सोमवार व्रत कथा और आरती : सोमवार व्रत-पूजन विधि और लाभ | Somvar vrat katha aur aarti

सोमवार व्रत कथा | Somvar vrat katha : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सोमवार व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं वैसे तो आप लोगों को पता होगा कि सप्ताह के हर दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित किए गए हैं उसी प्रकार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है.

इसीलिए हमारे हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है कि सोमवार के व्रत को लेकर हमारे पुराणों से ही इसका बहुत बड़ा महत्व माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरी कर देते हैं अगर कोई भी व्यक्ति सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित करता है और उसी दिन पूरे विधि-विधान पूर्वक भगवान शिव की पूजा करता है.

सोमवार व्रत कथा, सोमवार व्रत कथा आरती, सोमवार व्रत कथा इन हिंदी pdf, सोमवार व्रत कथा विधि, सोमवार व्रत कथा आरती सहित, सोमवार व्रत के लाभ, सोमवार व्रत कथा , सोमवार व्रत-पूजन कैसे करें, सोमवार व्रत क्या है, Somvar vrat kya hai, Somvar vrat-pujan kaise karen, Somvar vrat katha, Somvar vrat ke labh, सोमवार व्रत कथा इन हिंदी, सोमवार व्रत कथा आरती pdf, सोमवार व्रत कथा डाउनलोड, सोमवार व्रत कथा lyrics, सोमवार व्रत कथा का, 16 सोमवार व्रत कथा aarti, 16 सोमवार व्रत कथा इन हिंदी aarti, सोमवार व्रत कथा का नियम, सोमवार व्रत कथा का अर्थ, सोमवार व्रत कथा book, सावन सोमवार व्रत कथा book, 16 सोमवार व्रत कथा pdf download, सोमवार व्रत कथा pdf download, सोमवार व्रत कथा pdf, सावन सोमवार व्रत कथा pdf, 16 सोमवार व्रत कथा pdf, सोमवार व्रत कथा इन हिंदी आरती, सोमवार व्रत कथा hindi pdf, 16 सोमवार व्रत कथा hindi pdf, सोमवार व्रत कथा सुननी है, सोमवार व्रत कथा क्या है, सोमवार व्रत कथा image, 16 सोमवार व्रत कथा इन हिंदी, सावन सोमवार व्रत कथा इन हिंदी, 16 सोमवार व्रत कथा इन हिंदी lyrics, सोमवार व्रत कथा व आरती, सोमवार का व्रत ki katha, सोमवार व्रत के कथा, सोमवार व्रत की कथा, सोमवार व्रत की कथा सुनाइए, सोमवार व्रत की कथा और आरती, सोलह सोमवार व्रत कथा की विधि, सोमवार व्रत कथा सावन की, सोमवार व्रत कथा आरती lyrics, सोमवार व्रत कथा mp3, सोलह सोमवार व्रत कथा pdf in marathi, सोमवार व्रत कथा में, सोमवार व्रत कथा हिंदी में, सोमवार व्रत कथा नियम, सोमवार व्रत कथा डाउनलोड pdf, sawan सोमवार व्रत कथा, sawan सोमवार व्रत कथा विधि, savan सोमवार व्रत कथा इन हिंदी pdf, सोमवार के व्रत कथा की, सोमवार व्रत कथा की कहानी, सोमवार व्रत कथा शिव जी की, सोमवार व्रत कथा शिव जी, सोमवार व्रत कथा आरती सहित pdf, सोमवार व्रत कथा आरती लिरिक्स, सोलह सोमवार व्रत कथा आरती pdf, सोमवार व्रत आरती, somvar vrat aarti katha, सोमवार व्रत कथा की आरती, somwar katha in hindi pdf, sawan vrat katha in hindi pdf download, sawan somvar vrat katha in hindi pdf download, som pradosh vrat katha in hindi pdf, somvar ki vrat katha pdf, 16 सोमवार व्रत कथा इन हिंदी pdf, shiv vrat katha in hindi pdf, solah somvar vrat katha hindi pdf download, solah somvar vrat katha in hindi pdf, somvar vrat vidhi in hindi pdf, सोमवार व्रत कथा विधि नियम, सोलह सोमवार व्रत कथा विधि, 16 सोमवार व्रत कथा विधि, सोमवार व्रत कथा की विधि, सोलह सोमवार व्रत कथा की विधि बताइए, सोमवार व्रत कथा करने की विधि, सोमवार व्रत उद्यापन विधि,

तो उस व्यक्ति के व्रत का महत्व बढ़ जाता है ऐसे में अगर आप लोग सोमवार के दिन व्रत रखते हैं तो आपको सोमवार व्रत कथा पढ़ना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि बिना कथा पढ़े आपका व्रत अधूरा रहता है इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सोमवार व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे और यह भी बताएंगे कि सोमवार व्रत का पूजन कैसे किया जाता है.

