Radha ashtakam : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को Radha ashtakam के बारे में बताएंगे राधा अष्टकम में कुल 8 श्लोकों की अद्भुत रचना की गई है जिसमें श्री राधा रानी यानी कि वृन्दावनेश्वरी राधा रानी की महिमा का वर्णन किया गया है जो भी व्यक्ति इस का पाठ करता है उसका मन हमेशा शांत रहता है और राधा रानी तथा श्री कृष्ण मुरली वाले की कृपा हमेशा आप लोगों के ऊपर बरसती रहती है जो भी व्यक्ति दिनचर्या के हिसाब से इसका पाठ करता है.
उसके ऊपर सदा ही श्री राधा रानी और श्री कृष्ण की अपार कृपा बनी रहती है हमने आज इसमें आपको आपकी इच्छा के अनुसार इस लेख में radha ashtakam के बारे में बताएंगे उसके बाद राधा अष्टकम का संपूर्ण अर्थ हिंदी में बताएंगे तो चलिए सबसे पहले हम आप लोगों को राधा अष्टकम के बारे में बताएंगे कि वह कौन सा अष्टक है जो आपके मन को शांत कर देता है अगर आपको भी अपना मन शांत करना है और राधा अष्टकम का पाठ करना है तो आप इस लेख में अंत तक जरूर बने रहें तभी आपको इसका अर्थ और राधा अष्टकम के बारे में पता चलेगा।
- 1. राधा अष्टकम का अर्थ | Radha ashtakam ka arth
- 2. राधा अष्टकम का पाठ क्यों किया जाता है ?
- 3. राधा अष्टकम | Radha Ashtakam
- 4. Radha Ashtakam ka video
- 5. Radha Ashtakam in English
- 6. राधा अष्टकम को पढ़ने की सही विधि | Radha ashtakam ko pdhne ki sahi vidhi
- 7. राधा अष्टकम पाठ का लाभ | Radha ashtakam paath ka labh
- 8. श्री राधा के 32 नामों को जपने से मिलेगा प्रेम और सुख का वरदान
- 9. FAQ : Radha ashtakam
- 9.1. राधा रानी का मंत्र क्या है?
- 9.2. श्री राधा अष्टकम पढ़ने का सही समय क्या है ?
- 9.3. राधा जी के कितने नाम है?
- 10. निष्कर्ष
राधा अष्टकम का अर्थ | Radha ashtakam ka arth
राधा अष्टकम में कुल 8 श्लोकों की अद्भुत रचना की गई है जिसमें श्री राधा रानी यानी कि वृन्दावनेश्वरी राधा रानी की महिमा का वर्णन किया गया है जो भी व्यक्ति इस का पाठ करता है उसका मन हमेशा शांत रहता है और राधा रानी तथा श्री कृष्ण मुरली वाले की कृपा हमेशा आप लोगों के ऊपर बरसती रहती है जो भी व्यक्ति दिनचर्या के हिसाब से इसका पाठ करता है उसके ऊपर सदा ही श्री राधा रानी और श्री कृष्ण की अपार कृपा बनी रहती है।
राधा अष्टकम का पाठ क्यों किया जाता है ?
राधा अष्टकम का पाठ इसलिए किया जाता है क्योंकि इसका पास करने से आपका मन शांत हो जाता है तथा आपके जीवन में सारी बुराइयां दूर हो जाती है और आपका स्वास्थ्य हमेशा सही रहता है और आप धन-धान्य से परिपूर्ण समृद्ध हमेशा बनी रहती है और जो भी व्यक्ति नौकरी वाले होते हैं या फिर छात्र होते हैं उनके काम में भी वृद्धि आती है।
राधा अष्टकम | Radha Ashtakam
नमस्ते श्रियै राधिकार्य परायै नमस्ते नमस्ते मुकुन्दप्रियायै ।
सदानन्दरूपे प्रसीद त्वमन्तःप्रकाशे स्फुरन्ती मुकुन्देन सार्धम् ॥
अर्थ – श्री राधे तुम ही मेरी लक्ष्मी हो तुमको मैं कोटि-कोटि नमस्कार करती हूं तुम ही मेरी परम शक्ति हो तुम्हें मैं बार-बार कोटि-कोटि नमस्कार करती हुं। तुम भगवान श्री कृष्ण की मुकुंद की प्रिय हो तुम्हें मैं नमस्कार करती हूं यह सच्चिदानंद स्वरूपा देवी तुम मेरे अंत कारण में श्याम सुंदर श्री कृष्ण के साथ स्वाभिमान होती हुई मुझ पर प्रसन्न हो जाओ। और मैं आपको कोटि कोटि नमस्कार करती हूं।
स्ववासोऽपहारं यशोदासुतं वा स्वदध्यादिचौरं समाराधयन्तीम् ।
