मारुती स्तोत्र | Maruti stotra : प्रिय भक्तों आज मैं आप लोगों को इस लेख के माध्यम से मारुती स्तोत्र के विषय में जानकारी दूंगी, जिसमें मैं मारुती स्रोत का संपूर्ण अध्याय बताने के साथ-साथ इसे पाठ करने की उचित विधि और इससे प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के लाभों के विषय में बताएंगे.
मारुती स्तोत्र अंजनी लाल पवन पुत्र हनुमान जी को समर्पित है इस स्रोत की रचना हनुमान के परम भक्त रामदास जी ने की थी, जिस स्रोत को लेकर ऐसी मान्यता है. अगर कोई भी व्यक्ति सभी प्रकार के नियमों का पालन करते हुए इस स्रोत को प्रतिदिन पाठ करता है तो उस व्यक्ति के जीवन में बड़े से बड़े संकट कष्ट अपने आप दूर जाते हैं.
क्योंकि बजरंगबली संकट मोचन कहा जाता है जो सभी के संकट हर लेते है. इसके अलावा मारुती स्तोत्र के अन्य अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं जिनके विषय में हम इस लेख के अंत में बताने का प्रयत्न करेंगे क्योंकि यहां पर हम सबसे पहले मारुती स्तोत्र का संपूर्ण अध्याय प्रस्तुत करने जा रहे हैं .
ऐसे में जो लोग मारुती स्तोत्र पाठ्य को जानना चाहते हैं तो कृपया करके वह लोग इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें.
- 1. मारुती स्तोत्र | Maruti stotra
- 2. श्री मारुती स्तोत्र संस्कृत | Shree maruti stotra sanskrit
- 2.1. ॥ श्रीगणेशाय नम: ॥
- 3. मारुती स्तोत्र का पाठ करने की विधि | Maruti stotra ka path karne ki vidhi
- 4. मारुती स्तोत्र का पाठ करने के लाभ | Maruti stotra path karne ke labh
- 5. मारुती स्तोत्र का पाठ करने के नियम | Maruti stotra ka path karne ke niyam
- 6. FAQ : मारुती स्तोत्र
- 6.1. हनुमान जी का आवाहन मंत्र क्या है ?
- 6.2. हनुमान जी का पावरफुल मंत्र कौन सा है ?
- 6.3. मारुती मंत्र कौन सा हैं ?
- 7. निष्कर्ष
मारुती स्तोत्र | Maruti stotra
यहां पर संपूर्ण मारुति श्रोत को प्रस्तुत किया जा रहा हैं.
भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।
दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।
ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।
ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।
पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।
ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।
आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।
अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।
आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।
धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।
हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।
।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं
मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।
यहां पर हमने हिंदी में मारुती स्तोत्र संपूर्ण अध्याय को प्रस्तुत किया है यह स्त्रोत संस्कृत में भी आता है लेकिन यहां पर मैंने हिंदी वाला स्रोत बताया है ताकि हर कोई इसे आसानी से पढ़ सके और इससे प्राप्त होने वाले सभी लाभ हासिल कर सके क्योंकि संस्कृत पढ़ना कठिन होता है.
और स्रोत में शुद्ध शब्दों का उच्चारण अति आवश्यक होता है लेकिन जो लोग संस्कृत में श्लोक को पढ़ना चाहते हैं तो लोगों के लिए मैं संस्कृत में भी इस स्रोतों को प्रस्तुत कर रही हूं.
श्री मारुती स्तोत्र संस्कृत | Shree maruti stotra sanskrit
॥ श्रीगणेशाय नम: ॥
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।
प्रतापवज्रदेहाय । अंजनीगर्भसंभूताय ।
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।
भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।
शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।
ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।
मारीग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।
मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर । सत्यं कथय ।
व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन
शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।
क्लीं क्लीं क्लीं ह्रुीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।
श्रीं हृीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय
चूर्णय चूर्णय खे खे श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु ॐ हृां हृीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा
विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु ।
हन हन हुं फट् स्वाहा ॥
एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥
॥ इति श्रीमारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
इस लेख में हमने हिंदी और संस्कृत दोनों भाषा में मारुती स्तोत्र को बताया है जो लोग जिस भाषा में इस स्रोत को पाठ करना चाहते हैं उस भाषा में कर सकते हैं.
मारुती स्तोत्र का पाठ करने की विधि | Maruti stotra ka path karne ki vidhi
किसी भी स्रोतों का पाठ करने के शुभ लाभ तभी प्राप्त होते हैं. जब हम उस स्रोत को उचित विधि द्वारा पाठ करते हैं इसीलिए हम यहां पर मारुती स्तोत्र को कब ,कैसे, किस विधि, के द्वारा पाठ करना चाहिए इसके विषय में सब कुछ विधिवत रूप से बता रहे हैं.
मारुति श्रोत को पाठ्य करने की संपूर्ण विधि नीचे बताई जा रही है जैसे,
1. मारुती स्तोत्र को पाठ करने के लिए मंगलवार के दिन स्नान आदि से निवृत होकर लाल रंग के वस्त्र धारण करें.
2. स्नान आदि से निवृत होने के बाद बजरंगबली के सामने धूप दीप जलाएं इन्हें फल फूल अक्षत अर्पित करें.
