सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार | 16 Somwar Vrat 17 veen Somwar : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार के बारे में बताएंगे, सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित किया गया है हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है.
कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार में श्रद्धा पूर्वक भगवान शिव की पूजा करता है और सोमवार व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं सोमवार व्रत को विशेष रुप से फलदाई माना गया है।
हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा कहा गया है कि भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सोमवार व्रत को कम से कम 16 बार करना चाहिए सोलह सोमवार के व्रत करने से विशेष रूप से कामना पूर्ति होती है सोमवार का व्रत कठिन व्रतों में से एक है इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति का वरदान देते हैं।
मान्यताओं के अनुसार सोलह सोमवार व्रत की शुरुआत माता पार्वती ने सबसे पहले की थी इस व्रत को कुंवारी कन्याएं बालक महिलाएं एवं पुरुष सभी कर सकते हैं इसीलिए आज हम आपको इस लेख के माध्यम से सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि आप लोगों को इस व्रत के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके इस व्रत के बारे में जानने के लिए आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
- 1. सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार | 16 Somwar Vrat 17 veen Somwar
- 2. सोलह सोमवार व्रत का महत्व | 16 Somwar Vrat ka mahatva
- 3. 16 सोमवार व्रत शुरू करने का सबसे अच्छा समय | 16 Somwar Vrat Shuru karne ka sabse Accha Samay
- 4. सोलह सोमवार व्रत सामग्री | 16 Somwar Vrat samagri
- 4.1. सोलह सोमवार व्रत संकल्प | 16 Somwar Vrat ka Sankalp
- 5. सोलह सोमवार व्रत की पूजा विधि | 16 Somwar Vrat ki Puja Vidhi
- 6. सोलह सोमवार व्रत उद्यापन विधि | Solah Somvar Vrat udyapan Vidhi
- 7. सोलह सोमवार का व्रत रखने के फायदे | Solah Somvar ka Vrat rakhne Ke Fayde
- 8. सोलह सोमवार व्रत आरती | Solah Somvar vrat aarti
- 9. FAQ : सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार
- 9.1. 16 सोमवार व्रत में क्या नहीं करना चाहिए ?
- 9.2. सोलह सोमवार का व्रत करने से क्या फल मिलता है ?
- 9.3. मैं 16 सोमवार का व्रत कब शुरू कर सकता हूं ?
- 10. निष्कर्ष
सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार | 16 Somwar Vrat 17 veen Somwar
वैसे तो आप में से कई लोग यह जानते होंगे कि सोलह सोमवार का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए किया था अगर आप में से कोई भी व्यक्ति सोलह सोमवार व्रत के 17 वें सोमवार के बारे में जानना चाहता है तो हम आपको बता दें कि सोलह सोमवार का व्रत सावन के महीने में किया जाता है जैसे ही सोलह सोमवार का व्रत समाप्त होता है उसी के 17 वें दिन सोलह सोमवार व्रत का उद्यापन किया जाता है.
हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि 16 सोमवार के व्रत को पूर्ण करने के बाद 17 वें दिन पाव भर गेहूं के आटे से बाटी बनाना है और उस बाटी को घी एवं गुड़ के साथ मिलाकर चूरमा बनाना है और उसके बाद उस चूरमे का भोग लगाना है और अपने आस – पास बैठे सभी लोगों को प्रसाद के रूप में बांट देना है.
सोलह सोमवार व्रत को करने के बाद 17 वे दिन क्या किया जाता है और क्यों किया जाता है यह कहानी बहुत ही प्रचलित है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था और जैसे ही वह सोलह सोमवार व्रत पूर्ण हुआ उसके पश्चात उन्होंने 17 वें दिन चूरमा बनाकर वहां उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद के रूप में दिया था यानी कि 17वें दिन सोलह सोमवार व्रत का उद्यापन किया था ।
सोलह सोमवार व्रत का महत्व | 16 Somwar Vrat ka mahatva
अगर आप में से कोई भी व्यक्ति यह जानना चाहता है कि सोलह सोमवार व्रत का महत्व क्या है तो आज हम आपको बता दें कि सोलह सोमवार व्रत को मुख्य रूप से किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए किया जाता है इसके अलावा हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि सोलह सोमवार का व्रत रखने से पति की आयु दीर्घ होती है और इस व्रत को करने से संतान भी सुखी रहती है.
मान्यताओं के अनुसार सोलह सोमवार के व्रत की शुरुआत माता पार्वती ने स्वयं की थी इसके पीछे एक कहानी बहुत ही प्रचलित है कहा गया है कि जब एक बार उन्होंने इस धरती पर अवतार लिया था तो वह एक बार पुनः भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए सोलह सोमवार के व्रत को कठोर तप करके किया था शास्त्रों में भी यह कहानी बहुत ही प्रचलित है माता पार्वती ने इस व्रत को सावन के महीने में किया था।
16 सोमवार व्रत शुरू करने का सबसे अच्छा समय | 16 Somwar Vrat Shuru karne ka sabse Accha Samay
अगर आप सोलह सोमवार व्रत को करना चाहते हैं लेकिन आपको व्रत को करने का सही समय और महीना निश्चित नहीं है तो आज हम आपको बताएंगे कि सोलह सोमवार व्रत की शुरुआत कौन से समय से करनी चाहिए यदि आपका स्वास्थ्य आपका साथ दे रहा है तो आपको सावन के महीने में सोलह सोमवार व्रत का संकल्प लेना चाहिए इस व्रत में कई ऐसे नियम बताए गए हैं जिन्हें तोड़ना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है.