स्वदानोदरं या बबन्धाशु नीव्या प्रपद्ये नु दामोदरप्रेयसी ताम् ॥
अर्थ – हे राधे क्या आप उस श्री कृष्ण की आराधना करती हैं जिन्होंने चोरी से आप के वस्त्र चुरा लिए थे और चोरी से धोखे से आपका माखन भी चुरा लिया करते थे और आपने तो अपनी नीवी से श्री कृष्ण के उधर को भी बांध लिया था जिनके कारण उनका नाम दामोदर पड़ गया था तो आज मैं निश्चित ही उन दामोदर प्रिय की शरण लेती हूं।
दुराराध्यमाराध्य कृष्णं वशे त्वं महाप्रेमपूरेण राधाभिधाऽभूः ।
स्वयं नामकृत्या हरिप्रेम यच्छ प्रपञ्चाय मे कृष्णरूपे समक्षम् ॥
अर्थ – हे राधा रानी आपने तो श्री कृष्ण की आराधना की जिन की आराधना करना बहुत ही ज्यादा कठिन है परंतु आपने अपनी आराधना तथा अपने निश्छल महान प्रेम से श्री कृष्ण को अपने वश में कर लिया है के कारण आप पूरे जग में श्री राधा के नाम से विद्यमान हैं श्री कृष्ण स्वरूपे और आपने अपने आप को श्री कृष्ण स्वरूपे नाम दिया है हे राधा रानी मैं आपकी शरण में आना चाहती हूं मुझ पर कृपा कीजिए तथा मुझे श्रीहरि का प्रेम प्रदान कीजिए।
मुकुन्दस्त्वया प्रेमदोरेण बद्धः पतङ्गो यथा त्वामनुभ्राम्यमाणः ।
उपक्रीडयन् हार्दमेवानुगच्छन् कृपा वर्तते कारयातो मयेष्टिम् ॥
अर्थ – हे राधे श्री कृष्ण तो आपके प्रेम में सदा ढोल से बंधे रहते हैं और जैसे कि एक पतंग की भांति आप के आस पास ही रहते हैं और क्रीड़ा करते रहते हैं हे राधा रानी हे श्री कृष्ण स्वरूप पर आपकी कृपा तो सब पर होती है आप मुझ पर भी अपनी कृपा कीजिए तथा मुझे भी अपनी शरण में अपनी सेवा करने के लिए करवाए।
व्रजन्तीं स्ववृन्दावने नित्यकालं मुकुन्देन साकं विधायाङ्कमालम् ।
सदा मोक्ष्यमाणानुकम्पाकटाक्षः श्रियं चिन्तयेत् सचिदानन्दरूपाम् ॥
अर्थ – हे राधे आप प्रतिदिन श्री कृष्ण को निश्चित समय पर अङ्क की माला अर्थात अंक की माला अर्पित करती है तथा आप श्री कृष्ण के साथ उनकी लीला भूमि श्री कृष्ण वृंदावन धाम में उनके साथ विचरण करती हैं सभी भक्तजनों पर प्रयुक्त होने वाले कृपा से सुशोभित अपुन सच्चिदानंद स्वरूपा श्री लाडली का हमें उनका चिंतन करना चाहिए।
मुकुन्दानुरागेण रोमाञ्चिताङ्गीमहं व्याप्यमानांतनुस्वेदविन्दुम् ।
महाहार्दवृष्टया कृपापाङ्गदृष्टया समालोकयन्ती कदा त्वां विचक्षे ॥
अर्थ – हे राधा रानी तुम्हारे मन तथा प्राणों में उन आनंद कंद श्री कृष्ण की असीमित अनंत प्रीति व्याप्त है तुम्हारा अंग अंग सूक्ष्म संवेद बिंदुओं से सुशोभित रहता है हे राधे तुम अपनी कृपा से परिपूर्ण दृष्टि द्वारा घनिष्ठ अनंत प्रेम की वर्षा करती हुई मेरी तरफ देख रही हो तथा इस अवस्था में उचित कब श्री राधे आपका दर्शन हो जाए मुझे कुछ नहीं पता।
पदावावलोके महालालसौघं मुकुन्दः करोति स्वयं ध्येयपादः ।
पदं राधिके ते सदा दर्शयान्तहदीतो नमन्तं किरद्रोचिषं माम् ॥
अर्थ – हे राधे यद्यपि श्याम सुंदर यानी कि श्री कृष्णा स्वयं ही ऐसे हैं कि उनके चरण का चिंतन किया जाए यद्यपि वे स्वयं ही आपके चरणो में चित्रों के अवलोकन की बड़ी लालसा करते हैं हे देवी हे राधे रानी मैं आपका नमस्कार करती हूं कृपया आप हमारे अंत कारण में असीमित प्रकाश बिखेरते हुए अपने चरणारविन्द का मुझे दर्शन दीजिए।
सदा राधिकानाम जिह्वाग्रतः स्यात् सदा राधिका रूपमक्ष्यग्र आस्ताम् ।
श्रुतौ राधिकाकीर्तिरन्तःस्वभावे गुणा राधिकायाः श्रिया एतदीहे॥