सोमवार व्रत की आरती कौन सी है सोमवार व्रत करने के लाभ कौन से हैं इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे अगर आप लोग इस जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को सोमवार व्रत कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।

सोमवार व्रत क्या है ? | Somvar vrat kya hai ?

अगर आप लोग यह जानना चाहते हैं कि सोमवार के दिन जो व्रत रखा जाता है वह किसके लिए रखा जाता है और उसके लाभ क्या होते हैं तो हम आप लोगों को बताने की देवों के देव महादेव बहुत ही भोले माने जाते हैं इसीलिए भोलेनाथ के अनेकों नाम है हमारी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर को खासतौर से प्रसन्न करने के लिए किसी भी खास वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जाता है.

mata parvati

क्योंकि भगवान शिव साधारण सी पूजा से ही अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं ऐसे में अगर आप लोग भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक और पूरे विधि विधान पूर्वक पूजा करते हैं तो आपको भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की भक्ति और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए सोमवार के दिन व्रत रखा जाता है और उस दिन सोमवार व्रत कथा भी पढ़ते हैं सोमवार व्रत कथा पढ़ने से भगवान भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं।

सोमवार व्रत-पूजन कैसे करें ? | Somvar vrat-pujan kaise karen ?

अगर कोई भी व्यक्ति सोमवार व्रत रखना चाहता है और उसे यह नहीं पता है कि सोमवार व्रत में पूजा कैसे की जाती है तो आज हम आप लोगों को सोमवार व्रत में पूजा कैसे की जाती है इसके बारे में जानकारी देंगे।

1. सोमवार व्रत पूजन करने के लिए आपको सबसे पहले सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना है।

2. उसके बाद आपको उसी दिन अपने पूरे घर की साफ सफाई करने के बाद स्नान आदि से निश्चिंत हो जाना है।

3. स्नान करने के बाद अपने पूरे घर में गंगाजल या फिर पवित्र जल को छिड़क देना है।

4. अब आपको अपने घर के मंदिर में या फिर घर के किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति को स्थापित करना है।

5. उसके बाद आपको भगवान शिव की पूजा की पूरी तैयारी कर लेना है और सामग्री भी एकत्रित करके रख लेना है।

6. पूजा की तैयारी करने के बाद नीचे दिए गए मंत्र द्वारा संकल्प लेना है।

मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये

7. ऊपर दिए गए संकल्प मंत्र के पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करना है –

‘ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌।

पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥’

8. जैसे ही आप ध्यान मंत्र का जाप कर होते हैं उसके बाद आपको इस शक्तिशाली विशेष मंत्र का जाप करना

‘ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ॐ नमः शिवाय’

से पार्वती माता का षोडशोपचार से पूजा करनी है।

9. जैसे ही आप की पूजा संपूर्ण हो जाती हैं उसके बाद आपको व्रत कथा पढ़ना है या फिर सुनना है।

10. कथा के तत्पश्चात आरती करनी है और विभिन्न लोगों में प्रसाद वितरण कर देना है।

11. प्रसाद वितरण करने के बाद आपको भोजन या फिर फलाहार ग्रहण कर लेना है ऐसे आपकी सोमवार व्रत कथा और सोमवार का व्रत संपन्न हो जाता है।

सोमवार व्रत कथा | Somvar vrat katha

एक बार की बात है एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था उस धनी व्यापारी का दूर-दूर तक व्यापार फैला था अलग-अलग नगरों से सभी लोग उस धनी व्यापारी के पास व्यापार करने के लिए आते थे उस व्यापारी का सम्मान करते थे उस व्यापारी के पास यह सब कुछ संपन्न होने के बाद भी वह व्यापारी बहुत ही दुखी था क्योंकि उस व्यापारी के पास कोई भी पुत्र नहीं था और इसके कारण ही वह व्यापारी अपने मृत्यु के पश्चात व्यापार के उत्तराधिकारी की चिंता में हमेशा बैठा रहता था।

और उसी पुत्र की इच्छा में वह व्यापारी हर सोमवार को भगवान शिव का व्रत और पूजन करता था और प्रतिदिन शाम के समय भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग के सामने घी का दीपक जलाता था माता पार्वती उसकी भक्ति देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गई और भगवान शिव से उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ति के लिए निवेदन करने लगी।