यह व्रत करना थोड़ा कठिन है लेकिन व्रत संपन्न होने के बाद यह उत्तम परिणाम देता है सोलह सोमवार व्रत को करने का महीना बहुत ही शुभ है सावन के महीने में भगवान शिव की भक्ति अर्चना आराधना और उनका अभिषेक करना बहुत ही शुभ है तो आप सावन के महीने में सोलह सोमवार व्रत का संकल्प ले सकते। यह समय आपके जीवन में उत्तम परिणाम लाएगा।
सोलह सोमवार व्रत सामग्री | 16 Somwar Vrat samagri
वैसे तो भगवान शिव की पूजा में निम्न प्रकार की सामग्री लगती है लेकिन आज हम आपको सोलह सोमवार व्रत की संपूर्ण सामग्री बताएंगे जो आपको विशेष रूप से इस व्रत में रखना आवश्यक है तभी आपका यह व्रत संपन्न हो पाएगा। भोलेनाथ की मूर्ति, भांग, बेलपत्र, जल, धूप, दीप, गंगाजल, धतूरा, इत्र, सफेद चंदन, रोली, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, नैवेद्य जिसे आधा सेर गेहूं के आटे को घी में भूनकर गुड़ मिलाकर भोग बना लें।
सोलह सोमवार व्रत संकल्प | 16 Somwar Vrat ka Sankalp
संपूर्ण सामग्री एकत्रित करने के बाद सबसे पहले सावन के महीने में पहले ही सोमवार के दिन सोलह सोमवार व्रत का संकल्प लें हमारे हिंदू धर्म में कहते हैं कि किसी भी पूजा यह व्रत को शुरू करने से पहले सर्वप्रथम उस व्रत का पूजा का संकल्प लिया जाता है तभी वह पूजा संपूर्ण हो पाती है तो आपको सोना सोमवार व्रत का संकल्प लेना है और नियमित रूप से पूजा और व्रत करना है सबसे पहले हाथों में जल , अक्षत , पान का पत्ता , सुपारी और कुछ सिक्के लेकर नीचे दिए गए भगवान शिव का मंत्र जाप करें।
ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।
उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥
सोलह सोमवार व्रत की पूजा विधि | 16 Somwar Vrat ki Puja Vidhi
- सोलह सोमवार व्रत को करना इतना भी आसान नहीं है क्योंकि जब माता पार्वती ने इस व्रत को किया था तो उन्होंने कठोर तपस्या की थी तब इस व्रत को सफल कर पाई थी तो आज हम आपको सोलह सोमवार व्रत करने की सरल विधि बताएंगे जो कि इस प्रकार है ;
- सोलह सोमवार व्रत को करने के लिए सबसे पहले आपको सावन के महीने में प्रथम सोमवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना है और स्नान आदि से निश्चिंत हो जाना है।
- उसके पश्चात शुद्ध वस्त्र धारण करने है।
- अगर आपके घर में भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर है तो उसकी पूजा करें नहीं तो अपने घर के आस-पास किसी शिव मंदिर में जाकर इस पूजा को संपन्न करें।
- उसके बाद अपने हाथों में फूल अक्षत लेकर भगवान शिव को समर्पित कर देना है।
- उसके पश्चात भगवान शिव को जल अर्पण करना है।
- शुद्ध जल से महादेव का अभिषेक करने के बाद सफेद वस्त्र समर्पित करें।
- अर्थात सफेद चंदन से भगवान शिव को तिलक लगाएं एवं तिलक पर अक्षत डालें।
- उसके पश्चात उनकी शिवलिंग पर धतूर , बेलपत्र , भांग एवं सफेद , पुष्प , पुष्पमाला यह सभी सामग्री अर्पण करें।
- उसके पश्चात उनकी मूर्ति के सामने अष्टगंध , धूप , दीप आदि जलाएं ।
- उसके बाद भगवान शिव की प्रिय वस्तुओं का भोग लगाएं जैसे की ऋतु फल या बेल आदि का भोग लगाएं।
- उसके पश्चात सोमवार व्रत की कथा पढ़ें या फिर अपने फोन में यूट्यूब पर लगाकर उस कथा को ध्यान पूर्वक सुने।
- कथा को पढ़ने के बाद भगवान शिव की आरती करें दीप आरती के बाद कपूर जलाकर कपूर अघोरी मंत्र का जाप करते हुए आरती करें उपस्थित सभी जनों को आरती दें और स्वयं आरती लें इस दिन भगवान की महिमा का गुणगान सुनना और सुनाना अत्यंत लाभकारी होता है।
- उसके तत्पश्चात अपनी इच्छा अनुसार शिव चालीसा , शिव पुराण आदि पढ़ें।
सोलह सोमवार व्रत उद्यापन विधि | Solah Somvar Vrat udyapan Vidhi
- हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा कहा गया है कि किसी भी व्रत को संपन्न करने के बाद उसका उद्यापन अवश्य करना चाहिए उसी प्रकार सोलह सोमवार व्रत को संपन्न करने के बाद विधि विधान पूर्वक उसका उद्यापन अवश्य करें सोलह सोमवार व्रत की संख्या पूरी होने पर 17 वें सोमवार को किया जाता है श्रावण मास के प्रथम या तृतीय सोमवार को करना सबसे अच्छा माना जाता है।
- सोमवार व्रत के उद्यापन में उमा , महेश एवं चंद्रदेव आदि लोगों को पूजा में अवश्य शामिल करना चाहिए और हवन करना चाहिए।