3. इतनी प्रक्रिया करने के बाद आप मारुति जी को यानी की बजरंगबली को मिठाई में किसी भी प्रकार का भोग लगाएं उसके बाद अपने हाथों को साफ जल से धोकर इनके सामने सरसों के तेल का या फिर देसी घी का दीपक जलाएं .
4. बजरंगबली के समक्ष दीपक जलाने के बाद इनकी प्रतिमा के सामने आसन लगाकर बैठ जाएं फिर अपने हाथ में गंगाजल लेकर मारुती स्तोत्र को पाठ करने का संकल्प लें, संकल्प कैसे लेना है आपको बोलना है प्रभु मैं अपनी मनोकामना जाहिर करते हुए बोले भगवान मैं इस मनोकामना की पूर्ति के लिए मारुती स्तोत्र को नियम बांधे तरीके से इतने दिन यानी कि जितने दिन आपको इस स्रोत का पाठ करना उतने दिन पूर्ण करने का संकल्प लेता हूं.
5. संकल्प लेने के बाद आप मारुती स्तोत्र का पाठ करना प्रारंभ कर दें इस स्रोत को आप उच्च एवं स्पष्ट शब्दों में करें तो अद्भुत लाभ की प्राप्ति होगी.
6. संपूर्ण मारुती स्तोत्र पाठ पूर्ण हो जाने के बाद आप बजरंगबली की संपूर्ण आरती करें इन्हें लाल चोला अर्पित करें तो आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
मारुती स्तोत्र का पाठ करने के लाभ | Maruti stotra path karne ke labh
बजरंगबली को संकट मोचन के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह अपने भक्तों को सभी प्रकार के संकट से सुरक्षा प्रदान करते हैं, अगर कोई जातक जातिका बजरंगबली को समर्पित मारुती स्तोत्र पाठ को नियमित रूप से नियम बाध्य तरीके से पाठ करते हैं तो उन्हें कई तरह के अद्भुत लाभ की प्राप्ति होती है जिनके विषय में नीचे बताया गया है जैसे :
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है.
- मारुति श्रोत का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है.
- मारुती स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से सभी प्रकार के दुख और कष्ट दूर होते हैं.
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं.
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से सुख शांति समृद्धि यश वैभव मान सम्मान आदि में वृद्धि होती है.
मारुती स्तोत्र का पाठ करने के नियम | Maruti stotra ka path karne ke niyam
अगर आप मारुती स्तोत्र का पाठ करने से प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के लाभ हासिल करना चाहते हैं तो इस स्रोत को पाठ करने के जो नियम नीचे बताए जा रहे हैं इनका पालन करते हुए मारुती स्तोत्र का पाठ करें.
1. जितने दिन मारुती स्तोत्र का पाठ करें उतने दिन ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें.
2. मारुती स्तोत्र को पाठ करने से पहले बजरंगबली की विधिवत पूजा अर्चना अवश्य करें.
3. मारुती स्तोत्र का पाठ करने के दिन किसी को भी कटु वचन ना बोले और महिलाओं का मान सम्मान करें. किसी का अहित करने के लिए इस स्रोत का उपयोग ना करें अच्छे कामों और अच्छी मनोकामना पूर्ति के लिए ही इस स्त्रोत का पाठ करें.
5. मारुती स्तोत्र को पाठ करने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें
6. मारुती स्तोत्र को पाठ करने वाले दिनों में आप भोजन करने का समय डिसाइड कर ले और अनियमित रूप से भोजन ना करें.
FAQ : मारुती स्तोत्र
हनुमान जी का आवाहन मंत्र क्या है ?
ॐ हनु हनु हनु हनुमते नमः
यह हनुमान जी का आवाहन मंत्र है इस मंत्र को पूरी श्रद्धा और भक्ति भावना से जाप करके बजरंगबली के दर्शन प्राप्त किए जाते हैं.हनुमान जी का पावरफुल मंत्र कौन सा है ?
हनुमान जी के इस मंत्र जाप से सुख शांति यश वैभव धन बुद्धि ज्ञान आदि में वृद्धि होती है.मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
मारुती मंत्र कौन सा हैं ?
मान्यता है इस मारुति मंत्र का पंचमुखी दीपक जलाकर जाप करने से सभी प्रकार के दुख और कष्टों का अंत होता है.पूर्व कपि मुखाय पंचमुख हनुमते टं टं टं टं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा ।।
निष्कर्ष
प्रिय मित्रों जैसा कि आज हमने इस लेख में मारुती स्तोत्र टॉपिक पर जानकारी प्रदान की है जिसमें हमने संपूर्ण मारुती स्तोत्र अध्याय बताने के साथ-साथ इसे पाठ करने की संपूर्ण विधि से प्राप्त होने वाले लाभ और इसे पाठ करने की क्या नियम है या सारी जानकारी एक विस्तारपूर्वक से बताइ हैं.
अगर आप लोगों ने इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ा होगा तो आप सभी लोगों को मारुती स्तोत्र टॉपिक से जुड़ी अच्छी खासी जानकारी प्राप्त हो गई होगी तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं आप लोगों को हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी साथ में उपयोगी भी साबित हुई होगी.