भगवान भोलेनाथ भोले : हे पार्वती आपको स्मरण होना चाहिए कि इस संसार में सबको उसके कर्मों के अनुसार ही उसका फल प्राप्त होता है जो प्राणी जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता हैं।

जब भगवान भोलेनाथ पार्वती माता को समझाने लगे तब माता पार्वती नहीं मानी और उस व्यापारी की मनोकामना पूर्ति हेतु भगवान शिव से बार-बार अनुरोध करती थी अतः जब भगवान शिव ने माता के आग्रह को देखा तो भगवान भोलेनाथ को उस व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान देना पड़ा।

जैसे ही भोलेनाथ ने उस व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया उसके पश्चात मां पार्वती से बोले आपके आग्रह पर मैंने उस व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया परंतु इसका यह पुत्र 16 वर्ष से अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकेगा और उसके बाद उसी रात भगवान शिव उस धनी व्यापारी के स्वप्न में आए और उस धनी व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और उसके बाद भगवान भोलेनाथ ने उसके पुत्र के 16 वर्ष तक जीवित रहने की बात भी उस व्यापारी से कहीं।

भगवान भोलेनाथ के वरदान से व्यापारी अत्यंत प्रसन्न हुआ लेकिन पुत्र की अल्पायु की चिंता से उस व्यापारी की खुशी तो नष्ट हो गई थी और व्यापारी फिर से पहले की तरह सोमवार के दिन भगवान शिव का विधि विधान पूर्वक व्रत करने लगा उसके पश्चात कुछ महीनों के बाद उसके घर एक अति सुंदर बालक ने जन्म लिया और घर में खुशियां ही खुशियां भर गई।

व्यापारी ने बहुत ही धूमधाम के साथ अपने पुत्र का जन्म समारोह मनाया लेकिन व्यापारी अत्यंत चिंतित था क्योंकि भगवान भोलेनाथ ने उस व्यापारी को पुत्र के 16 वर्ष तक जीवित रहने की बात जो कह दी थी जैसे ही उस पुत्र की आयु 12 वर्ष की हुई तो उस व्यापारी ने अपने पुत्र को उसके मामा के साथ पढ़ने के लिए वाराणसी भेज दिया वह लड़का अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्त करने हेतु रास्ते में जहां भी मामा भांजे विश्राम करते रुकते हुए वही यज्ञ करते और ब्राह्मण को भोजन कराते रहते थे।

जैसे ही मामा भांजे की लंबी यात्रा के बाद एक नगर में पहुंचे उस दिन नगर के राजा की कन्या का विवाह हो रहा था जिसके कारण पूरा नगर सजा हुआ था निश्चित समय पर बारात पहुंच गई थी लेकिन अचानक सेवर का पिता अपने बेटे के एक आंख से काने होने का कारण बहुत चिंतित था और वर के पिता को भय था कि इस बात का पता कहीं राजा को चल गया तो विवाह से इंकार ना कर दे।

अगर राजा ने विवाह से इंकार कर दिया तो उसकी बदनामी भी हो जाएगी जैसे ही वर के पिता ने व्यापारी के पुत्र को देखा तो उस पिता के मस्तिष्क में एक विचार आया उसने सोचा कि क्यों ना इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करवा दूं और विवाह के बाद उस लड़के को धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा।

Shiv

उसके बाद वर के पिता ने लड़के के मामा से इस संबंध में बात की और मामा इतने लालची थे कि धन के लालच में वर के पिता की बात स्वीकार कर ली लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह करवा दिया गया।

और वधु के पिता यानी कि राजा ने बहुत सारा धन देकर राजकुमारी को विदा कर दिया लेकिन शादी के बाद लड़का जब राजकुमारी के साथ लौट रहा था तो वह सच नहीं छुपा सका और उसने राजकुमारी की ओढ़नी पर लिख दिया की राजकुमारी तुम्हारा विवाह मेरे साथ हुआ था मैं तो वाराणसी पढ़ने के लिए जा रहा हूं और अब तुम्हें जिस नवयुग की पत्नी बनना पड़ेगा वह काना है।

जैसे ही राजकुमारी ने अपनी ओढ़नी पर लिखा हुआ पत्र देखा तो उसने काने लड़के के साथ जाने से इंकार कर दिया राजा को जब यह सब बातें पता चली तो उसने राजकुमारी को महल में ही रख लिया।