- उद्यापन करने के लिए 17 वें सोमवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि से निश्चिंत हो जाएं उसके पश्चात आराधना करते हुए चार द्वारों का मंडप तैयार करें।
- एक पार्टी के ऊपर वेदी बनाकर देवताओं का आवाहन करें और कलश की स्थापना करें।
- उस कलश को पानी से भरे और पात्र में रखें।
- उसके पश्चात भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र (ऊं नमः शिवाय का जाप करते हुए शिवजी को वहां स्थापित करें।
- उनके समक्ष गंध, पुष्प, धूप, नैवेद्य, फल, दक्षिणा, ताम्बूल, फूल, दर्पण, आदि देवताओं को समर्पित करें।
- उसके बाद भगवान शिव को पंच तत्वों से स्नान कराएं और हवन प्रारंभ करें।
- हवन करते समय उस हवन पर दक्षिणा आभूषण एवं आचार्य को गो का दान अवश्य करें।
- सोलह सोमवार पूजा का सभी समापन होने के बाद उन्हें अच्छे से भोजन कराएं और भोजन के साथ दक्षिणा अवश्य दें।
सोलह सोमवार का व्रत रखने के फायदे | Solah Somvar ka Vrat rakhne Ke Fayde
- सोमवार का व्रत भगवान शिव को समर्पित किया गया है कहते हैं इस व्रत को अगर कुंवारी लड़कियां करती हैं तो उन्हें अच्छा पति प्राप्त होता है।
- राशि के अनुसार जातक के लिए सोलह सोमवार का व्रत बहुत ही खास है।
- अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सोलह सोमवार व्रत को करना शुभ माना जाता है क्योंकि इस व्रत को करने से मन की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है।
- अगर आपने से किसी भी व्यक्ति के घर की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है तो उस व्यक्ति को सोलह सोमवार व्रत को करना चाहिए इस व्रत को करने से आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है।
- अगर किसी लड़की या लड़के की शादी नहीं हो रही है उस शादी में कई प्रकार की परेशानियां प्रकट हो रही है तो ऐसे में उस लड़की या लड़के को सोलह सोमवार व्रत को करना चाहिए कहते हैं इस व्रत को करने से व्यक्ति की शादी में आ रही अर्चना दूर हो जाती हैं।
- अगर किसी महिला को संतान नहीं हो रही है और वह पूर्ण श्रद्धा के साथ चाहती है कि उसे संतान की प्राप्ति हो तो उसे मनोकामना पूर्ति के लिए सोलह सोमवार व्रत को करना चाहिए।
- अगर आप में से किसी भी व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करनी है तो ऐसे में पूर्ण श्रद्धा और निष्ठा के साथ सोमवार व्रत का पाठ करना चाहिए।
- अगर आप में से कोई भी व्यक्ति अधिक बीमार है और वह इस बीमारी से छुटकारा पाना चाहता है तो उस व्यक्ति को बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए सोलह सोमवार व्रत को करना चाहिए इस व्रत को करने से समस्त बीमारियां दूर हो जाती हैं।
सोलह सोमवार व्रत आरती | Solah Somvar vrat aarti
ॐ जय शिव ओंकारा , प्रभु हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांङ्गी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै |
हंसानन , गरुड़ासन, वृषवाहन साजै॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहै |
तीनों रुप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
अक्षमाला, वनमाला ,मुण्डमाला धारी |
चंदन, मृगमद चंदा सोहै, त्रिपुरारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।
सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
कर मध्ये कमण्डलु, चक्र त्रिशूलधारी |
सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका |
प्रवणाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा……
॥ इति श्री शिव जी की आरती॥
FAQ : सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार
16 सोमवार व्रत में क्या नहीं करना चाहिए ?
सोलह सोमवार का व्रत करने से क्या फल मिलता है ?
मैं 16 सोमवार का व्रत कब शुरू कर सकता हूं ?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से सोलह सोमवार व्रत 17वीं सोमवार के बारे में बताया इसके अलावा सोलह सोमवार व्रत को करने की विधि और 16 सोमवार व्रत का क्या महत्व है इन सभी के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है.
अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।