नवरात्रि पूजा विधि | Navratri puja vidhi: हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से navratri puja vidhi के बारे में बताने वाले हैं श्री दुर्गा पूजा विशेष रूप से साल में दो बार नवरात्रि के त्यौहार के तौर पर मनाई जाती है आश्निन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को जो नवरात्रि प्रारंभ होती है.
उन्हें शारदीय नवरात्र कहते हैं इसके अलावा चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को जो प्रारंभ होने वाली नवरात्रि है उसे वार्षिक नवरात्रि कहते हैं नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ नौ राते होता है इन नवरात्रों में 10 दिनों के दौरान शक्ति मानी जाती है.
मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा इन 9 दिनों में की जाती है और दशमी दिन दशहरा के नाम से त्योहार मनाया जाता है नवरात्रि एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्सव के रूप में मनाया जाता है इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से navratri puja vidhi के बारे में बताएंगे.
इसके अलावा नवरात्रि में लगने वाली सामग्री नवरात्रि पूजा विधि at home नवरात्रि पूजा विधि कलश स्थापना नवरात्रि पूजा करने के फायदे क्या है इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे अगर आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ते हैं तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
- 1. मां दुर्गा के नव रूप | Maa Durga ke Nav Roop
- 2. नवरात्रि पूजा सामग्री | Navratri Puja samagri
- 3. नवरात्रि पूजा विधि | Navratri puja vidhi
- 4. नवरात्रि पूजा विधि पीडीएफ | Navratri puja vidhi pdf
- 5. नवरात्रि पूजा विधि at home | Navratri puja vidhi at home
- 6. नवरात्रि पूजा विधि मंत्र | Navratri puja vidhi mantra
- 7. नवरात्रि पूजा विधि स्टेप बाय स्टेप | Navratri puja vidhi step by step
- 8. नवरात्रि पूजा के लाभ | Navratri Puja ke Labh
- 9. माँ दुर्गा की आरती | Man Durga ki aarti
- 10. FAQ : navratri puja vidhi
- 10.1. नवरात्रों में माता रानी की पूजा कैसे करनी चाहिए?
- 10.2. नवरात्रि में कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?
- 10.3. दुर्गा जी का मूल मंत्र क्या है?
- 11. निष्कर्ष
मां दुर्गा के नव रूप है नवरात्रि में नौ रूपों की पूजा की जाती है।
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कूष्मांडा
- स्कंध माता
- कात्यायिनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री।
नवरात्रि की पूजा में जिस भी सामग्री का प्रयोग किया जाता है वह निम्न प्रकार से है। जल ,गंगा जल ,पंचामृत ,दूध ,दही ,घी, शहद, शक्कर ,रेशम वस्त्र , उपवस्त्र ,नारियल ,रोली , चंदन ,अक्षत ,पुष्प , पुष्पमाला ,धूप ,दीप , नवेद , ऋतु फल ,सुपारी , पान , लोंग , इलाइची ,आसन ,चौकी ,पूजा पात्र, कलश आदि सामग्री नवरात्रि की पूजा में होना आवश्यक है.