और जिस लड़के के साथ राजकुमारी का विवाह हुआ था वह तो अपने मामा के साथ वाराणसी पहुंच गया था और गुरुकुल में पढ़ना शुरू भी कर दिया था जैसे ही उस लड़के की आयु 16 वर्ष की हुई तो उसने यज्ञ किया और यज्ञ के के समापन पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब अन्न, वस्त्र दान, किया जैसे ही वह रात को अपने शयनकक्ष में सो गया शिव के वरदान के अनुसार शयन अवस्था में ही उसके प्राण पखेरू उड़ा ले गया सूर्य उदय होते ही मामा मृत भांजे को देख कर रोने लगे आसपास के लोग भी एकत्रित होकर दुख प्रकट करने लगे।

उस लड़के के मामा रोने विलाप करने के स्वर समीप से गुजरते हुए भगवान शिव और माता पार्वती ने भी सुने माता पार्वती ने फिर से भगवान से कहा हे प्राणनाथ मुझे इसके रोने के स्वर सुनकर रहा नहीं जा रहा आप इस व्यक्ति के कष्ट को दूर कीजिए। आप जैसे ही भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ अदृश्य रूप से समीप जाकर देखा तो भोलेनाथ माता पार्वती से बोले यह तो उसी व्यापारी का पुत्र है जिसे मैंने 16 वर्ष की आयु का वरदान दिया था हे देवी इसकी आयु पूरी हो चुकी है।

लेकिन माता पार्वती ने फिर से एक बार भगवान भोलेनाथ से निवेदन किया कि उस बालक को जीवन देने का कष्ट करें माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया और कुछ ही पलों में वह लड़का फिर से जीवित हो खड़ा।

उसके बाद जैसे ही उस लड़के की शिक्षा समाप्त हो गई वह लड़का अपने मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया चलते-चलते जब दोनों उसी नगर में पहुंचे जहां उसका विवाह हुआ था उस नगर में भी यज्ञ का आयोजन किया समीप से गुजरते हुए नगर के राजा ने यह आगे आयोजन देखा तो वह तुरंत ही लड़के और उसके मामा को पहचान गए।

जैसे ही यज्ञ समाप्त हुआ राजा ने मामा और उसके लड़के को महल में बुलाया और कुछ दिन उन्हें महल में रखा बहुत साधन वस्त्र आदि देकर राजकुमारी के साथ विदा कर दिया।

व्यापारी इधर-उधर भूखे प्यासे रहकर उसकी पत्नी बेटे की प्रतीक्षा करती रहती थी व्यापारी और उनकी पत्नी ने यह प्रतीक्षा कर रखी थी कि जैसे ही उनके बेटे की मृत्यु का समाचार उन्हें मिलेगा वह दोनों अपने प्राण त्याग देंगे लेकिन जैसे ही व्यापारी और उसकी पत्नी ने अपने बेटे को जीवित देखा और वापस लौटने का समाचार सुना तो वह बहुत प्रसन्न हुए और अपनी पत्नी और मित्रों के साथ नगर के द्वार पर जा पहुंचे।

जैसे ही व्यापारी ने अपने बेटे के विवाह का समाचार सुना पुत्रवधू राजकुमारी को लेकर उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा के बाद उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा : हे श्रेष्ठी मैंने तुम्हारे सोमवार के व्रत को करने और व्रत कथा सुनने से प्रसन्न होकर तुम्हारे पुत्र की आयु लंबी होने का वरदान दिया जैसे ही व्यापारी ने अपने पुत्र की लंबी आयु की जानकारी सुनी तो व्यापारी की खुशी का ठिकाना ना रहा।

इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की हर मुराद को पूरी करते हैं शिव भक्तों होने तथा सोमवार का व्रत करने से व्यापारी की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो गई इस प्रकार जो भक्त सोमवार का विधि विधान पूर्वक व्रत रखता है और व्रत कथा को सुनता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