अर्थ – हे राधे रानी मेरे जिगर पर आपका सदा ही नाम विद्यमान रहेगा मैं नेत्रों के समक्ष सदा आप ही रूप प्रकाशित होंगी हे देवी मेरे कानों में आपकी कीर्ति कथा गूंजती रहेगी और अंतर ह्रदय में लक्ष्मी स्वरूपा श्री राधे के ही असंख्य गुण का चिंतन होता है रहेगा बस यही मेरी आप से कामना है।
इदं त्वष्टकं राधिकायाः प्रियायाः पठेयुः सदैवं हि दामोदरस्य ।
सतिष्ठन्ति वृन्दावने कृष्णधानिसखीमूर्तयो युग्मसेवानुकूलाः ॥
अर्थ – जो भी व्यक्ति दामोदर प्रिय श्री राधा से संबंध रखने वाले इन 8 लोगों का पाठ करता है तो वह सदा ही श्री कृष्ण धाम वृंदावन में उनकी सेवा के अनुकूल साक्षी शरीर पाकर सुख से रहते हैं।
Radha Ashtakam ka video
Radha Ashtakam in English
rasa valita mrgaksi mauli manikya laksmih
pramudita muravairi prema vapi marali
vraja vara vrsabhanoh punya girvana valli
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu || 1 ||
sphurad aruna dukula dyotitodyan nitamba
sthalam abhi vara kasci lasyam ullasayanti
kuca kalasa vilasa sphita mukta sara srih
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu || 2 ||
sarasija vara garbhakharva kantih samudyat
tarunima ghanasaraslista kaisora sidhuh
dara vikasita hasya syandi bimbadharagra
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu || 3 ||
ati catulataram tam kananantar milantam
vraja nrpati kumaram viksya sańka kulaksi
madhura mrdu vacobhih samstuta netra bhańgya || 4 ||
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu
vraja kula mahilanam prana bhutakhilanam
pasupa pati grhinyah krsna vat prema patram
su lalita lalitantah sneha phullantaratma
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu || 5 ||
niravadhi sa visakha sakhi yutha prasunaih
srajam iha racayanti vaijayantim vanante
agha vijaya varorah preyasi sreyasi sa
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu || 6 ||
prakatita nija vasam snigdha venu pranadair
druta gati harim arat prapya kusje smitaksi
sravana kuhara kandum tanvati namra vaktra
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu || 7 ||
amala kamala raji sparsa vata prasite
nija sarasi nidaghe sayam ullasiniyam
parijana gana yukta kridayanti bakarim
snapayatu nija dasye radhika mam kada nu || 8 ||
pathati vimala ceta mista radhastakam yah
parihrta nikhilasa santatih katarah san
pasupa pati kumarah kamam amoditas tam
nija jana gana madhye radhikayas tanoti || 9 ||
iti sri raghunatha dasa gosvami viracitastavavalyam sri radhikastakam sampurnam ।
राधा अष्टकम को पढ़ने की सही विधि | Radha ashtakam ko pdhne ki sahi vidhi
अगर आप राधा अष्टकम का पाठ करना चाहते हैं तो आपको राधा अष्टकम का पाठ करने के लिए सुबह के समय राधा अष्टकम का पाठ करना होगा क्योंकि सुबह के समय मन हमेशा शांत रहता है पाठ को शुरू करने से पहले स्नान आदि से संपन्न होकर फिर उसके बाद में अपने घर के मंदिर के सामने बैठकर राधा अष्टकम पाठ करें अगर आपके घर में राधा कृष्ण की मूर्ति है तो इससे अच्छा और कुछ नहीं हो सकता अगर आप राधा कृष्ण की मूर्ति के सामने इस अष्टकम का पाठ करेंगे तो यह आपके लिए और भी ज्यादा फलदाई होगा.
