

PIND DAAN

आपको बता दें कि, व्यक्ति की मृत्यु के पहले दिन पिंड दान करने से उसका शरीर बनता है,दूसरे दिन पिंडदान करने से उसका गर्दन बनता है, तीसरे दिन प्रदान करने से दिल, चौथे दिन पिंड दान करने से पीठ, पांचवें दिन पिंड दान करने से नाभि, छठवें और सातवें दिन पिंडदान से कमर और नीचे का भाग, आठवें दिन के पिंडदान से पैर, नौवें और दसवें दिन के पिंड दान से भूख प्यास की प्राप्ति होती है.

इस प्रकार वह शरीर धारण कर लेता है और भूख प्यास लगने के कारण 11वे और 12वे दिन वह भोजन लेता है.

यमलोक कितनी दूर होता है ? 

yamlok

इसके बाद यमराज के यमदूत 13वे दिन प्रेत को बंदर की तरह पकड़ लिया जाता है, जिसके बाद वह प्रेत भूखा प्यासा अकेले ही यमलोक जाता है. यमलोक का रास्ता 86000 योजन है और उस रास्ते पर प्रेत रोजाना 200 योजन चलता है.इस प्रकार वह 47वे दिन लगातार चलने के बाद यमराज यमलोक पहुंचता है.

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