लेकिन अगर किसी व्यक्ति के पास यह सामग्री उपलब्ध नहीं है तो वह इनमें से कुछ सामग्री को लेकर ही नवरात्रि की पूजा को सफल कर सकता है।
नवरात्रि की पूजा करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना विशेष आवश्यक है।
1. मां दुर्गा के भक्त उनकी पूजा करने के लिए बहुत ही उत्सुक रहते हैं नवरात्रि के त्यौहार आने पर वह स्नानादि से निश्चिंत होने के बाद अपने आप को शुद्ध करके और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेते हैं।
2. उसके बाद मंडप के नीचे मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित करते हैं।
3. मां दुर्गा की मूर्ति की दाहिनी और कलश की स्थापना करना है। और उस कलश के नीचे मिट्टी रेत मिलाकर जो बोना है।
4. अब आपको उसी मंडप के नीचे पूर्व दिशा की ओर दीपक की स्थापना करनी है।
5. अधिकतर लोगों को यह जानकारी अवश्य होगी कि किसी भी पूजा को प्रारंभ करने से पहले गणपति भगवान की पूजा की जाती है उसी प्रकार नवरात्रि में सभी देवी देवताओं की पूजा करने से पहले गणेश भगवान की पूजा से आरंभ करके सभी देवी देवताओं की पूजा के बाद मां जगदंबा की पूजा करनी है।
6. अब आपको अपने मस्तक पर भस्म , चंदन , रोली आदि का टीका लगाकर पूजा आरंभ करनी है। क्योंकि बिना रोली , चंदन , भस्म लगाए हुए मस्तक सुना रहता है और वह पूजा भी नहीं मानी जाती है इसीलिए पूजा में टीका अवश्य लगाना चाहिए।
7. अब आपको सबसे पहले मां दुर्गा के सभी रूपों से प्रार्थना करनी है दुर्गा के नव रूप से प्रार्थना करें।
8. उसके बाद आपको इन सभी स्त्रोतों का पाठ अवश्य ही नवरात्रि की पूजा में करना है नवरात्रि की पूजा में इन सभी स्त्रोत का पाठ करना आवश्यक और शुभ माना जाता है।
9. सबसे पहले कवच का पाठ करें।
10. उसके बाद अर्गला का पाठ करें और कीलक का पाठ करें।
11. उसके बाद रात्रि सूतक का पाठ करें इन सभी स्त्रोत का पाठ करने के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारंभ करें।
प्रार्थना
हे करुणामाय ! जग जननी अनंत व स्नेहमया मां आपकी सदा जय हो हे जगदंबे पंख ही न पक्षी और भूख से पीड़ित बच्चे जिस प्रकार अपनी मां की प्रतीक्षा करते हैं उसी प्रकार मैं आपकी दया की प्रतीक्षा कर रही हूं हे अमृत महिमा आप शीघ्र ही आकर मुझे दर्शन दीजिए मैं आपका रहस्य जान सकूं ऐसी बुद्धि मुझे प्रदान कीजिए।
12. उसके बाद प्रार्थना करें और मां दुर्गा के नौ रूपों में से पहला रूप शैलपुत्री देवी का दिन प्रारंभ करें ।
13. 9 दिन तक प्रतिदिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद दुर्गा मां के समक्ष जाकर धूप दीप जलाकर और भोग लगाकर विधिवत उनकी पूजा करें उसके बाद मां दुर्गा की आरती करें और उस प्रसाद को सभी लोगों में वितरित कर दें इसी प्रकार 9 दिन तक नवरात्रि की पूजा करें।
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नवरात्रि पूजा विधि पीडीएफ | Navratri puja vidhi pdf | Download PDF |
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नवरात्रि की पूजा घर पर ही साधारण तरीके से करना चाहता है या फिर जो भी व्यक्ति नवरात्रि की पूजा करते हैं लेकिन उनको नवरात्रि की पूजा विधि के बारे में थोड़ी बहुत भी जानकारी प्राप्त नहीं है तो आज हम उनको नवरात्रि की पूजा विधि घर के हिसाब से बताएंगे कि आप साधारण तरीके से कैसे नवरात्रि की पूजा कर सकते हैं।
- साधारण तरीके से नवरात्रि की पूजा करना बहुत ही आसान है।
- सबसे पहले जो भी व्यक्ति नवरात्रि का पूजन कर रहा है या फिर नवरात्रि के 9 दिन तक व्रत को रख रहा हैं तो उस व्यक्ति को सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निश्चिंत हो जाना है।
- उसके बाद घर को गंगाजल से पवित्र करके पूजा वाले स्थान पर साफ मिट्टी से वेदी बना लेना है।
- मिट्टी से वेदी बनाते समय जौ और गेहूं का प्रयोग करके वेदी को संपूर्ण तरीके से बनाना है।
- उसके बाद कलश में चांदी को डालकर कलश को स्थापित कर लेना है।
- उसके बाद उस कलश के ऊपर आम का पत्ता पंचामृत इत्यादि लगाकर कलश को कलावे से बांध देना है।
- किसी भी पूजा को प्रारंभ करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है उसी प्रकार नवरात्रि की पूजा भी प्रारंभ करने से पहले गणेश भगवान की पूजा करें।
- उसके बाद वेदी वाले पार्टी पर मां दुर्गा की सभी प्रिय वस्तुओं को चढ़ाना है और मंत्रों के साथ उनकी विधिवत पूजा करनी है और उसी चौकी पर उन्हें विराजमान करना है।