श्री राधा जी की प्रतिमा के सामने धूपबत्ती दीपक जलाएं तथा उनकी प्रतिमा के सामने संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा के साथ श्री राधा जी की पूजा करेंगे उसके बाद श्री राधा अष्टकम का पाठ आरंभ कर दें और पाठ समाप्त होते ही श्री राधा रानी को भोग लगाएं और प्रसाद को घर के सभी सदस्यों को दें और खुद भी ग्रहण कर ले।
राधा अष्टकम पाठ का लाभ | Radha ashtakam paath ka labh
- अगर आप नियमित रूप से Radha ashtakam का पाठ करते हैं तो आपको इसके कई सारे लाभ प्राप्त होंगे जो राधा अष्टकम का पाठ करता है यह फिर सुनता है तो इस पाठ से संसार में सुख प्राप्त होता है तथा अंत में हर उस व्यक्ति को जीवन मरण के इस चक्र में मुक्त होकर श्री बैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त होता है।
- जो भी व्यक्ति राधा अष्टकम का पाठ नियमित रूप से करता है उसका मन हमेशा शांत रहता है तथा उसके जीवन में सभी प्रकार की बुराइयां दूर हो जाती हैं।
- जो भी व्यक्ति राधा अष्टकम का पाठ करता है उसका स्वास्थ्य , धन-धान्य से परिपूर्ण और समृद्ध हमेशा बनी रहती है।
- जो व्यक्ति नियमित रूप से राधा अष्टकम का पाठ करता है उस व्यक्ति के सभी प्रकार के भय नष्ट हो जाते हैं और उसके आत्म बल और साहस में वृद्धि होती है।
- ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति राधा अष्टकम का पाठ करता है उस व्यक्ति के शरीर में जितनी भी बीमारियां होती हैं वह उससे निजात दिलाने में आपकी मदद करता है।
- राधा अष्टकम का पाठ करने से आपके घर में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
- जो व्यक्ति छात्र है और नौकरी वाले लोग और व्यापारी लोग के ज्ञान और कौशल में वृद्धि होती है।
श्री राधा के 32 नामों को जपने से मिलेगा प्रेम और सुख का वरदान
जो भी व्यक्ति राधा रानी के इन 32 नामों का स्मरण करता है उसके जीवन में सुख प्रेम और शांति का वरदान श्री राधा रानी उनको देती है धन की प्राप्ति और संपत्ति को पाने के लिए और जीवन में सबसे जरूरी प्रेम और शांति श्री राधा रानी जी के इन नामों से जीवन को शांत और सुखी में बनाता है।
1 मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!
2 सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !!
3 : परम् पुनीता राधा ! राधा !!
4 : नित्य नवनीता राधा ! राधा !!
5 : रास विलासिनी राधा ! राधा !!
6 : दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !!
7 : नवल किशोरी राधा ! राधा !!
8 : अति ही भोरी राधा ! राधा !!
9 : कंचनवर्णी राधा ! राधा !!
10 : नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !!
11 : सुभग भामिनी राधा ! राधा !!
12 : जगत स्वामिनी राधा ! राधा !!
13 : कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !!
14 : आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !!
15 : प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!
16 : रस आपूर्ति राधा ! राधा !!
17 : नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !!
18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !!
19 : कोमल अंगिनी राधा ! राधा !!
20 : कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !!
21 : कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !!
22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !!
23 : सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !!
24 : परम् अनूपा राधा ! राधा !!
25 : परम् हितकारी राधा ! राधा !!
26 : कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !!
27 : निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !!
28 : नवल भामिनी राधा ! राधा !!
29 : रास रासेश्वरी राधा ! राधा !!
30 : स्वयं परमेश्वरी राधा ! राधा !!
31: सकल गुणीता राधा ! राधा !!
32 : रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !!
कर जोरि वन्दन करूं मैं
नित नित करूं प्रणाम
रसना से गाती/गाता रहूं
श्री राधा राधा नाम !!
FAQ : Radha ashtakam
राधा रानी का मंत्र क्या है?
श्री राधा अष्टकम पढ़ने का सही समय क्या है ?
राधा जी के कितने नाम है?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आपने आज देखा कि मैंने आपको Radha ashtakam का पाठ करने के लिए बताया तो अब आप लोगों को राधा अष्टकम का पाठ करना पता चल गया होगा क्योंकि हमने आपको इसमें राधा अष्टकम पाठ करने की विधि भी बताई है और इसके कौन-कौन से लाभ होते हैं या अभी बताया है वैसे राधा अष्टकम का पाठ करने से आपका मन शांति का अनुभव करता है और इसमें आपको सुख शांति और धन समृद्धि की प्राप्ति होती है तो उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दिया गया लेख अच्छा लगा होगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा ।