सामुद्रिक शास्त्र की सपूर्ण जानकारी और पुस्तक : सामुद्रिक शास्त्र PDF | samudrika shastra pdf in hindi

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Samudrik shastra pdf : सामुद्रिक शास्त्र मुख एवं शरीर shareer की बनावट के अध्ययन adhayan की एक विद्या है। गरुड़ garun पुराण में इसे रहस्य rahasy शास्त्र shastra कहा गया है। जो व्यक्ति vyakti  के चरित्र charitra एवं उसके भविष्य bhavishya में घटने वाली घटनाओं की सूचना देता है।

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सामुद्रिक शास्त्र की एक शाखा हस्तरेखा विज्ञान है जिसमें मनुष्य के हाथों की रेखाएं देखकर व्यक्ति का भविष्य बताया जाता है। सामुद्रिक शास्त्र का ज्ञान मूलतः दक्षिण भारत में ज्यादा प्रचलित रहा । अतः इस के जानकार भी दक्षिण भारत में ज्यादा पाए जाते हैं।

PDF नामसामुद्रिक शास्त्र PDF
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सामुद्रिक शास्त्र का प्रारंभ | सामुद्रिक शास्त्र की खोज 

सामुद्रिक samudrik शास्त्र shastra का उद्भव  लगभग 5000 ईसा पूर्व भारत Bharat में हुआ । इसके प्रमुख महान विद्वान पाराशर Parashar  ,ब्यास Vyas ,सूर्य Surya ,भारद्वाज Bharat ,भ्रुगू ,कश्यप, बृहस्पति एवं कात्यायन हैं । इस शास्त्र shastra का उल्लेख वेदों, रामायण, Ramayan महाभारत Mahabharat  आदि ग्रंथों में हुआ है। इसके साथ ही जैन एवं बौद्ध ग्रंथों में भी मिलता है । इसका प्रचार प्रसार सर्वप्रथम ऋषि समुद्र ने किया जिसके कारण इसका नाम सामुद्रिक शास्त्र पड़ा ।

सामुद्रिक शास्त्र की उत्पत्ति कब हुई ?

हिंदू hindu मान्यता के अनुसार सामुद्रिक samudrik शास्त्र shastra की रचना शिव जी की प्रेरणा prerna से कार्तिकेय ने की थी । गणेश ganesh ने इस विशाल vishal  ग्रंथ granth को समुद्र में फेंक दिया ।फिर भगवान शिव के कहने पर समुद्र samudra देव ने इस ग्रंथ को पुनः वापस किया। इस घटना के कारण इस ग्रंथ का नाम सामुद्रिक शास्त्र पड़ा ।

विदेशों में सामुद्रिक शास्त्र का प्रचार   

सामुद्रिक शास्त्र की शाखाएं

भारत से यह ग्रंथ चीन यूनान रोम और इजराइल तक पहुंचा और आगे चलकर संपूर्ण यूरोप में फैल  गया ।कहा जाता है कि 423 ईसा पूर्व में यूनान के विद्वान एनेक्सागोरस इस शास्त्र को पढ़ाते थे। इतिहासकारों के अनुसार हिपांजस को सामुद्रिक ज्ञान की एक पुस्तक मिली जो संभवतः सिकंदर को भेंट की गई थी।

सामुद्रिक शास्त्र की शाखाएं 

सामुद्रिक शास्त्र की निम्न शाखाएं हैं-

  1. अंग सामुद्रिक शास्त्र  | ang samudrik shastra 

हस्तरेखा सामुद्रिक शास्त्र 

  • इस शास्त्र में व्यक्ति के हाथों में बनी रेखाओं का अध्ययन करके उसके भविष्य  को बताया जा सकता है। मनुष्य सदा से ही अपने भविष्य को जानने के लिए प्रयत्नशील रहा है। उसके दिमाग में अपने भविष्य के प्रति आशंका बराबर बनी रहती है ।
  • वह सोचता है कि मैं जो कार्य वर्तमान में कर रहा हूं और जिस पर अपने  सारे जीवन का श्रम और धन लगा रहा हूं कहीं ऐसा ना हो  कि भविष्य में मैं अपने प्रयत्नों में सफल ना हो सकूं । ऐसा सोच कर वह एक अज्ञात आशंका से डरा रहता है इसी आशंका को दूर करने के लिएहमारे प्राचीन विद्वानों ने हस्त रेखा विद्या की रचना की।हस्तरेखा का अध्ययन करने के लिए कई तथ्य ध्यान में रखने आवश्यक होते हैं ।
  • सबसे पहली बात यह है कि किसी भी व्यक्ति के हाथ की केवल एक रेखा देखकर अपना विचार नहीं कह देना चाहिए। क्योंकि केवल एक रेखा ही उससे संबंधित तथ्यों को स्पष्ट नहीं कर सकती ।अपितु उसकी सहायक रेखाएं भी उस तथ्य को स्पष्ट करने में सहायक होती हैं।
  • ईश्वर ने हाथ में जो रेखाएं अंकित की हैं। वह बहुत सोच समझकर अंकित किए हैं। हाथ में पाई जाने वाली प्रत्येक रेखा का अपना महत्व है और किसी भी एक रेखा का संबंध दूसरी रेखा से होता है। यदि हम एक रेखा को ध्यान में रखकर अपना निर्णय देते हैं तो उसमें गलती होने की संभावना होती है ।इसलिए प्रमुख रेखा एवं उसकी सहायक रेखाओं का भली-भांति अध्ययन करना आवश्यक होता है।और उसके बाद ही उससे संबंधित भविष्य कथन को स्पष्ट करना चाहिए ।

हस्तरेखा सामुद्रिक शास्त्र

  • हस्त रेखा विशेषज्ञ को चाहिए कि वह दाहिने हाथ को ही विशेष रूप से महत्व दें क्योंकि हम अपने जीवन में अधिकतर कार्य दाहिने हाथ से करते हैं । अतः हमारी सक्रियता दाहिने हाथ से आंकी जा सकती है ।यहां यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि कुछ व्यक्ति बाएं हाथ से लिखते हैं या जीवन का अधिकतर कार्य बाएं हाथ से करते हैं। उनका हाथ देखते समय उनके बाएं हाथ को महत्व देना चाहिए।
  • इसी प्रकार जो महिलाएं स्वयं अपने पैरों पर खड़ी हैं या नौकरी कर रही हैं या अपनी बुद्धि से धनार्जन कर रही हैं उनका भी दाहिना हाथ ही देखना चाहिए। अब यहां यह प्रश्न उठता है कि जब जीवन में दाहिने हाथ का ही महत्व है तो बाएं हाथ की क्या उपयोगिता है । जो व्यक्ति बाएं हाथ से ही लिखते हैं या जिनका बाया हाथ ज्यादा सक्रिय है उनके बाएं हाथ को ही महत्व देना चाहिए। साथ ही साथ उन स्त्रियों का भी बाया हाथ ही देखना चाहिए |
  • जो पराश्रित रही हैं या जो अपने पति पर आश्रित हैं। इसी प्रकार जो पुरुष बेकार है या स्वयं धनार्जन करने में सक्षम नहीं है उनका भी भविष्य स्पष्ट करते समय बाएं हाथ को ही महत्व देना चाहिए ।
  • जब किसी पुरुष के दाहिने हाथ को महत्व दें और उस हाथ में कोई बात स्पष्ट ना दिखाई दे तो उसकी स्पष्टता के लिए दूसरे हाथ का आश्रय लेना चाहिए ।इस प्रकार यदि कोई कथन घटना दोनों ही हाथों से दिखाई दे तो उस घटना को प्रमाणिक मानना चाहिए। इसी प्रकार जो महिलाएं राजकीय सेवा में अथवा स्वतंत्र व्यवसाय में संलग्न है । उनका दाहिना हाथ देखना चाहिए ।पर यदि कोई बात पूर्णता नहीं होती है तो उसकी स्पष्टता बाएं हाथ को देखकर ज्ञात करनी चाहिए।
  • ऐसा कहा जाता है कि हाथ की रेखाएं जो भी कहती हैं वह अपने आप में पूर्ण सत्य होता है। मृत्यु का समय तथा मृत्यु की तारीख हाथ की रेखाएं काफी समय पहले स्पष्ट कर देती हैं ।मृत्यु से 6 माह पूर्व मध्यमा उंगली के नाखूनों पर आड़ी तिरछी रेखाओं का जाल बन जाता है।
  • जब ऐसा जाल दिखाई देने लगे तब यह समझना चाहिए कि यह व्यक्ति अब 6 महीने से ज्यादा जीवित नहीं रह सकेगा। ठीक इसी प्रकार कुछ अन्य लक्षण हैं जो मृत्यु की संभावना को बतलाते हैं।
  • जीवन रेखा चलते चलते जहां पर एकदम से रुक जाती है । और जहां यह रेखा रूकती है उसके आगे ही काला धब्बा या क्राश का चिन्ह  बन जाए तब उस क्राश के चिन्ह से यदि जीवन रेखा की ओर सीधी रेखा खींची जाए तब उससे यह स्पष्ट होता है ।कि वही उस व्यक्ति की आयु होगी ।
  • हृदय रेखा मार्ग में लोप हो गई हो और शनि पर्वत के नीचे सहसा ही दिखाई दे तो समझ लेना चाहिए कि इस व्यक्ति की मृत्यु बीच रास्ते में ही हो जाएगी । यह व्यक्ति पूरी आयु नहीं भोग सकेगा ।
  • यदि हृदय रेखा मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत के नीचे या गुरु पर्वत के नीचे मिले और दूसरे हाथ में भी ऐसा ही योग दिखाई दे तो वह व्यक्ति पूरी आयु नहीं भोगेगा । मेरा मतलब है कि उस उसकी मृत्यु पूर्ण आयु में नहीं होगी।