सोमवार व्रत के लाभ | Somvar vrat ke labh

shivling

  1. अगर कोई भी व्यक्ति सोमवार के दिन भगवान शिव यानी कि सोमवार का व्रत रखता है तो उस व्यक्ति को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  2. सोमवार के दिन व्रत रखने से भगवान शिव अपने सभी भक्तों के सभी पापों का नाश कर देते हैं वैसे आप लोगों को पता होना चाहिए कि जीवन में इंसान कई प्रकार की गलतियां करता है जिसका पछतावा उसे बाद में होता है।
  3. ऐसे में अगर आप लोग सोमवार का व्रत रखते हैं तो जाने अनजाने में जो भी आपसे गलतियां हुई हैं उनका पश्चाताप हो जाता है हमेशा मोक्ष की प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत अवश्य रखना चाहिए।
  4. सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना और उनका व्रत जो भी व्यक्ति करता है उसकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति प्रबल हो जाती है अगर ऐसा होता है तो आपको रोज बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है और आपके घर के परिवार में माता पिता तुल्य लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
  5. अगर किसी व्यक्ति की आयु हो गई है लेकिन उस व्यक्ति का विवाह नहीं हो पा रहा है अगर किसी कन्या के विवाह में कोई भी बाधा उत्पन्न हो रही है या विवाह में देरी हो रही है तो उन व्यक्तियों को सोलह सोमवार का व्रत करना चाहिए इससे उस व्यक्ति के विवाह में जितनी भी अर्चना उत्पन्न होती है वह सब खत्म हो जाती है इसके अलावा सोमवार के दिन व्रत करने के बाद शिवलिंग पर जल अवश्य चढ़ाना चाहिए।
  6. अगर किसी व्यक्ति को अपना खुशहाल दांपत्य जीवन चाहिए तो उस व्यक्ति को सोमवार का व्रत करना चाहिए सोमवार का व्रत करने से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं पति पत्नी का रिश्ता मजबूत हो जाता है घर में कभी भी वाद-विवाद क्लेश आदि जैसी समस्याएं नहीं होती हैं कोर्ट कचहरी के मामले भी हमेशा सुलझते रहते हैं।

सोमवार व्रत की आरती | Somvar vrat ki arati

शिवजी का चाँद

आरती करत जनक कर जोरे।
बड़े भाग्य रामजी घर आए मोरे।।
जीत स्वयंवर धनुष चढ़ाए।
सब भूपन के गर्व मिटाए।
तोरि पिनाक किए दुइ खंडा।
रघुकुल हर्ष रावण मन शंका॥
आई सिय लिए संग सहेली।
हरषि निरख वरमाला मेली॥
गज मोतियन के चौक पुराए।
कनक कलश भरि मंगल गाए
कंचन थार कपूर की बाती।
सुर नर मुनि जन आए बराती॥
फिरत भांवरी बाजा बाजे।
सिया सहित रघुबीर विराजे॥
धनि-धनि राम लखन दोउ भाई।
धनि दशरथ कौशल्या माई॥
राजा दशरथ जनक विदेही।
भरत शत्रुघन परम सनेही॥
मिथिलापुर में बजत बधाई।
दास मुरारी स्वामी आरती गाई॥

FAQ : सोमवार व्रत कथा

सोमवार का व्रत कैसे करना चाहिए?

अगर आप लोग यह जानना चाहते हैं कि सोमवार का व्रत कैसे किया जाता है तो हम आप लोगों को बता दें कि सोमवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने हैं उसके बाद अपने आसपास के किसी भगवान शिव के मंदिर में जाकर भगवान शिव की शिवलिंग पर जल से अभिषेक करना है उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धा पूर्वक पूजा करनी है और व्रत कथा सुनना है या फिर पढ़ना है सोमवार के व्रत में एक ही समय भोजन किया जाता है।

सोमवार के व्रत कितने करने चाहिए?

सोमवार के व्रत कितने होते हैं वैसे तो हम आप लोगों को बता दें कि भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूरे सोलह सोमवार व्रत रखे गए हैं सोलह सोमवार तक विधि विधान पूर्वक भगवान शिव का अभिषेक करके उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए इसके अलावा निम्न सामग्री द्वारा सोलह सोमवार व्रत का पालन करना चाहिए और अपने शुद्ध मन से भक्ति के साथ सोलह सोमवार तक व्रत का पालन करने के साथ संकल्प लेना चाहिए।

सोमवार को व्रत करने से क्या लाभ होता है?

ऐसा कहा जाता है कि सोमवार के दिन व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों के ऊपर अपनी विशेष कृपा बनाए रखते हैं और उसके साथ अपने भक्तों के सभी पापों का नाश भी कर देते हैं क्योंकि आजकल के इस जीवन में कई ऐसे इंसान है जो कई बार ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिनका उन्हें कई सालों बाद पछतावा होता है इसीलिए कहा जाता है कि अगर जाने अनजाने में कोई भी गलती हो गई हो तो उसका पश्चाताप करने के लिए सोमवार का व्रत कर लेना चाहिए सोमवार का व्रत हमेशा लोगों को मोक्ष की प्राप्ति कराता है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सोमवार व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानकारी दी है इसके अलावा सोमवार व्रत कैसे किया जाता है सोमवार व्रत क्या है सोमवार व्रत करने के फायदे क्या है इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको सोमवार व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानकारी मिल गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको बेहद अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

Leave a Comment