- उसके बाद मां दुर्गा के सामने पुष्प , धूप , दीप , आचमन, पुष्पांजलि , प्रार्थना , स्नान , वस्त्र , अक्षत इत्यादि इन सभी चीजों को सच्चे मन से मां दुर्गा के सामने समर्पित करना है और उसके बाद दुर्गा का पाठ करके मां दुर्गा की आरती करनी है।
- मां दुर्गा को भोग लगाने के बाद उसी भोग को अपने आसपास के सभी व्यक्तियों को प्रसाद के रूप में वितरित कर देना है नवे दिन मां दुर्गा की संपूर्ण पूजा करके कन्या को भोजन कराया जाता है भोजन के पश्चात खुद भी भोजन किया जाता है।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
नवार्ण मंत्र
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।
प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।
पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत ।
प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नवरात्रि की विधि विधान पूर्वक पूजा करना चाहता है तो उसके लिए हम आपको नवरात्रि की पूजा विधि स्टेप बाय स्टेप में बताएंगे
- नवरात्रि की पूजा शुरू करने से पहले हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर छिड़काव करें।
- उसके बाद मां दुर्गा के सामने दीया और अगरबत्ती जलाएं।
- नवरात्रि के 9 दिनों में से अगर पहला दिन मां दुर्गा का है तो नए वस्त्र और आभूषण उन्हें पहनाए।
- उसके बाद उनके सामने पुष्प आदि समर्पित करें।
- उसके बाद कलर्स के नीचे रखी हुई मिट्टी पर थोड़ा सा गंगाजल से छिड़काव करें जिससे 9 दिनों में आपके जो उठ जाएं और आपकी पूजा सफल हो जाए।
- इतनी पूजा संपूर्ण करने के बाद प्रसाद का भोग लगाएं और मां दुर्गा के सामने फल आदि समर्पित करें उसके बाद मां दुर्गा की आरती करें शाम सुबह की पूजा करके दोनों समय का प्रसाद परिवार में और मित्रों में बांट दें।
- नवरात्रि के 9 दिनों तक इसी प्रकार प्रतिदिन व्यक्तिगत रूप से नवरात्रि की पूजा करें ऐसा करने से मां दुर्गा अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं अगर आप नवरात्रि की पूजा करना चाहते हैं और मां दुर्गा के लिए व्रत को रखना चाहते हैं.
- तो नवरात्रि के 1 दिन पहले ही अपने घर के मंदिर को साफ-सुथरा करके सजा लेना चाहिए मैं तो पूजा करती हूं लेकिन कलश स्थापना नहीं करती हूं लेकिन फिर भी दिन में दो बार मां दुर्गा की पूजा करके उनकी आरती करती हूं।
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति नवरात्रि के नव दिन तक मां दुर्गा की पूजा करता है या फिर उनके लिए व्रत रखता है तो उनकी पूजा करने से और उनकी उपासना करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
- नवरात्रि के नव दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है उनके लाभ अलग-अलग हैं।
- नवरात्रि की पूजा करने से घर में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
- विधि-विधान पूर्वक नवरात्रि की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
- पुराणों के अनुसार ऐसा बताया गया है कि नवरात्रि के दिनों में व्रत रखने से और मां दुर्गा की उपासना करने से आपको धरती के समस्त वैभव और मृत्यु के बाद आपको उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।
- नवरात्रि के 9 दिन तक मां दुर्गा की पूजा करने से पेट संबंधित जितनी भी समस्याएं होती हैं वह सब समाप्त हो जाती हैं आपका वजन भी नियंत्रित हो जाता है क्योंकि व्रत के खानपान में बहुत कुछ खाना नहीं पड़ता है.
- जिसकी वजह से आपका वजन भी नियंत्रित रहता है आपकी त्वचा पर भी फर्क नजर आता है नवरात्रि का व्रत करने से शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है उसके अलावा मानसिक तनाव भी कम हो जाता है।
माँ दुर्गा की आरती | Man Durga ki aarti
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत । हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना । चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला । कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत । तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दुर्गा जी का मूल मंत्र क्या है?
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से navratri puja vidhi के बारे में बताया इसके अलावा नवरात्रि की पूजा की सामग्री मां दुर्गा की आरती और नवरात्रि पूजा के लाभ इन सारे विषयों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है अगर आपने हमारे इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ा है.
तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।