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हस्तरेखा के अध्ययन के लिए अन्य प्रमुख बातें : study palmistry

1- जब भी कोई व्यक्ति अपना हाथ दिखाने के लिए आए तो आपको चाहिए कि आप उसके हाथ को स्पर्श ना करें , क्योंकि आपके स्पर्श करने से आपके शरीर की विद्युत धारा उसकी विद्युत धारा से  मिल जाएगी और उस व्यक्ति के हाथ की मौलिकता समाप्त हो जाएगी।

2- सबसे पहले उस व्यक्ति के दोनों हाथों को उल्टा करके देखना चाहिए । क्योंकि हाथ को उल्टा करने से हाथ के आकार को समझने में सहायता होगी कि यह हाथ वर्गाकार है या चौकोर है।

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3 – जब हाथ का प्रकार ज्ञात हो जाए तो उसे दोनों हाथ सीधे करने के लिए कहिए और दोनों हाथ सीधे होने पर उसके मणिबंध से देखते हुए ऊपर की ओर आना चाहिए

4- इसके बाद पर्वत ,पर्वत के उभार ,पर्वत से जुड़ी उंगलियां और अंगूठे को देखना चाहिए। अंत में उसकी उंगलियों के अग्रभाग और नाखून का निरीक्षण करना चाहिए ।

5- मणिबंध की रेखाओं का भी हस्तरेखा विशेषज्ञ के लिए महत्व होता है । अतः उस का भी अध्ययन करना चाहिए।

6 – इसके बाद हथेली पर पाए जाने वाले पर्वत, पर्वतों के उभार तथा दबाव ,साथ ही पर्वतों से जुड़ी हुई रेखाएं ,दो पर्वतों की संधि तथा उन पर पाए जाने वाले सूक्ष्म चिन्हों का अध्ययन करना चाहिए।! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !

8 – अंत में उंगलियों के सिरों पर शंख चक्र आदि दिखाई देते हैं वह भी अपने आप में बहुत अधिक महत्व रखते हैं। अतः उनका भी अध्ययन आवश्यक है।

हाथ देखने की विधि : Hand view method

हाथ देखने की विधि

  1. हाथ किसी भी समय देखा जा सकता है परंतु इसके लिए सर्वोत्तम समय प्रातः काल का होता है।इस समय हाथ  दिखाने वाले ने भोजन या नाश्ता ना किया हो ऐसा होने से उसका रक्त प्रवाह धीमा रहता है। जिससे उसके हाथ की  महीन रेखाएं भी स्पष्ट दिखाई देती हैं।
  2. हाथ दिखाने से पूर्व हाथ दिखाने वाला स्नान किया हुआ हो। नींद से उठा हुआ गंदा या आलस से भरा हुआ शरीर वातावरण को बोझिल बना देता है। जिससे भविष्य कथन में बाधा आती है ।
  3. अत्यधिक भोजन करने के बाद या  व्यायाम करने के बाद भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए। लगातार कार्य करते-करते एकदम से उठकर भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए।
  4. अत्यधिक गर्मी अधिक सर्दी में भी हाथ नहीं दिखाना चाहिए। क्योंकि ज्यादा गर्मी पड़ने से हथेली जरूरत से ज्यादा लाल रहती है । और इससे उसकी वास्तविकता नष्ट हो जाती है।
  5. किसी प्रकार का नशा किया हुआ या असहज अवस्था में भी हस्तरेखा नहीं दिखानी चाहिए।

हाथ देखने वाले के लिए कुछ नियम 

हाथ देखने की विधि

  1. जिस समय क्रोध की अवस्था हो या किसी वजह से परेशानी हो उस समय हाथ नहीं देखना चाहिए ।
  2. हाथ देखते समय उस व्यक्ति से संबंधित अच्छी या बुरी बात अथवा भविष्यफल स्पष्ट नहीं कर देना चाहिए । इससे कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं । जैसे किसी व्यक्ति की मृत्यु अगर 1 महीने में होना दिखाई देती है तो यह बात अप्रत्याशित रूप से सामने वाले को कह देना किसी प्रकार से अनुकूल नहीं होता।
  3. सामने वाले व्यक्ति के प्रति तटस्थ भाव रखकर ही हाथ देखना चाहिए। अत्यधिक प्रिय या शत्रु होने पर हाथ देखने वाला तटस्थ नहीं रह पाता और इससे उसके फल कथन में अस्वाभाविकता आ जाती है ।
  4. हाथ देखकर जब पूरी तरह से संतुष्ट हो जाए और दूसरे हाथ से भी उसकी प्रामाणिकता प्रमाणित हो जाए तभी उसको फल कथन करना चाहिए।

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